ट्रेंड मूवमेंट क्या है?

क्या है बाल संघम, बस्तर में बच्चों का कैसे इस्तेमाल कर रहे नक्सली, जानिए ?
बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासी ग्रामीणों के छोटे-छोटे बच्चों को नक्सली अपने हथियार के रूप में लंबे समय से उपयोग करते आ रहे हैं. नक्सली इन बच्चों को नक्सल विचारधारा का पाठ पढ़ाते हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार नक्सली अपने दलम में बाल संघम (Naxalite new weapon Bal Sangham) को शामिल करने के लिए ग्रामीणों पर दबाव भी बना रहे हैं.
बस्तर: केद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल समस्या को लेकर बड़ा खुलासा किया है. खासकर छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाके बस्तर में नक्सलियों की मौजूदा रणनीति को लेकर. इस रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि नक्सली संगठन छत्तीसगढ़ में छोटे बच्चों का उपयोग कैडर बढ़ाने और गुप्त सूचनाएं जुटाने के लिए कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि झारखंड और छत्तीसगढ़ में मौजूद सीपीआई माओवादी संगठन अपने लाभ के लिए छोटे बच्चों का भी उपयोग कर रहे हैं.
गृहमंत्रालय के इनपुट पर बस्तर आईजी ने क्या कहा ?
इस इनपुट के आधार पर ईटीवी भारत ने बस्तर के आईजी पी सुंदरराज से बात की तो उन्होंने नक्सलियों के बाल संघम को लेकर कई बाते बताई हैं. आईजी के मुताबिक अभी बस्तर के अंदरूनी इलाके में जनताना सरकार की पाठशाला चल रही है. आईजी ने बताया कि बाल संघम से नक्सल अभियान को बड़ा झटका लग रहा है. इस दलम के बच्चे नक्सल इलाकों में जवानों की गश्ती की रेकी करते हैं. इस वजह से कई मिशन में पुलिस और सुरक्षाबलों को काफी नुकसान हुआ है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के रिपोर्ट के बाद बस्तर में सुरक्षा ऐजेंसिया अलर्ट हो गई है. बाल संघम को खत्म करने के लिए पुलिस विभाग की तरफ से भी कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. ग्रामीणों से बात कर उन्हें समझाया जा रहा है कि वह बच्चों को बाल संघम के लिए नक्सलियों को न दें.
गृहमंत्रालय के इनपुट में हुए कई खुलासे
गृहमंत्रालय के इनपुट में इस बात का खुलासा हुआ है कि नक्सली संगठन ऐसे बच्चों की तलाश में रहते हैं. जिनके माता-पिता की मौत हो गई है. या फिर बच्चे का परिवार उसका खर्च उठाने में सक्षम न हो. ऐसे बच्चों को नक्सली संगठन का हिस्सा बना लिया जाता है. जिसे बाल संघम कहते हैं. ऐसे बच्चे नक्सली संगठन बाल संघम का सदस्य बनकर सुरक्षाबलों के मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों को देते हैं. जिससे नक्सली मोर्चे पर सुरक्षा बलों को काफी नुकसान होता है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऐसे बच्चों पर सुरक्षा बलों के जवानों और अधिकारियों को कोई शक नहीं होता. लिहाजा इस तरह नक्सलियों के लिए यह बच्चे खबरी का काम करते हैं. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन बच्चों को नक्सली बंदूक चलाने, फायरिंग करने, आईईडी को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाने की भी ट्रेनिंग देते हैं.
बाल संघम पर क्या कहते हैं पूर्व नक्सली ?
बीजापुर जिले में लंबे समय तक नक्सलियों के एरिया कमांडर रहे और साल 2000 में पुलिस के सामने समर्पण करनेवाले इनामी पूर्व नक्सली बदरन्ना ने बाल संघम के बारे में जानकारी दी है. ईटीवी भारत से बातचीत में नक्सली बदरन्ना ने बताया कि जैसे-जैसे किशोर अवस्था के बाद बच्चे युवा अवस्था में आते हैं तो इन्हें अलग-अलग दलम में बांट दिया जाता है. इसके बाद इन्हें बंदूक चलाने और गोरिल्ला युद्ध के अलावा सभी तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. बदरन्ना ने यह खुलासा भी किया कि वर्तमान में बस्तर में जितने भी बड़े नक्सली लीडर हैं, वे बाल संघम और दलम से जुड़े रहे हैं और आज बड़े नक्सली लीडर में गिने जाते हैं. जिनमें मुख्य रुप से हिड़मा शामिल है.
बदरन्ना के मुताबिक केवल बाल संघम ही नहीं बल्कि विकलांग, दिव्यांग ग्रामीणों का भी उपयोग नक्सली अपने दलम के लिए करते हैं. समय-समय पर इनसे मदद लेते हैं. बाल संघम नक्सलियों के लिए हथियार की तरह है. अपने दलम के विस्तार के लिए नक्सलियों के लीडर ट्रेंड मूवमेंट क्या है? किशोर अवस्था से ही बच्चों का ब्रेनवॉश कर दलम के विस्तार का पाठ पढ़ाते हैं और जल-जंगल-जमीन की बात बताते हैं.बदरन्ना ने यह भी बताया कि नक्सली बाल संघम के बच्चों से छोटे मोटे काम कराने के साथ रेकी के लिए ट्रेंड करते हैं. बाल संघम के सदस्य के तौर पर यह बच्चे सुरक्षाबलों की सारी सूचनाएं नक्सलियों को देते हैं. नक्सलियों के लिए ये सभी मुखबिरी का काम करते हैं.
Technical Analysis- 1st Post (Introduction & Basics – In Hindi)
टेक्निकल एनालिसिस पर पहली पोस्ट में आपका स्वागत है 🙂 । मेरे हिसाब से, ट्रेडिंग के लिए यह सबसे अच्छा टूल है। आज मैं आपके साथ टेक्निकल एनालिसिस के बारे में एक बुनियादी विचार साझा करुँगी। उदाहरण के लिए: – टेक्निकल एनालिसिस क्या है? आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए? ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? और टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम, ओपन इंटरेस्ट)। तो चलिए शुरू करें!!
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
यह अतीत मार्केट के डेटा, मुख्य रूप से प्राइस और वॉल्यूम के अध्ययन के द्वारा प्राइसिस की दिशा की भविष्यवाणी की विधि है।
आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए?
आपको इसका इस्तेमाल प्राइसिस के पूर्वानुमान लगाने के लिए करना चाहिए। यह प्राइस मूवमेंट के संदर्भ में भविष्य में क्या होने जा रहा है, के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर देता है, क्योंकि-
- एक मार्केट के वर्तमान ट्रेंड की चलते रहने की ज़्यादा संभावना है और रिवर्स होने की कम → प्राइसिस हमेशा डायरेक्शनली मूव करते हैं, जैसे, अप, डाउन, या साइडवेज़ (फ्लैट) और कुछ कॉम्बिनेशंस।
- इतिहास खुद को दोहराता है → अतीत में जो हुआ वह फिर से होगा क्योंकि मानव व्यवहार और साथ ही मानव साइकोलॉजी कभी नहीं बदलती।
ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करें?
यह ट्रेडिंग में बहुत सी विधि लगा कर प्रयोग किया जाता है, साथ ही टूल्स और तकनीक लगाकर, जिनमे से एक टेक्निकल इंडीकेटर्स(लीडिंग और लैगिंंग), ओवेरलेज़ और कॉन्सेप्ट्स के साथ चार्ट का इस्तेमाल होता है। चार्ट के प्रयोग से हम प्राइस पैटर्न और मार्केट ट्रेंड की पहचान, टेक्निकल इंडीकेटर्स और मूविंग एवरेज के अध्ययन और कुछ संरचनाओं जैसे लाइन ऑफ़ सपोर्ट, रेजिस्टेंस, चैनल्स और अधिक अस्पष्ट संरचनाओं जैसे फ्लैग इत्यादि को देख सकते हैं और उनका फायदा उठा सकते हैं। इन इंडीकेटर्स का प्रयोग एक ट्रेंड मूवमेंट क्या है? एसेट(शेयर) ट्रेंडिंग है या नहीं इसके आँकलन की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और अगर ऐसा है, तो इसकी दिशा और निरंतरता की संभावना पता लगाने के लिए किया जाता है। हम प्राइस/वॉल्यूम इनडाईसिस और मार्केट इंडीकेटर्स के बीच संबंधों को भी देखते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट)
प्राइस– यह किसी शेयर के लिए भुगतान की सबसे अधिक राशि, या इसे खरीदने के लिए दी ट्रेंड मूवमेंट क्या है? जाने वाली सबसे न्यूनतम राशि है।
वॉल्यूम– वॉल्यूम एक कारोबारी दिन में ट्रेडिंग गतिविधियों और कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल मात्रा के आदान-प्रदान को दर्शाती है। वॉल्यूम जितनी अधिक होगी उतना ही हम मौजूदा ट्रेंड के रिवर्स होने की बजाय जारी रहने की उम्मीद कर सकते हैं। वॉल्यूम हमेशा प्राइस से आगे चलती है।
ओपन इंटरेस्ट– ओपन इंटरेस्ट प्रत्येक दिन के अंत में मार्केट पार्टिसिपेंट्स द्वारा आयोजित बकाया ठेके की कुल संख्या है। यह वायदा बाजार में धन का प्रवाह मापती है। ओपन इंटरेस्ट बढ़ने का मतलब है की नया पैसा मार्केट में आ रहा है। परिणामस्वरुप जो भी वर्तमान ट्रेंड है (अप, डाउन, साइडवेज़), वह जारी रहेगा। ओपन इंटरेस्ट में गिरावट का मतलब है कि मार्केट ट्रेंड समाप्त हो रहा है, और दर्शाता है कि वर्तमान प्राइस ट्रेंड (अप, डाउन, साइडवेज़) बदलने की संभावना है या खत्म होने की संभावना है।
प्रचलित प्राइस ट्रेंड, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट के बीच के ट्रेंड मूवमेंट क्या है? रिश्ते ट्रेंड मूवमेंट क्या है? को निम्न तालिका द्वारा संक्षेप किया जा सकता है: –
ट्रेंड मूवमेंट क्या है?
हालांकि फिबोनाची सीरीज सबसे पहले ईसा पूर्व 200 बीसी में प्राचीन भारतीय गणितज्ञ पिंगला ने दुनिया को समझाई थी, लेकिन मौजूदा समय में इस ज्ञान का श्रेय 13वीं सदी के इतालवी गणितज्ञ लियोनार्डो फिबोनाची को जाता है जिन्होंने संख्याओं की ऐसी आसान सीरीज की खोज की जिसने विश्व में चीजों के प्राकृतिक अनुपात को दर्शाने वाला रेशियो बनाया।
यह अनुपात इन नंबर श्रृंखलाओं से विकसित हुआ - 0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144 . इस अनुक्रम में प्रत्येक संख्या स्पष्ट रूप से अपने से पहले की दो संख्याओं का योग है और यह क्रम असंख्य रूप से जारी है। इस संख्यात्मक अनुक्रम की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक यह है कि प्रत्येक संख्या अनुमानित रूप से पूर्ववर्ती संख्या की तुलना में 1.618 गुना बड़ी है।
61.8 फीसदी का महत्वपूर्ण फिबोनाची रेशियो को सीरीज में एक संख्या में इसके बाद की संख्या से भाग देकर हासिल किया जाता है। इसे 'गोल्डन रेशियो' या 'गोल्डन मीन' के तौर पर भी जाना जाता है। उदाहरण के लिए : 813 = 0.6153, और 5589 = 0.6179 । इसी तरह हमने फिबोनाची सीरीज से 76.4 फीसदी, 50 फीसदी, 38.2 फीसदी और 23.6 फीसदी के रिट्रेसमेंट रेशियो प्राप्त किए।
फिबोनाची रिट्रेसमेंट स्तर का इस्तेमाल बाजार या किसी शेयर में बढ़ोतरी और गिरावट में सपोर्ट और रेसिस्टेंस स्तरों का पता लगाने के लिए किया जाता है। चार्ट पर फिबोनासी रिट्रेसमेंट का इस्तेमाल करने के लिए एक ट्रेंड की मौजूदगी होनी चाहिए।
दूसरे शब्दों में कहें तो यह अध्ययन रेंज-बाउंड प्राइस मूवमेंट यानी एक दायरे में ही भावों में उतार-चढ़ाव हो तो उचित नहीं होता है क्योंकि ऐसी सिथति में धोखे की संभावनाएं ज्यादा हो जाती हैं।
बढ़त
यह अबान ऑफशोर का डेली चार्ट है। यहां हमने 9 मार्च के 224 के निमन स्तर और 8 जून, 2009 को बनाए गए 1311 के उच्च स्तर पर कर्सर ले जाकर फिबोनासी रिट्रेसमेंट स्तरों को दिखाया है। आप यहां सॉफ्टवेयर द्वारा दर्शाए गए स्तरों को देख सकते हैं।
ये रिट्रेसमेंट स्तर हैं 1063 (23.6 फीसदी), 902 (38.2 फीसदी), 772 (50 फीसदी) और 642 (61.8 फीसदी)। अब संभावना है कि अगर अबान ऑफशोर की कीमत इस उच्च स्तर पर फिर से गुजरती हैं तो यह फिबोनाची लेवल के एक स्तर पर सपोर्ट हासिल करेगा, क्योंकि निवेशक इन स्तरों पर प्रवेश करने में दिलचस्पी दिखाएंगे।
अब हमें यह देखना होगा कि अबान ऑफशोर में 8 जून को 1311 के शीर्ष के बाद वास्तव में क्या हुआ। शेयर की कीमत गिरने का सिलसिला शुरू हो गया और इसे 23.6 फीसदी, 38.2 फीसदी और 50 फीसदी के रिट्रेसमेंट स्तरों पर सपोर्ट ट्रेंड मूवमेंट क्या है? नहीं मिला और यह तेजी से गिरा। इसके बाद 639 पर लगभग 61.8 फीसदी का रिट्रेसमेंट बना, इसे सपोर्ट मिला और यह पुन: उछला।
उसी समय, अन्य संकेत ने रिवर्सल को दर्शाया और यह रिवर्सल था उस दिन वॉल्यूम में अचानक तेजी आई और कीमत को 61.8 फीसदी के रिट्रेसमेंट पर सपोर्ट मिला। इसे देखते हुए कारोबारियों ने लॉन्ग पोजीशन लेना शुरू किया और शॉर्ट पोजीशन निपटाईं।
हालांकि इस तरह की स्थिति में अन्य रिट्रेसमेंट स्तर, जैसे 23.6 फीसदी, 38.2 फीसदी और 50 फीसदी, भी बेकार नहीं जाते, और वे बाजार को आगे ले जाने के लिए महत्वपूर्ण प्रतिरोध का काम कर सकते हैं।
अब देखते हैं कि हम गिरावट के दौरान किस तरह से फिबोनासी रिट्रेसमेंट लेवल का इस्तेमाल करते हैं। यह बीएचईएल का साप्ताहिक चार्ट है। जैसा कि आप देख सकते हैं कि हमने 16 नवंबर 2007 के 2910 के उच्च स्तर स्विंग हाई और 13 जून, 2008 को 1325 पर बने निम्न स्तर पर फिबोनासी रिट्रेसमेंट स्तरों को दिखाया है।
ये रिट्रेसमेंट स्तर हैं - 2,304 (0.618), 2,117 (0.500), 1930 (0.382) और 1,699 (.236) । गिरावट की आशंका जब है जब यह फिर से नितले स्तर से गुजरता है। यह फिबोनासी लेवल के एक पर प्रतिरोध का मुकाबला करेगा। परिणामस्वरूप, बीएचईएल की कीमत को 12 सितंबर 2008 को 1,930 पर बने 38.2 फीसदी के रिट्रेसमेंट स्तर पर प्रतिरोध मिला।
ऐसा लगता है कि इसे लेकर कुछ समस्याएं भी हैं। इसके जरिये यह पता लगाना बेहद कठिन है कि किस स्तर पर कीमत को सपोर्ट या प्रतिरोध मिलेगा। इस पद्धति का इस्तेमाल करने को इच्छुक कारोबारी को उस स्थिति में इंतजार करना होगा जब शेयर या सूचकांक उन सपोर्ट में से किसी एक से वास्तव में अलग हो।
Hindi Medium Student in UPSC Exam: हिंदी Medium वाले क्यों पास नहीं कर पा रहे IAS एग्जाम? तो इन बातों को करें फॉलो जरूर आएगा आपका रिजल्ट
Hindi Medium Student in UPSC Exam क्या सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट का हिंदी में मतलब असहयोग आंदोलन होता है? या आपने ट्रेंड मूवमेंट क्या है? किसी हिंदी की किताबों में जनसंख्या की जगह समष्टि या प्लास्टिक की जगह सुघट्य जैसे कठिन और अव्यावहारिक हिंदी शब्द लिखा देखा है? अगर ऐसा नहीं देखा है तो शायद आपने हाल के सालों में देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा माने जाने वाले सिविल सर्विस परीक्षा का पेपर नहीं देखा होगा।
Hindi Medium Student in UPSC Exam: हिंदी Medium वाले क्यों पास नहीं कर पा रहे IAS एग्जाम?
यहां हिंदी में ऐसे ही शब्द दिखने को मिलेंगे। पिछले कुछ सालों मे कई मौके पर बेहद लापरवाह अंदाज और हिंदी की उपेक्षा करते हुए गूगल ट्रांसलेट के माध्यम से हिंदी में क्वेश्चन पेपर बन दिए गए हैं। इस उपेक्षा के साइड इफेक्ट भी इस परीक्षा के अंतिम परिणाम पर देखे गए। एक तरफ जहां हिंदी को लेकर पूरा जोर दिया जा रहा है उधर पिछले दस सालों में यूनियन सिविल सर्विस कमीशन की ओर से आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा में हिंदी माध्यम से सफल होने वाले स्टूडेंट की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गयी है।
यूपीएससी 2014 की परीक्षा में 13वां और हिंदी माध्यम में प्रथम स्थान पाने वाले निशांत जैन इस ट्रेंड के बारे में कहते हैं- “टॉप रैंक में हिन्दी माध्यम की पहुंच कम होती जा रही है। जबकि हर साल संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों में हिन्दी और भारतीय भाषाओं के माध्यम ट्रेंड मूवमेंट क्या है? से परीक्षा देने वालों की एक बड़ी संख्या होती है। साल 2015 में मेरी और 2017 में गंगा सिंह राजपुरोहित और शैलेंद्र सिंह की अच्छी रैंकों के बाद कुछ साल अच्छी रैंक की कमी दिखी। हालांकि इसी वर्ष 2022 में हिन्दी माध्यम के दो अभ्यर्थियों, रवि कुमार सिहाग और सुनील धनवंता ने टॉप 20 में जगह बनाकर नया कीर्तिमान रचा है।”
सिविल सर्विस परीक्षा के आंकड़े भी हिंदी के कमजोर होते ट्रेंड की बात को साबित करती है। साल 2000 में यूपीएससी की सिविल सर्विस पास करने वाले टॉप 10 स्टूडेंट में छठवें और सातवें स्थान पर हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी रहे। अगले कुछ सालों तक यह ट्रेंड रहा। लेकिन 2017 में हिंदी माध्यम से टॉपर का पूरे परिणाम में 146 वां 2018 में 337,2019 में 317,2020 में 246 वां रैंक रहा। जो हिंदी के गुम होते आंकड़े बताते हैं।
हालांकि यह भी तथ्य है कि 1978 तक सिविल सर्विस परीक्षा में हिंदी मीडियम से परीक्षा देने का विकल्प नहीं था। तब मोरारजी देसाई की अगुवाई वाली सरकार ने परीक्षा में रिफॉर्म किया और सभी को समान रूप से मौका मिला। इसके लिए अंग्रेजी के अलावा कई भाषा में परीक्षा देने का विकल्प दिया गया। इसके कुछ सालों बाद से हिंदी ने अपनी पैठ बनानी शुरू की थी और अगले 30 साल में लगभग 6000 सिविल सर्विस अधिकारी हिंदी मीडियम से चुन कर आए, जिनमें कई टॉप दस में भी जगह नियमित रूप से पाते थे।
हालांकि पिछले दस साल से यूपीएससी इस बात की जानकारी नहीं देती कि सफल उम्मीदवारों ने किसी मीडियम में परीक्षा दी थी लेकिन जब वह ट्रेनिंग देने लाल बहादुर शास्त्री संस्थान जाते हैं वहां हर साल आंकड़े जारी होते हैं।
हिंदी में स्टूडेंट की कमी का दौर 2010 के बाद तेजी से शुरू हुआ। उस साल एक बार फिर परीक्षा में रिफॉर्म के नाम पर कुछ साल पहले सिविल सर्विस परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट पेपर को लेकर छात्रों का उग्र आंदोलन हुआ था। इसमें आरोप लगा था कि हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं के स्टूडेंट को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। परिणाम में इस आरोप के संकेत मिलते थे। क्षेत्रीय और हिंदी भाषी स्टूडेंट इस पेपर को हटाने की मांग पर दो साल तक आंदोलन करते रहे। संसद तक में यह मामला जोरदार तरीके से उठा था। सरकार लंबे समय तक इस मुद्दे पर उलझन की स्थिति में रही।
सरकार को अंतत: स्टूडेंट की मांगों के सामने झुकना पड़ा। लेकिन तब भी इसका असर नहीं हुआ। हिंदी के तेजी से कम होते रसूख का आंकड़ा यह है कि 2015 में हिंदी मीडियम से मुख्य परीक्षा देने वालों की संख्या 2439 थी, जो 2019 में घटकर 571 और 2020 में 486 रह गई। ट्रेंड मूवमेंट क्या है? अंतिम दो साल के आंकड़े अभी नहीं आए हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र भारद्वाज बताते हैं कि IAS एग्जाम की तैयारी करने वाले हिंदी मीडियम बैकग्राउंड के ज्यादातर छात्रों को उस लेवल की कोचिंग या ट्रेनिंग फैसिलिटी नहीं मिल पाती है, जो अंग्रेजी मीडियम से तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के पास होती है। हिंदी मीडियम के जो छात्र आईएएस की तैयारी करते हैं, उनमें गांव-देहात से आने वाले भी बड़ी संख्या में होते हैं
और उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति भी एक कारण होती है। बड़े-बड़े कोचिंग में उनके लिए भारी-भरकम फीस देना मुश्किल होता है। दूसरा दिल्ली जैसे शहर में सरकारी कामकाज में अंग्रेजी का ही बोलबाला है, हालांकि अब यह स्थिति बदलने की पूरी संभावना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को महत्व दिया जा रहा है। साथ ही गृह मंत्रालय भी सरकारी कामकाज में हिंदी को प्रमोट कर रहा है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इन दिनों राजभाषा समिति दौरा कर रही है और हिंदी में कामकाज की स्थिति का आकलन कर रही है।
वहीं सिविल सर्विसेज एग्जाम परीक्षा की तैयारियों के संबंध में जाने-माने सलाहकार और डीयू के प्रो. तेजबीर सिंह राणा का कहना है कि हिंदी मीडियम के छात्र भी टॉपर बन रहे हैं लेकिन इंग्लिश मीडियम के मुकाबले उनके पास अवसरों की कमी जरूर है। परीक्षा की तैयारी के लिए जितना स्टडी मटीरियल इंग्लिश में है, उसका एक चौथाई भी हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए नहीं है। साथ ही ज्यादातर कोचिंग भी इंग्लिश मीडियम में ही होती है, ऐसे में दूर- दराज के क्षेत्रों से परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग आने वाले छात्रों को दिक्कत तो होती ही हैं। इसके साथ ही उनका सामाजिक- आर्थिक पहलू भी बड़ी समस्या है।
हिंदी मीडियम के छात्रों की आर्थिक स्थिति आमतौर पर उतनी मजबूत नहीं होती है और उनको पारिवारिक समस्याओं का ज्यादा सामना करना पड़ता है। हालात कैसे सुधरे इसके बारे में निशांत जैन बताते हैं कि-UPSC के प्रश्नपत्र में अनुवाद की गुणवत्ता पर हर साल सवाल उठते हैं। जबकि हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थियों को यह भी लगता है कि उनकी हिन्दी में लिखी गई कॉपी को हिन्दी जानने वाले परीक्षक ही जांचते हैं या नहीं। इन समस्याओं का समाधान होना चाहिए। वहीं हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थी भी आत्मविश्वास के साथ बिना भ्रमित हुए प्रयास करें, तो सफलता के प्रतिशत को बढ़ाया जा सकता है। मेरा व्यक्तिगत मत है कि संघ लोक सेवा आयोग को हिन्दी और भारतीय भाषाओं के माध्यम से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए और संवेदनशील होने की ज़रूरत है।
ऐसा नहीं है कि हिंदी भाषा के खराब प्रदर्शन को लेकर चिंता नहीं है। सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार की करीबी आरएसएस ने भी इस ट्रेंड पर चिंता जतायी थी। 2020 में मोहन भागवत की अगुवाई में हुई मीटिंग के बाद संघ की ओर से सरकार के सामने इसमें सुधार लाने के लिए भी कुछ अनुशंसा की गयी थी। वहीं सरकारी सूत्रों का कहना है कि उन्हें इस ट्रेंड पर नजर है और हाल के सालों में कई कदम भी उठाए गए हैं। उनका मानना है कि नयी शिक्षा नीति इस समस्या को बहुत हद तक कम कर देगा। लेकिन यह भी सही है कि जब तक सही सामग्री और समान अवसर नहीं मिलेंगे हिंदी से दूरी स्टूडेंट की बनती रहेगी भले हिंदी के नाम पर हम लाख दावा करें।
फैशन इन्फ्लुएंसर Ritu Pamnani कैसे अपने बेहतरीन अंदाज से तोड़ रही ट्रेंड
रितु पमनानी ने सालों पहले एक कंटेंट क्रिएटर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी और फैशन हमेशा उनकी सामग्री का एक प्रमुख हिस्सा था।
क्या आपको लगता है कि सामान्य से बाहर खड़े होने में सक्षम होना पांच अंगुलियों का व्यायाम है? बिलकूल नही! और जब फैशन के प्रभाव की बात आती है, तो यह अधिक श्रमसाध्य होता है। जैसे, एक युवा और प्रतिभाशाली आत्मा रितु पमनानी को देखें, जो अपने सुपर-ट्रेंडी स्टाइल से इंटरनेट तोड़ रही है। और कैसे? देखते हैं…
रितु पमनानी ने सालों पहले एक कंटेंट क्रिएटर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी और फैशन हमेशा उनकी सामग्री का एक प्रमुख हिस्सा था। वह न केवल कोई फैशन इन्फ्लुएंसर है, बल्कि एक ट्रेंडसेटर भी है, जो एक से अधिक आउटफिट को त्रुटिपूर्ण रूप से कैरी करती है। क्या आप जानते हैं रितु पमनानी को उनके फैशन के लिए क्यों जाना जाता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि वह अपने आउटफिट्स से काफी स्ट्रॉन्ग स्टाइल स्टेटमेंट बनाती हैं।
इसे आप उनकी हालिया इंस्टाग्राम तस्वीरों के जरिए खुद ही देख लीजिए।
अगर कोई एथनिक परिधानों में शान और चमक के बारे में सीखना चाहता है, तो रितु पमनानी आपकी सबसे प्रमुख गुरु हैं। कम से कम एक्सेसरीज़ के साथ गुलाबी, जटिल लहंगे में उनकी हालिया ईद पोस्ट हमारी सांसें रोक रही है।
जब ठाठ पश्चिमी पोशाक पहनने की बात आती है तो रितु पमनानी भी उत्कृष्ट हैं। प्रभावित करने वाले ने हाल ही में एक मनमोहक रंगीन को-ऑर्ड सेट में एक रील अपलोड की और तुरंत हमारे दिमाग को उड़ा दिया। रितु ने हील्स, नियॉन ग्रीन स्लिंग बैग और रिंग्स ट्रेंड मूवमेंट क्या है? के साथ आउटफिट को कंप्लीट करके इसे सिंपल लेकिन परिष्कृत रखा। फैशन के अलावा वह मेकअप के ट्रेंड में भी रहती हैं। कहने के लिए, उनका नो-मेकअप मेकअप लुक बेहद फ्लॉलेस और ग्रेसफुल लगता है।
आज का फैशन सिर्फ कोई ट्रेंडी आउटफिट पहनने का नहीं है। पुतलों के लिए यही है! रितु पमनानी अपने आउटफिट को कैरी करना जानती हैं और यही फैशन आइकॉन करती हैं। वह जो भी पोशाक पहनती है, वह उसके ट्रेंड मूवमेंट क्या है? व्यक्तित्व को किसी फिल्म या उपन्यास के नए चरित्र के रूप में दर्शाती है।
प्रभावित करने वाली कई टोपी पहनती है क्योंकि वह एक अभिनेता, नर्तकी और जीवन शैली को प्रभावित करने वाली भी है। रितु पमनानी हमेशा से ही अपने शानदार फैशन सेंस को लेकर चर्चा में रहती हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 200k से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
दुबई के इस प्रभावशाली व्यक्ति ने एनएआरएस, पैंटीन, गेस, एचएंडएम, मैंगो, प्यूमा, तनिष्क, फिला, मैक, रिवॉल्व आदि जैसे कुछ उल्लेखनीय ब्रांडों और दुनिया भर के कुछ फोटोग्राफरों और कलाकारों का ध्यान आकर्षित किया है। रितु पमनानी सोशल मीडिया की इन खिड़कियों के माध्यम से अपने जीवन की कहानी और कौशल को सफलतापूर्वक दर्शा रही हैं।