सफलता की कहानी

आरंभिक निवेश

आरंभिक निवेश

IPO मार्केट में तेजी से इन्वेस्टमेंट बैंकरों की हुई चांदी, 2021 में जुटाया 1.1 अरब डॉलर शुल्क

IPO News in India: बीते साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) का बाजार गुलजार रहा, जिसका फायदा निवेश बैंकरों को सबसे ज्यादा हुआ है. जानिए कितने करोड़ की हुई कमाई-

By: पीटीआई | Updated at : 04 Jan 2022 01:39 PM (IST)

IPO आरंभिक निवेश News in India: बीते साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) का बाजार गुलजार रहा, जिसका फायदा निवेश बैंकरों को सबसे ज्यादा हुआ है. साल 2021 में नई प्रौद्योगिकी कंपनियों की अगुवाई में 63 आईपीओ के जरिये 1.2 लाख करोड़ रुपये या 16.6 अरब डॉलर की राशि जुटाई गई है. उद्योग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान निवेश बैंकरों ने आईपीओ बाजार में तेजी के बीच 1.1 अरब डॉलर का शुल्क जुटाया है. यह किसी एक साल में जुटाया गया सलाहकार शुल्क का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.

कंपनियों ने IPO से जुटाए 16.आरंभिक निवेश 6 अरब डॉलर
बीते साल कंपनियों ने आईपीओ के जरिये रिकॉर्ड 16.6 अरब डॉलर जुटाए है. इससे पिछला रिकॉर्ड 2017 में 10.8 अरब डॉलर का रहा था. बीते साल जहां आईपीओ की संख्या दोगुना से अधिक हुई है. वहीं, आईपीओ से जुटाई गई राशि चार गुना से अधिक हो गई. यह रिपोर्ट लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप की इकाई रिफिनिटिव ने तैयार की है. यह दुनिया की वित्तीय बाजार आंकड़े उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से है.

LIC के आईपीओ पर है सबकी निगाह
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपीओ बाजार में तेजी का यह रुख 2022 में भी जारी रहेगा. इस साल एलआईसी का आईपीओ आना है जिसपर सभी की निगाह है.

बैंकिग गतिविधियों के जरिए हुई बंपर कमाई
रिपोर्ट कहती है कि निवेश बैंकिंग गतिविधियों के जरिये 2021 में 1.1 अरब डॉलर की कमाई की गई है. यह 2020 की तुलना में 8.5 फीसदी अधिक है. साल 2000 में इसका रिकॉर्ड रखने की शुरुआत के बाद से यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है.

News Reels

‘अंडराइटिंग’ फीस 49.7 फीसदी बढ़ी
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल शुल्क में इक्विटी पूंजी बाजार ‘अंडराइटिंग’ शुल्क 2020 की तुलना में 49.7 फीसदी बढ़कर 43.38 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया. वहीं, बांड बाजार के लिए यह 24.4 फीसदी घटकर 16.48 करोड़ डॉलर रहा. कुल मिलाकर 2021 आरंभिक निवेश में इक्विटी बाजार में 35.6 अरब डॉलर की राशि जुटाई जो पिछले साल की तुलना में 4.3 फीसदी कम है.

SBI कैपिटल का कुल निवेश 7.8 फीसदी
अनुवर्ती निर्गमों (FPO) के जरिये 18.6 अरब डॉलर जुटाए गए जो 2020 की तुलना में 42.8 फीसदी कम है. इक्विटी पूंजी बाजार द्वारा जुटाई गई कुल राशि में अनुवर्ती निर्गमों का हिस्सा 52 फीसदी रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश बैंकरों में एसबीआई कैपिटल का कुल निवेश बैंकिंग शुल्क में 7.8 फीसदी रहा. उसने संबद्ध शुल्क के रूप में 8.69 करोड़ डॉलर जुटाए.

Published at : 04 Jan 2022 01:39 PM (IST) Tags: IPO Market IPO Status ipo listing today ipo news ipo today ipo paytm ipo new share ipo new listing ipo news today in hindi ipo news in hindi ipo market open time ipo market in india हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

मोटी कमाई का मौका! विराट कोहली के निवेश वाली कंपनी में पैसे लगाने का मिलेगा अवसर

डिंपल अलावाधी

Go Digit General Insurance IPO: गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस के निवेशकों में क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) शामिल हैं।

Virat Kohli backed Go Digit General Insurance IPO DHRP filed with SEBI

  • अगर आप भी मोटी कमाई करना चाहते हैं, तो पैसे का जुगाड़ कर लें।
  • निवेश कर मुनाफा कमाने का एक और मौका आने वाला है।
  • जल्द ही एक कंपनी अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लेकर आने वाली है।

नई दिल्ली। निवेशकों के लिए खुशखबरी है। भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) ने जिस कंपनी में निवेश किया है, उसका आरंभिक सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ जल्द ही आने वाला है। फेयरफैक्स समूह (Fairfax) द्वारा समर्थित गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड (Go Digit General Insurance) ने आईपीओ के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास शुरुआती दस्तावेज जमा कराए हैं। कंपनी के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होंगे।

सेबी के पास दायर रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DHRP) के मसौदे के अनुसार, बीमा कंपनी ने अपने प्रस्तावित सार्वजनिक प्रस्ताव के माध्यम से 1,250 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। इसमें मौजूदा शेयरधारकों द्वारा 10.94 करोड़ शेयरों की बिक्री शामिल है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि डिजिट इंश्योरेंस आईपीओ का कुल आकार लगभग 5,000 करोड़ रुपये होने की संभावना है।

बेचने वाले शेयरधारकों में कौन-कौन शामिल?
बेचने वाले शेयरधारकों में गो डिजिट इन्फोवर्क्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, निकिता मिहिर वखारिया के साथ आरंभिक निवेश मिहिर अतुल वखारिया, निकुंज हिरेंद्र शाह, सोहाग हिरेंद्र शाह और सुब्रमण्यम वासुदेवन के साथ संयुक्त रूप से शांति सुब्रमण्यम शामिल हैं। ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए गो डिजिट इन्फोवर्क्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड 10,94,34,783 इक्विटी शेयर बेचेगी।

गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस का कारोबार
गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस एक डिजिटल फुल- स्टैक बीमा कंपनी है, जो मोटर इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, ट्रैवल इंश्योरेंस, प्रॉपर्टी इंश्योरेंस, मरीन इंश्योरेंस, देयता इंश्योरेंस और अन्य इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की पेशकश करती है। लेकिन स्टार्टअप के लिखित प्रीमियम का आधे से ज्यादा हिस्सा मोटर इंश्योरेंस बनाती है।

डिजिट इंश्योरेंस ने अपने पूंजी आधार को बढ़ाने और सॉल्वेंसी स्तरों के रखरखाव के लिए आईपीओ की आय का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा है। गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस भारत में उन गैर-जीवन बीमा कंपनियों में से एक है, जो पूरी तरह से क्लाउड पर संचालित होती है। मई में आयोजित नवीनतम फंडिंग राउंड में डिजिट की वैल्यू 4 अरब डॉलर थी। कंपनी अब तक फेयरफैक्स के अलावा सिकोइया कैपिटल, A91 पार्टनर्स और फेयरिंग कैपिटल से 40 करोड़ डॉलर जुटा चुकी है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

नियोजित विकास की राजनीति

निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:

आजादी के बाद के आरंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ पनपी। एक तरफ राष्ट्रीय पार्टी कार्यकारिणी ने राज्य के स्वामित्व का समाजवादी सिद्धांत अपनाया। उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक संसाधनों के संकेंद्रण को रोकने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण और नियमन किया। दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार ने निजी निवेश के लिए उदार आर्थिक नीतियाँ अपनाईं और उसके बढ़ावे के लिए विशेष कदम उठाए। इसे उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की अकेली कसौटी पर जायज़ ठहराया गया।

(क) यहाँ लेखक किस अंतर्विरोध की चर्चा कर रहा है? ऐसे अंतर्विरोध के राजनीतिक परिणाम क्या होंगे?
(ख) अगर लेखक की बात सही है तो फिर बताएँ कि कांग्रेस इस नीति पर क्यों चल रही थी? क्या इसका संबंध विपक्षी दलों की प्रकृति से था?
(ग) क्या कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोध था?

(क) लेखक यहाँ पर कांग्रेस पार्टी के बीच चल रहे अंतर्विरोध की चर्चा कर रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से ही कांग्रेस पार्टी में विकास की नीतियों को लेकर आपस में काफी मतभेद हुआ। कुछ लोग सावर्जनिक क्षेत्र के पक्ष में थे। तो कुछ लोग पूंजीवादी विचारधारा के समर्थक थे। अर्थात् वे निजी क्षेत्र के मॉडल को अपनाना चाहते थे। अंत में ऐसे अंतर्विरोध को टालने के लिए इन दोनों ही मॉडल की कुछ बातों को ले लिया गया और इन्हे मिश्रित- अर्थव्यवस्था के रूप में लागू किया गया ताकि भारत में विकास का कार्य सुचारु रूप से चलता रहे। अगर इस अंतर्विरोध को नहीं सुलझाया जाता तो देश में राजनीतिक अस्थिरता उत्पान हो जाती। जिससे देशी की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ता।

(ख) लेखक की यह विचारधारा काफी सही प्रतीत होती हैं कि कांग्रेस पार्टी दोनों विचारधाराओं-पूँजीवादी एवं समाजवादी-को बढ़ावा दे रही थी। इसका कारण यह भी है कि पार्टी अपने सभी वर्गों या गुटों को विश्वास में लाना चाहती थी। कुछ हद तक उस पर पूंजीवादियों तथा उद्योगपतियों का भी दवाब था। फलस्वरूप उसने मिश्रित- अर्थव्यवस्था को ही लागू किया।

(ग) कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच अंतर्विरोध किसी बात पर पूर्णतया नहीं था। बहुत से प्रांतो में अलग राजनीतिक दल बनाए गए। कुछ ने पूंजीवादियों नीतियों पर अधिक ज़ोर दिया तथा कुछ ने समाजवादी नीतियों पर।

आज़ादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद क्या थे? क्या इन मतभेदों को सुलझा लिया गया?

राष्ट्रवादी नेताओं के मन में यह बात बिलकुल साफ थी कि आज़ाद भारत की सरकार के आर्थिक सरोकार अंग्रेजी हुकूमत के आर्थिक सरोकारों से एकदम अलग होंगे तथा वे उनको पूरा करने के लिए आर्थिक प्रणालियाँ अपनाएँगे। विकास के मॉडल को लेकर भारतीय नेताओं में मतभेद था कि विकास का कौन-सा मॉडल अपनाया जाए। आजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह आरंभिक निवेश मॉडल कारगर साबित हुआ। इस मॉडल एक मुख्य विशेषता यह होती हैं की आर्थिक क्रियाओं में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। अत:भारत के कई राजनेता व विचारक भारत को आधुनिक बनाने के लिए विकास के इसी मॉडल को अपनाने के पक्ष में थे।

इसके विपरीत दूसरा मॉडल था: समाजवादी मॉडल, यह मॉडल समाजवादी मार्क्सवादी विचारधारा पर आधारित था। इसमें आर्थिक क्रियाओं में राज्य या सरकार का हस्तक्षेप होता है। इसे सोवियत संघ ने अपनाया था। भारतीय नेतृत्व में इस बात को लेकर मतभेद था कि विकास के किस मॉडल को अपनाया जाए। कुछ लोग पश्चिमी देशों की तरह आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को अपनाने के पक्ष में थे तो कुछ लोग समाजवादी मॉडल को अपनाने के पक्ष में थे। इस प्रकार कुछ लोग औद्योगीकरण को उचित रास्ता मानते थे और इसके माध्यम से भारत को विकास की दशा की और मोड़ना चाहते थे। और कुछ लोगों की नजर में कृषि का विकास करना और ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी को दूर करना सर्वाधिक जरूरी था।

भारतीय नेतृत्व में दूसरा मतभेद निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र की प्राथमिकताओं को लेकर था। कुछ लोग निजी क्षेत्र को तथा कुछ लोग सार्वजनिक क्षेत्र को प्राथमिकता देने के पक्ष में थे। इन सभी विचारों को लेकर सरकार असमंजस में थी कि विकास के किस मॉडल को और किस क्षेत्र को पहले प्राथमिकता दी जाए। अंत में इन मतभेदों को बातचीत के द्वारा हल लिया गया। फलस्वरूप भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया गया है जिसमें निजी व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों आते हैं। औद्योगीकरण और कृषि दोनों को समान रूप से महत्त्व देने का निर्णय लिया गया।

आईपीओ में निवेश के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए

These articles, the information therein and their other contents are for information purposes only. All views and/or recommendations are those of the concerned author personally and made purely for information purposes. Nothing contained in the articles should be construed as business, legal, tax, accounting, investment or other advice or as an advertisement or promotion of any project or developer or locality. Housing.com does not offer any such advice. No warranties, guarantees, promises and/or representations of any kind, express or implied, are given as to (a) the nature, standard, quality, reliability, accuracy or otherwise of the information and views provided in (and other contents of) the articles or (b) the suitability, applicability or otherwise of such information, views, or other contents for any person’s circumstances.

Housing.com shall not be liable in any manner (whether in law, contract, tort, by negligence, products liability or otherwise) for any losses, injury or damage (whether direct or indirect, special, incidental or consequential) suffered by such person as a result of anyone applying the information (or any other contents) in these articles or making any investment decision on the basis of such information (or any such contents), or otherwise. The users should exercise due caution and/or seek independent advice before they make any decision or take any action on the basis of such information or other contents.

रेटिंग: 4.87
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 390
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *