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व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान

व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान
अंबेडकरनगर । उद्यमियों की कोई भी समस्या के निस्तारण में अधिकारी विलंब ना करें। शिकायतों को गंभीरता से लेते हए उसका तत्काल निदान करें। विद्युत समस्याओं से निपटने के लिए अधिकारी उपभोक्ताओं को फोन पर सही उत्तर दें। उक्त बातें जिलाधिकारी सुरेश कुमार ने आज कलेक्ट्रेट में आयोजित जिला उद्योग जल्द हो निदान बंधु व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान की बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों के लिए समस्त विभाग अनुमती, अनापत्ति व पंजीयन लाइसेंस आदि प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन सिंगल विडो पर आवेदन करना अनिवार्य होगा। इसके क्रियान्वयन के लिए सभी संबंधित विभाग अपने विभागीय पोर्टल पर औद्योगिक इकाइयों के आवेदन प्रपत्र सिगल विंडो निवेश मित्र के माध्यम से कराए जाने की व्यवस्था अनिवार्य रूप से बनाएं। उन्होंने जिला उद्योग प्रबंधक व्यापार कर अधिकारी को कडे निर्देश देते हुए कहा कि उद्योग निदान बंधु को आने वाली समस्याओं का तत्काल निस्तारण व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान करें कहा कि जो कार्य अपने स्तर पर ना हो वह उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर तत्काल अवगत कराएं। बैठक में व्यापारी नेता शिव कुमार गप्त ने बैठक में अन्य अधिकारियों की कम रूचि लेने पर जिलाधिकारी से शिकायत करते हए बताया कि जिला उद्योग की बैठक में कोई नहीं आता है। इस कारण समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।बैठक में अधिशासी अभियंता विद्युत अरविंद यादव, व्यापार कर अधिकारी, जिला उद्योग प्रबंधक, जिला खादी बोर्ड अधिकारी तथा व्यापारी मौजद रहे

डेली अपडेट्स

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारतीय कृषि क्षेत्र से संबंधित विभिन्न समस्याओं और उपायों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

प्रगति के सुनहरे अतीत पर खड़ा भारतीय कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में सदैव ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान रहा है। भारत में विश्व का 10वाँ सबसे बड़ा कृषि योग्य भू-संसाधन मौजूद है। वर्ष 2011 की कृषि जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या का 61.5 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण भारत में निवास करता है और कृषि पर निर्भर है। उक्त तथ्य भारत में कृषि के महत्त्व को भलीभांति स्पष्ट करते हैं। वर्ष 2019 में देश के कृषि क्षेत्र में कई प्रकार के हस्तक्षेप और व्यवधान देखे गए। वर्ष 2019 के पहले हिस्से में 75000 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड निवेश के साथ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना की शुरुआत की गई। हालाँकि वर्ष 2019 का दूसरा हिस्सा इस क्षेत्र के लिये आपदा के रूप में सामने आया और देश के कई हिस्सों में सूखे और बाढ़ की घटनाएँ देखी गईं। इसके अलावा आर्थिक मंदी और सब्जियों खासकर प्याज तथा दालों की कीमतों में वृद्धि ने उपभोक्ताओं (जिसमें किसान भी शामिल हैं) पर बोझ को और अधिक बढ़ा दिया। यह स्थिति मुख्यतः दो तथ्यों को स्पष्ट करती है:

भारत में कृषि की मौजूदा स्थिति

  • हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अन्य क्षेत्रों की तुलना में रोज़गार अवसरों के लिये कृषि क्षेत्र पर अधिक निर्भर है।
  • आँकड़ों के मुताबिक देश में चालू कीमतों पर सकल मूल्यवर्द्धन (GVA) में कृषि एवं सहायक क्षेत्रों का हिस्सा वर्ष 2014-15 के 18.2 प्रतिशत से गिरकर वर्ष 2019-20 में 16.5 प्रतिशत हो गया है, जो कि विकास प्रक्रिया का स्वभाविक परिणाम है।
  • ज्ञात हो कि कृषि में मशीनीकरण का स्तर कम होने से कृषि उत्पादकता में कमी होती है। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार भारत में कृषि का मशीनीकरण 40 प्रतिशत है, जो कि ब्राज़ील के 75 प्रतिशत तथा अमेरिका के 95 प्रतिशत से काफी कम है। इसके अलावा भारत में कृषि ऋण के क्षेत्रीय वितरण में भी असमानता विद्यमान है।
  • देश के लाखों ग्रामीण परिवारों के लिये पशुधन आय का दूसरा महत्त्वपूर्ण साधन है। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है। बीते 5 वर्षों के दौरान पशुधन क्षेत्र 7.9 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है।
  • कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार में भारत अग्रणी स्थान पर है, किंतु विश्व कृषि व्यापार में भारत का योगदान मात्र 2.15 प्रतिशत ही है। व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान भारतीय कृषि निर्यात के मुख्य भागीदारों में अमेरिका, सऊदी अरब, ईरान, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत से ही भारत कृषि उत्पादों के निर्यात को निरंतर बनाए हुए है।

प्रभाव

  • देश के कृषि क्षेत्र में विद्यमान विभिन्न चुनौतियों और समस्याओं के परिणामस्वरूप किसान परिवारों की आय में कमी होती है और वे ऋण के बोझ तले दबते चले जाते हैं। अंततः उनके समक्ष आत्महत्या करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचता।
  • निम्न और अत्यधिक जोखिम वाली कृषि आय कृषकों की रुचि पर हानिकारक प्रभाव डालती है और वे खेती को छोड़ने के लिये मजबूर हो जाते हैं।
  • इससे देश में खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र के भविष्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • कृषि क्षेत्र समावेशी विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण खंड है और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन प्रदान करता है, खासकर तब जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन न कर रही हो।
  • कृषि व्यय और विकास चालकों में असमानता के मुद्दे को संबोधित किया जाना चाहिये। पशुधन और मत्स्य पालन क्षेत्र में उच्च विकास के बावजूद भी इन क्षेत्रों पर किये जाने वाला व्यय अपेक्षाकृत काफी कम है। अतः पशुधन और मत्स्य पालन क्षेत्र के योगदान को देखते हुए आवश्यक है कि इन क्षेत्रों पर होने वाले व्यय में वृद्धि की जाए।
  • कृषि में अनुसंधान और विकास पर खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 0.40 प्रतिशत से बढ़ाकर 1 प्रतिशत किया जाना चाहिये।
  • कृषि पर भारत की निर्भरता और जलवायु-प्रेरित आपदाओं को देखते हुए देशभर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ‘क्लाइमेट स्मार्ट विलेज’ (Climate Smart Villages) की अवधारण के कार्यान्वयन का विस्तार किया जाना चाहिये।
  • कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को भी प्रोत्साहन किया जाना चाहिये।
  • कृषि क्षेत्र से संबंधित आँकड़ों को एकत्र करने के लिये एक एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिये। यह संस्था ​​लाभार्थियों की पहचान, सब्सिडी के बेहतर लक्ष्यीकरण और नीति निर्माण में सहायक हो सकती है।

ओबरा अग्रवाल धर्मशाला में भाजपा के व्यापार प्रकोष्ठ द्वारा व्यापारियों के कल्याण हेतु हुआ गोष्ठी का आयोजन

सोनभद्र स्थानीय चोपन रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला प्रांगण में व्यापार प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी के तत्वाधान में व्यापारियों के कल्याण के लिए एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में व्यापारी कल्याण बोर्ड उत्तरप्रदेश सरकार विश्वनाथ अग्रवाल उपस्थित रहे।
गोष्ठी में व्यापारी प्रतिनिधियों द्वारा जनपद में व्यापार के आ रही समस्याओं के साथ खनन उद्योग व जीएसटी सहित खाद्य विभाग आदि जटिल समस्याओं को विस्तार से मुख्य अतिथि के समक्ष रखा।वही मुख्य अतिथि विश्वनाथ अग्रवाल ने व्यापारियों की समस्याओं से अवगत होते हुए बताया कि उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के सुझाव पर व्यापारियों की समस्याओं का हो निदान उत्तरप्रदेश के राज्यपाल ने व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन किया है।
उत्तरप्रदेश सरकार ने व्यापारियों के कल्याण के लिए ही इसका गठन किया है।

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