फंड का सेक्टर

'Sector Specific Funds' meaning in Hindi ,Definition & it's example,'सेक्टर स्पेसिफिक फंड्स' का हिंदी में मतलब, परिभाषा और यह उदाहरण है
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सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड क्या होते हैं किसमें लगाएं पैसा?
सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड निवेशकों के लिए उपलब्ध एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं. ये खास थीम या सेक्टर में निवेश करती हैं.
- Paurav Joshi
- Publish Date - July 15, 2021 / 04:05 PM IST
कुछ वर्ष पहले की तुलना में निवेश की दुनिया में आजकल सेक्टोरल या थीम आधारित प्रोडक्ट्स काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं. सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड (Mutual Fund) निवेशकों के लिए उपलब्ध एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) हैं. ये वैसी स्कीम हैं जो किसी खास थीम या सेक्टर में निवेश करती हैं. ये स्कीम या तो बहुत अच्छे रिटर्न दे सकती हैं या सालों तक नुकसान में रहती हैं. आइए सबसे पहले हम यह समझते हैं कि वे हैं क्या.
क्या होते हैं ये फंड
सेक्टर फंड के मामले में, किसी विशेष उद्योग या क्षेत्र से संबंधित शेयरों में निवेश किया जाता है. थीम-आधारित फंड विभिन्न क्षेत्रों या उद्योगों में निवेश कर सकते हैं लेकिन ऐसे उद्योग अक्सर किसी कॉमन थीम से जुड़े होते हैं.
सेक्टोरल फंड
सेक्टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो विशेष उद्योग समूह या सेक्टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि) के भाग होते हैं. सेक्टर-आधारित इक्विटी फंड किसी विशेष उद्योग में ग्रोथ का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. सेक्टर-आधारित मार्केट पैटर्न अनूठे होते हैं और सही सेक्टर में निवेश से रिटर्न मिल सकता है जो मार्केट रिटर्न की तुलना में बहुत ज़्यादा होता है. अगर निवेशक सही समय पर बाज़ार में एंट्री लेता है तो किसी सेक्टर में निवेश ज़्यादा रिटर्न दे सकता है. सेक्टर-आधारित रिटर्न आम तौर पर साइकिलिकल होते हैं. सेक्टर-आधारित को जोखिम भरा भी माना जाता है क्योंकि रिस्क विभिन्न सेक्टरों में डाइवर्सिफाई नहीं किया जाता है. सही समय पर एंट्री और एग्ज़िट की जानकारी रखने वाले अनुभवी निवेशकों की सलाह के अनुसार इसमें इंवेस्ट करना चाहिए.
थीम-आधारित फंड
थीम-आधारित फंड में सेमी-डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. ये फंड कई सेक्टरों में निवेश करते हैं जो एक कॉमन थीम से जुड़े होते हैं, जैसे की हाउसिंग, टुरिजम, मेक इन इंडिया इत्यादी. अब हाउसिंग थीमेटिक फंड उन कंपनी में इंवेस्ट करता है जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. इस थीम में सिमेंट कंपनी, पेइंट कंपनी, हाउसिंग फाइनांस कंपनी, स्टील कंपनी और वो सारी कंपनीज आएगी जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. चाहे ये कंपनी अलग अलग सेकटर की क्यों न हो. लेकिन उसकी थीम एक होगी.
हाउसिंग थीमेटिक फंड इस सेकटर की सारी कंपनीज का एनालिसिस करेगा और उसमें से जो कंपनी उसे अच्छी लगती है उसमें इंवेस्ट करेगा. यानी वो हाउसिंग थीमेटीक फंड का कुछ हिस्सा सिमेन्ट कंपनी, कुछ हिस्सा पेइंट कंपनी इंवेस्ट करेंगे. इस प्रकार का इंवेस्टमेंट रिस्की होता है यानी अगर हाउसिंग की थीम चल गइ तो आपको फायदा होगा वरना नुकसान. इसलिए थीमेटीक इंवेस्टमेंट एक हाइ रिस्क और हाइ रिवोर्ड इंवेस्टमेंट होता है.
थीम-आधारित म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं. वे बाजार में उभरते रुझानों को पहचान कर उनमें निवेश करने की रणनीति बनाते हैं. इसलिए, जिन निवेशकों को फायदेमंद रुझानों की पहचान करने का अनुभव है, वे दीर्घकालिक निवेश के लिए थीम-आधारित फंड पर भरोसा कर सकते हैं.
सर्टिफाइड फाइनांसियल प्लानर बिरजु आाचार्य बताते हैं की ये हाइ रिस्क, हाइ रिटर्न फंड होते हैं. जैसे हम इक्विटी मार्केट के लिए ये कहते हैं की इसमें कमसे कम 3 से 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए जबकी थीमटीक और सेक्टोरियल फंड में 5 से 7 साल के लिए निवेश करना चाहिए. जैसे फार्मा सेक्टर ने 2010 में और 2020 में अच्छा रिटर्न दिया और अब रियल एस्टेट और ओटो सेकटर अच्छे लग रहे हैं. आचार्य आगे बताते हैं की सेक्टोरियल और थीमेटिक फंड इकोनोमी के साथ जुडे हुए फंड हैं. भविष्य में कौन सा सेकटर अच्छा पर्फोर्म करेगा उसका किसी को पता नहीं. क्योंकी हर एक सेकटर की एक सायकल है.
टाटा ने लॉन्च किया नया म्यूचुअल फंड, हाउसिंग सेक्टर के साथ-साथ बढ़ेगा निवेश!
यह नया फंड ऑफर (NFO) 16 अगस्त मतलब कल से खुल चुका है.
टाटा म्यूचुअल फंड (TATA MF) ने एक नया हाउसिंग फंड लॉन्च किया है. हाउसिंग ऑपर्चुनिटी फंड घरों की मांग में तेजी का लाभ उठ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 18, फंड का सेक्टर 2022, 12:32 IST
हाइलाइट्स
टाटा म्यूचुअल फंड (TATA MF) ने एक नया हाउसिंग फंड लॉन्च किया है.
टाटा हाउसिंग ऑपर्चुनिटी फंड घरों की मांग में तेजी का लाभ उठाने के उद्देश्य से लाया गया है.
यह फंड अधिकतम पैसा Building materials से जुड़ी कंपनियों में निवेश करेगा.
नई दिल्ली. यदि आपको लगता है कि आने वाले समय में घरों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ेगी और इस हाउसिंग सेक्टर में पैसा निवेश करने से अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है तो आपके लिए अच्छी खबर है. टाटा म्यूचुअल फंड (TATA MF) ने एक नया हाउसिंग फंड लॉन्च किया है. हालांकि इससे पहले इसी कैटेगरी के दो फंड लॉन्च कर चुका है.
टाटा हाउसिंग ऑपर्चुनिटी फंड घरों की मांग में तेजी का लाभ उठाने के उद्देश्य से लाया गया है. हालांकि ये फंड पूरी तरह से हाउसिंग स्टॉक में निवेश न करके घर निर्माण के बिजनेस से नाता रखने वाली कंपनियों में भी निवेश होगा. टाटा एमएफ को उम्मीद है इससे बेहतर रिटर्न मिलेगा.
बिल्डिंग मैटेरियल को ज्यादा एलोकेशन के साथ ये फंड ऐसे वक्त में लाया गया है, जबकि इसी कैटेगरी के पुराने फंड्स ने कुछ खास रिटर्न नहीं दिया है. यह नया फंड ऑफर (NFO) 16 अगस्त मतलब कल से खुल चुका है.
क्या है ये पूरी स्कीम
यह फंड निफ्टी के हाउसिंग इंडेक्स को बेंचमार्क मानेगा, जिसमें कि 50 स्टॉक शामिल हैं. परंतु यह फंड बड़े और अधिक स्टॉक्स और बिजनेसेज में निवेश करेगा. यह हाउसिंग सेक्टर में बढ़ती मांग के दौरान अच्छा रिटर्न दे सकता है. हाउसिंग सेक्टर में फिलहाल कीमतें कम हैं, हाउस लोन रेट्स भी कम हैं, अधिक से अधिक शहरीकरण हो रहा है और इस सेक्टर में नए प्रोजेक्ट भी लॉन्च हो रहे हैं.
कैसे फायदेमंद होगा यह फंड?
टाटा हाउसिंग अपॉर्चुनिटीज़ फंड के मैनेजर तेजस गुटका का कहना है कि फंड का सेक्टर बेंचमार्क इंडेक्स के विपरीत, जो अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर-केंद्रित है, फंड कई तरह के क्षेत्रों के माध्यम से हाउसिंग थीम की तरफ जाएगा. उन्होंने कहा, “हम निर्माण सामग्री क्षेत्र पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे, जो हमारे पोर्टफोलियो आवंटन का 70 प्रतिशत तक हो सकता है… इसके अलावा, पोर्टफोलियो आवंटन में बड़े मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक (शुरुआती पोर्टफोलियो में लगभग 40-50 प्रतिशत आवंटन) होंगे, जो कि इनमें से अधिकांश बिजनेसेज भी हैं.”
यह हाउसिंग इंडेक्स से अलग है, क्योंकि उससें 88 प्रतिशत लार्ज-कैप शेयर शामिल हैं. लेकिन इस फंड में मिड और स्मॉल-कैप शेयरों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा, जिससे कि फंड को बेहतर रिटर्न देने में मदद मिल सकती है.
भवन निर्माण सामग्री (Building materials) में पेंट, टाइल्स, प्लाई, सैनिटरीवेयर और सीमेंट जैसे बिजनेस शामिल हैं. यह फंड हाउसिंग से जुड़े अन्य क्षेत्रों जैसे हाउसिंग फाइनेंस, कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स और बैंकों में भी निवेश करेगा.
(Disclaimer: म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. यदि आप किसी भी फंड में निवेश करना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)
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किसी इक्विटी फंड में निवेश करने से पहले किन जानकारियों और जोखिम मानकों पर विचार किया जाना चाहिए?
अपने पोर्टफोलियो के लिए इक्विटी फंड चुनने के लिए एक व्यवस्थित चुनाव प्रक्रिया की ज़रूरत होती है जिसमें दो फेज़ होते हैं। पहला फेज़ आपके बारे में है और यह आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी म्यूचुअल फंड की ज़रूरत या आपके वित्तीय गोल के फंड का सेक्टर साथ ही इसकी समय सीमा, इक्विटी फंड में निवेश के प्रकार और आपकी जोखिम लेने की क्षमता के असेसमेंट से शुरू होता है। एक बार जब ये तीनों चीजें तय हो जाती हैं, तो मौजूदा फंड्स में से सही फंड चुनने का अगला चरण यानी दूसरा फेज़ शुरू होता है।
इस तरह दूसरे फेज़ में ज़्यादा गुणात्मक नज़रिया अपनाकर सारे उपयुक्त फंड्स के बारे में थोड़ी जानकारी जुटाकर और अलग-अलग जोखिम मापदंडों की जांच करना शामिल है। आपको फंड पोर्टफोलियो, विंटेज, फंड मैनेजर्स, एक्सपेंस रेशो, इसका बेंचमार्क और समय के साथ बेंचमार्क के संदर्भ में फंड ने कैसा परफॉर्म किया है, यह जानकारी देखनी चाहिए।
जब आप पोर्टफोलियो की जांच करते हैं, तो देखें कि यह सेक्टर एलोकेशन और स्टॉक चयन के मामले में कितना विविध दिखता है। इसका अनुमान फंड के टॉप 10 सेक्टर और स्टॉक होल्डिंग से लगाया जा सकता है। जब आप विंटेज को देखते हैं, तो इससे आपको अंदाज़ा हो जाता है कि फंड ने कितने आर्थिक चक्रों का सामना किया है। बुल रन के दौरान, अधिकांश फंड अच्छा परफॉर्म करते हैं, लेकिन बुल और बियर मार्केट फेज़ के पूरे चक्र के दौरान फंड कैसा परफॉर्म करते हैं, यह पोर्टफोलियो की फ्लेक्सिबिलिटी का इंडिकेटर है। फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड फंड के विंटेज से काफी हद तक जुड़ा हुआ है। आप फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को बेहतर ढंग से देखने के लिए उसके द्वारा मैनेज किए गए दूसरे फंडों को देख सकते हैं।
एक्स्पेंस रेशो इस बात का एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर है कि फंड को कितनी अच्छी तरह से मैनेज किया जा रहा है जो फंड के परफॉर्मेंस से अलग होता है। एक्सपेंस रेशो जितना कम होता है, निवेशक के लिए उतना ही अच्छा होता है।
आगे, स्टैन्डर्ड डीवीऐशन और बीटा जैसे इक्विटी फंड जोखिम के मुख्य इंडिकेटर को देखते हैं। पहला आपको रिटर्न में फंड की अस्थिरता या इसके रिटर्न में अपेक्षित उतार-चढ़ाव के बारे में बताता है। उच्च स्टैन्डर्ड डीवीऐशन का मतलब है कि आप फंड रिटर्न में ज़्यादा अस्थिरता की उम्मीद कर सकते हैं मतलब फंड के औसत अपेक्षित रिटर्न में दोनों तरह के (अच्छे और बुरे) उतार-चढ़ाव होने की संभावना होती है। बीटा बाजार की गतिविधियों के लिए फंड की संवेदनशीलता का इंडिकेटर है। बीटा>1 का मतलब है कि फंड का NAV बाजार की गतिविधियों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील है। इसलिए बाजार के फेज़ में तेज़ी के दौरान फंड बाजार की तुलना में ज़्यादा बढ़ेगा और बाजार में मंदी के फेज़ में बाजार की तुलना में ज़्यादा गिरेगा। बीटा = 1 का मतलब है कि फंड का NAV बाजार की गति के साथ-साथ आगे बढ़ेगा। कम जोखिम वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आमतौर पर बीटा
अपना पोर्टफोलियो चुनने से पहले फंड्स के बारे में जानकारी जुटाने और उनकी जांच करने के लिए थोड़ा समय खुद बिताएं या किसी वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन लें।