विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके

व्यापार घाटा पिछले कई महीनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है और बांग्लादेश ने आयात खर्च का भुगतान करने के लिए देश में जमा डॉलर की विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके बिक्री जारी रखी है। बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होता जा रहा है। देश में जितनी विदेशी मुद्रा बची हुई है, उससे अगले पांच महीनों तक ही आयात का खर्च वहन किया जा सकता है। अगर वैश्विक बाजार में कीमतें और बढ़ती हैं, तो बांग्लादेश का आयात खर्च और बढ़ेगा और विदेशी मुद्रा भंडार पांच महीने से पहले भी खत्म होने की उम्मीद है।
Bangladesh Crisis: श्रीलंका की राह पर बांग्लादेश! केवल 5 महीने के आयात के लिए बचा है विदेशी मुद्रा भंडार
By: ABP Live | Updated at : 17 May विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके 2022 02:48 PM (IST)
Bangladesh Financial Crisis: श्रीलंका ( Sri Lanka) तो पहले से ही कंगाल हो चुका है अब पड़ोती मुल्क बांग्लादेश ( Bangladesh) पर भी वित्तीय संकट ( Financial Crisis) के बादल मंडरा रहे हैं. बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserves) में लगातार गिरावट आ रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी, ईंधन, माल ढुलाई और खाद्य सामग्रियों की कीमतों में उछाल के चलते बांग्लादेश का आयात खर्च बढ़ा है. जुलाई 2021 से मार्च 2022 के बीच बांग्लादेश द्वारा किए जाने वाले वस्तुओं पर खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.
आयात पर बढ़ा खर्च
बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयात पर होने वाला खर्च बढ़ा है पर उसके मुकाबले निर्यात से होने वाला आय नहीं बढ़ा है. इसके चलते व्यापार घाटा ( Trade Deficit) लगातार बढ़ता जा रहा है. आयात पर ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं उस मुकाबले निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त नहीं हुआ है जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ रही है.
बांग्लादेश के पास बस पांच माह का खजाना; खत्म हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार, श्रीलंका की तरह दिवालिया होने का खतरा
भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश की मुद्रा में भारी गिरावट आई है और विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया है। इसी बीच खबर है कि पड़ोसी देश बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार भी खत्म होता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जरूरी वस्तुओं, कच्चे माल और ईंधन, सामान ढुलाई आदि की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से बांग्लादेश पर बुरा विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके प्रभाव पड़ा है। जुलाई से मार्च की अवधि में बांग्लादेश के आयात खर्च में 44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, जिस तेजी से बांग्लादेश का आयात खर्च बढ़ा है, उस हिसाब से निर्यात से होने वाली आय नहीं बढ़ी है। इससे व्यापार घाटा बढ़ा है और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है।
Forex Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा, एसडीआर बढ़ा
भारत का विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके विदेशी मुद्रा भंडार बीते 21 अक्तूबर को घटकर दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है 524.520 बिलियन डॉलर हो गया है। उससे एक हफ्ते पहले की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। बता दें कि दो वर्ष पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 577.00 बिलियन डॉलर था।
आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।
विस्तार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बीते 21 अक्तूबर को घटकर दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है 524.520 बिलियन डॉलर हो गया है। उससे एक हफ्ते पहले की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.85 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 14 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 528.367 बिलियन डॉलर था। बता दें कि दो वर्ष पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 577.00 बिलियन डॉलर था।
आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) में 3.59 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 465.075 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।
देश का स्वर्ण भंडार (गाेल्ड रिजर्व) इस दौरान 247 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 37.206 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, आरबीआई के आंकड़ों से पता विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, एसडीआर) का मूल्य 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.440 अरब डॉलर हो गया।
रुपए में लेन-देन से बढ़ेगा विदेश व्यापार
हम उम्मीद करें कि 11 जुलाई को आरबीआई के द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपए में किए जाने संबंधी जो महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, उससे इस समय डॉलर संकट का सामना कर रहे दुनिया के विभिन्न देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार तेजी से बढ़ेगा…
यकीनन इस समय यूक्रेन संकट की आपदा के बीच भारत के लिए दुनिया के विभिन्न देशों में व्यापार-कारोबार और निर्यात बढ़ाने के दो तरह के अभूतपूर्व मौके निर्मित हुए हैं। एक, 11 जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपए में किए जाने संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय से जहां डॉलर संकट का सामना कर रहे रूस, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, श्रीलंका, ईरान, एशिया और अफ्रीका सहित कई छोटे-छोटे देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार तेजी से बढ़ेगा, वहीं भारतीय रुपया मजबूत होगा, भारत का व्यापार घाटा कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा। दो, इस समय जब दुनिया रूस और अमेरिकी-यूरोपीय कैम्प में बंटती हुई दिखाई दे रही है, तब भारत दोनों ही कैम्पों के विभिन्न देशों में विदेश व्यापार बढ़ाने की संभावनाओं को मुठ्ठियों में लेने के लिए तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इस समय यूक्रेन पर हमले के मद्देनजर पश्चिमी देशों के द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी, यूरोपीय और जापानी कंपनियों सहित कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा रूस में अपना कारोबार बंद कर दिया गया है। ऐसे में भारतीय कंपनियों के लिए रूस में तमाम मौके दिख रहे हैं। रूस में भारत की उपभोक्ता कंपनियों से लेकर दवा निर्माण कंपनियों के द्वारा तेजी से अपना कामकाज बढ़ाया जा रहा है। भारतीय कंपनियां मौजूदा रूसी बाजार का एक बड़ा हिस्सा अपनी मुठ्ठियों में लेने के लिए सुनियोजित रूप से आगे बढ़ रही हैं। भारत के निर्यातकों के द्वारा भी रूस की सरकारी कंपनियों को विभिन्न उत्पादों के निर्यात बढ़ाए जा रहे है। ऐसे में रूस के साथ रुपए में लेनदेन भारत के लिए अत्यधिक लाभप्रद है। वस्तुत: अब दुनियाभर में तेजी से बदलती हुई यह धारणा भी लाभप्रद है कि भारत गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पादों के निर्यात के लिहाज से एक बढिय़ा प्लेटफॉर्म है। कोविड-19 के कारण दुनियाभर में चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के बीच भारत ने कोरोना से लड़ाई में सबके प्रति सहयोगपूर्ण रवैया अपना कर पूरी दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है।
निम्नलिखित में से कौन सा सभी विदेशी मुद्रा लेनदेन पर लगाया जाने वाला कर है?
Key Points
- टोबिन कर स्पॉट मुद्रा रूपांतरण पर लगाया जाने वाला कर है, जिसका उद्देश्य अर्थशास्त्री जेम्स टोबिन के नाम पर अल्पकालिक मुद्रा अटकलों को हतोत्साहित करना है।
- इसे आज औपचारिक रूप से वित्तीय लेनदेन कर (FTT) के रूप में जाना जाता है, या कम औपचारिक रूप से रॉबिन हुड कर के रूप में जाना जाता है।
- इसे आज औपचारिक रूप से वित्तीय लेनदेन कर (FTT) के रूप में जाना जाता है, या कम औपचारिक रूप से रॉबिन हुड कर के रूप में जाना जाता है।
- टोबिन कर स्पॉट करेंसी ट्रेडों पर प्रस्तावित एक शुल्क है जो बाजारों को स्थिर करने और सट्टेबाजी को विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके हतोत्साहित करने के लिए अल्पकालिक मुद्रा व्यापार को दंडित करने के लिए है।
- टोबिन कर का उपयोग उन देशों के लिए राजस्व प्रवाह उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है जो अल्पकालिक मुद्रा आंदोलन का एक बड़ा सौदा देखते हैं।