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फिसलन क्या है?

फिसलन क्या है?

वैष्णव की फिसलन / हरिशंकर परसाई

वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज़ से क़र्ज़ देते हैं। वैष्णव दो घण्टे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, फिर गादी-तकियेवाली बैठक में आकर धर्म को धंधे से जोड़ते हैं। धर्म धंधे से जुड़ जाए, इसी को ‘योग’ कहते हैं। क़र्ज़ लेने वाले आते हैं । विष्णु भगवान के वे मुनीम हो जाते हैं । क़र्ज़ लेने वाले से दस्तावेज़ लिखवाते हैं – ‘दस्तावेज़ लिख दी रामलाल वल्द श्यामलाल ने भगवान विष्णु वल्द नामालूम को ऐसा जो कि . ।

वैष्णव बहुत दिनों से विष्णु के पिता के नाम की तलाश में है, पर वह मिल नहीं रहा। मिल जाय तो वल्दियत ठीक हो जाय।

वैष्णव के पास नंबर दो का बहुत पैसा हो गया है । कई एजेंसियां ले रखी हैं। स्टाकिस्ट हैं। जब चाहे माल दबाकर ‘ब्लैक’ करने लगते हैं। मगर दो घण्टे विष्णु-पूजा में कभी नागा नहीं करते। सब प्रभु की कृपा से हो रहा है। उनके प्रभु भी शायद दो नम्बरी हैं। एक नम्बरी होते, तो ऐसा नहीं करने देते।

वैष्णव सोचता है– अपार नंबर दो का पैसा इकठ्ठा हो गया है। इसका क्या किया जाय? बढ़ता ही जाता है। प्रभु की लीला है। वही आदेश देंगे कि क्या किया जाय।

वैष्णव एक दिन प्रभु की पूजा के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा– प्रभु, आपके ही आशीर्वाद से मेरे पास इतना सारा दो नंबर का धन इकठ्ठा हो गया है। अब मैं इसका क्या करूँ? आप ही रास्ता बताइए। मैं इसका क्या करूँ? प्रभु, कष्ट हरो सबका !

तभी वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज़ उठी– अधम, माया जोड़ी है, तो फिसलन क्या है? माया का उपयोग भी सीख। तू एक बड़ा होटल खोल। आजकल होटल बहुत चल रहे हैं।

वैष्णव ने प्रभु का आदेश मानकर एक विशाल होटल बनवाई। बहुत अच्छे कमरे। ख़ूबसूरत बाथरूम। नीचे लॉन्ड्री। नाई की दूकान। टैक्सियाँ। बाहर बढ़िया लान। ऊपर टेरेस गार्डेन।

और वैष्णव ने खूब विज्ञापन करवाया।

कमरे का किराया तीस रुपये रखा।

फिर वैष्णव के सामने धर्म-संकट आया। भोजन कैसा होगा? उसने सलाहकारों से कहा– मैं वैष्णव हूँ। शुद्ध शाकाहारी भोजन कराऊँगा। शुद्ध घी की सब्ज़ी, फल, दाल, रायता, पापड़ वगैरह।

बड़े होटल का नाम सुनकर बड़े लोग आने लगे। बड़ी-बड़ी कंपनियों के एक्जीक्यूटिव, बड़े अफ़सर और बड़े सेठ।

वैष्णव संतुष्ट हुआ।

पर फिर वैष्णव ने देखा कि होटल में ठहरने वाले कुछ असंतुष्ट हैं।

एक दिन कंपनी का एक एक्जीक्यूटिव बड़े तैश में वैष्णव के पास आया। कहने लगा- इतने महंगे होटल में हम क्या यह घास-पत्ती खाने के लिए ठहरते हैं? यहाँ ‘नानवेज’ का इंतज़ाम क्यों नहीं है?

वैष्णव ने जवाब दिया- मैं तो वैष्णव हूँ। मैं गोश्त का इंतज़ाम अपने होटल में कैसे कर सकता हूँ ?

उस आदमी ने कहा- वैष्णव हो, तो ढाबा खोलो। आधुनिक होटल क्यों खोलते हो? तुम्हारे यहाँ आगे कोई नहीं ठहरेगा|

वैष्णव ने कहा- यह धर्म-संकट की बात है। मैं प्रभु से पूछूँगा।

उस आदमी ने कहा- हम भी बिज़नेस में हैं। हम कोई धर्मात्मा नहीं हैं – न आप, न मैं।

वैष्णव ने कहा- पर मुझे तो यह सब प्रभु विष्णु ने दिया है। मैं वैष्णव धर्म के प्रतिकूल कैसे जा सकता हूँ? मैं प्रभु के सामने नतमस्तक होकर उनका आदेश लूँगा।

दूसरे दिन वैष्णव साष्टांग विष्णु के सामने लेट गया। कहने लगा– प्रभु, यह होटल बैठ जायेगा। ठहरनेवाले कहते हैं कि हमें वहाँ बहुत तकलीफ़ होती है। मैंने तो प्रभु, वैष्णव भोजन का प्रबंध किया है। पर वे माँस माँगते हैं। अब मैं क्या करूँ?

वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज़ आई- मूर्ख, गांधीजी से बड़ा वैष्णव इस युग में कौन हुआ है? गाँधी का भजन है- ‘वैष्णव जन तो तेणे कहिये, जे पीर पराई जाणे रे।’ तू इन होटलों में रहनेवालों की पीर क्यों नहीं जानता? उन्हें इच्छानुसार खाना नहीं मिलता। इनकी पीर तू समझ और उस पीर को दूर कर।

उसने जल्दी ही गोश्त, मुर्गा, मछली का इंतज़ाम करवा दिया।

होटल के ग्राहक बढ़ने लगे।

मगर एक दिन फिर वही एक्जीक्यूटिव आया।

कहने लगा- हाँ, अब ठीक है। मांसाहार अच्छा मिलने लगा। पर एक बात है।

वैष्णव ने पूछा- क्या?

उसने जवाब दिया- गोश्त के पचने की दवाई भी तो चाहिए ।

वैष्णव ने कहा- लवण भास्कर चूर्ण का इंतज़ाम करवा दूँ?

एक्जीक्यूटिव ने माथा ठोंका।

कहने लगा- आप कुछ नहीं समझते। मेरा मतलब है – शराब। यहाँ बार खोलिए।

वैष्णव सन्न रह गया। शराब यहाँ कैसे पी जायेगी? मैं प्रभु के चरणामृत का प्रबंध तो कर सकता हूँ। पर मदिरा! हे राम!

दूसरे दिन वैष्णव ने फिर प्रभु से कहा– प्रभु, वे लोग मदिरा माँगते हैं| मैं आपका भक्त, मदिरा कैसे पिला सकता हूँ?

वैष्णव की पवित्र आत्मा से आवाज़ आई- मूर्ख, तू क्या होटल बैठाना चाहता है? देवता सोमरस पीते थे। वही सोमरस यह मदिरा है। इसमें तेरा वैष्णव-धर्म कहाँ भंग होता है। सामवेद में तिरसठ श्लोक सोमरस अर्थात मदिरा की स्तुति में हैं। तुझे धर्म की समझ है या नहीं?

उसने होटल में ‘बार’खोल दिया।

अब होटल ठाठ से चलने लगा। वैष्णव ख़ुश था।

फिर एक दिन एक आदमी आया। कहने लगा- अब होटल ठीक है। शराब भी है। गोश्त भी है। मगर मारा हुआ गोश्त है। हमें ज़िंदा गोश्त भी चाहिए।

वैष्णव ने पूछा- यह ज़िंदा गोश्त कैसा होता है?

उसने कहा- कैबरे, जिसमें औरतें नंगी होकर नाचती हैं।

वैष्णव ने कहा- अरे बाप रे!

उस आदमी ने कहा- इसमें ‘अरे बाप रे’ की कोई बात नहीं। सब बड़े फिसलन क्या है? होटलों में चलता है। यह शुरू कर दो तो कमरों का किराया बढ़ा सकते हो।

वैष्णव ने कहा- मैं कट्टर वैष्णव हूँ। मैं प्रभु से पूछूँगा।

दूसरे दिन फिर फिसलन क्या है? वैष्णव प्रभु के चरणों में था। कहने लगा- प्रभु, वे लोग कहते हैं कि होटल में नाच भी होना चाहिए। आधा नंगा या पूरा नंगा।

वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज़ आई- मूर्ख, कृष्णावतार में मैंने गोपियों को नचाया था। चीर-हरण तक किया था। तुझे क्या संकोच है?

प्रभु की आज्ञा से वैष्णव ने ‘कैबरे’ भी चालू कर दिया।

अब कमरे भरे रहते थे – शराब, गोश्त और कैबरे।

वैष्णव बहुत ख़ुश था। प्रभु की कृपा से होटल भरा रहता था।

कुछ दिनों बाद एक ग्राहक ने बेयरे से कहा- इधर कुछ और भी मिलता है?

बेयरे ने पूछा- और क्या साब?

ग्राहक ने कहा- अरे यही मन बहलाने को कुछ? कोई ऊँचे किस्म का माल मिले तो लाओ।

बेयरा ने कहा- नहीं साब, इस होटल में यह नहीं चलता|

ग्राहक वैष्णव के पास गया। बोला- इस होटल में कौन ठहरेगा? इधर रात को मन बहलाने का कोई इंतज़ाम नहीं है।

वैष्णव ने कहा- कैबरे तो है, साहब।

ग्राहक ने कहा- कैबरे तो दूर का होता है। बिलकुल पास का चाहिए, गर्म माल, कमरे में।

वैष्णव फिर धर्म-संकट में पड़ गया।

दूसरे दिन वैष्णव फिर प्रभु की सेवा में गया। प्रार्थना की – कृपानिधान! ग्राहक लोग नारी माँगते हैं – पाप की खान। मैं तो इस पाप की खान से जहाँ तक बनता है, दूर रहता हूँ। अब मैं क्या करूँ?

वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज़ आई– मूर्ख, यह तो प्रकृति और पुरुष का संयोग है। इसमें क्या पाप और क्या पुण्य? चलने दे।

वैष्णव ने बेयरों से कहा- फिसलन क्या है? चुपचाप इंतज़ाम कर दिया करो। ज़रा पुलिस से बचकर, पच्चीस फ़ीसदी भगवान की भेंट ले लिया करो।

फिसलन भरी रोड पर कार चलाते समय रखें यह सावधानियां, फिसलन क्या है? नहीं होगी कोई मुश्किल

सर्दियों में बर्फबारी के चलते या कुहासा गिरने के कारण रोड पर फिसलन हो जाती है. ऐसे में घिसे हुए टायर की वजह से गाड़ियां सड़क पर फिसल सकती हैं और हादसे की वजह बन सकती है. इसलिए जरूरी है कि सर्दियों के सीजन से पहले घिसे हुए टायर्स को फिसलन क्या है? बदल लें.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 11 Oct 2020 09:59 AM (IST)

सर्दियों का मौसम शुरू होने वाला है. कुछ ही दिनों में पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो जाएगी. अक्सर बर्फबारी की वजह से सड़क हादसों में इजाफा होता है. सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के चलते फिसलन भरी सड़कें जानलेवा साबित हो सकती है इसलिए बर्फबारी के बाद फिसलन भरी सड़कों पर गाड़ी चलाते समय कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं.

गाड़ी की गति को कम रखें

गाड़ी चलाते हुए स्पीड को कम रखें. गर्मी के दिनों में मौसम साफ होता है और आप दूर तक देख भी सकते हैं. ऐसा सर्दियों के मौसम में नहीं होता. बर्फ के अलावा कुहासा भी दुर्घटना के जिम्मेदार होता है. इसलिए तेज ड्राइविंग आपके लिए कहीं से भी सही नहीं है. गीली सड़कों पर गति कम रखने से जोखिम कम हो जाता है. इसके अलावा सड़क के दोनों और बर्फ जमने से सड़क ट्रैफिक के लिए काफी कम रह जाती है. ऐसे में यदि आप तेज गति से वाहन चलाएंगे तो दुर्घटना कि सम्भावना बढ़ जाती है.

टायर-ब्रेक जांच लें

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सर्दियों में बर्फबारी के चलते या कुहासा गिरने के कारण रोड पर फिसलन हो जाती है. ऐसे में घिसे हुए टायर की वजह से गाड़ियां सड़क पर फिसल सकती हैं और हादसे की वजह बन सकती है. इसलिए जरूरी है कि सर्दियों के सीजन से पहले घिसे हुए टायर्स को बदल लें. यात्रा पर निकलने से पहले एक बार एमरजेंसी ब्रेक का टेस्ट जरूर करें. इससे आप ब्रेक और ब्रेक शू की हकीकत जान सकेंगे. इसके अलावा हैंड ब्रेक पर भी जरूर ध्यान दें. यदि ब्रेक दबाते समय आवाजें आ रही हो तो गियर बॉक्स की तुरंत जांच कराएं.

वाइपर करें चेक

हर मौसम में अपने विंडशील्ड वाइपर के बीच-बीच में चेक करना जरूरी है. बर्फ वाले इलाके में वाइपर बहुत जरुरी हो जाते हैं. विंडस्क्रीन पर जमी बर्फ वाइपर के बिना आपको ड्राइव नहीं करने देगा. इसलिए जरूरी है कि सर्दियां आने से पहले वाइपर ब्लेड्स को चेक कर लें. कई बार बिना इस्तेमाल किए वाइपर ब्लेड कट जाते हैं जो किसी काम के नहीं रह जाते हैं.

फोन या शराब से दूर रहें

गाड़ी चलाते हुए खुद पर मानसिक नियंत्रण बेहद जरूरी है. ऐसे में यात्रा के दौरान अपने मोबाइल फ़ोन को अपनी जेब में ही रखें. इसके अलावा शराब पीकर गाड़ी बिलकुल ना चलाएं.

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Published at : 11 Oct 2020 09:59 AM (IST) Tags: Safe Driving Tips Safe Driving Road Safety हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Auto News in Hindi

फिसलन क्या है?

कई बार सड़क किसी ऐसे पुल के साथ मिलती है, जो सड़क से कम चौड़ा होता है । यह चिन्‍ह ऐसे पुलों से पहले लगाया जाता है, जो सड़क की तुलना से संकरे होते है । ड्राइवर को चाहिए कि वह गति कम करे और सुरक्षित ड्राइविंग के लिये सामने से आ रहे यातायात पर नजर रखे ।

फिसलन भरी सड़क

यह चिन्‍ह आगे की सड़क की फिसलन-भरी स्थितियों को दर्शाता है। इन स्थितियों का कारण जल रिसाव या तेल का फैलना आदि हो सकता है । यह चिन्‍ह दिखने पर चालक को सदैव दुर्घटना से बचने के लिये अपने वाहन की गति कम करनी चाहिए ।

बिखरी बजरी

यह चिन्‍ह आम तौर पर पहाड़ी सड़को पर लगाया जाता है, जहां सड़को पर धूल-मिट्टी या बजरी गिरती रहती है । यह चिन्‍ह दिखने पर ड्राइवरों को धीमी गति से और सावधानीपूर्वक वाहन चलाना चाहिए, क्‍योंकि यहां थोड़ी सी लापरवाही से भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है ।

साइकिल क्रॉसिंग

यह फिसलन क्या है? सड़क चिन्‍ह दर्शाता है कि चौराहे की मुख्‍य सड़क पर एक साइकिल पथ है या साइकिल चालक इस पथ का निरंतर प्रयोग करते हैं । ड्राइवर को सावधानीपूर्वक चौराहा पार करना चाहिए ताकि साइकिल सवार सुरक्षित ढंग से मुख्‍य सड़क पार कर सकें ।

दाहिने मुड़कर फिर आगे

यह सड़क चिन्‍ह आगे की सड़क के वास्‍तविक डिजाइन, अर्थात जेडनुमा आकार के रास्‍ते को दर्शाता है । यह ड्राइवर को दाहिनी तरफ टेढ़े-मेढ़े रास्‍ते के बारे में आगाह करता है । इस चिन्‍ह को देखने पर ड्राइवर को चाहिए कि वह वाहन की गति कम करें और वाहन को सतर्कता से आगे बढ़ाएं ।

पैदल क्रॉसिंग

पदयात्री यातायात का बादशाह होता है । यह चिन्‍ह ड्राइवर को आगाह करता है कि वह वाहन की गति धीमी कर दे या उसे रोक दे और पदयात्रियों को रास्‍ता पार करने दे । सड़क का एक भाग सफेद पट्टियों के रूप में चिन्हित किया जाता है, जिसे जेब्रा क्रॉसिंग के नाम से जाना जाता है । सड़क के जेब्रा क्रॉसिंग पर पदयात्रियों का पहला अधिकार होता है ।

आगे स्‍कूल है

यह सड़क चिन्‍ह दर्शाता है कि आगे/आसपास कोई स्‍कूल है । दुर्घटनाओं से बचने के लिए ड्राइवर द्वारा वाहन की गति धीमी रखना और सावधनी से गाड़ी चलाना जरूरी है । बच्‍चे अक्‍सर दौड़कर या अचानक हड़बड़ी में सड़क पार करते है, इसलिये उनकी सुरक्षा के लिए ड्राइवर हमेशा स्‍कूल के नजदीक सावधनी से वाहन चलाएं ।

यातायात संकेतक

यह संकेत दर्शाता है कि यह सड़क तीन रंग वाली बस्‍ती सिग्‍नल से प्रचालित है क्‍यों चालक कुछ सड़को पर इस प्रकार की व्‍यवस्‍था का अनुमान नहीं लगा पाते हैं ।

पशु

यह चिन्‍ह दर्शाता है कि वहां सड़क पर पशुओं के भटकने की बहुत संभावनाएं हैं । सड़क पर पशुओं के घूमने से बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं क्‍योंकि यातायात में जानवर के भड़कने का खतरा रहता है । इसलिए, जहां कहीं यह चिन्‍ह देखें, सावधानी से गाड़ी चलाएं ।

नौका

कुछ स्‍थानों पर पुल की व्‍यवस्‍था किए बिना सड़के नदी के साथ जोड़ी जाती हैं । चूंकि नदी सड़़क को विभाजित करती है इसलिए, नौका सेवा के जरिए इन सड़कों को जोड़ा जाता है । यह चिन्‍ह दर्शाता है कि वहां नदी पार करने के लिए नौका सेवा उपलब्‍ध है ।

रक्षित समपार क्रॉसिंग

कई बार रेलवे लाइन सड़क से क्रॉस करते हुए गुजरती है । यह चिन्‍ह दर्शाता है कि वहां एक रेलवे क्रॉसिंग है, जहां गार्ड सुरक्षा कर रहा है । ड्राइवर को अतिरिक्‍त सावधानी रखनी चाहिये और तदनुसार वाहन चलाना चाहिऐ । और और दो लाल रंग की पट्टी दर्शाती है कि रेलवे लाइन क्रमानुसार 100 मी. या 200 मी. की दूरी पर है ।

मानवरहित समपार क्रॉसिंग

यह चिन्‍ह दर्शाता है कि वहां एक रेलवे क्रॉसिंग है, जहां सुरक्षा के लिए कोई गार्ड तैनात नहीं है । ड्राइवर को स्‍वयं यह सुनिश्चित करने के बाद सावधीनपूर्वक इस अरक्षित रेलवे क्रॉसिंग को पार करना होगा कि निकटवर्ती रेल पटरी पर कोई ट्रेन नहीं आ-जा रही है । एक और दो लाल रंग की पट्टी यह दर्शाती है कि रेलवे लाइन क्रमानुसार 100 मी. या 200 मी. की दूरी पर है ।

'वैष्णव की फिसलन' व्यंग्य निबंध का प्रतिपाद्य लिखिए।

निबंध की अंतर्वस्तु और उसके शीर्षक की सार्थकता के परिचय के माध्यम से आपने निबंध के प्रतिपाद्य के संबंध में अब तक पर्याप्त संकेत प्राप्त कर लिए हैं। प्रतिपाद्य से अभिप्राय यह है कि परसाई जी ने इसमें क्‍या प्रतिपादित करना या बताना चाहा है और क्यों बताना चाहा है। अतः प्रतिपाद्य के अंतर्गत एक आग्रह या अनुरोध भी आ जाता है , जो लेखक द्वारा पाठकों के लिए प्रेरक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। प्रस्तुत निबंध में हरिशंकर परसाई का लक्ष्य केवल सूदखोरी , काला बाजारी और होटल व्यवसाय में बढ़ रहे भ्रष्टाचार से परिचित कराना मात्र नहीं है। वे लोभ-लाभ पर आधारित सम्पूर्ण व्यवसाथिकता की विकृतियों और उसके फिसलन क्या है? समाजविरोधी स्वरूप को व्यंग्य के माध्यम से उद्घाटित करते हुए पाठक को जागरूक बनाकर सावधान भी करते हैं। इस प्रक्रिया में वे पाठक के अंदर इन सामाजिक बुराइयों के प्रतिकार या प्रतिरोध की भावना भी पैदा करते हैं। परसाई ने अपने सम्पूर्ण साहित्य के माध्यम से समाज के हद र क्षेत्र में व्याप्त विकृतियों की बखिया उघाड़ते हुए उसके प्रतिकार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। इसे उनकी प्रमुख विशेषता माना जा सकता है। इस निबंध में उनका लक्ष्य विभिन्न व्यवसायों में पनपने वाले भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष का आह्वान है। धर्म की आड़ में होने वाले श्रष्टाचार समाज के लिए और अधिक घातक हो जाते हैं , इस वास्तविकता का उद्घाटन समस्या के समाधान की एक महत्वपूर्ण मंजिल है। क्योंकि धार्मिक भावना से संचालित पाठक धर्म के दुरुपयोग के प्रति सावधान रह कर ही अपने सामाजिक दायित्व को सही ढंग से पूरा कर सकता है। धर्म या भक्ति भावना अपने आप में कोई अच्छी या बुरी चीज नहीं फिसलन क्या है? है। उसकी अच्छाई-बुराई उसके सामाजिक व्यवहार पर निर्भर करती है। अतः धर्म जब सामाजिक श्रष्टाचार के लिए ओट बन जाए , उसे बढ़ावा देने लगे तो वह निश्चय ही त्याज्य बन जाता है। व्यावसायिक श्रष्टता के साथ ही धर्म विषयक उपर्युक्त संदेश भी लेखक ने इस निबंध के माध्यम से पाठक के सामने प्रस्तुत किया है।

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