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व्यापार घाटा

व्यापार घाटा
व्यापार घाटे का सीधा प्रभाव देश की आर्थिक स्थिति विशेषकर चालू खाते, रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है। अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि यदि किसी देश का व्यापार घाटा लंबे समय तक बना रहता है, तो इसका उस देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, विशेषकर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर।

Export in September: निर्यात में आई तेजी, लेकिन सितंबर में देश का व्यापार घाटा बढ़कर 26 बिलियन डॉलर पर पहुंचा

India Export in September: व्यापार घाटा सितंबर में देश के निर्यात में 4.82 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया और यह आंकड़ा 35.45 बिलियन डॉलर रहा. ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 25.71 बिलियन डॉलर पहुंच गया.

Export in September: सितंबर में देश का निर्यात 4.82 फीसदी चढ़कर 35.45 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा भी बढ़कर 25.71 बिलियन डॉलर हो गया. वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी. इस महीने के पहले सप्ताह में जारी अपने शुरुआती आंकड़ों में मंत्रालय ने कहा था कि सितंबर में देश का वस्तुओं का निर्यात 3.52 फीसदी घटकर 32.62 बिलियन डॉलर रह गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर, 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 8.66 फीसदी बढ़कर 61.61 बिलियन डॉलर हो गया है. सितंबर, 2021 में व्यापार घाटा 22.47 बिलियन डॉलर रहा था.

पहली छमाही में व्यापार घाट 148.46 बिलियन डॉलर

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर, 2022) में निर्यात 16.96 फीसदी की वृद्धि के साथ 231.88 बिलियन डॉलर रहा, जबकि आयात 38.55 फीसदी की वृद्धि के साथ 380.34 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. वहीं, इस दौरान व्यापार व्यापार घाटा घाटा 76.25 बिलियन डॉलर के मुकाबले बढ़कर 148.46 बिलियन डॉलर हो गया.

इंजीनियरिंग, रेडिमेड निर्यात में आई गिरावट

सितंबर में इंजीनियरिंग, रेडिमेड टेक्सटाइल्स, प्लास्टिक, कार्पेट मटीरियल के निर्यात में गिरावट आई है. इंजीनियरिंग गुड्स निर्यात में 10.85 फीसदी की गिरावट आई और यह 8.4 बिलियन डॉलर रहा. रेडिमेड गुड्स के निर्यात में 18 फीसदी की गिरावट आई और यह 1 बिलियन डॉलर रहा. प्लास्टिक के निर्यात में 12.2 फीसदी की गिरावट आई और यह 660.6 मिलियन डॉलर रहा. जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, लेदर, फार्मास्युटिकल्स, केमिकल्स, राइस के निरयात में पॉजिटिव ग्रोथ दिखा.

ऑयल एंड गोल्ड इंपोर्ट घटा

ऑयल इंपोर्ट में 5.38 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 15.9 बिलियन डॉलर रहा. गोल्ड इंपोर्ट में 24.62 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 3.9 बिलियन डॉलर रहा. कोल इंपोर्ट में तेजी आई और यह 60.82 फीसदी के उछाल के सथ 3.5 बिलियन डॉलर रहा.

सर्विस एक्सपोर्ट में 19 फीसदी की तेजी का अनुमान

वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि सितंबर में सर्विस एक्सपोर्ट का अनुमान 25.65 बिलियन डॉलर का है. सालाना आधार पर इसमें 18.72 फीसदी की तेजी का अनुमान है. सर्विस इंपोर्ट में 20 फीसदी की तेजी का अनुमान है और यह आंकड़ा 15.10 बिलियन डॉलर रह सकता है. अप्रैल-सितंबर के बीच सर्विस एक्सपोर्ट 150.43 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है और इसमें 27.88 फीसदी की तेजी दर्ज की जा सकती है.

Foreign Trade: निर्यात के मोर्चे पर ​मिली बुरी खबर, दोगुनाा से भी ज्यादा बढ़ा व्यापार घाटा, जानें क्यों

अगस्त 2022 में देश का आयात (Import) तेजी से बढ़ा है। यह एक साल पहले की तुलना में 37 फीसदी बढ़कर 61.68 अरब डॉलर हो गया है। इसके साथ ही निर्यात (Export) में गिरावट का रूख है। आयात के मुकाबले निर्यात घट कर लगभग आधा, 33 अरब डॉलर रह गया है।

Foreign trade deficit more than doubled (File Photo)

विदेश व्यापार घाटे में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि (File Photo)

हाइलाइट्स

  • निर्यात के मोर्चे पर बुरी खबर मिली है
  • बीते अगस्त में अपना निर्यात घट कर 33 अरब डॉलर रह गया है
  • इसी महीने आयात में तेज बढ़ोतरी हुई है
  • इसलिए व्यापार घाटा दोगुने से भी अधिक बढ़ कर 28.68 अरब डॉलर हो गया है

निर्यात बढ़ने की उम्मीद
वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं से कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश का कुल निर्यात 450 अरब डॉलर के पार जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में हम इस वित्त वर्ष में 450 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लेंगे। हालांकि मेरा आंतरिक लक्ष्य 470 अरब डॉलर का है। वहीं सेवा निर्यात 300 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। इस तरह चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात 750 अरब डॉलर रहेगा जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 676 अरब डॉलर था।’’

निर्यात में बढ़ने की थी प्रवृत्ति
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान देश का निर्यात 17.12 फीसदी बढ़कर 192.59 अरब डॉलर हो गया। वहीं आयात 45.64 फीसदी बढ़कर 317.81 अरब डॉलर हो गया। इसी अवधि में देश का व्यापार घाटा बढ़कर 125.22 अरब डॉलर हो गया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 53.78 अरब डॉलर था।

पिछले महीने बढ़ा कच्चे तेल का आयात
आंकड़े बताते हैं कि बीते अगस्त में कच्चे तेल का आयात 86.44 फीसदी बढ़कर 17.6 अरब डॉलर हो गया। यही वजह है कि देश का व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा। हालांकि, इसी महीने सोने का आयात 47.54 फीसदी गिरकर 3.51 अरब डॉलर रह गया। इससे थोड़ा सा संतुलन बना रहा। क्योंकि

सरकार का क्या है कहना
सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘निर्यात में रही फ्लैट बढ़ोतरी का कारण क्या है? मुद्रास्फीति को काबू में करने और कुछ उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हमने गेहूं, इस्पात और लौह अयस्क छर्रों पर पाबंदी लगाने के साथ कुछ उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाया है। इस सब की वजह से इन क्षेत्रों में निर्यात में कुछ कमी आई है।’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों से आने वाले वर्षों में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि नई विदेश व्यापार नीति 30 सितंबर को जारी की जाएगी।

सितंबर में भारत के निर्यात में आई गिरावट, व्यापार घाटा 27 बिलियन डॉलर पर पहुंचा

India export in September: सितंबर के महीने में भारत के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई और आयात में उछाल आया है. निर्यात घटने के कारण ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 27 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.

India export in September: एडवांस इकोनॉमी में मंदी का खतर बढ़ रहा है. यही वजह है कि इंडियन प्रोडक्ट्स की मांग घट रही है, जिससे भारत के निर्यात में भी गिरावट देखी जा रही है. सितंबर के महीने में भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में 3.52 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 32.62 अरब डॉलर रहा. सितंबर 2021 में भारत का निर्यात 33.81 अरब डॉलर रहा था. निर्यात में आई कमी के कारण सितंबर में व्यापार घाटा 26.72 अरब डॉलर रहा. वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी शेयर की गई है.

आयात में 5.44 फीसदी का उछाल

देश का आयात पिछले साल के सितंबर माह के 56.29 अरब डॉलर से 5.44 फीसदी बढ़कर इस साल सितंबर में 59.35 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-सितंबर के दौरान निर्यात 15.54 फीसदी बढ़कर 229.05 अरब डॉलर हो गया. इस अवधि में आयात 37.89 फीसद बढ़कर 378.53 अरब डॉलर हो गया. मंत्रालय के अनुसार, इस वित्त व्यापार घाटा वर्ष की पहली छमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 149.47 अरब डॉलर हो गया जबकि अप्रैल-सितंबर, 2021-22 में यह 76.25 अरब डॉलर था.

किन चीजों का निर्यात घटा

बीते महीने इंजीनियरिंग गुड्स, ऑर्गेनिक और इन-ऑर्गेनिक केमिकल्स, फार्मास्युटिकल्स, रेडीमेड गारमेंट, कॉटन यार्न और चावल के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई. वहीं, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स और मरीन प्रोडक्ट्स के निर्यात में उछाल दर्ज किया गया.

किन चीजों का आयात बढ़ा

सितंबर में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, गोल्ड, प्रीसियस स्टोन, केमिकल्स, वेजिटेबल ऑयल के आयात में गिरावट दर्ज की गई. वहीं, मशीनरी, ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट्स, कोल, आयरन और स्टील के आयात में तेजी दर्ज की गई.

व्यापार घाटा क्या है यह अर्थवयवस्था को कैसे प्रभावित करता है?

व्यापार घाटा

व्यापार घाटा क्या है और इससे किसी देश की अर्थवयवस्था कैसे प्रभावित होती है। वैसे व्यापार घाटा किसी भी देश के निर्यात और आयात करने की क्षमता पर निर्भर करता है, इसका सीधा जुड़ाव उस देश की अर्थव्यवस्था के विकास से होता है।

व्यापार घाटा को ऐसे देख सकते है की अगर आयात बढ़ता है, तो निर्यात कम होता है, और अगर निर्यात बढ़ता है, तो आयात कम होता है। इसलिए यह दोनों ही रूपों में अर्थवयवस्था पर असर डालता है। व्यापार घाटा को कम करने के लिए हर देश की कोशिश होती है, कि वह देश में आयात और निर्यात के बीच संतुलन को बनाये रखे।

अर्थवयवस्था को मजबूत करने के लिये व्यापार घाटा को संतुलित रखना प्रत्येक देश की यह प्राथमिकता होती है, यदि नागरिकों के लिये ज्यादातर वस्तुएं देश में ही स्थित कम्पनियों के माध्यम से मिल जाये तो उसे विदेशी वस्तुओं को कम खरीदना पड़ेगा और इससे आयात कम करना पड़ेगा।

व्यापार घाटा

व्यापार घाटे का सीधा प्रभाव देश की आर्थिक स्थिति विशेषकर चालू खाते, रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है। अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि यदि किसी देश का व्यापार घाटा लंबे समय तक बना रहता है, तो इसका उस देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, विशेषकर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर।

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व्यापार घाटा क्या होता है? What is trade deficit in hindi?

किसी भी देश का वयापार घाटा उस देश के आयात और निर्यात के अंतर पर निर्भर करता है, अर्थशास्त्र में आयात और निर्यात के संतुलन को वयापार संतुलन कहते हैं। लेकिन जब कोई देश निर्यात करने की तुलना में आयात को अधिक करने लगता है, तो उस स्थिति को वयापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) कहाँ जाता हैं।

व्यापार घाटा का सीधा मतलब यह होता है, कि वह देश अपने यहां नागरिको की जरूरतो को पूरा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पा रहा है, इसलिए उसे इन जरूरतों को पूरा करने के लिये दूसरे देशों से वस्तुओ और सेवाओं का आयात करना पड़ रहा है। लेकिन इस स्थिति के उलट जब कोई देश आयात करने की तुलना में निर्यात को अधिक करता है, तो उसे व्यापार बढ़ोतरी (ट्रेड सरप्लस) कहते हैं।

व्यापार घाटा को लेकर भारत की दूसरे देशो के साथ वायापरिक स्थिति

अगर हम भारत में वयापार बढ़ोतरी (ट्रेड सरप्लस) की बात करें तो अमेरिका के साथ हमारा ट्रेड सरप्लस सर्वाधिक (21 अरब डॉलर) है। इसका अर्थ यह है, कि हमारा देश अमेरिका से आयात कम और वहाँ निर्यात ज्यादा करता है।

व्यापार घाटा

इसलिये भारत और अमेरिका इन दोनों देशो का झुकाव द्विपक्षीय व्यापार संतुलन की ओर है। अगर हम इसे सीधे और सरल शब्दों में कहें तो अमेरिका से व्यापार की स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये अनुकूल है। इसी तरह बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, हांगकांग, नीदरलैंड, पाकिस्तान, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी भारत का ट्रेड सरप्लस है।

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व्यापार घाटा का अर्थवयवस्था पर क्या असर होता है? Impact of trade deficit on the economy

अर्थशास्त्रियों का यह मत है, कि यदि किसी देश का व्यापार घाटा कई सालो तक लगातार कायम रहता है, तो उस देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो जाती है, इसका सीधा और नकारात्मक असर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है।

व्यापार घाटे का नकारात्मक असर चालू खाते के घाटे पर भी पड़ता है, चालू खाते में एक बड़ा हिस्सा व्यापार संतुलन के लिये होता है। इसीलिये जब व्यापार घाटा बढ़ता है, तो इसके साथ चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाता है। चालू खाते का घाटा देश में विदेशी मुद्रा के आने और बाहर जाने के अंतर को दिखता है। विदेशी मुद्रा निर्यात के द्वारा ही अर्जित की जाती है, जबकि आयात करने से देश की मुद्रा बाहर जाती है।

वयापार घाटे की स्थिति से निपटने के लिये सरकार कई वस्तुओं पर आयात के शुल्क में बढ़ोतरी करके गैर जरूरी वस्तुओं के आयात को कम करने का प्रयास करती है। वैसे अमेरिका का व्यापार घाटा दुनिया में सबसे अधिक है, इसकी वजह यह है कि अमेरिका की अर्थवयवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और डॉलर को पूरी दुनिया में रिजर्व करेंसी के रूप में रखा जाता है।

व्यापार घाटा

व्यापार घाटा पर भारत ट्रेड बैलेंस कैसा है? What is India Trade Balance on Trade Deficit in hindi?

भारत मुख्य रूप से खनिज ईंधन, तेल, मोम, बिटुमिनस (Bituminous) पदार्थ, मोती, कीमती व अर्ध-कीमती पत्थरों और गहनों के मजबूत आयात में लगातार वृद्धि के कारण 1980 से निरंतर व्यापार घाटे को दर्ज़ कर रहा है। हाल के वर्षों में, चीन, स्विट्जरलैंड, सऊदी अरब, इराक और इंडोनेशिया के साथ सबसे बड़ा व्यापार घाटा दर्ज किया गया, साथ ही भारत ने अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम के साथ व्यापार बढ़ोतरी (ट्रेड सरप्लस) को रिकॉर्ड किया है।

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