रणनीति चुनना

निवेश के जोखिम

निवेश के जोखिम
इस फंड को साल 2014 में शुरू किया गया था और वर्तमान में इसके पास 25,448 करोड़ रुपये के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) हैं. इसकी नेट एसेट वैल्यू 252.04 रुपये है. फंड ने निफ्टी 50 को 5.05 फीसदी आउटपरफॉर्म किया है. इस फंड ने अपने 98.78 फीसदी एसेट्स का निवेश घरेलू शेयर बाजार में किया है.

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अल्पकालिक निवेश में भी निवेश के जोखिम होता है जोखिम, सावधानी से चुनें अपना विकल्प

अगर आप कम समय में निश्चित राशि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप शॉट टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान का विकल्प चुन सकते हैं. हालांकि, इसका चयन करते समय सावधानी भी बरतने की जरूरत होती है. आर्बिट्रेज फंड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड जैसे विकल्प मौजूद हैं. आप तीन महीने के निवेश का भी विकल्प चुन सकते हैं. कुछ निवेश ऐसे होते हैं, जो पांच साल तक के लिए भी होते हैं.

हैदराबाद : बढ़ती ब्याज दरों को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को अपने विकल्प चुनने में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है. खासकर, जब वे एक से पांच साल के अल्पकालिक निवेश के लिए जा रहे हों, तो उन्हें सावधानीपूर्वक सही प्रकार की योजनाओं का चयन करना चाहिए. तभी उनकी गाढ़ी कमाई बच सकेगी और वे निश्चित रिटर्न भी प्राप्त कर सकेंगे. निवेश योजनाओं का चयन करने से पहले, प्रत्येक संभावित निवेशक को अपनी समग्र जरूरतों पर विचार करके वित्तीय लक्ष्य तय करने चाहिए. लंबी अवधि की योजनाओं से अच्छा रिटर्न मिलता है. जबकि, अल्पकालिक निवेश हमें जब भी आवश्यकता महसूस होती है, धन निकालने की सुविधा प्रदान करते हैं. ऐसे में केवल उन्हीं अल्पकालिक निवेशों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है जो सुरक्षित हैं.

इन पांच म्यूचुअल फंड्स में कर सकते हैं निवेश, मिलेगा शानदार रिटर्न और जोखिम भी कम

इन पांच म्यूचुअल फंड्स में कर सकते हैं निवेश, मिलेगा शानदार रिटर्न और जोखिम भी कम

म्यूचुअल फंड निवेश को सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक माना जाता है, जिनमें पैसा लगाने वालों को भारी रिटर्न मिलता है. इनमें निवेशकों को उनकी मार्केट एलॉकेशन, सेक्टर एलॉकेशन और वैल्यू के आधार पर चुनने के लिए बहुत से ऑप्शन्स भी मिलते हैं. एक कंपनी का शेयर उसकी मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर लार्ज, मिड या स्मॉल कैप हो सकता है. इसलिए, एक रिटेल निवेशक म्यूचुअल फंड द्वारा बनाए गए कई शेयरों में निवेश कर सकता है. इससे शेयर बाजार में सीधे निवेश करने की तुलना में उसका जोखिम का डर कम होता है.

फ्लैक्सी कैप फंड में व्यक्ति को अलग-अलग मार्केट कैपिटलाइजेशन वाले शेयरों निवेश के जोखिम में निवेश करने का मौका मिलता है. और वे लार्ज, मिड और स्मॉल कैप फंड्स में निवेश कर सकते हैं, जहां भी निवेश के जोखिम उन्हें यह लगता है कि उन्हें कम जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न मिल रहा है. आइए तीन साल की अवधि में रिटर्न के आधार पर पांच सबसे बेहतर फ्लैक्सी कैप म्यूचुअल फंड्स को जानते हैं.

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जोखिम और प्रतिफल" प्रतिभूतियों में निवेश के माध्यम निवेश के जोखिम से अनुभव की जाने वाली संभावित वित्तीय हानि या लाभ को संदर्भित करता है। एक निवेशक जिसने लाभ दर्ज किया है, उसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपने निवेश पर "रिटर्न" देखा है। इस बीच, निवेश का "जोखिम", इस संभावना या संभावना को दर्शाता है कि निवेशक पैसा खो सकता है। यदि कोई निवेशक ऐसी सुरक्षा में निवेश करने का निर्णय लेता है जिसमें अपेक्षाकृत कम जोखिम होता है, तो उस निवेश पर संभावित प्रतिफल आमतौर पर काफी कम होता है। इसके विपरीत, एक उच्च जोखिम कारक वाली सुरक्षा में निवेश में उच्च रिटर्न प्राप्त करने की क्षमता भी होती है।

सामान्य स्टॉक, कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड और ट्रेजरी बिल सहित विभिन्न प्रतिभूतियां- जोखिम और प्रतिफल की अलग-अलग दरों की पेशकश करती हैं।

ट्रेजरी बिल उतना ही सुरक्षित निवेश है जितना आप प्राप्त कर सकते हैं। डिफ़ॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है और उनकी छोटी निवेश के जोखिम परिपक्वता का मतलब है कि ट्रेजरी बिल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर हैं।" दूसरी ओर, लंबी अवधि के सरकारी बांड, देश की ब्याज दरों में बदलाव के अनुसार कीमतों में उतार-चढ़ाव का अनुभव करते हैं। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो बॉन्ड की कीमतें गिरती हैं, लेकिन जब ब्याज दरें गिरती हैं तो वे बढ़ जाती हैं। सरकारी बांड आमतौर पर ट्रेजरी बिलों की तुलना में थोड़ा अधिक रिटर्न की पेशकश करते हैं।

कैसे खुद तय करें बेस्ट म्यूचुअल फंड्स निवेश के जोखिम और करें निवेश

कैसे खुद तय करें बेस्ट म्यूचुअल फंड्स और करें निवेश

म्यूचुअल फंड निवेश (Mutual fund investment) पर प्रतीकात्मक फोटो

समय बदल रहा है और करीब एक दशक होने के आया है जब से म्यूचुअल फंड्स लोगों के बीच काफी लोकप्रिय निवेश का माध्यम बन गया है. 1963-64 से आरंभ होकर म्यूचुअल फंड्स करीब पांच दौर देखें हैं. वर्तमान में पांचवां दौर जारी है जो मई 2014 से माना जा रहा है. सेबी के प्रयास रंग लाने लगे और टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में भी लोगों ने म्यूचुअल फंड में निवेश का लाभ लेना आरंभ कर दिया था. 31 मई 2014 तक म्यूचुअल फंड का AUM करीब 10 ट्रिलियन रुपये को पार कर गया था. इसके बाद दो साल के कार्यकाल में ही AUM दो गुना से ज्यादा हो गई यानि करीब 20 ट्रिलियन रुपया (20 लाख करोड़़). यह आंकड़ा अगस्त 2017 में छुआ गया और नवंबर 2020 तक यह आंकड़ा 30 ट्रिलियन रुपया को पहली बार छू गया. 31 अक्टूबर 2017 करीब 6.32 करोड़ लोगों के फोलियो रजिस्टर्ड थे और 31 अक्टूबर 2022 निवेश के जोखिम तक इसमें भी दोगुना से ज्यादा का उछाल आया और यह करीब 14 करोड़ के आस पास पहुंच गया.

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अक्टूबर निवेश के जोखिम 2017 के बाद से हर महीने लगभग 12.65 लाख फोलियो हर महीने जुड़े हैं. म्यूचुअल फंड में लोगों के इस बढ़े रुझान के पीछे केवल दो कारण सबसे अहम रहे. एक SEBI द्वारा नियमों में बदलाव कर लोगों के विश्वास को बहाल करते रहने का प्रयास और दूसरा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा समय पर दिया गया सपोर्ट. इतना ही नहीं अप्रैल 2016 तक SIP खाता धारक जहां एक करोड़ पार कर गए थे वहीं, 31 अक्टूबर 2022 तक निवेश के जोखिम SIP खाताधारकों की संख्या करीब 6 करो़ड़ तक पहुंच गई.

जब म्यूचुअल फंड लोगों के बीच इतना मजबूत से अपनी पैठ बना रहा है तब यह जरूरी हो जाता है कि यह सभी निवेश के जोखिम को जान लेना चाहिए कि कोई म्यूचुअल फंड लेने से पहले उसकी पहचान कैसे की जाए.

अमूमन म्यूचुअल फंड को एक्सपर्ट ही मैनेज करते हैं. इन लोगों को फंड मैनेजर कहा जाता है. यह फंड मैनेजर यह देखते हैं कि कहां निवेश करने से निवेशकों को ज्यादा लाभ होगा यानि ज्यादा रिटर्न मिलेगा. म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है जो निवेश का जोखिम खुद उठाने में सक्षम नहीं होते. ये लोग बाजार के बारे में और कंपनियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने निवेश के जोखिम के चलते ऐसे फंड मैनेजरों की राय पर काम कर सकते हैं.

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