वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति

1. वित्तीय नियोजन वित्तीय प्रबंधन व्यापार के मामलो की वित्तीय आवश्यकता का निर्धारण करने में मदद करता है और इस विषय का वित्तीय नियोजन करता है. वित्तीय योजना व्यवसाय के विषयों का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो किसी उद्यम के प्रचार को बढ़ावा देती है.
वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) क्या हैं। परिभाषा, विशेषताएँ, और क्षेत्र-
वित्तीय प्रबंध व्यवशाय के नियोजना , संगठन आदि का सम्मलित रूप हैं | इसमे सबसे पहले वित्त की नियोजना बनाना पड़ता हैं की वित्त की प्राप्ति कैसे होगी | फिर यह चेक करेंगे की योजना सही हैं या नही वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति | पैसा कहा से प्राप्त हो और कहा लगाया जाए जिससे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके | साधनो को कहा लगाया जाए | फ़र्म अपने वित्त की व्यवस्था कैसे करे | फ़र्म कहा लगाए जिससे सब कुछ आसानी से मिल सके |
जब हम पैसा लगाते हैं तो ऐसे जगह लगाना चाहते हैं जहा अधिक लाभ हो जब तक हम नियोजन नही करेंगे यह संभव नही हैं |
यह एक सतत प्रक्रिया हैं | यह हमेशा चलती रहती हैं |
वित्त का रोज काम होता हैं एक बार प्रोजेक्ट को देखा फिर संगठन और नियंत्रण करते रहते हैं |
इसका विश्लेषण अति आवश्यक होता हैं | इसी आधार पर पैसा लगाते हैं |
वित्तीय प्रबंधन का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
vittiy prabandh Meaning in hindi; वित्त व्यवसाय का जीवन का रक्त होता है। वित्तीय प्रबंध व्यावसायिक प्रबंध का ही एक भाग है। वित्तीय प्रबंध किसी उपक्रम के वित्त तथा वित्त से सम्बंधित पहलुओं पर निर्णय करने और नीति निर्धारण करने से सम्बंधित क्रियाओं का समूह होता है।
इसमे पुँजी, रोकड़ प्रवाह, मूल्य एवं लाभ नीतियाँ, निष्पत्ति नियोजन एवं मूल्यांकन तथा बजटरी नियंत्रण नीतियाँ एवं प्रणालियों प्रमुख रूप से वित्तीय प्रबंध के क्षेत्र मे आती है, परन्तु ये अन्य विभागों के सहयोग एवं सहमति के बगैर प्रभावपूर्ण ढंग से कार्यान्वियन नही किये जा सकते वित्तीय प्रबंध उपक्रम के व्यापक हितों का प्रतिनिधित्व करता है तथा वह इनके लिए संस्था का रखवाला कर्ता होता है।
छोटी व्यावसायिक इकाईयों के लिए वित्त की व्यवस्था करना कोई कठिन समस्या नही होती है परन्तु बड़ी व्यावसायिक इकाईयों के लिए वित्त व्यवस्था काफी कठिनाईपूर्ण है। यहॉं पर वित्त का स्वरूप अवैयक्तिगत होता है तथा इसकी मात्रा भी अधिक होती है जिसके फलस्वरूप इसकी व्यवस्था में अनेक कठिनाइयॉं आती है। अत: वर्तमान समय में वित्त उत्पादन का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसलिए इसकी उचित व्यवस्था हेतु विभिन्न उपक्रमों मे एक अलग से विभाग खोला जाता है जिसे वित्त विभाग कहते है।
वित्तीय प्रबंधन की परिभाषा (vittiy prabandh ki paribhasha)
वैस्टन एवं ब्राइघम " वित्तीय प्रबंध एक व्यवसाय की वह संचालनात्मक प्रक्रिया है जो व्यक्तिगत उद्देश्यों और उपक्रम के उद्देश्यो के समन्वय स्थापित करती है।
हाॅवर्ड एवं उपटन " वित्तीय प्रबंध नियोजन तथा नियंत्रण को वित्त कार्य पर लागू करना है।
जे. एफ. ब्रेडले " वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति वित्तीय प्रबंध व्यावसाय का वह क्षेत्र है जिसका सम्बन्ध पूँजी के विवेकपूर्ण उपयोग एवं पूँजी साधनों के सतर्क चयन से है, ताकि व्यय करने वाली इकाई (फर्म) अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ सके।
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि " वित्तीय प्रबंधन व्यावसायिक प्रबंधन का एक वह क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत व्यवसाय की वित्तीय क्रियाओं एवं वित्त कार्य का कुशल संचालन किया जाता है। इसके लिए नियोजन, आंवटन एवं नियंत्रण के कार्य किये जाते है।
वित्तीय प्रबंधन की विशेषताएं या लक्षण (vittiy prabandh ki visheshta)
1. आवश्यकता का अनुमान
वित्तीय प्रबंधन के द्वारा व्यवसाय की वित्त सम्बन्धी आवश्यकताओं का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
2. वित्तीय स्त्रोतों का निर्धारिण
वित्तीय प्रबंध ऐसा प्रबंध है जिसके अन्तर्गत व्यवसायी आसानी से पूँजी प्राप्ति के श्रेष्ठ स्त्रोतों को ज्ञात कर सकता है।
3. वित्तीय कार्यों का केन्द्रीयकरण
वित्तीय प्रबंध मे वित्त सम्बन्धी समस्त कार्तों का एक समूह बन गया है, जिसमे वित्त सम्बन्धी समस्याओं, विचारो, नियोजन, नियंत्रण, निर्णय व्यवस्थाएँ, उत्पादन, विपणन एवं कर्मचारी प्रबंध वित्तीय कार्य एक ही प्रबंध मे किया जाता है अर्थात् वित्तीय प्रबंध, वित्तीय कार्यों को केन्द्रीकृत कर चुका है।
4. पूँजी संरचना का निर्माण
व्यवसाय की पूंजी संरचना, अल्पकालीन, दीर्घकालीन, स्थायी एवं कार्यशील पूँजी आदि से निर्मित होती है और इसे सगंठित करने का कार्य वित्तीय प्रबंध का होता है, इसीलिए हम कहते है कि वित्तीय प्रबंध पूंजी संरचना का निर्माण करता है।
5. व्यावसायिक वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति समन्वय
व्यवसाय के विभिन्न विभागों के साथ सहयोग एवं समन्वय करके व्यवसाय के सभी वित्तीय मामलों को निपटाने वाला ऐसा एक ही विभाग है जो वित्तीय प्रबंध है।
वित्तीय प्रबंधन का क्षेत्र या कार्य
vittiya prabandh ke karya kshera;वर्तमान के युग में व्यावसायिक प्रबन्ध को सफल बनाने में वित्त प्रबन्धकों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। पिछले कुछ वर्षो में वित्तीय प्रबन्ध के क्षेत्र एंव जटिलताओं में बहुत परिवर्तन हो गया है। आजकल वित्तीय प्रंबंध के कार्यो मे वृद्धि हो गयी है जिसका वर्णन इस प्रकार है--
वित्तीय प्रबन्ध के प्रशासनिक कार्यो के अन्तर्गत वित्तीय आवश्यकताओं, सही पूर्वानुमान एंव इनकी सुगम उपलब्धि हेतु व्यवस्था करना एवं उपलब्ध वित्तीय साधनों वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति का इस प्रकार प्रयोग करना जिससे कि अंशधारियों एंव ऋण पत्रधारियों को अधिकतम प्रत्याय प्राप्त हो सके, साथ ही अंशो के बाजार मूल्य में भी वृद्धि हो सके। संक्षेप में कोषो का नियोजन एंव संग्रहण, कोषो का आंवटन, कोषो का नियंत्रण एंव वित्तीय कार्यो को वित्तीय प्रबन्ध के प्रशासनिक कार्यो में सम्मिलित किया जा सकता है। इसके अतंर्गत कार्यो का वर्गीकरण निम्नलिखित ढंग के किया जा सकता है--
दैनिक कार्य
वित्तीय प्रबन्धन के उपरोक्त प्रशासनिक कार्य ऐसे है जो प्रतिदिन व्यवहार मे काम आते है। परन्तु वित्तीय प्रबन्ध के कुछ ऐसे कार्य भी है जो उपक्रम की दैनिक क्रियाओं से सम्बन्धित होते है। इन्हें दूसरे शब्दों में दैनिक वित्तीय कार्य कहते है। दैनिक वित्तीय कार्यो का निष्पादन लिपिक वर्ग अथवा निम्न स्तरीय कर्मचारियों द्वारा किया जाता है परन्तु इन कार्यो के माध्यम से उच्च प्रबन्ध को अपने निर्णय लेने मे महत्वपूर्ण सहायता मिलती है। वित्तीय प्रबन्ध के निम्नलिखित प्रमुख दैनिक कार्य है--
1. दैनिक लेन-देन का लेखा
वित्तीय प्रबंधन के अन्तर्गत उपक्रम में होने वाले दिन-प्रतिदिन के व्यवहारो का लेखा रखा जाता है जिससे उपक्रम की सम्पूर्ण वित्तीय प्राप्तियों एंव भुगतानो का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो सके।
2. वित्तीय प्रपत्रों को तैयार करना
वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र क्या है?
इसे सुनेंरोकेंवित्तीय प्रबंधन संगठन के भावी विकास, एवं विस्तार हेतु भी उत्तरदायी होता है। संगठन के विकास एवं विस्तार हेतु अतिरिक्त पूंजी की लागत, स्वामित्व, नियंत्रण, जोखिम, एवं आय पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण भी वित्तीय प्रबन्धन के क्षेत्र में सम्मिलित होता है।
(i) ध्वनि निर्णय – अच्छी तरह से प्रबंधित कंपनियां ध्वनि निर्णय लेती हैं। उनके निर्णय ऐसे होंगे कि संचालन अधिक लागत प्रभावी हो और उत्पादन प्रक्रिया में अपव्यय से बचें।
क्या आप जानते हैं कि औद्योगिक धन क्या है?
iv। पुराने दिनों में, अर्थशास्त्रियों ने इस तथ्य पर अधिक ध्यान देने में विफल रहे कि औद्योगिक धन ने भौतिक धन में योगदान दिया।
पढ़ना: H2o के आबंध कोण का मान nh3 के आबंध कोण से कम क्यों होता है Vsepr सिद्धांत की सहायता से समझाइए?
क्या कहते हैं नवोन्मेषी कंपनियां?
(ii) ग्राहक संबंध – उत्कृष्ट समूह जैसे टाटा समूह, टोयोटा-किर्लोस्कर, टीवीएस और कई अन्य कंपनियां जो उत्कृष्ट लाइनों पर चलती हैं, ग्राहक प्रतिक्रिया से सीखते हैं। वे ग्राहकों की राय की परवाह करते हैं। कई नवोन्मेषी कंपनियों ने ग्राहकों से अपने सर्वोत्तम उत्पाद विचार प्राप्त किए। ग्राहक के करीब कंपनियां अच्छा करती हैं।
(i) ध्वनि निर्णय – अच्छी तरह से प्रबंधित कंपनियां ध्वनि निर्णय लेती हैं। उनके निर्णय ऐसे होंगे कि संचालन अधिक लागत प्रभावी हो और उत्पादन प्रक्रिया में अपव्यय से बचें।
iv। पुराने दिनों में, अर्थशास्त्रियों ने इस तथ्य पर अधिक ध्यान देने में विफल रहे कि औद्योगिक धन ने भौतिक धन में योगदान दिया।
(ii) ग्राहक संबंध – उत्कृष्ट समूह जैसे टाटा समूह, टोयोटा-किर्लोस्कर, टीवीएस और कई अन्य कंपनियां जो उत्कृष्ट लाइनों पर चलती हैं, ग्राहक प्रतिक्रिया से सीखते हैं। वे ग्राहकों की राय की परवाह करते हैं। कई नवोन्मेषी कंपनियों ने ग्राहकों से अपने सर्वोत्तम उत्पाद विचार प्राप्त किए। ग्राहक के करीब कंपनियां अच्छा करती हैं।
वित्त कार्य की परंपरागत अवधारणा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंद्वितीय संदर्भ में वित्त कार्य से अभिप्राय संगठन के अन्तर्गत समस्त नकद क्रियाओं को सम्मिलित करने से है। तृतीय संदर्भ में वित्त कार्य से आशय कोषों की प्राप्ति (Procurement of funds) तथा व्यवसाय में उनका प्रभावषाली उपयोग करने से है। वस्तुत: वित्त कार्य का सीधा सम्बन्ध धन (Money), बाजार (Market) तथा लोगों (People) से है।
वित्तीय प्रबंधन क्या है इसकी प्रकृति और दायरे की व्याख्या करें?
इसे सुनेंरोकेंवित्तीय प्रबंधन व्यावसायिक प्रबंधन का एक कार्यात्मक क्षेत्र है तथा यह संपूर्ण प्रबंधन का ही एक भाग होता है। वित्तीय प्रबंधन उपक्रम के वित्त तथा वित्तीय क्रियाओं के सफल तथा कुशल प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। यह कोई उच्चकोटि के लेखांकन अथवा वित्तीय सूचना प्रणाली नहीं होती है।
वित्तीय नियोजन की अवधारणा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंवित्तीय नियोजन का आशय किसी संस्था के लिए आवश्यक पूँजी की कुल राशि का पूर्वानुमान लगाना तथा उसके स्वरूप के सम्बन्ध वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति में निर्णय लेने कि प्रक्रिया से है।
वित्तीय प्रबंधन की प्रकृति
फाइनेंस फंक्शन के क्षेत्र में वित्त प्रबंधक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में से एक है. उन्हें लेखा, वित्त, अर्थशास्त्र और प्रबंधन के क्षेत्र में संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए. उनकी स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है और वित्त से जुड़े विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए विश्लेषणात्मक है. वित्त संबंधी गतिविधियों से संबंधित व्यक्ति वित्त प्रबंधक कहला सकता है.
1. वित्तीय आवश्यकताओं का पूर्वानुमान: यह वित्त प्रबंधक का प्राथमिक कार्य है. वह व्यापार विषयों की वित्तीय आवश्यकता का अनुमान लगाने के लिए उत्तरदायी है. वह अनुमान लगाते है कि, अचल संपत्तियों को हासिल करने के लिए कितना वित्त आवश्यक है और भविष्य में कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक राशि का पूर्वानुमान लगाते है.