स्पॉट एक्सचेंज रेट को समझना

फ्लोटिंग या फिक्स्ड रेट एक्सचेंज रेट फ्लोटिंग या फिक्स्ड होते हैं। फ्लोटिंग एक्सचेंज का मतलब यह है कि करेंसी का मूल्य बाजार के रुख स्पॉट एक्सचेंज रेट को समझना पर तय हो रहा है और समय-समय पर इसमें उतार-चढ़ाव आ रहा है। कुछ देशों में सरकार एक्सचेंज रेट तय करती है, जिसे फिक्स्ड एक्सचेंज रेट कहते हैं। उदाहरण के लिए सऊदी अरब की मुद्रा रियाल, जिसकी कीमत वहां की सरकार तय करती है।
Spot Trade- स्पॉट ट्रेड
क्या होता स्पॉट ट्रेड?
स्पॉट ट्रेड (Spot Trade), जिसे स्पॉट ट्रांजेक्शन के नाम से भी जाना जाता है, किसी निर्धारित तिथि पर तत्काल डिलीवरी के लिए किसी विदेशी करेंसी, फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट या कमोडिटी की खरीद या बिक्री को संदर्भित करता है। अधिकांश स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट में करेंसी, कमोडिटी या इंस्ट्रूमेंट की फिजिकल डिलीवरी शामिल रहती है। फ्यूचर या फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट बनाम स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट की कीमत में अंतर ब्याज दरों और परिपक्वता के समय पर आधारित भुगतान की टाइम वैल्यू को ध्यान में रखता है। विदेशी एक्सचेंज स्पॉट ट्रेड में, एक्सचेंज दर जिस पर ट्रांजेक्शन आधारित है, को स्पॉट एक्सचेंज रेट के रूप में संदर्भित किया जाता है। स्पॉट ट्रेड का विपरीत फॉरवर्ड या फ्यूचर्स ट्रेड हो सकता है।
मुख्य बातें
- स्पॉट ट्रेड निर्धारित तिथि पर मार्केट में तत्काल डिलीवरी के लिए ट्रेड की जाने वाली सिक्योरिटीज से संबंधित होता है।
जानिए क्या होता है एक्सचेंज रेट और इसके प्रकार
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। जिस मूल्य (दर) पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा से बदली जाती है उसे ‘एक्सचेंज रेट’ कहते हैं। अधिकांश देशों में एक्सचेंज रेट को दशमलव के बाद चार अंकों तक लिखते हैं। उदाहरण के लिए आठ जून, 2018 को एक डॉलर का मूल्य 67.5228 रुपये था। किसी भी देश की करेंसी का मूल्य बाजार में उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जैसे एक सामान्य व्यापारी सामान की खरीद-फरोख्त करता है, वैसे ही फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय होता है। एक्सचेंज रेट दो प्रकार के हो सकते हैं- स्पॉट रेट यानी आज के दिन विदेशी मुद्रा का मूल्य और फॉरवर्ड रेट यानी भविष्य में किसी तारीख के लिए एक्सचेंज रेट।
असल में एक्सचेंज रेट में दो करेंसी होती हैं- स्पॉट एक्सचेंज रेट को समझना बेस करेंसी और काउंटर करेंसी। इसे दो तरह से व्यक्त करते हैं। पहला तरीका, जिसमें बेस करेंसी किसी अन्य देश की होती है जैसे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत। इसमें डॉलर बेस करेंसी है, स्पॉट एक्सचेंज रेट को समझना जबकि रुपया काउंटर करेंसी। दूसरा तरीका, जिसमें घरेलू मुद्रा स्पॉट एक्सचेंज रेट को समझना बेस करेंसी होती है और विदेशी मुद्रा काउंटर करेंसी। वैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांशत: एक्सचेंज रेट व्यक्त करते समय डॉलर को बेस करेंसी के तौर पर माना जाता है।
Exchange Rate: एक्सचेंज रेट
क्या होती है एक्सचेंज रेट?
Exchange Rate: एक्सचेंज रेट यानी विनिमय दर किसी एक देश की करेंसी की किसी दूसरे देश या इकोनॉमिक जोन की करेंसी की तुलना में वैल्यू है। अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं और इसमें बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर बढ़ोतरी या गिरावट आती है। कुछ करेंसियां फ्री-फ्लोटिंग नहीं होती हैं और उनकी सीमाएं होती हैं।
एक्सचेंज रेट के प्रकार
कोई फ्री-फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट विदेशी विनिमय बाजार में बदलावों के कारण चढ़ती या गिरती है। कुछ देशों के पास सीमित करेंसियां होती हैं जो देश की सीमाओं के भीतर उनके विनिमय को सीमित करती हैं। इसके अतिरिक्त, एक सीमित करेंसी की वैल्यू भी सरकार द्वारा निर्धारित होती है।
करेंसी पेग: कभी कभार कोई देश अपनी करेंसी को दूसरे देश की करेंसी के समान दर्शाता है। उदाहरण के लिए, हांगकांग डॉलर को 7.75 से 7085 के रेंज में अमेरिकी डॉलर के समान दर्शाया जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिकी डॉलर की वैल्यू के प्रति हांगकांग डॉलर की वैल्यू उसके रेंज के भीतर बनी रहेगी।
जानिए क्या होता है एक्सचेंज रेट और इसके प्रकार
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। जिस मूल्य (दर) पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा से बदली जाती है उसे ‘एक्सचेंज रेट’ कहते हैं। अधिकांश देशों में एक्सचेंज रेट को दशमलव के बाद चार अंकों तक लिखते हैं। उदाहरण के लिए आठ जून, 2018 को एक डॉलर का मूल्य 67.5228 रुपये था। किसी भी देश की करेंसी स्पॉट एक्सचेंज रेट को समझना का मूल्य बाजार में उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जैसे एक सामान्य व्यापारी सामान की खरीद-फरोख्त करता है, वैसे ही फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय होता है। एक्सचेंज रेट दो प्रकार के हो सकते हैं- स्पॉट रेट यानी आज के दिन विदेशी मुद्रा का मूल्य और फॉरवर्ड रेट यानी भविष्य में किसी तारीख के लिए एक्सचेंज रेट।
असल में एक्सचेंज रेट में दो करेंसी होती हैं- बेस करेंसी और काउंटर करेंसी। इसे दो तरह से व्यक्त करते हैं। पहला तरीका, जिसमें बेस करेंसी किसी अन्य देश की होती है जैसे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत। इसमें डॉलर बेस करेंसी है, जबकि रुपया काउंटर करेंसी। दूसरा तरीका, जिसमें घरेलू मुद्रा बेस करेंसी होती है और विदेशी मुद्रा काउंटर करेंसी। वैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांशत: एक्सचेंज रेट व्यक्त करते समय डॉलर को बेस करेंसी के तौर पर माना जाता है।
सोना मिनी दर
कॉन्ट्रेक्ट शुरू होने की तारीख
ट्रेड की पिछली तारीख
डिलीवरी शुरू होने का दिन
डिलीवरी खत्म होने का दिन
GOLD MINI 995 EX-AHMEDABD
टेंडर अवधि की शुरुआती तारीख
टेंडर अवधि की आखिरी तारीख
डेली प्राइस पर्सेंट
नियर मंथ इंस्ट्रूमेंट सूचक
फार-मंथ इंस्ट्रूमेंट सूचक
यह न्यूनतम राशि है जिसकी आवश्यकता वायदा बाजार में व्यापार के दौरान "x" संख्या में किसी विशिष्ट कमोडिटी की लॉट खरीदने के लिए होती है।
यह डेरिवेटिव मार्केट में ली जाने वाली पोजिशन के आधार पर दैनिक लाभ / हानि है। यह गणना दैनिक आधार पर की जाती है जब तक कि इनका निपटारा नहीं हो जाता।