स्थिर मुद्रा के प्रकार

Types of Exchange Rate | विदेशी विनिमय दरों के प्रकार कितने हैं ?
< 1 >हाजिर अथवा तत्काल विनिमय दर तथा अग्रिम विनिमय दर [ Spot Exchange Rate and Forward Exchange Rate ] :- हाजिर अथवा तत्काल विनिमय दर ( Spot Exchange Rate ) से अभिप्राय: उस विनिमय दर से है जो वर्तमान में उदृत की जाती है स्थिर मुद्रा के प्रकार और उस दर पर उसी समय विदेशी सौदा सम्पादित हो जाता है । विदेशी ( विनिमय क्रेता को हाजिर दर पर विदेशी विनिमय विक्रेता विदेशी विनिमय की सुपुर्दगी करता है ।
अग्रिम विनिमय दर ( Forward Exchange Rate ) से आशय उस विनिमय दर से है जो भविष्य की किसी निश्चित तिथि के लिये वर्तमान में तय की जाती है । यद्यपि अग्रिम विनिमय दर वर्तमान से तय कर ली जाती है किन्तु अग्रिम का सौदा भविष्य की किसी निश्चित तिथि पर पूरा होता है । अग्रिम विनिमय दर पर सौदा भविष्य में विनिमय दर में अनिश्चितता को दूर करने के उद्देश्य से किया जाता है ।
अनुकूल विनिमय दर ( Favorable Exchange Rate ) से अभिप्राय उस दर से है जब देश की एक मुद्रा इकाई से पहले के मुकाबले अधिक विदेशी मुद्रा इकाइयाँ खरीदी जा सकें । उदाहरणार्थ भारत के 1 ₹ = स्थिर मुद्रा के प्रकार जापानी मुद्रा येन की 25 इकाइयाँ मिलती या अब अगर 1 ₹ = 27 येन हो जाय जो इसे अनुकूल विनिमय दर कहा जाता है । इस प्रकार अनुकूल विनिमय दर के अंतर्गत स्वदेशी मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के रूप में बढ़ जाता है ।
प्रतिकूल कुल विनिमय दर ( Unfavorable Exchange Rate ) से तात्पर्य स्वदेशी मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के रूप में घट जाने से है अर्थात देश की मुद्रा की एक इकाई के बदले विदेशी मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है उदाहरणार्थ अगर पहले भारत का एक रुपया = 26 येन था और अब भारत का एक रुपया = 24 येन रह जाय तो यह भारत के लिये प्रतिकूल विनिमय दर कही जायेगी ।
< 3 >क्रय एवं विक्रय विनिमय दरें [ Purchaging and Selling Exchange Rates ] :- विदेशी विनिमय बाजारों में विदेशी मुद्राओं का क्रय विक्रय देश के अधिकृत बैंकों/विदेशी विनिमय बैंकों द्वारा किया जाता है । ये बैंक विदेशी विनिमय के व्यवसाय में विदेशी मुद्रा खरीदने और बेचने की अलग-अलग दरें रखते हैं और उनमें अन्तर उनका लाभ होता है ।
क्रय विनिमय दर ( Purchasing Exchange Rate ) यह वह दर है जिस दर पर बैंक/विदेशी विनिमय बैंक विदेशी मुद्रा क्रय/खरीद करते हैं ।
विक्रय विनिमय दर ( Selling Exchange Rate ) से अभिप्रायः उस दर से है जिस दर पर बैंक विदेशी मुद्रा बेचते अथवा विक्रय करते है ।
बैंक सस्ती दर पर विदेशी मुद्रा क्रय करते है और अपेक्षाकृत महँगी विनिमय दर पर विदेशी मुद्रा बेचते है । उदाहरणार्थ क्रय विनिमय दर 60 ₹ = 1 डॉलर, जबकि विक्रय दर 62 ₹ = 1 डॉलर ।
< 4 >अधिकृत एवं अनाधिकृत विनिमय दरें [ Official and Unofficial Exchange Rates ] :- विदेशी विनिमय के सौदे सरकार द्वारा घोषित अधिकृत दर के अलावा अगर अन्य दरों पर भी हो सकते हैं अतः ये दरें अलग-अलग हो सकती है ।
अधिकृत विनिमय दर ( Official Exchange Rate ) वह दर है जो सरकार द्वारा विदेशी विनिमय सौदों के लिये घोषित की जाती है यह सरकार द्वारा घोषित अधिकृत विनिमय दर होती है ।
गैर-अधिकृत अथवा अनाधिकृत विनिमय दर ( Unofficial Exchange Rate ) से अभिप्रायः उस दर से हैं जो सरकार द्वारा घोषित अधिकृत दर से प्रायः भिन्न होती है ।
< 5 >वास्तविक एवं सामान्य विनिमय दरें [ Actual and Normal Exchange Rates ] :- अल्पकाल और दीर्घकाल में विनिमय दरों से प्रायः अन्तर पाया जाता है किन्तु अल्पकाल की विनिमय दर दीर्घकालीन विनिमय दर से इर्द-गिर्द चक्कर काटती है ।
वास्तविक विनिमय दर ( Actual Exchange Rate ) वह दर है जो बाजार में प्रतिदिन विदेशी मुद्रा की माँग एवं पूर्ति की सापेक्षित शक्तियों के साम्य से निर्धारित होती है अतः इस दर को बाजार दर भी कहते हैं उदाहरणार्थ अगर आज के दिन विदेशी मुद्रा की विनिमय दर 1 डॉलर = 60 ₹ होता है तो यह बाजार की वास्तविक विनिमय दर है । इसमें प्रतिदिन उतार-चढ़ाव हो सकते हैं । उदाहरणार्थ वास्तविक विनिमय दर 1 डॉलर = 60.50 ₹, 60.80 ₹, 59.50 ₹, 59.20 ₹ ।
सामान्य विनिमय दर ( Normal Exchange Rate ) वह दर है जो विदेशी विनिमय बाजार में दीर्घकाल में विदेशी मुद्रा की माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के साम्य से निर्धारित होती है । सामान्य विनिमय दर प्रायः स्थिर रहती है और वास्तविक विनिमय दर उसके इर्द-गिर्द चक्कर काटती है । उदाहरणार्थ सामान्य विनिमय दर 1 डॉलर = 60 ₹ ।
< 6 >प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष विनिमय दरें [ Direct and Indirect Exchange Rates ] :- विदेशी विनिमय बाजार में देश के लिये विनिमय दरों को व्यक्त करने की ये दो पद्धतियाँ है ।
प्रत्यक्ष विनिमय दर ( Direct Exchange Rate ) विदेशी विनिमय बाजार में जब विदेशी मुद्रा की एक इकाई का मूल्य देश की मुद्रा की इकाइयों में व्यक्त किया जाता है तो यह प्रत्यक्ष विनिमय दर है । उदाहरणार्थ 1 डॉलर = 60 ₹ ।
अप्रत्यक्ष विनिमय दर ( Indirect Exchange Rate ) जब विदेशी विनिमय बाजार में देश की मुद्रा की एक इकाई का मूल्य विदेशी मुद्रा के रूप में व्यक्त किया जाता है तो यह अप्रत्यक्ष विनिमय दर कहते हैं उदाहरणार्थ भारत का 1 ₹ = 10 अमेरिकी सेन्ट ।
एकल विनिमय दर ( Single Exchange Rate ) से अभिप्राय उस दर से है जो सरकार द्वारा किसी देश की मुद्रा के लिये निर्धारित एक ही दर होता है । विदेशी विनिमय के सौदे के लिये यहाँ एक दर होती है उसके अलावा कोई अन्य दर नहीं होती है ।
बहु-विनिमय दर ( Multiple Exchange Rate ) से तात्पर्य उन विभिन्न विनिमय दरों से हैं जो सरकार द्वारा विशिष्ट परिस्थितियों में किसी देश की मुद्रा के बदले दो या उससे अधिक दरे निर्धारित करती है उदाहरणार्थ एक देश की सरकार अगर निर्यात के लिये एक विनिमय दर निर्धारित करती और आयतों के लिये दूसरी विनिमय दर निर्धारित करती है तो यह व्यवस्था बहु-विनिमय दर की सूचक है ।
< 8 >स्थिर एवं परिवर्तनशील विनिमय दरें [ Fixed and स्थिर मुद्रा के प्रकार Flexible Exchange Rates ] :- आजकल स्थिर एवं परिवर्तनशील विनिमय दरों की बड़ी चर्चा है । कुछ विद्धान अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में स्थिर विनिमय दर को श्रेष्ठ मानते है स्थिर मुद्रा के प्रकार जबकि आज का युग परिवर्तनशील विनिमय दरों को श्रेष्ठ मानता है ।
स्थिर विनिमय दर ( Fixed Exchange Rate ) - जब किसी देश की मुद्रा का मूल्य अनुपात किसी दूसरे देश की मुद्रा के मूल्य से एक निश्चित अवधि तक स्थिर रहता है तो उसे स्थिर विनिमय दर कहा जाता है । दूसरे शब्दों में जब किसी देश द्वारा अपनी मुद्रा का मूल्य अनुपात किसी दूसरे देश की मुद्रा के मूल्य के साथ एक पूर्व निर्धारित समय तक स्थायी रखा जाता है । अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा स्थिर विनिमय दर की व्यवस्था लागू की गई थी ।
परिवर्तनशील विनिमय दर ( Flexible Rate of Exchange ) - से अभिप्रायः उस विनिमय दर से है जिसमें देश की मुद्रा का मूल्य अनुपात दूसरे देश की मुद्रा के साथ स्थिर नहीं रहती बल्कि देश की आर्थिक परिस्थितियों और विदेशी मुद्रा की माँग एवं पूर्ति के परिवर्तन के साथ-साथ बदलता रहता है । इसमें मुद्रा का मूल्य अनुपात दूसरी मुद्रा के मूल्य से घटता-बढ़ता रहता है ।
Crypto Currency: क्रिप्टो करेंसी क्या है, इसे कहां से खरीदें?
Crypto currency: आप अपनी मर्जी से किसी भी क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर सकते हैं, मगर निवेश करने से पहले उस डिजिटल करेंसी की हिस्ट्री, मौजूदा कीमत और पिछले कुछ महीनों में आए उतार-चढ़ाव के बारे में आवश्यक जानकारी हासिल करें ताकि निवेश से पहले आप उससे जुड़े हर प्रकार के जोखिम को भली-भांति समझ सकें
Crypto Currency पर ज्यादा रिटर्न मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए है, ऐसे में निवेशकों को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है
- क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क पर आधारित स्थिर मुद्रा के प्रकार डिजिटल मुद्रा है, जिसका डिस्ट्रीब्यूशन कंप्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है.
- कंप्यूटर नेटवर्क और ब्लॉकचेन पर आधारित यह विकेंद्रीकृत संरचना क्रिप्टो करेंसी स्थिर मुद्रा के प्रकार को सरकारों और किसी भी वित्तीय नियंत्रण से बाहर रखती है.
- क्रिप्टो करेंसी के बारे वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लॉकचेन पर आधारित इस तकनीक के कारण दुनिया भर में फाइनेंशियल और कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी.
- क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अन्य परंपरागत मुद्राओं के मुकाबले में बेहद सस्ता और तेज मनी ट्रांसफर है.
- क्रिप्टो करेंसी का सिस्टम डिसेंट्रलाइज होने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी एक जगह से इस मुद्रा पर नेगेटिव असर नहीं होगा.
- क्रिप्टो करेंसी की कुछ मुश्किलें भी हैं, जिनमें कीमत में होने वाला उतार-चढ़ाव, माइनिंग के लिए ऊर्जा की ज्यादा खपत और इसका आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल है.
ब्लॉकचेन की इसी खूबी की वजह से क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन के लिये एक भरोसेमंद थर्ड पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इस तरह से देखें तो ब्लॉकचेन एक टेक्नोलॉजी है जिसका लाभ आने वाले समय में वित्तीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा होगा. उम्मीद की जा रही है कि ब्लॉकचेन की मदद से आने वाले समय में लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी. इससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी लेन-देन से भी छुटकारा मिलेगा.
क्रिप्टो करेंसी कितने प्रकार की होती है?
मौजूदा समय में क्रिप्टो करेंसी के बहुत सारे रूप हैं। यहां पर हम कुछ लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी की चर्चा कर रहे हैं. बिटकॉइन (Bitcoin) को दुनिया की सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी माना जाता है. इसे सातोशी नाकामोतो ने 2009 में बनाया था. यह एक डि-सेंट्रलाइज़ करेंसी है, यानी कि इस पर किसी सरकार स्थिर मुद्रा के प्रकार या संस्था का नियंत्रण नहीं है. कीमत में लगातार होने बढ़ोतरी की वजह से लोगों में इस मुद्रा के प्रति बहुत आकर्षण है.
इथेरियम (Ethereum) भी एक ओपन सोर्स, डी-सेंट्रलाइज्ड और ब्लॉकचेन पर आधारित डिजिटल करेंसी है. इसके संस्थापक का नाम है Vitalik Buterin. इसके क्रिप्टो करेंसी टोकन को ‘Ether’ भी कहा जाता है. बिटकॉइन के बाद ये दूसरी सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टो करेंसी है.
लाइटकॉइन (Litecoin) भी एक डिसेंट्रलाइज तकनीक से उपजी डिजिटल मुद्रा है, जिसे एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार किया गया है. इसके संस्थापक चार्ल्स ली (Charles Lee) हैं जो गूगल में काम कर चुके हैं. इसके बहुत सारे फीचर Bitcoin से मिलते-जुलते हैं.
डॉग कॉइन (Dogecoin) बनने की कहानी काफी रोचक है. बिटकॉइन का मजाक उड़ाने के लिए कुत्ते से उसकी तुलना की गई, जिसने आगे चलकर एक Cryptocurrency का रूप ले लिया. डॉग कॉइन के संस्थापक का नाम है बिली मार्कुस (Billy Markus). इन दिनों इस करेंसी की मार्केट वैल्यू बहुत अच्छी है.
टीथर (Tether) एक बड़ी और स्थिर मुद्रा है. यह क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक है.
क्रिप्टो करेंसी कैसे और कहां से खरीदें?
हमें उम्मीद है कि ईटी हिंदी के इस लेख से आपको क्रिप्टो करेंसी के बारे में बुनियादी जानकारी मिल गई होगी. अगर आप क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना चाहते हैं तो एक डिजिटल करेंसी होने की वजह से आपको ऑनलाइन ही इसमें निवेश करना होगा. ऐसे बहुत सारे प्लेटफॉर्म हैं जहां पर जाकर आप क्रिप्टो करेंसी की मौजूदा कीमत का पता लगा सकते हैं और उसे खरीद या बेच सकते हैं.
कुछ प्रमुख क्रिप्टो करेंसी खरीदने बेचने वाली ऑनलाइन वेबसाइट के बारे में हम आगे बता रहे हैं. इन सभी वेबसाइट पर आप अपना अकाउंट बनाकर क्रिप्टो करेंसी खरीद या बेच सकते हैं. इनमें से कुछ ने अपना मोबाइल ऐप भी लॉंच कर रखा है, जिसे इंस्टॉल करके आप अपने मोबाइल से भी क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर सकते हैं.
1. कॉइनस्विच (CoinSwitch)
2. वजीरएक्स (Wazirx)
3. यूनोकॉइन (Unocoin)
4. जेबपे (Zebpay)
5. कॉइनबॉक्स (Coinbox)
6. बीटीसीएक्सइंडिया (BTCxIndia)
7. लोकलबिटकॉइन (LocalBitcoin)
क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) खरीदने से पहले जरूरी एहतियात
ध्यान रखें अगर आप किसी ऐप के जरिये क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर रहे है तो इस बात की पड़ताल अवश्य कर लें कि जिस ऐप में आप निवेश कर रहे है वह सुरक्षित है या नहीं. इसकी एक वजह यह है कि हैकर्स मिलते-जुलते नामों वाली बहुत से स्पैमिंग वाले ऐप भी बना देते हैं, जिनकी वजह से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आप अपनी मर्जी से किसी भी क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर सकते हैं, मगर निवेश करने से पहले उस डिजिटल करेंसी की हिस्ट्री, मौजूदा कीमत और पिछले कुछ महीनों में आए उतार-चढ़ाव स्थिर मुद्रा के प्रकार के बारे में आवश्यक जानकारी हासिल करें ताकि निवेश से पहले आप उससे जुड़े हर प्रकार के जोखिम को भली-भांति समझ सकें.
क्रिप्टो करेंसी पर भारत सरकार की कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं है, ऐसी स्थिति में वित्तीय जोखिम आपको ही लेना होगा. इसलिए बेहतर होगा कि आप निवेश से पहले इसके जोखिम का मूल्यांकन कर लें और उसी के अनुसार निवेश करें.
क्रिप्टो करेंसी पर ज्यादा रिटर्न मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए है, ऐसे में निवेशकों को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है. क्रिप्टो करेंसी और क्रिप्टो एक्सचेंज का संचालन कौन कर रहा है, इस बारे में भी जानकारी हासिल करें. सोशल मीडिया और ऑनलाइन ओपिनियन व रिव्यू के माध्यम से विश्वसनीयता परखी जा सकती है.
इस बात का ध्यान रखें कि अपने पोर्टफोलियो में क्रिप्टो करेंसी की हिस्सेदारी सीमित ही रखें. यह भी समझते और सीखते रहें कि किन फैक्टर का क्रिप्टो करेंसी की कीमतों पर असर पड़ता है.
स्थिर मुद्रा के प्रकार
Please Enter a Question First
अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और .
Solution : अतिरिक्त मुद्रा वाले लोग अपना अतिरिक्त धन बैंकों में जमा करवा देते हैं जहाँ से उन्हें ब्याज मिलता है और धन भी सुरक्षित रहता है। बैंक जमा राशि का 15 प्रतिशत अपने पास नकद रखते हैं और शेष राशि को ऋण देने के लिए प्रयोग करते हैं। जरूतरमंद व्यक्ति बैंकों से उधार लेते हैं। बैंक जमाकर्ता को जो स्थिर मुद्रा के प्रकार ब्याज देता है उधार देने वालों से उससे अधिक ब्याज लेता है। ब्याज में अंतर बैंक की आय का प्रमुख स्रोत होता है। इस प्रकार बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता करता है।
लचीली और स्थिर विनिमय दर प्रणाली के मध्य अंतर
किसी मुद्रा का अन्य मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य ‘विनिमय दर’ के रूप में वर्णित किया जाता है। सामान्यतया विनिमय दर को निर्धारित करने के लिए दो प्रकार की व्यवस्थाएं- स्थिर विनिमय दर प्रणाली और लचीली विनिमय दर प्रणाली अपनायी जाती हैं।
दोनों के मध्य अंतर
- स्थिर विनिमय दर मुद्रा की ऐसी विनिमय दर होती है जो किसी निश्चित स्तर पर अमेरिकी डॉलर या स्वर्ण जैसे कुछ मानदंडों स्थिर मुद्रा के प्रकार के आधार पर निर्धारित की जाती है और यह कभी-कभी ही समायोजित की जाती है। जबकि लचीली (Flexible/floating) विनिमय दर ऐसी विनिमय दर होती है, जिसे विदेशी मुद्रा बाजार में मांग और आपूर्ति कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- स्थिर दर सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है और उसे उसी स्तर पर बनाए रखा जाता है। परन्तु लचीली प्रणाली में केंद्रीय बैंक विनिमय दर के स्तर को प्रत्यक्षत: प्रभावित करने हेतु कोई उपाय नहीं करते हैं।
- स्थिर विनिमय दर व्यवस्था में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव की संभावना कम होती है तथा सामान्यतः यह सरकारी नीति में परिवर्तन पर निर्भर करती है, जबकि लचीली विनिमय दर व्यवस्था के तहत मुद्रा, अस्थिरता एवं उच्च उतार-चढ़ाव के प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं, क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन की बाजार परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
- स्थिर व्यवस्था में विनिमय दर में परिवर्तन को अवमूल्यन या पुनर्मूल्यन (revaluation) के रूप में जाना जाता है जबकि लचीली व्यवस्था में इसे मूल्यह्रास या मूल्यवृद्धि के रूप में वर्णित किया जाता है।
एक लचीली विनिमय दर प्रणाली के तहत विनिमय दर का निर्धारण:
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के मॉडल के उदाहरण से एक लचीली विनिमय दर प्रणाली में विनिमय दर की निर्धारण प्रक्रिया को समझा जा सकता है:
विनिमय दर से क्या अभिप्राय है? ये कितने प्रकार की होती हैं
विनिमय दर से अभिप्राय है, विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं का मूल्य के आधार पर आपसी संबंध। यह मूल्य निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा के लिए किया जाता है। विनिमय दर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं-स्थिर विनिमय दर स्थिर मुद्रा के प्रकार तथा परिवर्तनशील विनिमय दर। स्थिर विनिमय दरः जब विनिमय दर स्थिर होती है और उसमें आने वाले उतार-चढ़ावों को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को हस्तक्षेप करना पड़ता है, तो उसे स्थिर विनिमय दर कहा जाता है। लचीली या परिवर्तनशील विनिमय दर: इस प्रकार की विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाज़ार में घटती-बढ़ती रहती है। इसमें विभिन्न मुद्राओं की माँग या पूर्ति के आधार पर उतार-चढ़ाव आते हैं। इसमें सरकारों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।
अर्थशास्त्र से संबंधित प्रश्न उत्तर
3 . आय तथा उपभोग व्यय के बीच कार्यात्मक सम्बन्ध को निम्नलिखित में से किसके द्वारा स्पष्ट किया जाता है?
(a) निविष्ट पूँजी पर प्रतिफल की दर द्वारा
(b) केंद्र सरकार द्वारा
(c) तरलता अधिमान द्वारा
(d) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा
(a) उसका प्रति इकाई उत्पादन लागत
(b) उत्पादन की प्रति इकाई में निविष्ट पूँजी की राशि
(c) पूँजी का मूल्यह्रास तथा उत्पादन की मात्रा का अनुपात
(d) लगी हुई कार्यशील पूँजी तथा उत्पादन की मात्रा का अनुपात
(a) कीमतों में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप खपत की स्थिर मुद्रा के प्रकार कमी
(b) व्यक्तिगत आय और धन पर कर
(c) आयकर दाताओं पर थोपे गए अनिवार्य निक्षेप (जमा)
(d) निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के भविष्य निधि में अभिदान
11. व्यावसायिक समस्याओं में इष्टतम समाधान खोजने के लिए सभी विकल्पों का मूल्यांकन करना एक अंत:शास्त्रीय गतिविधि है। इसे निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है?