बाजार का आकार

Visited the legendary Ima market in Imphal. A great example of Nari Shakti powering economic growth. pic.twitter.com/v2CXDauAUn— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 27, 2022
विदेश मंत्री ने इम्फाल में महिला बाजार का किया दौरा, वीडियो शेयर कर कही ये बात
नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों मणिपुर के दौरे पर पहुंचे हुए हैं. इस दौरान केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर ने मणिपुर की बाजार का आकार राजधानी इम्फाल में स्थित आईएमए मार्केट का दौरा किया. केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर ने इस मार्केट को नारी शक्ति की आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का एक बड़ा उदाहरण कहते हुए, ट्विटर पर इस मार्केट का वीडियो शेयर किया है. मणिपुर में इस बाजार को ‘मदर्स मार्केट’ या ‘इमा कैथेल’ या ‘नुपी कैथेल’ के रूप में जाना जाता है. इस मार्केट का संचालन पूर्ण रूप से महिलाएं करती हैं.
बताया जाता है कि ये बाजार करीब 500 साल पुराना है. विदेश मंत्री एस जयशंकर 26 से 28 नवंबर तक मणिपुर दौरे पर हैं. इसके अलावा ट्विटर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक और पोस्ट शेयर का है, जिसमें उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘इम्फाल के बाहर स्थित रेड हिल्स पर मौजूद शांति स्मारक का दौरा किया. यह स्मारक उन घटनाओं की याद दिलाता है, जिन्होंने भारत के इतिहास को आकार देने में मदद की.’
Visited the legendary Ima market in Imphal. A great example of Nari Shakti powering economic growth. pic.twitter.com/v2CXDauAUn
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 27, 2022
बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर मणिपुर के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जो प्रदेश में चल रहे ‘मणिपुर संगई महोत्सव 2022’ में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे. बीते शनिवार से ही यह महोत्सव चल रहा है. केंद्रीय मंत्री शनिवार को बीर टिकेंद्रजीत अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरे जहां भाजपा के कई नेताओं ने उनका स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने शनिवार शाम शहर के क्लासिक ग्रांडे में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (ईडी) मोहम्मद नूर रहमान शेख द्वारा संचालित भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक इंटरैक्टिव कार्यक्रम में भाग लिया.
मनमोहन सिंह ने उठाए थे 'भारतीय बाजार' के शटर, तीन दशक में देश की बदलती तस्वीर!
आज दुनिया भर के देशों की भारतीय बाजार पर नजरें हैं. हर विकसित देश को भारत का 'खुला बाजार' निवेश के लिए आकर्षित कर रहा है. बाजार को खुला छोड़ने के लिए पहला कदम आज से ठीक 30 साल से पहले उठाया गया था. दरअसल, बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आज ही के दिन यानी 24 जुलाई 1991 में अपना पहला बजट संसद में पेश किया था. (Photo: Aajtak)
भारत के इतिहास में मनमोहन सिंह के पहले बाजार का आकार बजट को अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर बजट माना जाता है. मनमोहन सिंह ने इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव कर भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया था. एक तरह से 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने देश से लाइसेंस राज को खत्म करने का ऐलान कर दिया था. जबकि यह सरकार कुछ महीने पहले ही बनी थी. 21 जून 1991 को पीवी नरसिम्हा राव देश के नए प्रधानमंत्री बने थे. (Photo: India Today Archives)
दरअसल, मनमोहन सिंह के पहले बजट ने देश का आर्थिक माहौल बदलना शुरू कर दिया. क्योंकि बजट में मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था के लिए उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की राह पर चलने का ऐलान बाजार का आकार कर दिया था. पिछले 30 वर्षों में भारतीय इकोनॉमी को इसी राह पर मजबूत कामयाबी मिली है, और अब 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की बात होने लगी है. अब आइए जानते हैं, पिछले तीन दशक में उदारीकरण के मोर्चे पर देश कहां खड़ा है. (Photo: Aajtak)
विदेशी मुद्रा भंडार
आज भारतीय खजाना विदेशी मुद्रा भंडार से भरा हुआ है. तीन जुलाई, 2021 तक विदेशी मुद्रा भंडार 611 अरब डॉलर तक पहुंच गया. लेकिन 30 से पहले 1991 में जब मनमोहन सिंह वित्तमंत्री बने थे, तब भारत का विदेशी बाजार का आकार मुद्रा भंडार केवल 5.80 अरब डॉलर का था. जिससे सिर्फ दो हफ्तों तक ही आयात किया जा सकता था. अर्थव्यवस्था के लिए यह सबसे कठिन दौर था.
साल 1991 में भारत का भुगतान संतुलन इतना बिगड़ा कि देश को सोना गिरवी रखना पड़ गया था. लेकिन इस संकट से उबरने के लिए बजट में भारतीय बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिए गए थे. इस कदम से केंद्र सरकार को चंद महीनों में ही इकोनॉमी के मोर्च पर पहली सफलता मिली, जब दिसंबर-1991 में सरकार विदेशों में गिरवी रखा सोना छुड़वाने में कामयाब रही. (Photo: Aajtak)
30 साल में सोने की चाल
साल 1991 में जब आर्थिक चुनौतियां थीं, तब देश को सोने ने साथ दिया था. वैसे पिछले 30 वर्षों में सोने ने अपनी चमक खूब बिखेरी है. 1991 में 24 कैरेट सोने की कीमत लगभग 3466 रुपये प्रति 10 ग्राम थी. 30 साल के बाद आज सोना लगभग 50 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम बिक रहा है.
प्रति व्यक्ति आय
साल 1991 में देश में प्रति व्यक्ति आय 538 रुपये महीने थी, जो 2021 में बढ़कर 12,140 रुपये महीने हो गया है. पिछले 30 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में करीब साढ़े 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. प्रति व्यक्ति आय किसी देश, राज्य, नगर या अन्य क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की औसत आय होती है.
शेयर बाजार की चाल
उदारीकरण की पहल को शेयर बाजार ने भी सलाम किया है. उदारीकरण से पहले 25 जुलाई 1990 को सेंसेक्स महज 1000 अंक का था, जिसे साल 1991 में मनमोहन सिंह की वित्त-नीति से पंख लग गए. दिसंबर-1991 में सेंसेक्स 1908 अंक तक पहुंच गया. इस तरह से साल 1991 में सेंसेक्स कुल 881 अंक बढ़ा था. आज सेंसेक्स 53000 के बाजार का आकार आसपास है.
पेट्रोल-डीजल की बात
आज महंगे पेट्रोल-डीजल से हर कोई परेशान है. जब देश में उदारीकरण की नींव रखी गई थी, बाजार का आकार यानी साल 1991 में पेट्रोल करीब 14.62 रुपये लीटर था. जबकि 30 साल के बाद 2021 में पेट्रोल 100 रुपये लीटर बाजार का आकार से ऊपर निकल चुका है. यानी पेट्रोल अब तक 8 गुना महंगा हुआ है. डीजल की कीमत 1991 में 5.50 रुपये के आसपास थी. (Photo: Getty Images)
तीन दशक में जीडीपी की चाल
कोरोना की वजह से जीडीपी में पिछले वित्त वर्ष में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली. लेकिन पिछले तीन दशक में इकोनॉमी 33 गुना बढ़ी है. वित्त वर्ष 1990-91 में भारतीय जीडीपी का आकार 5.86 लाख करोड़ रुपये का था. जबकि वित्त वर्ष (2020-21) में आकार बढ़कर 194.81 लाख करोड़ रुपये का था.
बैंकिंग सिस्टम में बड़ा सुधार
पिछले 30 वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं. मार्च 1991 में कुल बैंकों की संख्या 272 थी, जो 2021 में घटकर 100 के आसपास हो गई. इसमें ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 से घटकर 43 हो गई. वर्तमान में तमाम बैंकों के विलय के बाद सरकारी क्षेत्र के केवल 12 बैंक रह गए हैं. सरकार इसमें भी कम करने की बात कर रही है.
बाजार के विस्तार को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं | Factors Affecting the Extent of Market in hindi
किसी भी अर्थव्यवस्था में बाज़ार का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। बाज़ार के बिना किसी भी अर्थव्यवस्था की कल्पना ही नहीं कि जा सकती। इसलिए अर्थव्यवस्था के विकास के लिए यह भी आवश्यक होता है कि उस देश के बाज़ार का विस्तार जितना संभव हो सके अवश्य हो। ऐसे अनेक कारक होते हैं जो बाज़ार को विशेष रूप से प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। इन्हीं तत्वों से बाज़ार के विस्तार को ताक़त मिलती है और बाज़ार पहले से और भी सुदृढ़ होता चला जाता है।
हम आज इस अंक में बाजार को प्रभाबित करने वाले तत्व क्या हैं? जानेंगे। किसी भी बस्तु का बाज़ार या तो संकुचित हो सकता है अथवा विस्तृत हो सकता है। बात करें संकुचित बाज़ार की तो बाज़ार संकुचित तब होने लगता है जब उस बाज़ार में वस्तु विशेष की माँग एक सीमित क्षेत्र में हो रही हो। ठीक इसके विपरीत विस्तृत बाज़ार की बात करें तो कोई भी बाज़ार विस्तृत तब होता है जब उस बाज़ार में किसी वस्तु विशेष की माँग एक बड़े क्षेत्र यानि बाजार का आकार कि विस्तृत क्षेत्र में होने लगती है।
किसी भी बाज़ार के विस्तार को अनेक तत्व प्रभावित करते हैं। बाज़ार के विस्तार को प्रभावित करने वाले तत्वों को प्रमुख रुप से 2 भागों में विभाजित किया जाता है।
बाज़ार के विस्तार को प्रभावित करने वाले तत्व (Bazar ke vistar kp prabhavit karne wale karak) के अंतर्गत इन दोनों ही भागों को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं।
(अ) वस्तु की विशेषताओं से संबंधित तत्व
वस्तु की विशेषताओं से संबंधित तत्व जो कि बाज़ार में विस्तार को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। निम्नानुसार होते हैं-
(1) व्यापक माँग- किसी भी बाज़ार के विस्तृत होने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उस वस्तु की माँग, व्यापक स्तर पर होनी चाहिए। अर्थात वस्तुओं की माँग जितनी अधिक तथा व्यापक होगी उनका बाज़ार भी उतना ही व्यापक होगा। यानि कि उस वस्तु का बाज़ार उतना ही विस्तृत होगा।
(2) वहनीयता- बाज़ार के विस्तार के लिए वस्तु में वहनीयता का गुण होना आवश्यक है। जिन वस्तुओं का भार कम तथा मूल्य अधिक होता है। उन वस्तुओं का बाज़ार अधिक विस्तृत होता है। अन्य शब्दों में कहें तो जिन वस्तुओं एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सके। ऐसी वस्तुओं का बाज़ार विस्तृत होता है। उदाहरण के लिए, सोना, चाँदी, हीरे जवाहरात आदि। वहीं दूसरी ओर अधिक भार वाली वस्तुओं बाजार का आकार को देखें तो भार अधिक होने के कारण उनका बाज़ार संकीर्ण होता है। साथ ही क़ीमत भी अपेक्षाकृत कम होती है। उदाहरण के लिए, ईंट, पत्थर, रेत आदि।
(3) टिकाऊपन- ऐसी वस्तुएँ जो टिकाऊ होती हैं यानि कि ज़्यादा से ज़्यादा चलने वाली होती हैं ऐसी वस्तुओं का बाज़ार विस्तृत होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसी वस्तुएँ जिन्हें अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसी वस्तुओं का बाज़ार विस्तृत होता है। जैसे- कपड़ा, यंत्र, सोना-चाँदी, आदि। इसके विपरीत यदि वस्तुएँ शीघ्र नष्ट होने वाली हों तो इन वस्तुओं का बाज़ार विस्तृत न होकर संकीर्ण होता है। जैसे- दूध, मछली, सब्ज़ी, अंडे आदि।
(4) पूर्ति की मात्रा- वस्तुओं की पूर्ति उनकी माँग के अनुरूप कर ली जाती है। ऐसी वस्तु का बाज़ार व्यापक स्तर पर होता है। किंतु जिन वस्तुओं की पूर्ति को अधिक मात्रा में बढ़ाना संभव नहीं होता। उनका बाज़ार संकुचित हो जाता है।
(5) नमूने एवं ग्रेड की सुविधा- ऐसी वस्तुएँ जिनका ग्रेड या वर्ग अथवा उनके नमूने बनाये जाते हों। उन वस्तुओं का बाज़ार विस्तृत होता है। जैसे- गेहूँ, मशीन, कपास, दवाइयाँ, कपड़ा आदि। इसके विपरीत सब्ज़ी, मछली, दूध आदि का ग्रेडिंग नहीं किया जा सकता। इसलिए इन वस्तुओं का बाज़ार अपेक्षाकृत संकुचित होता है।
(6) क़ीमत स्थिरता- जिन वस्तुओं की क़ीमतों में स्थिरता प्रामाणिक तौर पर पायी जाती है। उनका बाज़ार अपेक्षाकृत बाजार का आकार अधिक विस्तृत पाया जाता है। जैसे- सोना व चाँदी। लेकिन इसके विपरीत स्थिरता न रखने वाले मूल्य की वस्तुओं का बाज़ार संकुचित बाजार का आकार ही रह जाता है।
(7) स्थानापन्न वस्तुओं का ना होना- जिन वस्तुओं की स्थानापन्न वस्तुएँ पर्याप्त मात्रा में बाज़ार में उपलब्ध होती हैं। उन वस्तुओं का बाज़ार संकुचित होता है। चूँकि क्रेता इन वस्तुओं के न मिलने पर तुरंत इसकी स्थानापन्न वस्तुओं को ख़रीदकर अपना काम निकाल लेता है। लेकिन यदि वस्तुओं की कोई भी निकट स्थानापन्न वस्तुएँ न हों तो ऐसी वस्तुओं का मार्केट विस्तृत हो जाता है।
मारुति को एसयूवी खंड में अपनी बाजार हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ने की उम्मीद
एमएसआई को चालू वित्त वर्ष में स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) खंड में अपनी बाजार हिस्सेदारी में उल्लेखनीय रूप से बढ़ोतरी की उम्मीद है
देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) को चालू वित्त वर्ष में स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) खंड में अपनी बाजार हिस्सेदारी में उल्लेखनीय रूप से बढ़ोतरी की बाजार का आकार उम्मीद है।
कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (विपणन एवं बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा से कहा कि नई ब्रेजा और ग्रैंड विटारा को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इससे हमें एसयूवी खंड में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
मारुति की योजना चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में और एसयूवी मॉडल उतारने की है।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘जुलाई में एसयूवी खंड में हमारी बाजार हिस्सेदारी 7.1 प्रतिशत थी . यह अगस्त में बढ़कर 10.8 प्रतिशत, सितंबर में 13.01 प्रतिशत और अक्टूबर में 14.4 प्रतिशत हो गई। यह लगातार बढ़ रही है।’’ उन्होंने कहा कि यदि कंपनी को पिछले महीने ब्रेजा के साथ आपूर्ति के मुद्दों से जूझना नहीं पड़ता, तो हमारी बाजार हिस्सेदारी और अधिक होती। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘मैं कोई आंकड़ा नहीं देना चाहूंगा, लेकिन यह कह सकता हूं कि हम इस वित्त वर्ष में बाजार हिस्सेदारी में अच्छी वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि हम कुछ और एसयूवी मॉडल उतारने जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि इससे कुल यात्री वाहन खंड में भी कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़ेगी।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एसयूवी खंड को मजबूत करना कुल बाजार हिस्सेदारी को फिर से हासिल करने की हमारी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एसयूवी खंड में उपस्थिति नहीं होने की वजह से हमने इसे गंवा दिया था।’’
मारुति की मध्यम आकार खंड में विश्वसनीय उपस्थिति नहीं थी। पिछले वित्त वर्ष में एसयूवी खंड में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 10.9 प्रतिशत थी।
वित्त वर्ष 2018-19 में यात्री वाहन बाजार में कंपनी की कुल हिस्सेदारी 51 प्रतिशत थी, जो चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में घटकर 41 प्रतिशत रह गई है। 2018-19 में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 51.22 प्रतिशत और 2019-20 में 51.03 प्रतिशत थी।
श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रेजा ने पहले ही कॉम्पैक्ट एसयूवी खंड में अग्रणी स्थिति हासिल कर ली है। वहीं ग्रैंड विटारा के मध्यम आकार के एसयूवी खंड में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।