कॉमर्स संदर्भ

राजनीतिक दांवपेच में उलझी कॉमर्स कॉलेज की जमीन, विद्यार्थियों का हो रहा नुकसान
अलवर. अलवर का कॉमर्स कॉलेज राजर्षि महाविद्यालय के परिसर में मात्र दो कमरों में चल रहा है। कॉमर्स कॉलेज की जमीन राजनीतिक दांवपेचों में उलझ कर रह गई है। दो विधायकों की आपसी राजनीतिक खींचतान का खामियाजा विद्यार्थी उठा रहे हैं।
राजकीय कॉमर्स कॉलेज को सन् 2014 में राजर्षि महाविद्यालय से अलग करने की घोषणा की गई। महाविद्यालय को 2015 में राजर्षि महाविद्यालय से अलग किया गया। तब से अब तक कॉमर्स कॉलेज की कक्षाएं राजर्षि महाविद्यालय के कमरों में चल रही है। इस कॉलेज की जमीन पिछले साल जून 2017 में अलवर से 11 किमी दूर रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में एमआईए के गांव ढांढोली में चिह्नित की गई। इस जमीन की आवंटन प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। लोकसभा उपचुनावों से पूर्व महाविद्यालय की जमीन अलवर शहर में बुध विहार में चिह्नित की गई। शहर विधायक बनवारी लाल सिंघल के हस्तक्षेप से इस कॉलेज को बुध विहार में नगर परिषद की जमीन में आवंटित की गई। अब इस जमीन को कॉमर्स कॉलेज को देने का प्रस्ताव नगर परिषद बोर्ड में भी कर दिया गया है।
अब कॉमर्स कॉलेज प्रबंधन आए दिन नगर परिषद के चक्कर लगा रहा है। इससे सम्बन्धित फाइल जयपुर स्थानीय कॉमर्स संदर्भ निकाय विभाग मुख्यालय भेज दी गई है। यह फाइल कब वहां से लौट कर आती है जिसकी जानकारी किसी को नहीं है। ऐसे में विद्यार्थी निराश है कि उन्हें एमआईए में जमीन नहीं मिली। ढांढोली में कॉमर्स कॉलेज के लिए 5 करोड़ की राशि मिली थी लेकिन वहां से आवंटन निरस्त कराने के बाद इस राशि के वापस होने की आशंका बढ़ गई है।
कॉमर्स कॉलेज के विद्यार्थी महाविद्यालय की भूमि अलग-अलग जगहों पर चिह्नित करने पर स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। महाविद्यालय के विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें 3 साल से केवल झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं। उपचुनाव से पहले उच्च शिक्षा मंत्री के सामने अलवर शहर विधायक ने बुध विहार में कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। अब विद्यार्थी इस संदर्भ में उनसे सवाल कर रहे हैं तो उन्हें कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में स्टोर करना पड़ सकता है डाटा
नई दिल्लीः फ्लिपकार्ट जैसी खुदरा और सोशल मीडिया कंपनियों को अपने उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों को भारत में ही रखना पड़ सकता है। ई-वाणिज्य क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे में यह कहा गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार कंपनी कानून में भी संशोधन पर विचार कर सकती है ताकि ई-वाणिज्य कंपनियों में संस्थापकों की हिस्सेदारी घटने के बावजूद उनका अपनी ई-वाणिज्य कंपनियों पर नियंत्रण बना रह सके।
भारत में स्टोर करना पड़ेगा यह डाटा
मसौदा नीति के मुताबिक जिन आंकड़ों को भारत में ही रखने की आवश्यकता होगी, उसमें इंटरनेट आफ थिंग्स (आईओटी) द्वारा संग्रहीत सामुदायिक आंकड़े, ई-वाणिज्य प्लेटफार्म, सोशल मीडिया, सर्च इंजन आदि समेत विभिन्न स्रोतों से उपयोगकर्ताओं द्वारा सृजित डेटा शामिल होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य तक सरकार की होगी डाटा तक एक्सेस
नीति में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सार्वजनिक नीति मकसद से भारत में रखे आंकड़ों तक पहुंच होगी। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि ग्राहकों द्वारा सृजित आंकड़े उनके अनुरोध पर देश में विभिन्न मंचों के बीच भेजा जा सके। साथ ही घरेलू कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ई-वाणिज्य लेन-देन में शामिल विदेशी वेबसाइट उन्हीं नियमों का पालन करें।
मोबाइल फोन की बल्क परचेज पर लग सकती है रोक
मसौदा में ई-वाणिज्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में दिशानिर्देश के क्रियान्वयन के संदर्भ में शिकायतों के प्रबंधन के लिए प्रवर्तन निदेशालय में एक अलग प्रकोष्ठ गठित करने का सुझाव दिया गया है। सूत्रों के अनुसार ‘मार्केट प्लेस’ (ई-वाणज्यि कंपनियां) पर ब्रांडेड वस्तुएं खासकर मोबाइल फोन की थोक में खरीद पर पाबंदी लगाई जा सकती है क्योंकि इससे कीमतों में गड़बड़ी होती है।
प्रभु की अगुआई में बना था थिंक टैंक
सरकार ने राष्ट्रीय ई-वाणिज्य नीति तैयार करने के लिए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति की दूसरी बैठक राष्ट्रीय राजधानी में जारी है। समिति में विभिन्न सरकारी विभागों तथा निजी क्षेत्र के सदस्य शामिल हैं।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 'टाटाक्लिक' के समान डोमेन नाम रखने पर टाटा समूह को वेबसाइट 'टाटाक्लिकस्मार्ट' के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा समूह के 'टाटाक्लिक' ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को वेबसाइट 'टाटाक्लिकस्मार्ट' के खिलाफ एक समान डोमेन नाम रखने के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा दी है। कॉमर्स संदर्भ इससे उसके ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा:
"इस न्यायालय ने www.tatacliqsmart.com वेबसाइट खोलने का प्रयास किया और पाया कि वेबसाइट को खोला नहीं जा सकता है। हालांकि, वादी द्वारा प्रस्तुत स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि वेबसाइट का उपयोग वादी नंबर एक के उत्पादों सहित कई उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए किया जा रहा है।"
इसके अलावा कहा गया:
"इसलिए यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी नंबर 1 ने अपनी वेबसाइट को केवल इसलिए बंद कर दिया है, क्योंकि वर्तमान मुकदमा दायर किया गया है। इसलिए कॉमर्स संदर्भ इस न्यायालय की राय है कि वादी ने अंतरिम निषेधाज्ञा देने का मामला बनाया है।"
न्यायालय के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया था कि टाटा संस ट्रेडमार्क TATA के साथ-साथ इसके डिवाइस मार्क का पंजीकृत मालिक है और यह कि डोमेन नाम www.tatacliq.com 23 सितंबर 2015 को पंजीकृत किया गया था।
इसे ध्यान में रखते हुए यह प्रस्तुत किया गया कि डोमेन नाम www.tatacliqsmart.com अपनी वेबसाइट के समान होने के कारण अपनी वेबसाइट के नाम से पहले केवल "स्मार्ट" शब्द जोड़ा है, जो प्रतिवादियों को करने की अनुमति नहीं है।
इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी वेबसाइट विभिन्न टाटा उत्पादों को 'फेंकने की कीमतों' पर बेच रही थी। इससे इस बात की संभावना है कि टाटा शब्द का उपयोग करके प्रतिवादी नकली उत्पाद बेच रहा होगा।
उक्त दलीलों पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इस प्रकार आदेश दिया:
".. आईए संख्या 7543/2021 में प्रार्थना (i) और प्रार्थना (ii) के संदर्भ में अंतरिम निषेधाज्ञा सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादी नंबर एक के खिलाफ दी जाती है। आदेश XXXIX नियम 3 सीपीसी के प्रावधानों का पालन आज से 10 दिनों के भीतर किया जाए।"
मामले की सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी।
शीर्षक: टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और एएनआर बनाम मैसर्स इलेक्ट्रो इंटरनेशनल और अन्य
BEd Commerce Syllabus In Hindi
BEd Commerce Syllabus In Hindi : बीएड कॉमर्स सिलेबस को चार सेमेस्टर में क्यूरेट किया गया है और इसमें कोर और ऐच्छिक दोनों विषय शामिल हैं। बीएड कॉमर्स दो कॉमर्स संदर्भ साल की स्नातक डिग्री है जो उम्मीदवारों को कुशल शिक्षकों में बदल देती है। वाणिज्य पाठ्यक्रम के लिए बी.एड विषयों में व्यवसाय अध्ययन, लेखा, अर्थशास्त्र, शारीरिक शिक्षा, अंग्रेजी, और बहुत कुछ शामिल हैं, कॉमर्स संदर्भ चलिए विस्तार से बात करते है Osmgyan.in के इस लेख में .
Semester Wise BEd Commerce Syllabus In Hindi
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन [ एनसीटीई ] के पाठ्यक्रम कार्यक्रम का उपयोग करके बीएड कॉमर्स का पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। बी.एड कॉमर्स के पाठ्यक्रम को चार सेमेस्टर में विभाजित किया गया है। वाणिज्य पाठ्यक्रम के लिए बी.एड पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद द्वारा पाठ्यक्रम के आधार पर विकसित किया जा रहा है। इस कोर्स में कोर और ऐच्छिक दोनों कॉमर्स बी.एड विषय हैं।
सेमेस्टर-वार बी.एड कॉमर्स विषयों की सूची नीचे दी गई है:
Semester I | Semester II |
Childhood & Growing up | Learning & Teaching |
Education in Contemporary India | Assessment for Learning |
Development and Management in School Education | Content & Pedagogy 1 Part I |
Gender, School & Society | Content & Pedagogy 2 Part I |
Semester III | Semester IV |
Content & Pedagogy 1 Part II | National Concern & Education |
Content & Pedagogy 2 Part II | Creating an Inclusive School |
Observation of demonstration lesson / video lesson | Knowledge & Curriculum |
A simulated lesson with ICT mediation | Guidance and Counselling |
Internship | Practical Examination |
BEd Commerce Subjects In Hindi
BEd Commerce Syllabus में कुशल शिक्षण विधियां और विभिन्न विशेषताएं शामिल हैं, जिसमें हमें शिक्षण के नए तरीके सिखाए जाते हैं। वाणिज्य पाठ्यक्रम में बीएड में शिक्षा, शिक्षार्थी और सीखने के बुनियादी सिद्धांतों के साथ-साथ अर्थशास्त्र, लेखा, व्यवसाय, सांख्यिकी और अन्य जैसे विषय शामिल हैं।
नीचे सूचीबद्ध कुछ बी.एड कॉमर्स विषय सूचियां हैं:
- Education, Culture and Human Values
- Educational Evaluation and Assessment
- Educational Psychology
- Guidance and Counselling
- Holistic Education
BEd Commerce Course Structure In Hindi
BEd Commerce Syllabus संरचना को मुख्य और वैकल्पिक दोनों विषयों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कोर्स की अवधि दो साल की है और इसे चार सेमेस्टर में बांटा गया है। इस पाठ्यक्रम के दौरान, छात्र व्यापार शिक्षण के कई विषयों में ताकत विकसित करते हैं, जिसका वे अपने भविष्य के स्कूल शिक्षण अनुभव में लाभ उठा सकते हैं।
पाठ्यक्रम संरचना नीचे दी गई है:
- IV Semesters
- Core Subjects
- Elective Subjects
- Skill Enhancement Course
- Internship
- Practicals
BEd Commerce Teaching Methodology and Techniques In Hindi
बी.एड कॉमर्स पाठ्यक्रम पाठ्यक्रम विभिन्न शिक्षण विधियों को ध्यान में रखता है। व्याख्यान और व्यावहारिक के साथ, छात्रों को इसके अनुप्रयोगों के मूल सिद्धांतों में भी प्रशिक्षित किया जाता है। सामान्य रूप से विभिन्न शिक्षण विधियों और रणनीतियों की सूची नीचे दी गई है:
- Conceptual Learning
- Experiential Learning
- Executive Modelling
- Talks from guest speakers
- Traditional Classroom-Based Teaching
BEd Commerce Projects In Hindi
बीएड कॉमर्स प्रोजेक्ट विषय छात्रों को अंतःविषय सीखने के लिए दिए जाते हैं। परियोजनाएं छात्रों को औद्योगिक कार्य में अनुभव और प्रशिक्षण प्राप्त करने में सहायता करती हैं। परियोजनाओं को चौथे सेमेस्टर के अंत तक पूरा किया जाना है। कुछ लोकप्रिय बी.एड कॉमर्स परियोजनाएं हैं:
- Impact of Outsourcing Material Availability Decision-Making
- Enhancing Employee Performance Through Monetary Incentives
- Outsourcing Human Resources in Beverage and Food Firms
- Role of E-Commerce in Reducing Operational Cost
- Reducing Unemployment Through a Co-Operative Movement
BEd Commerce Books In Hindi
बी.एड कॉमर्स की किताबें कई लेखकों और प्रकाशनों द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से उपलब्ध हैं। संदर्भ पुस्तकें अवधारणाओं की बेहतर समझ के लिए हैं और पीडीएफ प्रारूप में ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। बी.एड कॉमर्स के लिए कुछ बेहतरीन संदर्भ पुस्तकें हैं:
Name of the Books | Authors |
Adult Education: Policy and Performance | I.Ramabrahmam |
Essentials of Educational Technologies and Management | Dr.C.S.shukla |
Modern School Administration and Management | Dr. R.N.Safaya |
Guidance and Counselling | Meenakshisundaram |
1. What are the subjects in B Ed in Commerce?
बी. एड कॉमर्स दो साल की स्नातक डिग्री है जो उम्मीदवारों को कुशल शिक्षकों में बदल देती है। वाणिज्य पाठ्यक्रम के लिए बी एड विषयों में व्यवसाय अध्ययन, लेखा, अर्थशास्त्र, शारीरिक शिक्षा, अंग्रेजी, और बहुत कुछ शामिल हैं।
2. Can a Commerce student take B Ed?
बी. एड कॉमर्स में प्रवेश के इच्छुक उम्मीदवारों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्होंने कॉमर्स संदर्भ न्यूनतम 45-50% अंकों के साथ बी.कॉम की डिग्री उत्तीर्ण की हो। यदि उम्मीदवारों के पास बी.कॉम की डिग्री नहीं थी, और फिर भी वे कॉमर्स में बी.एड करना चाहते हैं, तो उन्हें ध्यान देना चाहिए कि उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम में कक्षा 12 वीं पास की हो।
3. How can I become a Commerce teacher?
आप बी.एड के आधार पर पढ़ाना शुरू कर सकते हैं। बाद में जूनियर कॉमर्स कॉलेजों में। यदि आप सीनियर और पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों में पढ़ाना चाहते हैं और प्रोफेसर या लेक्चरर बनना चाहते हैं, तो आपको अपनी मास्टर्स डिग्री के विषय में यूजीसी द्वारा आयोजित नेट/सेट परीक्षा देनी होगी।
4. What subjects can a commerce teacher teach?
तकनीकी रूप से आप टीचिंग ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स के लिए जा सकते हैं। लेकिन स्नातक में आपके विषयों के आधार पर वाणिज्य और अंग्रेजी का संयोजन भी उपलब्ध है।
5. Can a commerce student become a English teacher?
माध्यमिक या उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अंग्रेजी शिक्षक बनने के लिए अंग्रेजी में एमए और फिर बी.एड होना चाहिए। लेकिन आपके मामले में आप प्राथमिक शिक्षक के रूप में शुरुआत कर सकते हैं, क्योंकि स्नातक तक अंग्रेजी आपके लिए एक विषय होना चाहिए। नौकरी के दौरान आपको डिस्टेंस मोड में अंग्रेजी में मास्टर्स करना चाहिए .
6. Can we do B Ed after BBA?
हां, बीबीए के छात्र बी.एड कोर्स करने के पात्र हैं। किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन के लिए जरूरी बेसिक क्वालिफिकेशन है। आवेदक ने किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से न्यूनतम 50% अंकों के साथ स्नातक किया हो और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए 5% छूट दी गई हो।
जलवायु परिवर्तन को रोकने में कमजोर पड़ रही हैं अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट सहित छह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां
नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों ने महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। अपने उत्पाद और खाद्य सामग्री को उपभोक्ता तक सीधे पहुंचाने के लिए इनके डिलिवरी वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई, विशेषकर टियर-1 और टियर-.2 शहरों में। हाल ही में जारी एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार ई कामर्स में इस वृद्धि के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, वायु प्रदूषण और सड़कों पर भीड़भाड़ में वृद्धि हुई है।
ये निष्कर्ष हाल में ही संपन्न हुए इंटरनेशनल कान्फ्रेन्स ऑन क्लाइमेट चेन्ज (कॉप26) के संदर्भ में और महत्वपूर्ण हो जाते हैं जहां भारत ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने का वादा किया है।
डच शोध संस्था द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन मल्टीनेशनल कॉरपोरेशन. स्टिचिंग ओन्डरज़ोएक मल्टीनेशनेल ओन्डर्नमिंगन (सोमो) की एक रिपोर्ट पैकेट डिलिवरी से गरमाती धरती को स्टैण्ड अर्थ और असर ने कमीशन किया है।
अर्बन मूवमेंट इनोवेशन यूएमआई द्वारा वित्तपोषित इस शोध में छह सबसे बड़ी ई कॉमर्स और लॉजिस्टिक कंपनियों को शामिल किया गया था। ये कंपनियां हैं, अमेजॉन, वालमार्ट, फ्लिपकार्ट, यूपीएस, डीएचएल और फेडएक्स। इन कंपनियों पर शोध से स्पष्ट प्रमाण मिला है कि ये सभी कंपनियां वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री तक कम करने में सहयोग करने से पूरी तरह विफल साबित हुई हैं। ये कंपनिया आगे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए क्या उपाय करने जा रही हैं इसका भी खाका प्रस्तुत करने में असफल रहीं हैं।
शोध के मुताबिक ऐसे समय में जब सभी कंपनियों तथा स्थापित ब्रांड द्वारा वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस कम करने के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में निर्णायक कार्य करना है तब ऐसे में सर्वेक्षण में शामिल कोई भी ई कॉमर्स कंपनी शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में जमीन पर कोई भी ठोस कार्य नहीं कर रही है। वालमार्ट इकलौती ऐसी कंपनी है जिसने अपने सभी प्रकार के कार्य संपादन में 2040 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
इस संबंध में सोमो के शोधकर्ता इलोना हर्टलिफ कहती हैं, “ज्यादातर कंपनियों ने अब जाकर इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा तैयार करना शुरू किया है। कंपनियों को समझना है कि अगर तय समय में शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना है तो उनको ये प्रयास तेज गति से करना होगा”।
अध्ययन में कहा गया है कि केवल फ्लिपकार्ट ने 2030 तक और फेडएक्स ने 2040 तक आखिरी बिन्दु तक वितरण वाहनों को बैटरी चालित वाहनों में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है, जबकि डीएचएल ने अपने कॉमर्स संदर्भ 60 प्रतिशत वाहनों को ई वाहन में परिवर्तित करने का संकल्प किया है। अमेजन ने जहां 2040 तक सभी आखिरी बिन्दु तक वितरण करनेवाले वाहनों को ई वाहन में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है तो यूपीएस ने इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।
अध्ययन में पाया गया कि फ्लिपकार्ट और अमेजन ने ये जरूर वादा किया है कि 2021 के अंत तक वो अपने आखिरी वितरण बिन्दु तक क्रमशः 2000 और 1800 वाहनों को ई वाहनों में परिवर्तित कर देंगे लेकिन ई वाहनों के बारे में कंपनी के भीतर संपूर्ण परिदृश्य को लेकर इनकी ओर से कुछ नहीं कहा गया है। वालमार्ट की ओर से अभी केवल पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है और वर्तमान समय में उनके द्वारा कितने ई वाहनों का उपयोग किया जा रहा है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
गंगा तराई के क्षेत्र और लगभग समूचा उत्तर भारत इस समय जैसे वायु प्रदूषण का सामना कर रहा है या फिर दक्षिण के राज्यों में जिस तरह से अचानक बेमौसम बाढ आयी है या फिर भारत के कई शहरों में जिस तरह से बेमौसम बरसात हुई है उसे देखकर लगता है कि जलवायु परिवर्तन का असर दिखना शुरू हो गया है। मौसम में हो रहे इन असामयिक कॉमर्स संदर्भ परिवर्तनों को देखते हुए कार्बन उत्सर्जन को करने के लिए तय लक्ष्यों के प्रति गंभीरता से कार्य करने की सख्त जरूरत है।
अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि अगर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना है तो शहरों में तेजी से ई वाहनों के इस्तेमाल को बढावा दिया जाना चाहिए ताकि कम समय में ज्यादा से ज्यादा ई वाहनों को सड़क पर उतारा जा सके। इसमें लॉस एंजेल्स, लंदन और दिल्ली जैसे शहरों पर विशेष तौर पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
अध्ययन में दिल्ली के बारे में विशेष तौर पर कहा गया है कि जनसंख्या के मामले में दिल्ली विश्व में तेजी से विकसित होता शहर है लेकिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता दुनिया के शहरों में सबसे खराब है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता को खराब करने में वाहनों का बड़ा हिस्सा है। दिल्ली के प्रदूषण में 38 प्रतिशत योगदान मोटर वाहन का है जिसमें ट्रक, ऑटोरिक्शा, दो पहिया वाहन, कार सभी शामिल हैं।
अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली जैसे शहरों में जहां पहले ही वाहनों की भारी भीड़ है अगर वहां ई कामर्स और अंतिम बिन्दु तक माल डिलिवरी करनेवाली कंपनियों की गतिविधियां बढती हैं तो इससे इन शहरों की समस्याएं और जटिल हो जाएगीं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक बढते ई कॉमर्स परिवहन से इन शहरों में सड़कों पर भीड़ भाड़ और स्थानीय प्रदूषण बढेगा जिसका सीधा असर जलवायु परिवर्तन पर होगा।
दिल्ली के साथ ही बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे भारत के बड़े कॉमर्स संदर्भ शहरों में भी अमेजन और फ्लिपकार्ट का ई कामर्स व्यापार बढ रहा है। दुर्भाग्य से इन सभी शहरों की वायु गुणवत्ता पहले से ही खराब स्थिति में है। डीजल पेट्रोल आधारित वाहनों के जरिए ई कॉमर्स की बढती गतिविधि से इन शहरों की वायु गुणवत्ता और खराब ही होगी।
इस बारे में ‘असर’ से जुड़े सिद्धार्थ श्रीनिवास कहते हैं कि शहरों के स्थानीय निकाय और राज्य सरकारों को चाहिए की वो वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए निरंतर प्रयासरत रहें। इसके लिए वो विभिन्न हितधारकों जैसे उपभोक्ता समूहों, नागरिक समूहों और वितरण कंपनियों को शामिल करके नीति और नियम बना सकते हैं ताकि ई कामर्स कंपनियों के जरिए होने वाले वितरण में शून्य कार्बन उत्सर्जन सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही कंपनियों को अपने वितरण व्यवस्था को भी पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। सिद्धार्थ श्रीनिवास का कहना है कि आर्थिक और उर्जा सुरक्षा को प्राप्त करने के साथ-साथ ऐसे उपाय इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को भी व्यापक स्तर पर लाभ पहुंचाएंगे।
अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, डीएचएल, यूपीएस जैसी बड़ी ई कामर्स कंपनियों ने अगले पांच से दस साल में व्यापक स्तर पर ई वाहन खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अध्ययन में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि जिस तरह से वर्तमान में इन ई कामर्स कंपनियों द्वारा बहुत सीमित मात्रा में ई वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे देखते हुए इन कंपनियों को तेजी से ई वाहनों के प्रयोग को बढावा दिया जाना चाहिए। भविष्य में जिस तरह से ई कामर्स की बढत की संभावना जताई जा रही है, उसे देखते हुए इन छह कंपनियों द्वारा ई वाहनों के इस्तेमाल को भी बढावा दिये जाने की जरूरत है।
नेचुरल रिसोर्स डिफेन्स प्रोग्राम, इंडिया के सलाहकार और एयर क्वालिटी एण्ड क्लाइमेट रिलायंस के प्रमुख पोलाश मुखर्जी का कहना है कि आईसीई सहयोगियों के साथ टीसीओ समानता को देखते हुए आखिरी केन्द्र तक सामान वितरण के लिए ई वाहनों का इस्तेमाल जरूरी है। भारतीय शहरों में हवा की खराब गुणवत्ता को देखते हुए ये जरूरी है कि ई कॉमर्स और वितरण कंपनियां कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए ई वाहनों का तत्काल इस्तेमाल शुरू कर दें। ये रिपोर्ट हमें बताती है कि हमें महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने होंगे और उन लक्ष्यों के प्रति पारदर्शिता से तत्काल काम करना होगा।
इन्वॉयरनिक्स ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी श्रीधर राममूर्ति का कहना है कि पार्सल वितरण कंपनियों के व्यापार में कोविड काल में असाधारण वृद्धि हुई है। यह पहले ही कार्बन उत्सर्जन में चिंताजनक बढ़ोत्तरी कर चुका है जिसे कम करना मुश्किल है। ऐसे में ई वाहनों और ग्रीन वाहनों के जरिए पार्सल तथा पैकेट वितरण कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जरूरी है। शहरी जनसंख्या के द्वारा जिस तरह से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है उसे कम करने के लिए ई कामर्स कंपनियों को ग्रीन परिवहन को अपनाना ही होगा। इस लिहाज से सोमो रिपोर्ट कंपनियों और नागरिक समाज के लिए एक सराहनीय प्रयास है।