चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर

- वेरीसाइन द्वारा डिजिटल प्रमाणपत्र
- साथ ही, संवेदनशील जानकारी दर्ज कराने से पूर्व यह सुनिश्चित करने के लिए कि साइट सुरक्षित मोड में चल रही है या नहीं, इंटरनेट बैंकिंग लॉगऑन स्क्रीन के ब्राउजर के निचले बार पर पैडलॉक प्रतीक देखें. लॉक पर क्लिक करने पर आपको साइट पर प्रमाणीकृत करने वाले वेरीसाइन प्रमाणपत्र दिख जाएगा. कृपया इंटरनेट बैंकिंग करते समय प्रत्येक बार इसकी जांच करें.
- लेनदेन करने के बाद प्रत्येक बार लॉग ऑफ करें. सीधे ब्राउज़र को बंद न करें.
- साइबर कैफे या साझा कंप्यूटर पर ऑनलाइन बैंकिंग करने से बचें. यदि आप इससे नहीं बच सकते हैं तो, कृपया अपने पर्सनल कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करने के पहले अपना पासवर्ड बादल लें.
- अपने पासवर्ड की चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर निगरानी करने के लिए नियमित रुप से अपने मॉनिटर पर लॉगइन करें और अपने पिछले लेनदेनों का सत्यापन करें. उसके बाद, लॉगिन करते समय, अपने अंतिम लॉग की तिथि और समय का सत्यापन अवश्य करें.
- अपने पीसी को ऑपरेटिंग सिस्टम और ब्राउज़र पैच के साथ अद्यतन बनाए रखें.
- सुनिश्चित करें कि आपके पीसी में अद्यतन एंटी वायरस लोडेड हो.
- एंटी स्पाई वेयर विंडोज डिफेंडर का प्रयोग करे.
- विंडोज़ XP में उपलब्ध व्यक्तिगत फायरवॉल का प्रयोग करें.
- अपने पासवर्डों को गोपनीय रखें. ऐसे पासवर्ड का प्रयोग न करें जिसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता हो जैसे कि आपका नाम, स्थान, जन्मदिन आदि. जिसमें #, $, %, * आदि जैसे विशेष चिन्ह का भी प्रयोग करें
- अपने पासवर्ड को नियमित रुप से परिवर्तित करें.
- कभी एक ऐसे ई-मेल इनपुट फील्ड न भरें जिसमें आपसे आपके संवेदनशील डाटा के बारे में जानकारी मांगी गयी हो जैसे कि यूज़र आईडी, पासवर्ड, पिन, एटीएम और खाता संख्या आदि की जानकारी.
- प्रत्येक सत्र के बाद अपनी ब्राउजर कैशे और इतिहास को मिटाएं जिससे कि आपके खाते की जानकारी हट जाए, खासतौर पर जब आप साझा कंप्यूटर का प्रयोग कर रहे हों.
- उस इंटरनेट ब्राउज़र का प्रयोग करें जो 128-बिट इंक्रिप्शन समर्थित हो.
- यदि आप इंटरनेट एक्सप्लोरर का प्रयोग करते हैं तो, निम्न प्रकार से ऑटो कम्पलीट निष्क्रिय कर अपने ब्राउजर का इस प्रकार रचना-विन्यास करें जिससे कि वह पासवर्ड याद न रख सके:
- अपने इंटरनेट एक्सप्लोरर खोलें और टूल्स>> इंटरनेट ऑप्शंस>> कंटेंट पर क्लिक करें
- “व्यक्तिगत जानकारी” के अंतर्गत, “ऑटो कम्पलीट” पर क्लिक करें।
- फॉर्म पर “यूज़र नाम और पासवर्ड” को अनचेक करें और “पासवर्ड हटाएं” पर क्लिक करें।
- “ओ.के” पर क्लिक करें
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप यूनियन बैंक की प्रमाणिक वेबसाइट खोलने जा रहे हैं, उसके लिए आपको अपने ब्राउज़र के एड्रेस बार में वेबसाइट का पूरा पता टाइप करना चाहिए, न कि मेल या तृतीय पक्ष की वेबसाइट में दिए गए लिंक पर क्लिक करना चाहिए, शीघ्र और सुरक्षित पहुंच के लिए आप यूआरएल को फेवरिट सूची में भी जोड़ सकते हैं.
- पॉप अप विंडोज़, जो आपकी गोपनीय जानकारी जैसे कि खाता संख्या, पिन, पासवर्ड आदि के बारे में पूछे, उनसे सावधान रहें. यूनियन बैंक का लॉगिन पेज हमेशा वेब पेज पर होता है कभी भी पॉप अप विंडो में नहीं.
- यदि आपको संदेह होता है कि वेबसाइट गलत है, तो साइट बंद कर दें. साइट द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का पालन न करें.
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अक्सर ई मेल के जरिए अपने ग्राहकों के साथ संपर्क करता है. इस प्रकार के बहुत से संचार ग्राहकों को उत्पाद और बैंक सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए होते हैं. गोपनीय खाता जानकारी का अनुरोध करने के लिए बैंक कभी भी मेल नहीं भेजता.
- फर्जी ई-मेल में आमतौर पर एक लिंक होता है जो एक आपको उसी प्रकार की वेबसाइट पर ले जाता है और संवेदनशील वित्तीय जानकारी जैसे कि खाता संख्या, यूज़र आईडी, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड आदि प्रदान करने के लिए कहता है. यह धोखाधड़ी करने वाले को खाते की जानकारी प्रदान करता है जिसके द्वारा धोखाधड़ी करने वाला ग्राहक के खाते तक पहुंच जाता है.
- बैंक आपको कभी भी तत्काल या समयबद्ध ई मेल नहीं भेजेगा जिसमें आपसे संवेदनशील डेटा जैसे कि आपका क्रेडिट कार्ड नंबर या इंटरनेट बैंकिंग का यूज़र आईडी, पासवर्ड आदि की पुष्टि करने के लिए खा गया. इस प्रकार के ईमेल को डिलीट कर दें भले ही आपको लगता हो कि यह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से आया है.
- अगर ईमेल पर दिया हुआ लिंक किसी लॉगिन पेज या पॉप अप विंडो पर जाता है और खाते की व्यक्तिगत जानकारी मांगता है तो उसको नजरअंदाज कर दें. हमेशा पूरा वैबसाइट पता डालें. आप सरल और सुरक्षित पहुँच के लिए उपरोक्त पते को फेवरिट/बूकमार्क पर जोड़ सकते हैं.
- प्रेषक के ईमेल पते का सत्यापन करें कि वो एक वैध ईमेल खाते से है. कभी भी उन स्त्रोतों की मेल न खोलें, जिनका विश्वास नही किया जा सकता.
- खोलने से पहले हमेशा ई मेल अनुलग्नकों को वायरस के लिए स्कैन करें. यदि आपको अनुलग्नक के स्रोत के बारे में संदेह हैं, तो उसे डिलीट कर दें.
- स्पैम ई-मेल के प्रति सतर्क रहें. इनका निर्माण वायरस फैलाने के लिए या फर्जी वेबसाइट पर जाने और संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने के लिए किया जाता है.
-
or or या 022 25710535 पर हमें कॉल करें
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की निकटतम शाखा को सूचित करें
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- अपने पासवर्ड की निगरानी करने के लिए नियमित रुप से अपने मॉनिटर पर लॉगइन करें और अपने पिछले लेनदेनों का सत्यापन करें. उसके बाद, लॉगिन करते समय, अपने अंतिम लॉग की तिथि और समय का सत्यापन अवश्य करें.
- अपने पीसी को ऑपरेटिंग सिस्टम और ब्राउज़र पैच के साथ अद्यतन बनाए रखें.
- सुनिश्चित करें कि आपके पीसी में अद्यतन एंटी वायरस लोडेड हो.
- एंटी स्पाई वेयर विंडोज डिफेंडर का प्रयोग करे.
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- उस इंटरनेट ब्राउज़र का प्रयोग करें जो 128-बिट इंक्रिप्शन समर्थित हो.
- यदि आप इंटरनेट एक्सप्लोरर का प्रयोग करते हैं तो, निम्न प्रकार से ऑटो कम्पलीट निष्क्रिय कर अपने ब्राउजर का इस प्रकार रचना-विन्यास करें जिससे कि वह पासवर्ड याद न रख सके:
- अपने इंटरनेट एक्सप्लोरर खोलें और टूल्स>> इंटरनेट ऑप्शंस>> कंटेंट पर क्लिक करें
- “व्यक्तिगत जानकारी” के अंतर्गत, “ऑटो कम्पलीट” पर क्लिक करें।
- फॉर्म पर “यूज़र नाम और पासवर्ड” को अनचेक करें और “पासवर्ड हटाएं” पर क्लिक करें।
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- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप यूनियन बैंक की प्रमाणिक वेबसाइट खोलने जा रहे चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर हैं, उसके लिए आपको अपने ब्राउज़र के एड्रेस बार में वेबसाइट का पूरा पता टाइप करना चाहिए, न कि मेल या तृतीय पक्ष की वेबसाइट में दिए गए लिंक पर क्लिक करना चाहिए, शीघ्र और सुरक्षित पहुंच के लिए आप यूआरएल को चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर फेवरिट सूची में भी जोड़ सकते हैं.
- पॉप अप विंडोज़, जो आपकी गोपनीय जानकारी जैसे कि खाता संख्या, पिन, पासवर्ड आदि के बारे में पूछे, उनसे सावधान रहें. यूनियन बैंक का लॉगिन पेज हमेशा वेब पेज पर होता है कभी भी पॉप अप विंडो में नहीं.
- यदि आपको संदेह होता है कि वेबसाइट गलत है, तो साइट बंद कर दें. साइट द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का पालन न करें.
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अक्सर ई मेल के जरिए अपने ग्राहकों के साथ संपर्क करता है. इस प्रकार के बहुत से संचार ग्राहकों को उत्पाद और बैंक सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए होते हैं. गोपनीय खाता जानकारी का अनुरोध करने के लिए बैंक कभी भी मेल नहीं भेजता.
- फर्जी ई-मेल में आमतौर पर एक लिंक होता है जो एक आपको उसी प्रकार की वेबसाइट पर ले जाता है और संवेदनशील वित्तीय जानकारी जैसे कि खाता संख्या, यूज़र आईडी, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड आदि प्रदान करने के लिए कहता है. यह धोखाधड़ी करने वाले को खाते की जानकारी प्रदान करता है जिसके द्वारा धोखाधड़ी करने वाला ग्राहक के खाते तक पहुंच जाता है.
- बैंक आपको कभी भी तत्काल या समयबद्ध ई मेल नहीं भेजेगा जिसमें आपसे संवेदनशील डेटा जैसे कि आपका क्रेडिट कार्ड नंबर या इंटरनेट बैंकिंग का यूज़र आईडी, पासवर्ड आदि की पुष्टि करने के लिए खा गया. इस प्रकार के ईमेल को डिलीट कर दें भले ही आपको लगता हो कि यह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से आया है.
- अगर ईमेल पर दिया हुआ लिंक किसी लॉगिन पेज या पॉप अप विंडो पर जाता है और खाते की व्यक्तिगत जानकारी मांगता है तो उसको नजरअंदाज कर दें. हमेशा पूरा वैबसाइट पता डालें. आप सरल और सुरक्षित पहुँच के लिए उपरोक्त पते को फेवरिट/बूकमार्क पर जोड़ सकते हैं.
- प्रेषक के ईमेल पते का सत्यापन करें कि वो एक वैध ईमेल खाते से है. कभी भी उन स्त्रोतों की मेल न खोलें, जिनका विश्वास नही किया जा सकता.
- खोलने से पहले हमेशा ई मेल अनुलग्नकों को वायरस के लिए स्कैन करें. यदि आपको अनुलग्नक के स्रोत के बारे में संदेह हैं, तो उसे डिलीट कर दें.
- स्पैम ई-मेल के प्रति सतर्क रहें. इनका निर्माण वायरस फैलाने के लिए या फर्जी वेबसाइट पर जाने और संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने के लिए किया जाता है.
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भारत बिल पेमेंट सिस्टम
भारत बिल पेमेंट सिस्टम एकल ब्रांड आकृति ग्राहक चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर को बिल भुगतान “कभी भी कहीं भी” की सुविधा प्रदान करती है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने बीबीपीएस को इंटरनेट बैंकिंग चैनल में बिल प्रस्तुतीकरण मोड्यूल के अंतर्गत शामिल किया है. ग्राहक बिलर का पंजीकरण किए बगैर के इंटरनेट बैंकिंग के बिल प्रस्तुतीकरण मोड्यूल के क्विक पे विकल्प पर जाकर बिल का भुगतान कर सकता है. ग्राहक प्रतिदिन प्रयोग की जाने वाली सुविधाओं जैसे कि बिजली, पानी, गैस टेलीफ़ोन(पोस्ट पेड) और डीटीएच टेलिवीजन सुविधाओं का निम्नानुसार बिल भुगतान कर सकता है.
निम्नलिखित का अनुपालन करें:
- इंटरनेट बैंकिंग में लॉग-इन करें.
- बिल प्रस्तुतीकरण पर क्लिक करें.
- क्विक पे के अंतर्गत पे योर बिल करें विकल्प पर जाएँ.
- बिलर का विवरण सर्च करें जैसे कि बिल वर्ग, सर्कल और बिलर का नाम ड्रॉप डाउन बॉक्स से चुने और पेज के नीचे दिये गए ‘गो’ बटन पर क्लिक करें.
- अगले पेज में, ग्राहक को विवरण डालना होता है जैसे सीए नंबर(बिल में दिया गया), ग्राहक का मोबाइल नंबर, ई मेल-आईडी और वो खाता नंबर, जिससे भुगतान किया जाता है.
- पेज के नीचे दिये गए “पे” बटन पर क्लिक करें.
- भुगतान विवरण अगले पेज पर नजर आएगा. अगर विवरण सही पाया गया,तो ग्राहक को कन्फ़र्म बटन पर क्लिक करना है.
- सिस्टम लेनदेन का पासवर्ड पूछेगा और वो डालने के बाद ग्राहक को वैधता बटन दबाना है.
- भुगतान सफल रहा मैसेज अगली स्क्रीन पर नजर आएगा और ग्राहक मैसेज का एक प्रिंट आउट ले सकता है.
अन्य सुविधाएं:
- ग्राहक द्वारा किए गए पूर्व लेनदेनों को देखने के लिए लेनदेन इतिहास विकल्प उपलब्ध कराया गया है.
- ग्राहक द्वारा बिलर को भुगतान करते समय आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए सर्विस शिकायत को दर्ज करना, शिकायत स्थिति, शिकायत की पृष्ठभूमि आदि विकल्प उपलब्ध हैं.
इंटरनेट बैंकिंग
Rewarded
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क्रिप्टोकरेंसी बनाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, जानें क्या है इनमें अंतर और क्या है नफा-नुकसान
भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) डिसेंट्रलाइज्ड है और भारत में किसी भी नियामक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है. च . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : December 02, 2021, 13:03 IST
Cryptocurrency News Today: भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खूब घमासान मचा हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में क्रिप्टो का कारोबार होने के बाद इस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. सरकार इसे असुरक्षित मानते हुए इसके नियमन को लेकर संसद में बिल लाने की तैयारी कर रही है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बढ़ते चलन को देखते हुए सरकार खुद अपनी डिजिटल करेंसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की कवायद में जुटी हुई है.
आखिर क्यों है क्रिप्टो पर इतना विवाद और क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), इन मुद्दों पर विस्तार से बात कर रही हैं फाइनेंशियल एडवाइजर ममता गोदियाल. ममता गोदियाल (Mamta Godiyal) का बैंकिंग सेक्टर में लंबा अनुभव रहा है. अब वह निजी तौर पर पर्सनल फाइनेंस को लेकर लोगों को खासकर महिलाओं को जागरुक कर रही हैं. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनसे लंबी चर्चा हुई. बातचीत में उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और भारत सरकार की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में कई पहलुओं पर रोशनी डाली.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)
यह एक कोड से बनाई गई डिजिटल संपत्ति है. इसे एक्सचेंज के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सिक्का स्वामित्व रिकॉर्ड एक डिजिटल लेजर, कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस में स्टोर किए जाते हैं, जो लेनदेन के रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए मजबूत क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करते हैं. अतिरिक्त डिजिटल सिक्कों के निर्माण को कंट्रोल करने और सिक्का स्वामित्व के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. पहली विकेन्द्रीकृत क्रिप्टोक्यूरेंसी बिटक्वाइन वर्ष 2009 में बनाया गया था.
क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और भारत में किसी भी नियामक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है. चूंकि इस संबंध में कोई दिशानिर्देश, नियम और विनियम नहीं हैं, इसलिए निवेशक क्रिप्टोकरेंसी में अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं.
असल में भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लगातार बढ़ते निवेशकों और इसका जोखिम सरकार के लिए चिंता का विषय है.
भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है. हालांकि, जब क्रिप्टो को लेकर जानकारी और जागरूकता की बात आती है, तो भारत में इसका स्कोर 10 में से 4.39 है जो कि बहुत अच्छा नहीं है. क्यूंकि हम अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे बाजार में निवेश कर रहे हैं जो किसी कानून द्वारा संरक्षित नहीं है.
जैसा कि, हम नीचे दी गई तालिका से देख सकते हैं कि क्रिप्टो मालिकों के विशाल आधार के बावजूद, भारत क्रिप्टो मालिकों के मामले में कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में 7.30 प्रतिशत के रूप में पांचवें स्थान पर है. यूक्रेन इस सूची में पहले स्थान पर है, जिसमें क्रिप्टो के मालिक कुल जनसंख्या का 12.73 प्रतिशत है, इसके बाद रूस का स्थान है.
वर्तमान हालात पर नजर डालें तो, सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में ‘द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ (The Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill 2021) पेश करने जा रही है. इस घोषणा के बाद भारत में क्रिप्टो बाजार में दहशत फैल गई और बड़ी हलचल भी देखने को मिली.
30 नवंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने राज्यसभा में प्रश्नकाल सत्र के दौरान क्रिप्टोकुरेंसी पर कहा, “यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है और पूर्ण नियामक ढांचे में नहीं है. इसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था. आरबीआई (RBI) और सेबी (SEBI) के माध्यम से जागरुकता पैदा करने के लिए कदम उठाए गए हैं. सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश करेगी.”
अब सरकार इसे लेकर क्या रणनीति बना रही है इसके लिए हमें क्रिप्टोकुरेंसी विधेयक 2021 के आने तक इंतजार करना होगा.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency)
यह फिएट मनी का एक डिजिटल रूप है. जो मुद्रा चलन में है उसे फिएट मनी कहा जाता है. यह वर्चुअल करेंसी और क्रिप्टोकुरेंसी से अलग है. CBDC पर पूरी तरह से सरकार का नियंत्रण होगा. सरकार के नियंत्रण में होने से इसके जोखिम कम हो जाएंगे.
– क्रिप्टोक्यूरेंसी के विपरीत सीबीडीसी केंद्रीकृत मुद्रा होगी.
– इसकी मदद से लोग बैंक, क्लियरिंग हाउस आदि बिचौलियों के भरोसे सीधे पैसा भेज सकेंगे.
– यह बिल्कुल कागजी मुद्रा की तरह है.
– बैंक ऑफ इंग्लैंड सीबीडीसी की शुरुआत की संभावनाओं पर वैश्विक चर्चा शुरू करने वाले पहले संगठनों में से एक था.
– सेंट्रल बैंक ऑफ स्वीडन इसके कार्यान्वयन पर विचार करने के सबसे करीब है.
(ये लेखक के अपने विचार हैं. पाठकों से अनुरोध है कि निवेश करने से पहले पूरी तरह से शोध करें क्योंकि यह मालिक के जोखिम के अधीन है.)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सिर्फ निवेशकों की ही नहीं, ज्यादा पूंजी की भी जरूरत: समीर अरोड़ा
भारत में बढ़ते इक्विटी कल्चर पर बात करते हुए उत्पल शेठ ने कहा कि पब्लिक हो या प्राइवेट, इक्विटी हो या डेट-भारतीय बादार के हर असेट क्लॉस में आने वाले सालों में नई ऊंचाई देखने को मिलेगी
समीर अरोड़ा के मुताबिक उन्होंने ये समझने में देरी कर दी की भारत सिर्फ निवेश के नजरिए से ही अच्छा नहीं है। बल्कि ये फंड रेजिंग और निवेश दोनों ही नजरिए से अच्छा है
हेलियस कैपिटल मैनेजमेंट (Helios Capital) के फाउंडर और फंड मैनेजर समीर अरोड़ा ने 16 अक्टूबर को कहा कि भारत की इकोनॉमी की ओवर ऑल साइज और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सिर्फ ज्यादा निवेशकों की नहीं बल्कि ज्यादा पूंजी की जरूरत है। मुंबई में एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (ANMI) द्वारा आयोजित 12वें वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए, अरोड़ा ने कहा,"निवेशकों की संख्या बढ़ने से बाजार की गहराई बढ़ जाती है, शायद बाजार की वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि एक निवेशक द्वारा अपेक्षित रिटर्न में वृद्धि हो।"
इस सम्मेलन में समीर अरोड़ा के साथ एवेन्यू सुपरमार्ट्स के चेयरमैन और बीएसई के सदस्य रमेश दमानी और दिग्गज निवेशक और ट्रेडर राकेश झुनझुनवाला द्वारा स्थापित फर्म Rare Group के सीईओ और सीनियर पार्टनर उत्पल शेठ भी शामिल थे। पैनल का संचालन सीएनबीसी-आवाज के मैनेजिंग एडिटर और सीएनबीसी-टीवी18 के स्टॉक्स एडिटर अनुज सिंघल ने किया।
कहां हैं भारत में निवेश के मौके? इस सवाल के जवाब में उत्पल शेठ ने बिग बुल के एक स्टेटमेंट को दोहराते हुए कहा कि भारत में निवेश के समय लिया जाने वाला सबसे बड़ा जोखिम भारत में निवेश न करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश निवेशक निवेश के समय जो गल्ती करते हैं वो है गल्ती करने से डरना।
GST Council की बैठक के पहले दिन क्या-क्या हुआ, यहां समझें
GST काउंसिल ने कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स रेट में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा राज्यों को सोने और कीमती पत्थरों की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की भी इजाजत दे दी गई है।
दो दिनों तक चलने वाली GST काउंसिल की बैठक के पहले दिन यानी मंगलवार को कई अहम फैसले लिए गए। GST काउंसिल ने कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स रेट में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा राज्यों को सोने और कीमती पत्थरों की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की भी इजाजत दे दी गई है।
- वहीं, जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले दिन जीएसटी मंत्री समूह (जीओएम) की टैक्स चोरी रोकने संबंधी रिपोर्ट को भी मंजूरी दी गई। बैठक में काउसिंल ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह की तरफ से पेश अंतरिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
क्या है जीओएम की रिपोर्ट में: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई की अध्यक्षता वाले जीओएम की रिपोर्ट में कुछ वस्तुओं पर टैक्स छूट समाप्त करने समेत स्लैब को युक्तिसंगत बनाने से जुड़ी सिफारिशें की गई हैं।
क्या-क्या सुझाव दिए गए: जीओएम ने कई सेवाओं पर जीएसटी छूट समाप्त करने का सुझाव दिया है। इसमें 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराया वाले होटल कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाने का सुझाव शामिल है। अभी इस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों (आईसीयू को छोड़कर) पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने की भी सिफारिश की गई है।
जीओएम ने पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय पत्र, ‘बुक पोस्ट’ और 10 ग्राम से कम वजन के लिफाफे को चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर छोड़कर अन्य डाकघर सेवाओं पर टैक्स लगाने का सुझाव दिया है।
दूसरे दिन होंगे कई फैसले: वहीं, बैठक के दूसरे दिन यानी बुधवार को बैठक के दौरान राज्यों को जीएसटी क्षतिर्पूति मुआवजे के विस्तार और कसीनो के अलावा ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा बुधवार को होगी।
राज्यों ने की ये मांग: इस बीच, राजस्व में कमी आने की आशंका से परेशान कई विपक्ष-शासित राज्यों ने मांग की है कि जीएसटी व्यवस्था के तहत राजस्व बंटवारे का फॉर्मूला बदला जाए या फिर क्षतिपूर्ति व्यवस्था को अगले पांच साल के लिए बढ़ाया जाए।
जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की केंद्र से भरपाई की क्षतिपूर्ति व्यवस्था पांच साल के लिए लागू की गई थी। यह समयसीमा 30 जून को ही खत्म हो रही है। ऐसी स्थिति में राज्यों को आशंका सता रही है कि उन्हें राजस्व का नुकसान हो सकता है।
रेरा कानून क्या है: रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी रजिस्ट्रेशन और स्वीकृति (अप्रूवल) के बारे में सारी जानकारी
रियल चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर एस्टेट एक्ट के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को अपने कानून के नियम अगले 6 महीने में केंद्रीय कानून के मॉडल नियमों के आधार पर नोटिफाई करने की जरूरत है. यहाँ देखें कि रेरा स्वीकृत प्रोजेक्ट्स कैसे प्राप्त करें और विभिन्न राज्यों में रेरा पर नवीनतम अपडेट जानें।
Table of Contents
रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (रेरा / RERA) एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था. रेरा का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है. 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल को पास किया था. इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया. 1 मई 2016 को इसे लागू किया गया. 92 में से 59 सेक्शन्स 1 मई 2016 को नोटिफाई किए गए और बाकी के प्रावधान 1 मई 2017 से लागू कर दिए गए . इस कानून के तहत, अगले 6 महीने में केंद्रीय कानून के मॉडल नियमों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को अपने नियम नोटिफाई करने हैं.
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