निवेश रणनीति

मार्केटिंग की परिभाषा

मार्केटिंग की परिभाषा

कस्टमर हासिल करना

आपके बिज़नेस के लिए नए कस्टमर या क्लाइंट पाने की प्रोसेस को कस्टमर हासिल करना कहा जाता है. आम तौर पर यह प्रोसेस तब पूरी होता है जब कस्टमर पहली बार आपका प्रोडक्ट खरीदता है या आपकी सर्विस सब्सक्राइब करता है. कुल मिलाकर कोई कंपनी इसी एक लक्ष्य के लिए ही तो काम करती है.

जबकि कस्टमर हासिल करने की रणनीति में बिक्री से लेकर कस्टमर सर्विस तक कंपनी के सभी हिस्से शामिल हो सकते हैं. इस गाइड में हम मार्केटिंग के दौरान निभाई जाने वाली इसकी भूमिका के बारे में बताएंगे. हम कस्टमर हासिल करने की रणनीति और उसे आपके बिज़नेस के लिए ऑप्टिमाइज़ करने के तरीके को समझाने में आपकी मदद करेंगे.

कस्टमर हासिल करने का मकसद क्या है?

आसान भाषा में कहें, तो बिज़नेस को कामयाब बनाने के लिए कस्टमर की मौजूदगी सबसे ज़रूरी है. आपकी प्राथमिकताओं में कस्टमर हासिल करने की रैंक को कई अलग-अलग चीज़ों के हिसाब से तय किया जाता है—जैसे कि, नए और आगे बढ़ते हुए बिज़नेस के लिए कस्टमर बेस का ध्यान अपनी ओर खींचना शायद सबसे ज़्यादा ज़रूरी हो सकता है. इस बीच, अगर आपका बिज़नेस कुछ वक्त से चल रहा है और आपके ऐसे कस्टमर हैं जो आपके ब्रैंड और प्रोडक्ट को जानते हैं, तो आपके लिए संभावित कस्टमर को आकर्षित करने के बजाय कस्टमर को अपने साथ बनाए रखने या विश्वसनीयता को सपोर्ट करना ज़्यादा अहम चीज़ हो सकती है.

बेशक, ये दोनों लक्ष्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. सभी विश्वसनीय कस्टमर या बार-बार खरीदारी करने वालों ने भी तो नए कस्टमर के रूप में ही शुरुआत की थी. बार-बार खरीदारी करने वाले कस्टमर की पहले से ही बड़ी ऑडियंस रखने वाली कंपनियों के लिए भी अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के मकसद से नए कस्टमर हासिल करने के अवसर पैदा करना मायने रखता है.

हासिल करने की मार्केटिंग क्या है?

हासिल करने से जुड़ी मार्केटिंग का मतलब बिज़नेस की ओर से नए कस्टमर का ध्यान अपनी तरफ़ खींचने, उन्हें एंगेज करने और खरीदार में बदलने के लिए मार्केटिंग की परिभाषा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति से है. इसमें पेमेंट किया गया एडवरटाइज़िंग और ऑर्गेनिक मार्केटिंग दोनों शामिल हैं. हासिल करने की अच्छी मार्केटिंग रणनीति से आपको संभावित कस्टमर तक पहुंचने में मदद मिलेगी और फिर उन्हें कस्टमर हासिल करने के फ़नल में ले जाएगी.

कस्टमर हासिल करने का फ़नल

संभावित कस्टमर के सफ़र को कस्टमर हासिल करने का फ़नल कहा जाता है, इसमें सबसे पहले आपकी कंपनी के बारे में जानने से लेकर कस्टमर (और बार-बार खरीदारी करने वाला कस्टमर) बनने का फ़ैसला लेना तक शामिल है. शायद आपने मार्केटिंग फ़नल के बारे में सुना होगा. कस्टमर हासिल करने का फ़नल काफ़ी हद तक वैसा ही है, हालांकि यह खास तौर से नए कस्टमर हासिल करने पर ही ज़्यादा ध्यान देता है और इसी वजह से यह ऐसे खास मार्केटिंग फ़नल से अलग है जिसमें कस्टमर बनाए रखना और विश्वसनीयता शामिल है.

मार्केटिंग फ़नल की तरह, कस्टमर हासिल करने के फ़नल का सभी जगह काम करने वाला कोई अकेला वर्ज़न नहीं है. हालांकि, वे सभी कुल मिलाकर एक जैसे ही तरीके से काम करते हैं. सबसे ऊपर मौजूद संभावित लीड की सबसे बड़ी अमाउंट के साथ मार्केटिंग की परिभाषा शुरू करते हुए, जैसे-जैसे आप उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करते जाते हैं जिनके खरीदार में बदलने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है, तो आपके लीड के पूल छोटे होते जाते हैं, आप ऐसा तब तक करते मार्केटिंग की परिभाषा रहते हैं जब तक कि आपकी ऑडियंस पेमेंट करने वाले कस्टमर बन जाने वाले लोगों तक ही सीमित न हो जाए.

कस्टमर हासिल करने के फ़नल का एक उदाहरण यहां दिया गया है:

जागरूकता

इस स्टेज में लोग आपके ब्रैंड और प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में पहले ही जागरूक होते हैं, यह जानकारी उन्हें ऐड देख कर या किसी से उसके बारे में सुन कर मिलती है.

दिलचस्पी

संभावित कस्टमर आपके बिज़नेस के बारे में और जानकारी पाना चाहते हैं. वे आपकी वेबसाइट पर जाकर या आपके ब्रैंड के बारे में रिसर्च करके अपनी दिलचस्पी जता सकते हैं.

खरीदने पर विचार करना

संभावनाओं के बूते पर ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं जिनसे यह पता चलता है कि वे आपके प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में आपकी मेलिंग लिस्ट को सब्सक्राइब करने या फ़्री ट्रायल के लिए साइन अप करने जैसे विचार कर रहे हैं.

इस स्टेज में, संभावित कस्टमर खरीदने का इरादा जताते हैं. आपकी वेबसाइट पर जाकर वे अपनी कार्ट में प्रोडक्ट जोड़ सकते हैं.

यह कन्वर्ज़न स्टेज है जहां कोई व्यक्ति आपके प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदता है और आपका कस्टमर बन जाता है.

हासिल करने से जुड़े चैनल

मार्केटिंग चैनल आपकी कस्टमर हासिल करने की रणनीति बनाने के हिस्से हैं. फ़नल की अलग-अलग स्टेज में फ़ॉर्मेट, प्लेसमेंट और एंगेजमेंट के प्रकार के हिसाब से विभिन्न चैनल सबसे ज़्यादा असरदार साबित होंगे. यहां ऐसे चैनल के कुछ उदाहरण बताए गए हैं जिन्हें इस्तेमाल करके आप नए कस्टमर हासिल करने में मदद पा सकते हैं.

कॉन्टेंट मार्केटिंग

जागरूकता वाली स्टेज में नई ऑडियंस का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए कॉन्टेंट मार्केटिंग का इस्तेमाल करें. आप अपने ब्रैंड की वेबसाइट पर ब्लॉग पब्लिश कर सकते हैं, डाउनलोड किए जा सकने वाला कॉन्टेंट ऑफ़र कर सकते हैं, वेबिनार होस्ट कर सकते हैं और ऐसे ही कई काम कर सकते हैं. ऐसा कॉन्टेंट बनाने पर ध्यान दें जो आपकी मनचाही ऑडियंस से संबंधित और उनके काम का हो, साथ ही कॉन्टेंट को सर्च किए जा सकने वाला बनाने के लिए सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन (SEO) का इस्तेमाल करें. इस स्टेज में अपने प्रोडक्ट बहुत ज़्यादा बढ़-चढ़ कर प्रमोट न करें—इस स्टेज का मकसद नई ऑडियंस को आपके ब्रैंड के नाम से परिचित कराना और उन्हें आपके साथ पॉज़िटिव तरीके से जोड़ना है.

सोशल मीडिया

आपके सोशल मीडिया चैनल आपको संभावित नए कस्टमर तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं, खास तौर से फ़नल के दिलचस्पी वाली स्टेज में जब कस्टमर आपके ब्रैंड के बारे में जानकारी ले रहे हों. आप अपने पोस्ट किए गए कॉन्टेंट में अपने ब्रैंड के मकसद और कंपनी की अहमियत के बारे में बता सकते हैं. आप किसी इन्फ़्लुएंसर को अपना पार्टनर बना सकते हैं और उन्हें अपने फ़ॉलोअर के बीच आपके प्रोडक्ट दिखाने के लिए कह सकते हैं.

डिस्प्ले ऐड, वीडियो ऐड, ऑडियो ऐड

डिस्प्ले, वीडियो और ऑडियो ऐड जैसे चैनल के साथ ही सर्च इंजन मार्केटिंग में पेमेंट किए गए एडवरटाइज़िंग की वजह से संभावित नए कस्टमर को आपके ब्रैंड के बारे में जानने और खरीदने पर विचार करने की स्टेज पर आगे बढ़ने के दौरान आपको टॉप ऑफ़ माइंड रखने दोनों में मदद मिल सकती है. आप खरीदने के मकसद को बढ़ावा देने के नज़रिए से खास डील या डिस्काउंट को प्रमोट करने के लिए भी इन ऐड का इस्तेमाल कर सकते हैं.

ईमेल मार्केटिंग

ऐसे लोगों की ईमेल मेलिंग लिस्ट बनाने के बारे में सोचें जिन्होंने दिलचस्पी तो जताई है लेकिन अभी तक कस्टमर नहीं बने हैं. अगर आप काम का कॉन्टेंट या प्रोडक्ट की जानकारी भेजेंगे, तो इससे उन्हें आपके ब्रैंड को याद रखने और आने वाले समय में खरीदारी करने के दौरान आपके प्रोडक्ट को खरीदने पर विचार करने में मदद मिल सकती है. ईमेल मार्केटिंग भी ऐसा अवसर है जिसके ज़रिए आप खास बिक्री या डिस्काउंट के सब्सक्राइबर को सूचित करके नए कस्टमर को खरीदार में बदलने के लिए बढ़ावा दे सकते हैं.

What is Marketing in Hindi? – मार्केटिंग क्या है ?

जब भी Marketing की बात आती है तो हमें यही लगता है कि Marketing का मतलब Advertising या Promotion होता है पर इसका मतलब सिर्फ यही नहीं है, असल में Advertising और Promotion Marketing के ही type हैं। Marketing को हिन्दी में ‘विपणन’ कहते हैं। इसमें बहोत सारी क्रियाएँ आती हैं। यह एक continuous process है। इसमें Advertising (विज्ञापन), Distribution (वितरण), Selling (बिक्री) शामिल हैं। इसका सम्बन्ध ग्राहकों की आवश्यकताओं के पता लगाने और सफलतापूर्वक किसी product या service का उत्पादन करने से है। मार्केटिंग की ज़रूरत एक छोटे से business man से लेकर बड़ी-बड़ी companies को पड़ती है, इसी के द्वारा वे अपने products या services को customer तक पहुँचाते हैं।

Meaning of Marketing (मार्केटिंग का अर्थ) –

Marketing का सीधा मतलब है अपने products या services को market में लोगों तक पहुँचाना, सारी कम्पनियाँ अपनी sales को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग मार्केटिंग की परिभाषा करती हैं। किसी product की मार्केटिंग किये बिना हम ये चाहें कि हमारा product ज़्यादा sell हो तो यह सम्भव नही है, उस product के बारे में लोगों को बताना ज़रूरी है तभी लोग उस product के बारे में जान पाएँगे। जो भी कम्पनी customer की ज़रूरतों के हिसाब से product को बनाती है और उसे sell करती है वह बाकी कम्पनियों की तुलना में ज़्यादा profit कमाती है और grow भी करती है। इस प्रकार Marketing का मतलब सबसे पहले ग्राहकों की ज़रूरतों को समझना कि उन्हें क्या चाहिए? किस Price (मूल्य) पर चाहिए? उसके हिसाब से product को sell किया जाता है।

Definition of Marketing (मार्केटिंग की परिभाषा) –

नीचे कुछ विद्वानों द्वारा मार्केटिंग की परिभाषा दी गयी है जिसे हम आसानी से समझ सकते हैं –

According to Philip Kotler –

“Marketing is a social and managerial process by which individuals and groups obtain what they need and want through creating and exchanging products and value with other.”

According to American Marketing Association –

“The performance of business activities that direct the flow of goods and services from producer to consumer/user.”

what is marketing in hindi by Accounting Seekho

Elements of Marketing OR 4 P’s of Marketing –

इस Marketing process में 4 element होते हैं जिन्हें हम 4 P’s भी कहते हैं। ये Marketing के pillars हैं, इनकी help से हम Marketing को easily समझ सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

आज ऐसा नही है कि कम्पनी जो मन चाहे वह product बनाकर उसे sell कर सकती है। आज के time में एक कम्पनी जो भी product बनाती है तो उस product को बनाने से पहले वह एक survey या market research करती है कि एक product में customer क्या चीज़े ढूंढ रहा है? उसको उस product में क्या-क्या चीजें चाहिए। इस तरह हर कम्पनी survey करती है और customer की need को identify करती है और उसी के हिसाब से वह अपने product को बनाती है।

जब product ready हो जाता है तो उसके बाद ये decide किया जाता है कि उस product की क्या Price होगी? Price सही भी होनी चाहिए क्योंकि इस price का product की selling पर असर पड़ता है। कोशिश करनी चाहिए कि कम से कम price में Best Quality के product दे सकें जिससे कि Brand का नाम भी होगा और लोग automatic product को recommend करेंगे। अगर product अच्छा है और उसकी market research की गई है तो उसका price बढ़ाया जा सकता है यानी किसी भी product की price को market research करके ही decide किया जाता है, और इसे decide करने की अलग-अलग strategy भी होती हैं। कभी-कभी उस product पर कुछ offers या discount वगैरह भी दिए जाते हैं जिससे कि customer लालच में आकर मार्केटिंग की परिभाषा उसे purchase करता है।

किसी भी product को तैयार करने के बाद उसे customer तक कैसे पहुँचाना है ये decide किया जाता है। इसके लिए एक स्थान निर्धारित किया जाता है ताकि सही समय पर सही जगह पहुँचाया मार्केटिंग की परिभाषा जा सके। अलग-अलग distribution channel के through product deliver किया जाता है। इसमें whole seller और retailer आते हैं

किसी भी product की Marketing करने के लिए उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक products की जानकारी देने के लिए products को promote करना होगा, क्योंकि product खरीदने से पहले लोगों को उसके बारे में जानना ज़रूरी है। इसमें बहोत सारी चीज़ें आती है कि customer को किस तरह से product के बारे में बताया और उस तक पहुँचाया जा सके। Advertisement के through लोगों को information दी जाती है। किसी भी advertisement के तरीके में कोशिश ये होनी चाहिए कि कम पैसे में अपने products को ज़्यादा से ज़्यादा audience को दिखा पाएँ। after sale service या warranties से product की selling बढ़ती है। आजकल तो products और services को लोगों तक पहुँचाने के लिए social media और whatsapp के द्वारा लोगों को जानकारी दे सकते हैं।

तो इस article में मैंने आपको बताया कि Marketing किसे कहते हैं? Meaning and Definition of Marketing in Hindi

उम्मीद करता हूँ इस article से आपको कुछ knowledge मिली होगी, अगर आपको कुछ समझ में आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर share करें।

मार्केटिंग की परिभाषा

विपणन विनिमय संबंधों का अध्ययन और प्रबंधन है, जो यह ग्राहकों की ज़रूरतों और चाहतों की पहचान, पूर्वानुमान और संतुष्टि की व्यवसायिक प्रक्रिया होती है। क्योंकि विपणन का उपयोग ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए होता है, यह व्यवसाय प्रबंधन और वाणिज्य के प्राथमिक घटकों में से एक माना गया है। विपणक उत्पाद को अन्य व्यवसायों (बी 2 बी मार्केटिंग) या सीधे उपभोक्ताओं (बी 2 सी विपणन) तक पहुंचा सकते हैं।

मार्केटिंग (विपणन) व्यवसाय का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसके बिना किसी व्यवसाय को अच्छे से संभालना मुश्किल हो जाता है.

मार्केटिंग में कई तरह की मार्केटिंग आती है जैसे:

  • कारण विपणन (Cause Marketing)
  • संबंध विपणन (Relationship Marketing)
  • Scarcity Marketing
  • अंडरकवर मार्केटिंग (Undercover Marketing)

Ankita Shukla

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ब्रैंड मार्केटिंग क्या है? पूरी गाइड

ब्रैंड मार्केटिंग के तहत किसी ब्रैंड के प्रोडक्ट और सेवाओं के उन पहलुओं को प्रमोट किया जाता है जो उस ब्रैंड की इमेज को बेहतर बनाते हैं. इसमें, ब्रैंड और कस्टमर के बीच रिलेशन बनाया और मैनेज किया जाता है. साथ ही, ब्रैंड एट्रिब्यूट को प्रमोट किया जाता है. ब्रैंड एट्रिब्यूट का मतलब उन विशेषताओं से है जो किसी ब्रैंड को औरों से अलग बनाते हैं. इस गाइड में, हम ब्रैंड मार्केटिंग रणनीति, ब्रैंड के प्रकार, ब्रैंड के बारे में जागरूकता, ब्रैंड इक्विटि, ब्रैंड की अहमियत और ब्रैंड की पहचान के ओवरव्यू के साथ-साथ Amazon Ads के ब्रैंडिंग से जुड़े समाधानों को भी हाइटलाइट करेंगे.

ब्रैंड का मतलब क्या होता है?

ब्रैंड का मतलब है कि कोई कंपनी अपने प्रतिस्पर्धी ब्रैंड से खुद को कैसे अलग करती है. ब्रैंड को कंपनी के व्यक्तित्व के रूप में देखा जा सकता है, जिसके बारे में पहचान चिह्न, लोगो, नाम, टैगलाइन, वॉइस और टोन के माध्यम से बताया जाता है. ऑटोमोटिव, खिलौने और खाने और पीने की चीज़ों के सबसे पुराने और लोकप्रिय ब्रैंड में से कुछ ब्रैंड दशकों से हैं. इतना ही नहीं, कुछ ब्रैंड तो एक सदी से भी पहले से मार्केट में उपलब्ध हैं.

मुख्य तौर पर, ब्रैंड तीन तरह के होते हैं. इनमें कंपनी/कॉर्पोरेशन ब्रैंड, प्रोडक्ट ब्रैंड और व्यक्तिगत ब्रैंड शामिल हैं. व्यक्तिगत ब्रैंड हर व्यक्ति से संबंधित होते हैं. ब्रैंड मार्केटिंग के नियम हर तरह के ब्रैंड पर लागू होते हैं. अब जब हम जानते हैं कि ब्रैंड का मतलब क्या होता है, आइए बात करते हैं कि ब्रैंड मार्केटिंग रणनीति कैसे बनाई जाए.

ब्रैंड मार्केटिंग क्या है?

ब्रैंड मार्केटिंग किसी ब्रैंड और उपभोक्ताओं के बीच संबंध स्थापित करने और उसे बढ़ाने की प्रक्रिया है. अलग-अलग प्रोडक्ट या सेवाओं को हाइलाइट करने के बजाय, ब्रैंड मार्केटिंग में पूरे ब्रैंड को प्रमोट किया जाता है. इसमें, उन प्रोडक्ट और सेवाओं को प्रमोट किया जाता है जो ब्रैंड को खास बनाते हैं. ब्रैंड मार्केटिंग का लक्ष्य ब्रैंड और कंपनी की वैल्यू को बढ़ाना है.

ब्रैंड मार्केटिंग रणनीति के लिए उपलब्ध चैनल वही चैनल होते हैं जिनका इस्तेमाल कंपनियां प्रोडक्ट मार्केटिंग ऐक्टिविटी, जैसे डिजिटल, सोशल और पेमेंट वाले सर्च एडवरटाइज़िंग के लिए कर सकती हैं. अच्छी रणनीति यह होती है कि ज़्यादा ऑडियंस तक पहुंचने वाले मीडिया मिक्स को बनाने के लिए अलग-अलग चैनल का एक साथ इस्तेमाल किया जाए. उदाहरण के लिए ब्रैंड मार्केटर, ब्रैंड के बारे में जागरूकता फैलाने और कई डिजिटल प्लैटफ़ाॅर्म पर संभावित कस्टमर तक पहुंचने के लिए, ब्रैंड एडवरटाइज़िंग के साथ-साथ ईमेल और काॅन्टेंट मार्केटिंग का भी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जब इन प्लैटफ़ाॅर्म पर सही ऑडियंस के लिए सही मैसेज तय करने की बात आती है, तो हमें पहले ब्रैंड से जुड़ी विशेषताओं पर विचार करना होगा.

ब्रैंड एट्रिब्यूट क्या होते हैं?

जिस तरह लोगों के अलग-अलग व्यक्तित्व होते हैं, उसी तरह ब्रैंड के भी यूनीक एट्रिब्यूट होते हैं. एट्रिब्यूट वे विशेषताएं होती हैं, जिनसे लोग किसी ब्रैंड को पहचान सकते हैं. इनमें ब्रैंड से एसोसिएट नाम, टैगलाइन, रंग, म्यूज़िक या साउंड शामिल हो सकता है. इसके अलावा, एट्रिब्यूट वह भावना भी हो सकती है जो ब्रैंड को दर्शाती है. उदाहरण “भावना” एट्रिब्यूट में प्रामाणिकता, नवीनता, विश्वसनीयता, ईमानदारी या पारदर्शिता शामिल हैं.

ब्रैंड इक्विटि क्या है?

ब्रैंड इक्विटि किसी कंपनी के ब्रैंड की वैल्यू या किसी ब्रैंड के बारे में कस्टमर की धारणा को कहा जाता है. मजबूत ब्रैंड इक्विटि का संबंध इस बात से है कि उपभोक्ता, ब्रैंड के बारे में कितना जानते हैं. साथ ही, दूसरी चीज़ों से भी ब्रैंड इक्विटि को मापा जाता है, जैसे अन्य ब्रैंड की तुलना में इसे कितना पसंद करते हैं, ब्रैंड के साथ उनके संबंध कैसे हैं और ब्रैंड के लिए कितनी विश्वसनीयता है. मजबूत ब्रैंड इक्विटि, ब्रैंड के लिए उपभोक्ताओं के अपनी विशेषता के आधार पर अपने कारोबारों में सुधार करने और बढ़ाने के लिए दरवाज़े खोलती है.

ब्रैंड के बारे में जागरूकता, ब्रैंड की विश्वसनीयता, प्राथमिकता और वित्तीय मेट्रिक की तुलना करके ब्रैंड इक्विटि को मापा जाता है.

  • ब्रैंड के बारे में जागरूकता इस बात से तय होती है कि कितने उपभोक्ता ब्रैंड के बारे में जानते हैं. इसे सर्वे और फ़ोकस ग्रुप, सोशल लिसनिंग टूल और सर्च और वेब ट्रैफ़िक इनसाइट से मापा जाता है. मापने के लिए खरीदारी से जुड़े इनसाइट, जैसे दोबारा खरीदारी करने का पैटर्न और खरीदारियों के बीच के समय का इस्तेमाल किया जाता है.
  • प्राथमिकता को ‘खरीदने का मकसद’ मेट्रिक और सर्वे जैसी इनसाइट से मापा जाता है.
  • वित्तीय मेट्रिक ब्रैंड मार्केटिंग कैम्पेन के चलते बिक्री में होने वाली बढ़ोतरी से संबंधित है.

मजबूत ब्रैंड इक्विटि बनाने के लिए, मजबूत ब्रैंड-उपभोक्ता संबंध स्थापित करना ज़रूरी है.

ब्रैंड-उपभोक्ता संबंध क्या है?

ब्रैंड-उपभोक्ता संबंध को उपभोक्ता-ब्रैंड या ब्रैंड संबंध भी कहा जाता है. यह इस बारे में है कि ब्रैंड और उपभोक्ता कितनी अच्छी तरह जुड़े हुए हैं. क्या यह मज़बूत या कमजोर संबंध है? क्या यह सकारात्मक या नकरात्मक संबंध है? क्या उपभोक्ता कार्यात्मक तौर पर ब्रैंड से जुड़े हैं या वे भावनात्मक रूप से इसमें निवेश मार्केटिंग की परिभाषा कर रहे हैं? सबसे अच्छे ब्रैंड कनेक्शन मजबूत, सकारात्मक और भावनात्मक हैं. ऐसे कनेक्शन हैं जिससे खरीदार एक बार उनके ब्रैंड की खरीदारी करके हमेशा उनके ब्रैंड की तारीफ़ करते हैं.

ब्रैंडिंग क्यों ज़रूरी है?

ब्रैंडिंग शायद पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है, क्योंकि मार्केटप्लेस ज़्यादा सैचुरेटेड हो जाते हैं और उपभोक्ताओं के साथ वास्तविक संबंध बनाना कठिन हो जाता है. ब्रैंडिंग से कंपनियां अपनी खास कहानियां बता सकती हैं. साथ ही, कस्टमर को कुछ विश्वास दिलाकर धारणा बदल सकते हैं. यह रुचि जगाता है और कस्टमर को अपने ब्रैंड के साथ यादगार संबंध खोजने, जानने और स्थापित करने के लिए आमंत्रित करता है. खास बातें और फ़ीचर के बजाय, ब्रैंडिंग इस बारे में है कि कंपनी किस चीज़ के लिए खड़ी है - यह मूल रूप में कौन है. ब्रैंडिंग का मतलब कंपनी का सपोर्ट और भावनात्मक संबंध स्थापित करके उपभोक्ताओं को अच्छा महसूस कराना है. जो ब्रैंड प्रभावी रूप से एक स्थायी इम्प्रेशन बनाते हैं, उससे लंबे समय के लिए कस्टमर के बीच समर्थन और विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद मिलती है.

मार्केटिंग Meaning in English - Marketing Meaning in Hindi

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Important Dictionary Terms

which - कौन कौन से kaun kaun se, जो , If, कौन | which one - कौनसा kaun sa | which is - जो है jo hai | whichever - इनमें से जो भी inamen se jo bhi कोई भी koi bhi, any, whichever, anybody जो जो, whatever, whatsoever, whichever, whoever | what - क्या kya, जो that, what, जो वस्तु, कैसा kaisa, of what sort, की तरह, के रूप में, जब कि as till what, की भांती, कितना kitna how, जो कुछ kuchh, whatever, whatsoever | how - किस तरह kis tarah, कैसे kaise, how, whence, where, किस प्रकार kis prakar | whose - किसका kiska, जिसका jiska, whereof, जिस किसी का jis kisi ka | who - कौन kaun | whom - किसको kisko, किसे kise, जिसे jise, जिसको jisko where - कहा पे kaha pe, जहां jahan, कहां kahan, जिस जगह jis jagah, किस जगह, किधर kidhar | when - कब kab, जब कि jab ki, किस समय kis samay, उस समय us samay | why - क्यूं कर kyu kar, क्यों kyo, किस लिये kis liye, किस कारण से kis karan se whence | why not - क्यों नहीं kyon nahin | why is that - ऐसा क्यों है aisa kyon hai | whether and whatsoever - चाहे और जो भी हो chahe aur jo bhi ho | meaning - अर्थ, मतलब, प्रयोजन, माने arth, matalab matlab mtlb, prayojan, maane mane, व्याख्या, विवेचन, vyakhya, vivechan, Interpretation, significance, महत्व, महत्ता, अभिप्राय abhipray, signification, तात्पर्य tatpary, अभिप्राय, शब्द shabd, परिभाषा paribhasha, definition, term, explanation | ko kya bolte hai क्या बोलते हैं, ka ulta sabd h उल्टा Reverse प्रतिलोम, pratilom, pratilom, उलटा opposite अपोजिट apojit, synonyms समानार्थक शब्द, पर्यायवाची paryayavachi, Ko kya kahege kahenge को क्या कहेंगे, me kya kehte kahte hai में क्या कहते हैं , hote h

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