निवेश रणनीति

घोटाले के दलालों से बचना

घोटाले के दलालों से बचना
प्रफुल्ल पटेल- सोनिया गाँधी (फाइल फोटो)

विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ शामिल घोटाले की खोज

जबकि विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) निवेश एक वैध प्रयास है और घोटाला नहीं है, बहुत सारे घोटाले ट्रेडिंग फॉरेक्स के साथ जुड़े हुए हैं। कई उद्योगों के साथ, नए शिकारियों का लाभ उठाने के लिए बहुत सारे शिकारी वहां मौजूद हैं। नियामकों ने पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा को मजबूत किया है और बाजार में काफी सुधार हुआ है, जिससे इस तरह के घोटाले बढ़ते जा रहे हैं।

विदेशी मुद्रा व्यापार में मुद्राओं के जोड़े का व्यापार शामिल है उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति अमेरिकी डॉलर के लिए यूरो का आदान-प्रदान कर सकता है। 2019 के सितंबर में, 1 यूरो का मूल्य $ 1.09 से लेकर लगभग $ 1.12 तक था। तो, एक व्यापारी जिसने $ 112 के लिए 100 यूरो का आदान-प्रदान किया, जब डॉलर का मूल्य उच्च होता है, तो यूरो के लिए उन $ 112 का आदान-प्रदान करके लाभ कमा सकता है जब डॉलर का मूल्य प्रति यूरो $ 1.09 पर वापस गिरता है। इस तरह के लेन-देन का परिणाम 3% से कम का शुद्ध लाभ होगा, जो संभवतः दलाल के कमीशन द्वारा मिटा दिया जाएगा।

विदेशी मुद्रा एक वैध प्रयास है। आप एक वास्तविक व्यवसाय के रूप में विदेशी मुद्रा व्यापार में संलग्न हो सकते हैं और वास्तविक लाभ कमा सकते हैं, लेकिन आपको इसे इस तरह से व्यवहार करना चाहिए। फॉरेक्स ट्रेडिंग को एक गेट-रिच-ओवरनाइट व्यवसाय के रूप में न देखें, चाहे आप हाइप-अप फॉरेक्स ट्रेडिंग गाइड में पढ़ सकते हैं।

विनिमय दरें अस्थिर हैं और अप्रत्याशित रूप से ऊपर या घोटाले के दलालों से बचना नीचे जा सकती हैं। जब कमीशन दलालों के लिए लेन-देन से लेन-देन होता है, तो पैसा बनाने के लिए व्यापारी के पक्ष में विनिमय दरों में महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता होती है। उच्च लाभ संभव है, लेकिन यह ऐसा बाजार नहीं है जहां किसी को भी त्वरित और आसान नकदी की उम्मीद करनी चाहिए।

क्या एक घोटाले बनाता है?

विदेशी मुद्रा व्यापार पहली बार 1990 के दशक के अंत में खुदरा व्यापारियों के लिए उपलब्ध हो गया था। पहले कुछ वर्षों में रातोंरात दलालों के साथ सूखा पड़ा था जो बिना किसी सूचना के पॉप अप करने और फिर दुकान बंद करने के लिए लग रहे थे।

आम भाजक यह था कि ये दलाल गैर-पंजीकृत देशों में आधारित थे। जबकि कुछ संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए थे, बहुसंख्यक विदेशों में उत्पन्न हुए थे, जहां ब्रोकरेज स्थापित करने की एकमात्र आवश्यकता कुछ हजार डॉलर की फीस थी।

एक खराब-संचालित दलाली के बीच एक अलग अंतर मौजूद है, जो जरूरी नहीं कि एक घोटाला है, और एक धोखाधड़ी है। यहां तक ​​कि खराब रनिंग ब्रोकरेज खेल से बाहर ले जाने से पहले लंबे समय तक चला सकते हैं।

घोटाले के निवेशकों के कुछ सामान्य उदाहरणों में मंथन और दलालों को शामिल करना चाहिए जो केवल जोखिम को कम करते हैं। मंथन में ऐसे दलाल शामिल हैं जो कमीशन बनाने के एकमात्र उद्देश्य के लिए अनावश्यक ट्रेडों को निष्पादित करते हैं।

इसके अतिरिक्त, कुछ दलाल अक्सर विदेशी मुद्रा बाजार के माध्यम से जल्दी और आसानी से बहुत सारे पैसे बनाने के लिए निवेशकों की क्षमता को कम कर देते हैं। वे आम तौर पर नए निवेशकों का शिकार करते हैं जो यह नहीं समझते कि विदेशी मुद्रा व्यापार वह है जो शून्य-राशि के खेल के रूप में जाना जाता है। जब किसी मुद्रा का दूसरी मुद्रा के विरुद्ध मूल्य मजबूत होता है, तो दूसरी मुद्रा को आनुपातिक रूप से कमजोर होना चाहिए।

स्कैम होने से कैसे बचें

पहला कदम ब्रोकरेज के मुख्यालय के स्थान की जांच करना और शोध करना है कि यह व्यापार में कितना समय रहा है और उन्हें कहां विनियमित किया गया है। अधिक बेहतर।

यदि आपको लगता है कि आपको घोटाला किया जा रहा है, तो अमेरिकी कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन से संपर्क करें।

दलाली के साथ निवेश करने से पहले, यह पता लगाने का सरल कार्य कि आपको किसे कॉल करना चाहिए, यदि आपको लगता है कि आपको घोटाला किया गया है, तो आप सड़क पर बहुत सारे संभावित दिल का दर्द बचा सकते हैं। यदि आप किसी को कॉल करने के लिए नहीं पा सकते हैं क्योंकि ब्रोकरेज एक गैर-विनियमित क्षेत्राधिकार में स्थित है, तो यह आमतौर पर एक लाल झंडा और एक संकेत है जो अधिक विनियमित विकल्प खोजने के लिए सबसे अच्छा है।

प्रदेश में दो हजार करोड़ रुपये का बीमा फर्जीवाड़ा घोटाला, सचिव स्तर पर होंगी जांच: परिवहन मंत्री रावत, नाशिक आरटीओ में सौ करोड़ का घोटाला

आरटीओ आफिस में बीमा कराने के नाम पर धोखाधड़ी का खेल सामने आया है। यहां पर फर्जी बीमा तैयार कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, कई बार वाहन स्वामी गाड़ी बेचने से पहले जानबूझकर भी ऐसा बीमा एजंट और परिवहन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से बनाया जा रहा है। ऐसे में वाहन खरीदते समय बीमा कंपनी में जांच परिवहन विभाग द्वारा कराना भी जरूरी है। अब तक इस खेल की शिकायतें नाशिक को मिल चुकी हैं लेकिन पुलिस ने भी इस बारे में कोई जांच नही की है। अचानक नाशिक आरटीओ कार्यालय को इस मामले में आकाशवाणी हुई और दो फर्जी बीमा पॉलिसी की शिकायत दर्ज कराई गई। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग महाराष्ट्र राज्य घोटाले के दलालों से बचना पत्रकार महासंघ तथा शाहीमुद्रा प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वाधान में परिवहन मंत्री दिवाकर रावते को निवेदन द्वारा की गई है।

महाराष्ट्र राज्य पत्रकार महासंघ और शाहीमुद्रा प्रतिष्ठान के एक शिष्टमंडल ने मुलाकात कर बीमा पॉलिसी घोटाले के सबूत पेश किए और एक शिकयाती ज्ञापन सौंपा गया जिसमें बताया गया कि नासिक सहित पूरे प्रदेश के परिवहन कार्यालय में करीब दो हजार करोड़ रुपये का फर्जी बीमा पॉलिसी घोटाला कांड हुआ है। परिवहन मंञी दिवाकर रावते ने महाराष्ट्र राज्य पत्रकार महासंघ और शाहीमुद्रा प्रतिष्ठान से चर्चा करते समय अधिकारियों सचिव स्तर पर जांच कराई जाने के आदेश दिया है। गत पांच वर्षों में नाशिक प्रादेशिक परिवहन कार्यालय में करीब 100 करोड़ रुपये तो महाराष्ट्र के प्रादेशिक परिवहन कार्यालय में दो हजार करोड रुपये की नकली बीमा पॉलिसी के घोटाले की शिकायत महाराष्ट्र राज्य पत्रकार महासंघ तथा शाहीमुद्रा प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वाधान में परिवहन मंत्री दिवाकर रावते को निवेदन द्वारा घोटाले के दलालों से बचना की गई है। इस दौरान उन्होंने शिष्टमंडल से वार्तालाप करते हुए कहा है कि यह घोटाला नाशिक तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके जाल पूरे महाराष्ट्र के प्रादेशिक ,उप प्रादेशिक कार्यलयों में फैले हुए हैं परिवहन मंत्री श्री रावते ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।

इस शिष्टमंडल में संस्थापक अध्यक्ष डाॕ.राहुल जैन- बागमार, जनरल सेक्रेटरी कुमार कडलग,मुंबई-कोकण विभाग अध्यक्ष डाॕ.बिनु वर्गीस, नाशिक जिल्हाध्यक्ष महेश थोरात, कार्यकारीणी सदस्य सतिश रूपवते, गुलाब मणियार संदीप द्विवेदी, थाना ज़िला सकता कार्यकारीणी सदस्य श्यामभाऊ जांबोलीकर, शरद घोटाले के दलालों से बचना घुडे आदि उपस्थित थे।

फर्जी बीमा कराने का बड़ा खेल, पड़ताल करने पर हुआ भंडाफोड़

नकली बीमा पॉलिसी का घोटाला बहुत ही गंभीर है ऐसे में दुर्घटना के समय किसी वाहन चालक की मौत हो जाती है तो समस्या निर्माण होने से कोई रोक नही सकता है परिवहन कार्यालय के अधिकारी और आरटीओ दलालों की जुगलबंदी से इंकार नहीं किया जा सकता है। आरटीओ कार्यालय से प्राप्त कागजातों की पड़तालबीमा कंपनियों द्वारा की गई तो नकली बीमा पॉलिसी का हुआ भंडाफोड़ हाल ही में नाशिक परिवहन विभाग ने इस घोटाले के दलालों से बचना फर्जीवाड़े से बचने हेतु नाशिक स्थित पंचवटी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है जबकि एक महीने पहले इस मामले को पुलिस में शिकायत दर्ज कर उजागर किया गया था लेकिन प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई देती है और इस फर्जीवाड़े से दरकिनार करने परिवहन विभाग ने शिकायत की है. इस मामले की परिवहन मंत्री श्री रावते घोटाले के दलालों से बचना ने सचिव स्तर के अधिकारी से जांच के आदेश दिए हैं जिससे फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ होंगा: डाॕ. राहुल जैन बागमार
संस्थापक अध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य पत्रकार महासंघ।

भारत में घोटालों की सूची

स्वतंत्रता के बाद से भारत में साबित हुए घोटालों की सूची निम्नलिखित है , जिनमें राजनीतिक, वित्तीय और कॉर्पोरेट घोटाले शामिल हैं। प्रविष्टियों को वर्ष (या दशक, पुराने घोटालों के लिए) द्वारा रिवर्स कालानुक्रमिक क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। वह वर्ष, या दशक, जब पहली बार घोटाले की सूचना मिली थी।

  • वाज़ेगेट कांड : मार्च 2021 में, मुकेश अंबानी बम डराने के मामले के बाद, एनआईए ने मुंबई पुलिस की जांच को संभालने के बाद, नोट किया कि एक पुलिस अधिकारी, सचिन वाज़े और मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने योजना बनाने के पूरे मामले में एक भूमिका निभाई थी। बम परम बीर सिंह जिनका बाद में तबादला कर दिया गया था, ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था कि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था। इस पत्र के बाद कई ठोस सबूत मिले। [1][2]
  • 2021 भर्ती घोटाला : ब्रिगेडियर (सतर्कता) वीके पुरोहित की शिकायत पर, 28 फरवरी, 2021 को बेस अस्पताल में अस्थायी रूप से अस्वीकृत अधिकारी उम्मीदवारों की समीक्षा चिकित्सा परीक्षा की मंजूरी के लिए रिश्वत लेने में सेवारत कर्मियों की कथित संलिप्तता के बारे में इनपुट प्राप्त हुआ था। नई दिल्ली में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज की। जिसके बाद एजेंसी ने देशभर में 30 जगहों पर तलाशी ली। सीबीआई लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के पांच अधिकारियों, और सशस्त्र बलों के लिए भर्ती में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में छह निजी व्यक्तियों सहित 17 सेना के अधिकारियों बुक किया है। सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल एमवीएसएनए भगवान को भर्ती रैकेट का मास्टरमाइंड माना जाता है। कई निचले क्रम के सेना अधिकारियों और आरोपी अधिकारियों के रिश्तेदारों पर भी मामला दर्ज किया गया है। [३]
    : 30 जून, 2020 को, हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने दुबई से राजनयिक सामान को हिरासत में लिया, जो अवैध सोना ले जाने वाली एक खेप निकला । इस तस्करी का केरल सरकार के शीर्ष अधिकारियों से संबंध होने का आरोप है और इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी , प्रवर्तन निदेशालय आदि जैसी एजेंसियों द्वारा की जा रही है । [4] - अक्टूबर 2020 में, मुंबई पुलिस ने टीआरपी में हेरफेर के आधार पर न्यूज नेशन, रिपब्लिक टीवी और कई मराठी चैनलों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। बाद में, हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय और बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिपब्लिक को बरी कर दिया, जबकि इंडिया टुडे को असली चैनल माना जाता था जिसके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी, न कि रिपब्लिक।
    - रु। 25,000 करोड़ का घोटाला पहले 2013 के सीएजी ऑडिट में उजागर किया गया था । [8] नवंबर 2020 में, सीबीआई ने जम्मू और कश्मीर में भूमिहीन घोटाले के दलालों से बचना लोगों को सरकारी जमीन देने वाले कृत्यों के प्रावधानों का दुरुपयोग करके धनी और सत्ता की स्थिति में लोगों द्वारा भूमि हड़पने के मामले दर्ज किए । [9][10]
  • गुरु राघवेंद्र बैंक घोटाला: बेंगलुरु में सहकारी बैंक ने निर्दोष नागरिकों के साथ धोखाधड़ी की। [११][१२] ड्रग स्कैंडल: अगस्त और सितंबर के महीने में कर्नाटक पुलिस ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और पेडलिंग के सिलसिले में कन्नड़ सिनेमा उद्योग में काम करने वाले कई अभिनेताओं और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ की । [13] - नियत प्रक्रिया का उल्लंघन करने में कथित राजनीतिक साजिश जिसका अपराधियों को दोषी ठहराने और पीड़ित की रक्षा करने की आवश्यकता है। [14][15]
  • तमिलनाडु में पीएम किसान निधि घोटाला, जहां रु. अपात्र लाभार्थियों को 110 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। [16]
  • कार्वी घोटाला

कार्वी ने वहां के शेयरों और प्रतिभूतियों का उपयोग करके और नोटों का उपयोग करके शेयरों को गिरवी रखकर उसका मुद्रीकरण करके लाखों निवेशकों को धोखा दिया।

यूपीए में हुए विमानन घोटाले के सिलसिले में ED ने पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल को भेजा समन

एयरबस ने अगस्त और सितंबर 2012 के बीच तलवार के अंतर्गत चलने वाली कंपनियों के लिए 10.5 मिलियन डॉलर के दो ट्रांसफर किए और खास बात ये है कि ये ट्रांसफर उसी समय किए गए, जब यूपीए सरकार ने विमानों की खरीद के आदेश दिए थे।

प्रफुल्ल पटेल- सोनिया गाँधी

प्रफुल्ल पटेल- सोनिया गाँधी (फाइल फोटो)

एनसीपी नेता और पूर्व उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पेटल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने दीपक तलवार अवैध विमानन सौदे मामले में प्रफुल्ल पटेल को समन भेजकर 6 जून को पेश होने के लिए कहा है। प्रफुल्ल पटेल पर आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान जब प्रफुल्ल पेटल नागरिक उड्डयन मंत्री थे, उस समय दीपक तलवार को गलत तरीके से फायदा पहुँचाया गया था। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि अधिकारियों के साथ जाँच में सहयोग करने पर उन्हें खुशी होगी। उन्होंने कहा कि वो विमानन क्षेत्र की जटिलताओं के बारे में जाँच एजेंसी को बताएँगे।

विमानन लॉबिस्ट दीपक तलवार की गिरफ्तारी के बाद हुए कुछ खुलासों और एजेंसी द्वारा जुटाए गए सबूतों के मद्देनजर पटेल से सवाल-जवाब घोटाले के दलालों से बचना किया जाना है। एजेंसी ने हाल ही में दीपक तलवार को नामजद करते हुए आरोपपत्र दाखिल किया है। उसमें कहा गया है कि तलवार लगातार पटेल के संपर्क में था। यूपीए सरकार में जब पटेल उड्डयन मंत्री थे, उस दौरान एयर इंडिया ने 111 विमान खरीदने का निर्णय लिया था, जिसमें 43 एयरबस के विमान शामिल थे।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2017 में अपने एफआईआर में जिक्र किया है कि इस प्रकार की महत्वाकांक्षी खरीद के ऑर्डर आवश्यकताओं का अध्ययन, आवश्यक पारदर्शिता के बिना दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। 2014 में तलवार, सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के आधिकारिक आवास पर तकरीबन 63 बार मिलने गया था। इसको लेकर भी तलवार जाँच के दायरे में है। एयरबस ने अगस्त और सितंबर 2012 के बीच तलवार के अंतर्गत चलने वाली कंपनियों के लिए 10.5 मिलियन डॉलर के दो ट्रांसफर किए और खास बात ये है कि ये ट्रांसफर उसी समय किए गए, जब यूपीए शासनकाल के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमानों की खरीद के आदेश दिए थे।

गौरतलब है कि, ईडी ने अगस्त 2017 में इसकी जाँच शुरू की थी। पूछताछ से बचने के लिए दीपक देश छोड़कर भाग गया था, मगर इसी साल 31 जनवरी को उसे इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने दुबई से प्रत्यर्पण करवाया और फिर बाद में ईडी ने उसे गिरफ्तार किया था। तलवार के साथ-साथ यूपीए शासनकाल के हाई प्रोफाइल लॉबिस्ट राकेश सक्सेना को भी दुबई से प्रत्यार्पित करके लाया गया था।

ईडी के एक अधिकारी का कहना है कि जाँच में पता चला कि दीपक तलवार नेताओं और मंत्रियों (प्रफुल्ल पेटल और दूसरे उड्डयन मंत्रियों) के साथ दलाली और लॉबिंग करता था। वह एयर अरबिया और कतर एयरवेज को गलत फायदा पहुँचा रहा था। तलवार पर आरोप है कि उसने 2008-09 के बीच इन एयरलाइंस को गलत फायदा पहुँचाया और जिसका नुकसान सरकारी एयरलाइंस एअर इंडिया को उठाना पड़ा। ईडी ने पाया कि अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के द्वारा दीपक तलावर के बैंक ऑफ सिंगापुर के अकाउंट में ₹270 करोड़ जमा हुए हैं, जबकि उसने अपने एक एनजीओ के द्वारा ₹88 करोड़ प्राप्त किया।

यूपीए में हुए विमानन घोटाले के सिलसिले में ED ने पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल को भेजा समन

एयरबस ने अगस्त और सितंबर 2012 के बीच तलवार के अंतर्गत चलने वाली कंपनियों के लिए 10.5 मिलियन डॉलर के दो ट्रांसफर किए और खास बात ये है कि ये ट्रांसफर उसी समय किए गए, जब यूपीए सरकार ने विमानों की खरीद के आदेश दिए थे।

प्रफुल्ल पटेल- सोनिया गाँधी

प्रफुल्ल पटेल- सोनिया गाँधी (फाइल फोटो)

एनसीपी नेता और पूर्व उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पेटल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने दीपक तलवार अवैध विमानन सौदे मामले में प्रफुल्ल पटेल को समन भेजकर 6 जून को पेश होने के लिए कहा है। प्रफुल्ल पटेल पर आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान जब प्रफुल्ल पेटल नागरिक उड्डयन मंत्री थे, उस समय घोटाले के दलालों से बचना दीपक तलवार को गलत तरीके से फायदा पहुँचाया गया था। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि अधिकारियों के साथ जाँच में सहयोग करने घोटाले के दलालों से बचना पर उन्हें खुशी होगी। उन्होंने कहा कि वो विमानन क्षेत्र की जटिलताओं के बारे में जाँच एजेंसी को बताएँगे।

विमानन लॉबिस्ट दीपक तलवार की गिरफ्तारी के बाद हुए कुछ खुलासों और एजेंसी द्वारा जुटाए गए सबूतों के मद्देनजर पटेल से सवाल-जवाब किया जाना है। एजेंसी ने हाल ही में दीपक तलवार को नामजद करते हुए आरोपपत्र दाखिल किया है। उसमें कहा गया है कि तलवार लगातार पटेल के संपर्क में था। यूपीए सरकार में जब पटेल उड्डयन मंत्री थे, उस दौरान एयर इंडिया ने 111 विमान खरीदने का निर्णय लिया था, जिसमें 43 एयरबस के विमान शामिल थे।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2017 में अपने एफआईआर में जिक्र किया है कि इस प्रकार की महत्वाकांक्षी खरीद के घोटाले के दलालों से बचना ऑर्डर आवश्यकताओं का अध्ययन, आवश्यक पारदर्शिता के बिना दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। 2014 में तलवार, सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के आधिकारिक आवास पर तकरीबन 63 बार मिलने गया था। इसको लेकर भी तलवार जाँच के दायरे में है। एयरबस ने अगस्त और सितंबर 2012 के बीच तलवार के अंतर्गत चलने वाली कंपनियों के लिए 10.5 मिलियन डॉलर के दो ट्रांसफर किए और खास बात ये है कि ये ट्रांसफर उसी समय किए गए, जब यूपीए शासनकाल के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमानों की खरीद के आदेश दिए थे।

गौरतलब है कि, ईडी ने अगस्त 2017 में इसकी जाँच शुरू की थी। पूछताछ से बचने के लिए दीपक देश छोड़कर भाग गया था, मगर इसी साल 31 जनवरी को उसे इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने दुबई से प्रत्यर्पण करवाया और फिर बाद में ईडी ने उसे गिरफ्तार किया था। तलवार के साथ-साथ यूपीए शासनकाल के हाई प्रोफाइल लॉबिस्ट राकेश सक्सेना को भी दुबई से प्रत्यार्पित करके लाया गया था।

ईडी के एक अधिकारी का कहना है कि जाँच में पता चला कि दीपक तलवार नेताओं और मंत्रियों (प्रफुल्ल पेटल और दूसरे उड्डयन मंत्रियों) के साथ दलाली और लॉबिंग करता था। वह एयर अरबिया और कतर एयरवेज को गलत फायदा पहुँचा घोटाले के दलालों से बचना रहा था। तलवार पर आरोप है कि उसने 2008-09 के बीच इन एयरलाइंस को गलत फायदा पहुँचाया और जिसका नुकसान सरकारी एयरलाइंस एअर इंडिया को उठाना पड़ा। ईडी ने पाया कि अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के द्वारा दीपक तलावर के बैंक ऑफ सिंगापुर के अकाउंट में ₹270 करोड़ जमा हुए हैं, जबकि उसने अपने एक एनजीओ के द्वारा ₹88 करोड़ प्राप्त किया।

रेटिंग: 4.64
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 301
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *