ट्रेडर्स वे सारांश

एफएसएसएआई लाइसेंस के लिए आवेदन कैसे किया जा सकता है?
एफएसएसएआई अर्थात भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण भारत में चले रहे विभिन्न खाद्य व्यवसायों की निगरानी करता है। सभी प्रकार के खाद्य उत्पादों के निर्माण, प्रोसेसिंग, स्टोरेज, डिस्ट्रिब्यूशन एवं बिक्री में शामिल खाद्य व्यवसाय संचालकों(फूड बिजनेस ऑपरेटरों) को एफएसएसएआई पंजीकरण या लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है।
एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन एक 14 अंकों की पंजीकरण या लाइसेंस संख्या होती है जो सभी खाद्य पैकेजों पर छपी हुई होती है। एफएसएसएआई पंजीकरण का उद्देश्य खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखना और खाद्य व्यवसायियों को अधिक जवाबदेह बनाना है।
किस-किस को अपना एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए?
- कोई भी खाद्य व्यवसायी या एफबीओ जिसका सालाना टर्नओवर रु. 12 लाख या उससे कम हो।
- खाद्य उत्पादों का निर्माण तथा उनकी बिक्री करने वाले सभी छोटे खुदरा विक्रेता।
- खाद्य बिक्री करने वाले सभी अस्थायी स्टॉलधारकों को।
- कोई भी व्यक्ति जो कैटरिंग को छोड़कर किसी सामाजिक सभा या बड़े आयोजन में भोजन वितरित करने का कार्य करता है।
- खाद्य व्यवसाय करने वाले सभी प्रकार के लघु या कुटीर उद्योगों को।
एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाने के क्या लाभ हैं?
आजकल के समय में उपभोक्ता अपने द्वारा खाए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता के बारे में भी अधिक जागरूक हो गए हैं। आजकल उपभोक्ता अपने आहार के विकल्पों का चुनाव करते समय इस बारे में भी जानना चाहते हैं कि वे जिस भोजन का उपभोग कर रहे हैं वह कितना सुरक्षित और अच्छी गुणवत्ता का है। वर्तमान में अधिकांश उपभोक्ता उन्हीं खाद्य पदार्थों का उपभोग करना पसंद करते हैं जो कि गुणवत्ता प्रमाणित हों।
- विभिन्न प्रकार के कानूनी लाभ प्राप्त होना-
एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के लंबे तथा मुश्किल होने के कारण अधिकांश फूड बिजनेस ऑपरेटर अपना एफएसएआई पंजीकरण नहीं करवाते जिसकी वजह से उनको कई प्रकार की कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कई बार जुर्माना भी भरना पड़ता है। इस पंजीकरण को करवाने के बाद आपको कई प्रकार के कानूनी लाभ प्राप्त होते हैं और आप अपने व्यापार के विस्तार के लिए बैंक से कर्ज भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
- एफएसएसएआई लोगो का उपयोग कर पाने की स्वतंत्रता-
एक बार जब आप लाइसेंस ट्रेडर्स वे सारांश प्राप्त कर लेते हैं, तो आप एफएसएसएआई लोगों को अपने मेनू कार्ड में भी दिखा सकते हैं। यह आपको उन खाद्य व्यवसायियों से अलग करता है जिनके पास खाद्य लाइसेंस नहीं है। सभी प्रकार के पैकेज्ड, फूड के पैकेट तथा डिब्बों पर भी एफएसएसएआई नंबर का छपा होना आवश्यक है।
- बाजार में व्यापार की साख और अलग पहचान बनना-
एफएसएसएआई लोगो आपके व्यापार को बाजार में एक विशिष्ट मान्यता प्रदान करने का कार्य करता है जिससे कि ग्राहक आपके उत्पाद को उसी प्रकार के किसी अन्य उत्पाद से अलग कर पाते हैं। यह आपको अपना स्वयं का एक खास ब्रांड-नेम विकसित करने में मदद करता है।
एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन कितने प्रकार के होते हैं?
भारत में सामान्यतः तीन प्रकार के खाद्य पंजीकरण किए जाते हैं जो कि किसी भी व्यापार के स्तर तथा ट्रेडर्स वे सारांश उसके टर्नओवर के ऊपर आधारित होते हैं। इनके बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है-
- सेंट्रल या केंद्रीय लाइसेंस- विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के आयातक, निर्यातक तथा बड़े पैमाने पर खाद्य व्यवसाय में लगे हुए फूड बिजनेस ऑपरेटरों को केंद्र सरकार से सेंट्रल एफएसएआई लाइसेंस प्राप्त करना होता है। जिन व्यवसायों का टर्नओवर 20 करोड रूपये या इससे अधिक होता है उनको केंद्रीय एफएसएसएआई लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है।
- स्टेट या राज्य लाइसेंस- छोटे तथा माध्यम आकार की खाद्य इकायों तथा व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों तथा ट्रेडर्स आदि को जिस भी राज्य में वे व्यापार कर रहें है वहाँ की सरकार से स्टेट अर्थात राज्य एफएसएआई लाइसेंस प्राप्त करना होता है। राज्य स्तरीय लाइसेंस प्राप्त करने हेतु किसी व्यवसाय का टर्नओवर 12 लाख से 20 करोड़ रूपयों के बीच होना चाहिए।
- सामान्य या बेसिक रजिस्ट्रेशन- सभी प्रकार के छोटे खाद्य व्यवसायी जिनका सालाना टर्नओवर 12 लाख रूपयों से कम है उनको बेसिक एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इनमें छोटे खाद्य व्यवसायी, दुकानदार एवं रेहडीवाले आते हैं।
एफएसएसएआई पंजीकरण प्राप्त करवाने के लिए किन-किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है?
सामान्यतः एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है-
- निवास प्रमाण पत्र
- पहचान प्रमाण-पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटो
- लेआउट प्लान
- आपके पास मौजूद सभी उपकरणों का विवरण
- नगर पालिका से प्राप्त एनओसी प्रमाण-पत्र
- आपकी व्यापार का एमओए और एओए प्रमाण-पत्र
- आपके द्वारा प्रदान की जाने वाली खाद्य पदार्थों की सूची
- आपका आयात-निर्यात का कोड
- जल परीक्षण की रिपोर्ट
एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाने की पूरी प्रक्रिया क्या है?
पहले के समय में अधिकांश व्यक्ति ऑफलाइन तरीके से ही अपना एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाते थे, परंतु आजकल यह कार्य ऑनलाइन तरीके से भी सुविधाजनक तरीके से पूर्ण किया जा सकता है।
यदि आप अपने व्यापार का एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए किसी अच्छे ऑनलाइन पोर्टल की तलाश में हैं तो आप आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड के पोर्टल का उपयोग करके आसानी से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड के पोर्टल के माध्यम से एफएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाने की पूरी प्रक्रिया निम्नलिखित है-
- एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए सबसे पहले आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड के पोर्टल पर जाकर एफएसएसएआई के फॉर्म-बी को भरें।
- इस आवेदन-पत्र के साथ आपको अपने कुछ दस्तावेज भी पोर्टल पर अटैच करने होंगे जैसे कि एक शपथ-पत्र और स्वघोषणा पत्र।
- इसके पश्चात आप उस अवधि का चुनाव करें जिसके लिए आप अपना एफएसएसएआई रजिस्ट्रेशन लाइसेंस प्राप्त करना चाहते हैं। यह लाइसेंस सामान्यतः 1 से 5 वर्ष तक की अवधि तक के लिए प्रदान किया जाता है।
- इसके बाद आप किसी भी ऑनलाइन माध्यम से लाइसेंस आवेदन की फीस भरें । यह फीस 2000 रूपये से 5000 रूपये के बीच हो सकती है।
- विभाग सात दिनों के भीतर इस आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।
- यदि आपके के आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाता है तोविभाग द्वारा इसकी जानकारी आपको लिखित रूप में भेज दी जाएगी।
- यदि इस आवेदन को विभाग द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो विभाग द्वारा फोटो तथा एफएसएसएआई संख्या युक्त एक प्रमाण पत्र आपके के नाम पर जारी कर दिया जाएगा।
इस प्रमाणपत्र को आपको व्यवसाय के घंटों के दौरान व्यवसाय के स्थान पर प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा। इस लाइसेंस की समयावधि समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर इस लाइसेंस का पुनः नवीनीकरण करवाना भी अनिवार्य है।
आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड भारत की एक अग्रणी डिजिटल सेवा प्रदाता कंपनी है जिसके साथ जुड़कर आप अपने ही स्तर पर 300 से अधिक सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाएं अपने ग्राहकों को प्रदान कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं। आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड के द्वारा प्रदान की जाने वाली मुख्य सेवाओं में ट्रैवल बुकिंग सेवा, एईपीएस सेवा, मनी ट्रांसफर सेवा, सीए सेवाएं, लीगल सेवाएं, आदि प्रमुख हैं।
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मीडिया वर्तमान सरकार के आगे नतमस्तक दिखती है, ठीक ऐसे ही जैसे 1975 के दौर में हुआ.
अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद जैसे मोदी सरकार के केन्द्रीय मंत्रियों का दावा है कि उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया है. रविशंकर प्रसाद ने यहां तक कहा है कि जब तक भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, प्रेस की स्वतंत्रता पर किसी तरह के हमले नहीं हो सकते.
यहां एक हानिरहित सवाल पूछा जाना चाहिए- क्या मोदी सरकार मीडिया के प्रति सहिष्णु है या वह मीडिया का सम्मान करती है? प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय मीडिया के प्रति अपनी घृणा को शायद ही छिपाया है. न्यूज़ ट्रेडर्स उन्हीं की ईजाद की हुई शब्दावली है. जो कुछ साक्षात्कार उन्होंने दिए हैं, वह भी सभी ऐसे अखबारों और टीवी चैनलों को जिनके मोदी से दोस्ताना रिश्ते जग-जाहिर हैं. मोदी ने अबतक किसी भी ऐसे अखबार, पत्रिका या न्यूज़ चैनल से बात नहीं की है जो उनकी सरकार और नीतियों का आलोचक रहा है. बीते चार साल के अपने कार्यकाल में मोदी ने भारतीय मीडिया का एक बार भी सामना नहीं किया है क्योंकि शायद उन्हें लगता होगा कि वह गंभीर सवालों को सहजता से नहीं ले सकेंगे.
मोदी के कैबिनेट मंत्री भी मोदी का ही अनुसरण करते दिखते हैं. वे आलोचक मीडिया से बात नहीं करते. इस रोचक तथ्य को दरकिनार नहीं किया जा सकता, खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय विभाग को दो साक्षात्कार दिए हैं. एक चुनाव नतीज़ों के तुरंत बाद और दूसरा उसके कुछ दिनों बाद. ट्रंप उदारवादी (लिबरल) मीडिया के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं और उनपर फ़ेक न्यूज़ प्रसार करने का आरोप मढ़ते रहे हैं.
मोदी और उनके सहयोगी मीडिया से आमना-सामना करने से बचते हैं. हालांकि उन्हें उदारवादी मीडिया पसंद नहीं है. वे उदारवादी मीडिया के लिए लुटियन्स मीडिया शब्द का उपयोग करते हैं. उनके अनुसार, लुटियन मीडिया वह मीडिया है जो पश्चिम से पढ़ा और नई दिल्ली और बाकी मेट्रो शहरों जैसे अपर मिडिल क्लास से संबद्ध है.
भाजपा, मोदी और उनके सहयोगियों की कोई गलती है कि वे आलोचक मीडिया को नापसंद करते हैं. इंदिरा गांधी का भी यही रवैया था. पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन और जयललिता और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का भी मीडिया के प्रति इसी तरह का रवैया था. राजनेता, खासकर जो सत्ता में रहते हैं, उन्हें वह मीडिया पसंद नहीं आता जो उनकी कथनी और करनी का हिसाब रखता है.
यह हालत सिर्फ भारत में नहीं है, यह दुनियाभर के नेताओं का आम लक्षण है. लेकिन ज्यादातर इस बात का डंका नहीं बजाएंगे कि वे मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध हैं. इंदिरा गांधी से तुलना करते हुए यह सिर्फ मोदी गुट के नेता ही करते हैं. अपने विचारों को यथार्थ में उतारने के लिए उन्हें मीडिया द्वारा की गई आलोचना को स्वीकार करना सीखना चाहिए.
टीम मोदी के लोग यह दावा कर सकते हैं कि वे मीडिया के कठिन प्रश्नों का उत्तर देने को तैयार हैं, लेकिन मीडिया में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो उनसे निष्पक्षता से सवाल पूछे. दुर्भाग्य और विरोधाभास दोनों कि वाकई यह समस्या है. बहुत सारे अखबार और न्यूज़ चैनल खुलकर सरकार का समर्थन करते हैं. अगर वे संयोग से सरकार के आलोचनात्मक पहलू को उजागर कर भी दें तो वह सिर्फ सरकार को चेताना चाहते हैं, वह अपने कुनबे को संभाले. मीडिया सरकार के साथ सहयोगात्मक भूमिका निभा रही है जिसे बड़े उत्साह से “निर्माणकारी आलोचना (कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म)” कहा जाता है.
1975 के आपातकाल के दिनों से आज तक मीडिया की भूमिका काफी बदल गई है. कई अखबार जो इंदिरा गांधी की सरकार को लेकर आलोचनात्मक थे, वे आज वैसी ही भूमिका नहीं निभा रहे हैं. उसका एक कारण है. मीडिया जिसका संचालन बड़े निजी घरानों से होता है, वह इंदिरा गांधी के समाजवादी जुनून से सहज नहीं था.
लेकिन 1991 के बाद की आर्थिक नीतियों से मीडिया हर सरकार के बाजारोन्मुखी नीतियों की पक्षधर हो गई. कई स्तरों पर, प्राइवेट मीडिया और सरकार एक ही पक्ष लेते दिखते हैं- भारतीय मीडिया का बड़ा हिस्सा उदारवादी नहीं था, वह दक्षिणपंथी था.
इंदिरा गांधी के पतन के जो भी कारण रहे हों, वह भारतीय मीडिया के दक्षिणपंथी मिजाज को भाप चुकीं थीं. दूसरी ओर विचारधारा के स्तर पर भी भारतीय मीडिया से उनका संघर्ष था. बड़े “ज्यूट प्रेस” के बरक्स इंदिरा ने छोटे और मंझोले अखबारों के जरिये जनसमर्थन जुटाने का प्रयास किया.
भाजपा आज अपने आलोचक मीडिया को अभिजात्य और वामपंथी करार देती है. उन्हें लगता है कि वे भाजपा के खिलाफ विचारधारात्मक लड़ाई लड़ रहे हैं. मीडिया के प्रति व्यवहार और उनके प्रति सम्मान का आभाव, मोदी और उनके सहयोगियों को इंदिरा गांधी की राह पर ले आया है.
इंदिरा गांधी का मीडिया के साथ एक और बात पर टकराव था. जिस मीडिया का इंदिरा विरोध करती थी, उस मीडिया में इंदिरा के प्रति नफरत बसी थी. मीडिया का यही रवैया गांधी के बाद के कांग्रेसी नेताओं के प्रति भी रहा. इसमें राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह शामिल रहे. निष्पक्षता के सिद्धांत किनारे लगा दिए गए. हर छोटे-बड़े मुद्दों का निशाना उन्हें बनाया जाता रहा.
यह कहा जा सकता है कि किनारे लगा दिया गया उदारवादी मीडिया आज ऐसा ही व्यवहार कर रहा है. उनके भीतर मोदी, अमित शाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और दक्षिण पंथ से जुड़े हर चीज़ के प्रति नफरत है. इससे मोदी और उनके सहयोगियों को यह मौका मिल जाता है कि वे यह कह सकें, हमें बेवजह निशाना बनाया जा रहा है.
मीडिया के स्वतंत्रता का सिद्धांत, पक्षधरता और तथ्यात्मकता की कमी को फ्री स्पीच पर हमले का कारण नहीं बनाया जा सकता. अगर आलोचनात्मक मीडिया के पास तथ्य नहीं है और वह सरकार के खिलाफ शोर मचा रहा है, ऐसे मीडिया घराने पाठकों व दर्शकों के बीच अपनी विश्वसनीयता खो देंगे.
हालांकि, मीडिया के संचालन के बारे में सरकार यह खुद से तय नहीं कर सकती- न प्रत्यक्ष, न अप्रत्यक्ष रूप से कि क्या सही है और क्या गलत है.
आपातकाल के पहले, दौरान और बाद में, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो की भूमिका विवाद की बड़ी वजह बना है. सरकार इनका प्रयोग अपने पक्ष में प्रौपगैंडा के प्रसार के लिए कर रही है.
मजेदार है कि आज भी डीडी और एआईआर का उपयोग सरकारी प्रौपगैंडा के प्रसार के लिए ही हो रहा है. इसका उपयोग वे लोग कर रहे हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था. जेटली और रविशंकर प्रसाद प्रसार भारती के बेजा इस्तेमाल से शर्मिंदा होंगे.
प्रसार भारती के चेयरमैन सूर्य प्रकाश आपातकाल और इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैये के घोर आलोचक रहे हैं. उन्होंने इस ट्रेडर्स वे सारांश बात के लिए वाह-वाही बटोरी है कि वे सिद्धांतों के संघर्ष में बैरिकेड की दूसरी तरफ थे. लेकिन आज, वह यह दावा नहीं कर सकते कि प्रसार भारती सरकार के हस्तक्षेप से आज़ाद है. वह ये दावा नहीं कर सकते कि डीडी और एआईआर की प्रतिबद्धता सरकार के प्रति न होकर जनता के प्रति है.
भाजपा नेता और प्रसाद जैसे आपातकाल का पुरजोर विरोध करने वाले नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे साबित करें कि वे इंदिरा गांधी के रास्ते का अनुसरण नहीं कर रहे हैं. भाजपा ट्रेडर्स वे सारांश नेता साबित करें कि वे इंदिरा की तरह मीडिया को लेकर असहिष्णु नहीं है. अबतक तो वे इस परीक्षा में फिसड्डी रहे हैं.
Let’s dismantle 7 myths about Forex
There are positive and negative myths about Forex. Both are equally in need of clarification. We’ll venture to decode the most prevailing ones and put them in their place. Let’s begin.
You need a lot of money to start
This hasn’t been true for almost two decades. The myth is debunked every day by many new traders who come into this dynamic market at an hourly pace. Over 1,200 Forex brokers compete for these new clients and regularly improve their trading conditions.
The decentralisation that came with the Internet goes hand in hand with the democratisation of the once elite Forex domain, ट्रेडर्स वे सारांश opening up to regular people around the world.
Your journey with Forex trading can start with a low initial deposit of around 100 USD.
A high level of leverage is good
Let’s discuss the concept of leverage. High leverage is not necessarily ‘good’. To be more precise, you should look at it not as ‘good or bad’—but rather as ‘risky or safe’. High leverage shouldn't be applied too often within the framework of proper risk management, especially by beginners and intermediate traders. Experienced traders who have some spare capital to experiment with—a small fraction of their portfolio—can try a high leverage play with a new and promising trading strategy. The potential gains could be considerable, but the losses would eat up the initial funds quickly. Never invest or trade more than you are willing to lose. That’s true for any leverage ratio.
Easy and quick money with Forex
This might be the strongest myth about Forex that unjustly attaches the ‘gambling’ accusation to the service. There is no such thing as ‘easy money’ with almost anything—especially on a regular, honest basis. Money is hard-earned. If someone trades Forex successfully, this person puts much time and effort into developing psychologically, mentally, and intellectually as a trader. Research the market, read the literature, use online Forex education, and follow well-conceived trading strategies. Plus, always utilise proper risk management tools. Instead of ‘easy and quick money’, hard-earned and lasting profits will follow.
Is Forex only suitable for short-term traders?
Many people trade on a day-to-day basis, tracking the movements of an asset short-term. Because of the lucrative but risky option of high leverage, this has become quite popular. Popularity is not a measure of how Forex should or could be traded. Long-term strategies can be applied just as much. Traders of long-term trends have a different psychological approach since they are less concerned about what happens with a financial instrument in a single day. Those market traders who find themselves managing long-term trading have one more advantage on their side: they save capital on the spreads paid per order. Spreads are the Forex ‘commission’ incorporated into each open order. Rather than paying many daily spreads equivalent to opened orders, you pay much less spread since you have fewer orders over a more extended period.
The Forex market is rigged
Out of frustration, many former and current Forex participants believe that the market is actually rigged. They think some authorities or insiders manipulate or control the market to exploit the ordinary traders’ positions to cheat them out of their funds. There has never been conclusive forensic evidence for a systematic, ongoing foreign exchange market manipulation.
Historically, there were instances of powerful and extremely wealthy players who exploited and took advantage of temporary institutional weaknesses, like in central banks. But this rare, criminal behaviour is possible in any market and is not a hard-wired attribute of Forex.
You can predict the market
Of course, you can’t. But many participants trick themselves into believing they can. This is a psychological trap someone can get into, which can eventually lead to losses. The only way to go is to deal with probabilities—backed up by research, technical analysis, solid psychological foundations, and a valid risk management strategy. You should never make trading decisions on hunches, gut feeling, or intuition alone.
Anyone claiming they can predict the market or promise to sell you the skills to do so is not trustworthy or reliable.
The more trades you make the better
You can quickly lose the organisational and analytical overview if you have too many active orders—unless it is one or two assets that you know inside out. First, get accustomed to keeping track of one to two orders a day and find a realistic template of how many motions you can handle simultaneously. If you start losing track of an asset, you have overloaded yourself: bring the total of trading orders back down to a manageable amount.
Some successful traders open many orders to maximise their profits. However, this is a testament to their skill development and experience gained over a non-trivial period.
Final reflections
Many people had to go through every point listed above the hard way—namely, by experiencing it first-hand, losing money, and gaining frustration.
The best antidote to this is ongoing education. With these seven debunked myths about Forex, you’ve received a smooth introduction to the world of Foreign Exchange and the most common misconceptions. Your expectations will be much more grounded, factual, and realistic. You are ready for a constructive start in Forex trading. The next step is to go on to deepen your knowledge about the actual Forex craft itself and become a solid and disciplined trader.
[ऐप फ्राइडे] Paytm Money के पूर्व सीईओ प्रवीण जाधव का Dhan ऐप लोंग-टर्म इन्वेस्टर्स, ट्रेडर्स के लिए अच्छा है
COVID-19 महामारी पूरे भारत में कई व्यवसायों के लिए कष्टदायक रही है। लेकिन उतार-चढ़ाव भरा शेयर बाजार सभी पर भारी पड़ रहा है। शुरुआती मंदी के बाद, कई ऊब गए घरेलू निवेशकों ने बाजार की क्षमता का एहसास किया और इक्विटी बाजार में निवेश करना शुरू कर दिया।
इसने पहली बार खुदरा निवेशकों का एक नया दायरा खोला, जिसे कई स्टार्टअप पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। Groww, Upstox, और Zerodha जैसे निवेश प्लेटफार्मों ने न केवल अधिक लोगों को साइन अप करते देखा, बल्कि उनकी वैल्यूएशन भी बढ़ गयी।
जबकि बूटस्ट्रैप्ड फिनटेक स्टार्टअप Zerodha ने 2020 में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया, बेंगलुरु स्थित Groww ने इस साल की शुरुआत में Tiger Global के नेतृत्व में अपने सीरीज़ D राउंड में $ 1 बिलियन की वैल्यूएशन पर $ 83 मिलियन जुटाए, और भारत के बढ़ते यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गया।
एक निवेश ऐप Dhan भी इसी तरह के उपभोक्ता आधार को लक्षित कर रहा है। Paytm Money के पूर्व सीईओ प्रवीण जाधव द्वारा लॉन्च किया गया यह ऐप शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश के लिए एक प्लेटफॉर्म है। जाधव के Raise Financial द्वारा संचालित, Dhan का ध्यान लंबी अवधि के निवेशकों और ट्रेडर्स पर है।
Google Play Store पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस साल सितंबर में इस ऐप को एक हजार से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।
ऐप कैसे काम करता है?
Dhan गूगल प्ले स्टोर और आईओएस ऐप स्टोर पर अर्ली एक्सेस के लिए उपलब्ध है। एक बार जब आप ऐप डाउनलोड कर लेते हैं, तो आप अपने मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी से लॉग इन कर सकते हैं और आपको छह अंकों का पासकोड सेट करना होगा, अपना ईमेल एड्रेस वैरिफाई करना होगा और अर्ली एक्सेस के लिए अनुरोध करना होगा।
YourStory को लगभग तुरंत ही ऐप का ट्रेडर्स वे सारांश एक्सेस मिल गया।
एक बार लॉग इन करने के बाद, आपको केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने के लिए अपने पैन कार्ड की एक कॉपी अपलोड करने के लिए कहा जाएगा।
Dhan की केवाईसी प्रक्रिया के कई चरण हैं लेकिन यह तेज और कुशल है
इसके बाद, ऐप आपको रीयल-टाइम सेल्फी लेने, एक निर्दिष्ट केवाईसी पिन के साथ एक इन-पर्सन वेरिफिकेशन वीडियो अपलोड करने, एक डिजिटल सिग्नेचर करने और एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरने के लिए कहता है। यह फॉर्म आपकी आय के स्तर, आपके पेशे ट्रेडर्स वे सारांश और ट्रेडिंग अनुभव का पता लगाने के लिए है। ऐप आपके बैंक अकाउंट की डिटेल्स भी मांगता है और यह जांचने के लिए 1 रुपये भेजता है कि अकाउंट काम करता है या नहीं।
इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनट से अधिक समय नहीं लगता है, और केवल वैरिफिकेसन प्रक्रिया में थोड़ा अधिक समय लग सकता है।
ऐप में एक सुपर-फास्ट केवाईसी और ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया है, और यह इक्विटी, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), और डेरिवेटिव्स (वायदा और विकल्प) जैसे सभी एक्सचेंजों में इक्विटी, कमोडिटीज और मुद्राओं में ट्रेडिंग का समर्थन करता है।
अगर आप Dhan पर ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं तो 295 रुपये का एकमुश्त खाता खोलने का शुल्क भी है।
एक बार खाता खुल जाने और आपके विवरण सत्यापित हो जाने के बाद, आप निवेश करना शुरू कर सकते हैं। ऐप में एक हरे और सफेद थीम वाला होम पेज है, जहां आप ऊपरी-बाएं कोने में अपनी प्रोफ़ाइल तक पहुंच सकते हैं। दाहिने हाथ के कोने पर नोटिफिकेशन बेल आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो के बारे में अपडेट देती है और किसी भी कंपनी की initial public offerings (IPO) के लिए आवेदन की समयसीमा भी देती है।
आप किसी भी इक्विटी, ईटीएफ, या मुद्राओं की खोज के लिए, बेल आइकन के बगल में मैग्निफाइंग ग्लास आइकन का उपयोग कर सकते हैं। इन चिह्नों के ठीक नीचे एक बार भी है, जो Nifty 50, S&P BSE Sensex, Nifty, और S&P BSE के मिड और स्मॉल कैप सहित अन्य इंडेक्स में तेजी और गिरावट को दर्शाता है।
इंडेक्स बार के नीचे, ऐप ने आईपीओ कंपनियों के शुरुआती आवेदनों के बारे में जानकारी दिखाते हुए एक और बार जोड़ा है।
जैसे ही आप थोड़ा नीचे स्क्रॉल करते हैं, एक अन्य बार आपके निवेश का एक पोर्टफोलियो सारांश दिखाता है। आप अपने निवेश पर कितना लाभ कमा रहे होंगे, कुल निवेश का वर्तमान मूल्य, इत्यादि।
नए खुदरा निवेशकों के लिए ऐप काफी अनुकूल लगता है। पोर्टफोलियो सारांश बार के नीचे एक सेक्शन है, जिसमें इक्विटी, ईटीएफ, वायदा और मुद्रा सहित शीर्षक हैं। जब कोई उपयोगकर्ता इन शीर्षकों पर क्लिक करता है, तो इस मामले में इक्विटी, उदाहरण के लिए, एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में सूचीबद्ध सभी इक्विटी दिखाते हुए एक सूची पॉप अप होती है। सूची को आगे शीर्ष लाभ, शीर्ष हारने वाले, 52-सप्ताह के उच्च और निम्न, मात्रा और मूल्य के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
ऐप के लेआउट में अधिकांश चीजें शामिल हैं जिनकी एक ट्रेडर को आवश्यकता होगी
यदि उपयोगकर्ता इनमें से किसी एक इक्विटी पर क्लिक करते हैं, तो उन्हें यह आकलन करने के लिए ऐतिहासिक डेटा भी मिलता है कि पिछले पांच वर्षों में स्टॉक ने कैसा प्रदर्शन किया है। Dhan के अनुसार, डेटा एनएसई और बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) से लाइव आता है। इस टैब पर सूचीबद्ध अन्य असेट क्लासेज के मामले में भी ऐसा ही है।
उपयोगकर्ता सबसे नीचे वाले बार पर समान नाम वाले टैब पर क्लिक करके एक वॉचलिस्ट भी बना सकते हैं। यह सूची ऑटो, लार्ज कैप, वित्तीय सेवाओं, बैंक और टेक और आईटी के तहत वर्गीकृत विभिन्न शेयरों के माध्यम से बनाई जा सकती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, Dhan ट्रेडर्स और नए खुदरा निवेशक समुदाय पर केंद्रित एक ऐप की तरह लगता है। यह आपके फोन में एक फाइनेंशियल टर्मिनल की तरह है।
ऐप नए निवेशकों के लिए एक अच्छे शुरुआती प्लेटफॉर्म के रूप में काम कर सकता है, क्योंकि वे कई अन्य वेबसाइटों के बिना बाजार का अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकते हैं।
ग्राफ, जो बीएसई और एनएसई से प्राप्त ऐतिहासिक डेटा दिखाता है, किसी भी तरह के निवेश निर्णय लेने के लिए बहुत अच्छी जानकारी देता है। उपयोगकर्ता अपने पैसे का निवेश करने से पहले कुछ समय के लिए बाजार पर नजर रखने के लिए लिस्ट क्यूरेशन फीचर का भी उपयोग कर सकते हैं।
इस तरह के गहन डेटा के साथ, निवेशक समुदाय धन ऐप का उपयोग करने से नहीं कतराएगा।
YourStory की फ्लैगशिप स्टार्टअप-टेक और लीडरशिप कॉन्फ्रेंस 25-30 अक्टूबर, 2021 को अपने 13वें संस्करण के साथ शुरू होने जा रही है। TechSparks के बारे में अधिक अपडेट्स पाने के लिए साइन अप करें या पार्टनरशिप और स्पीकर के अवसरों में अपनी रुचि व्यक्त करने के लिए यहां साइन अप करें।
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