बिटकॉइन से होने वाले नुकसान

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बिटकॉइन से होने वाले नुकसान
क्या आप जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन पर्यावरण और जलवायु के दृष्टिकोण से काफी खतरनाक है। हाल ही में इसपर की गई एक नई रिसर्च से पता चला है कि 2021 में हर बिटकॉइन के खनन से जलवायु को 11,314 अमेरिकी डॉलर के बराबर क्षति हुई थी।
वहीं शोध में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि इसके बिटकॉइन उद्योग में परिपक्वता आने के साथ इसकी प्रति कॉइन जलवायु क्षति घटने की बजाय बढ़ रही है, जोकि चिंता का विषय है। गौरतलब है कि 2016 में जहां प्रति बिटकॉइन माइनिंग से 0.9 टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन हुआ था जो 2021 में बढ़कर 113 टन पर पहुंच गया था। इस तरह देखा जाए तो इस अवधि में बिटकॉइन माइनिंग से होने वाले उत्सर्जन में करीब 125 गुना वृद्धि हुई है।
इस बारे में न्यू मैक्सिको विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता बेंजामिन ए जोन्स का कहना है कि, "हमें इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि बिटकॉइन माइनिंग समय के साथ ज्यादा सस्टेनेबल होता जा रहा है।"
वहीं यदि 2016 से 2021 के बीच जितने बिटकॉइन की माइनिंग की गई है उसके कुल प्रभाव की गणना की जाए तो वो करीब 97,707 करोड़ रुपए (1,200 करोड़ डॉलर) के बराबर बैठती है। वहीं 2021 खनन में किए गए कुल बिटकॉइंस बिटकॉइन से होने वाले नुकसान से होने वाली औसत वैश्विक क्षति की बात करें तो वो करीब 30,126 करोड़ रुपए (370 करोड़ डॉलर) के बराबर है।
देखा जाए तो बिटकॉइन के खनन से जलवायु पर पड़ने वाला प्रभाव गोल्ड माइनिंग से ज्यादा है। वहीं इसके कारण जलवायु को होने वाले नुकसान की तुलना बीफ, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल से की जा सकती है। जर्नल साइंटिफिक रिपोर्टस में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के उत्पादन का पर्यावरणीय नुकसान उसके बाजार मूल्य का औसतन बिटकॉइन से होने वाले नुकसान 35 फीसदी है।
हालांकि 2020 में यह नुकसान अपने चरम पर 82 फीसदी तक पहुंच गया था। देखा जाए तो इसकी तुलना कोयले से की जा सकती है जिसका पर्यावरण पर पड़ने वाला दबाव उसके बाजार मूल्य का करीब 95 फीसदी है। वहीं मई 2020 में यह नुकसान अपने चरम पर सिक्के की कीमत के करीब 156 फीसदी के बराबर पहुंच गया था।
वहीं यदि बीफ की बात करें तो उससे पर्यावरण और जलवायु पर पड़ने वाला प्रभाव करीब 33 फीसदी है। वहीं प्राकृतिक गैस के मामले में यह आंकड़ा करीब 46 फीसदी है। वहीं गोल्ड माइनिंग का जलवायु प्रभाव उसके बाजार मूल्य का करीब 4 फीसदी है।
क्या है यह बिटकॉइन
बिटकॉइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी होती है। देखा जाए तो पिछले कुछ सालों में लोगों की इसके प्रति दिलचस्पी काफी तेजी से बढ़ी है। देशों की पारम्परिक मुद्रा को उस देश की सरकार, बैंक आदि नियंत्रित करते हैं, पर वहीं दूसरी तरफ क्रिप्टोकरेंसी के साथ ऐसा नहीं होता है। बिटकॉइन के लेनदेन का प्रबंधन बिटकॉइन उपयोगकर्ताओं के एक डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क द्वारा किया जाता है, जिसका मतलब है कि इसे कोई व्यक्ति या संस्था नियंत्रित नहीं कर सकती है।
देखा जाए तो इस डिजिटल करेंसी के कारण पर्यावरण और जलवायु पर पड़ने वाला भारी दबाव उसके ऊर्जा उपयोग के कारण आता है। शोध के मुताबिक अध्ययन किए गए 20 दिनों में एक से ज्यादा दिनों में इन सिक्कों के कारण होने वाली जलवायु क्षति उत्पादित सिक्कों के मूल्य से अधिक हो गई थी।
शोध के मुताबिक यदि 2020 के आधार पर गणना करें तो उस वर्ष में बिटकॉइन माइनिंग ने 75.4 टेरावाट-घंटे प्रति वर्ष के हिसाब से बिजली का उपभोग किया था, जोकि ऑस्ट्रिया और पुर्तगाल जैसे देशों के कुल बिजली उपयोग से भी ज्यादा है।
इससे पहले भी जर्नल रिसोर्सेज कंजर्वेशन एंड रीसाइक्लिंग में प्रकाशित एक अध्ययन में बिटकॉइन के कारण बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक कचरे को लेकर आगाह किया था। इस शोध के हवाले से पता चला बिटकॉइन से होने वाले नुकसान बिटकॉइन से होने वाले नुकसान है कि बिटकॉइन के कारण हर साल करीब 30,700 मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है, जोकि अपने आप में एक बड़ी समस्या है। शोधकर्ताओं के मुताबिक बिटकॉइन के हर एक लेनदेन से करीब 272 ग्राम ई-वेस्ट उत्पन्न होता है, जोकि आई फोन 13 के वजन से भी कहीं ज्यादा है।
ऐसे में इन डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को कहीं ज्यादा पर्यावरण और जलवायु अनुकूल बनाने की जरुरत है। इनके लिए कड़े नियम और मानक तय किए जाने चाहिए। जिससे पर्यावरण और जलवायु पर पड़ रहे इनके दबाव को सीमित किया जा सके।
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बिटकॉइन से होने वाले नुकसान Btc की जानकारी
Btc डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली दवा है, जो टैबलेट के रूप में उपलब्ध है। इसे बिटकॉइन से होने वाले नुकसान मुख्यतः कान में संक्रमण, टॉन्सिल, निमोनिया के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Btc का उपयोग कुछ अन्य स्थितियों के लिए भी किया जा सकता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
आयु, लिंग और रोगी की पिछली स्वास्थ्य जानकारी के अनुसार Btc की खुराक दी जाती है। इसकी खुराक मरीज की समस्या और दवा देने के तरीके पर भी आधारित की जाती है। इस बारे में और अधिक जानने के लिए खुराक वाले खंड में पढ़ें।
Btc के सबसे सामान्य दुष्प्रभाव मतली या उलटी, दस्त, सिरदर्द हैं। Btc के कुछ अन्य नुकसान भी हैं जो साइड इफेक्ट के खंड में लिखे गए हैं। Btc के ये दुष्प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होते हैं और इलाज के पूरा होने के साथ ही समाप्त हो जाते हैं। अपने डॉक्टर से संपर्क करें अगर ये साइड इफेक्ट और ज्यादा बदतर हो जाते हैं या फिर लंबे समय तक रहते हैं।
गर्भवती महिलाओं पर Btc का प्रभाव मध्यम होता है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इस दवा का प्रभाव मध्यम है। आगे Btc से जुड़ी चेतावनियों के सेक्शन में बताया गया है कि Btc का लिवर, हार्ट, किडनी पर क्या असर होता है।
अगर आपको बिटकॉइन से होने वाले नुकसान पहले से कुछ चिकित्सीय समस्याएं हैं जैसे लिवर रोग, एनीमिया तो Btc दवा की सलाह नहीं दी जाती है, इससे दुष्परिणाम हो सकते हैं। आगे ऐसी अन्य समस्याएं भी बताई गई हैं जिनमें Btc लेने से आपको दुष्प्रभाव अनुभव हो सकते हैं।
इन उपरोक्त परिस्थितियों के अलावा Btc कुछ अन्य दवाओं के साथ लिए जाने पर गंभीर प्रतिक्रिया कर सकती है। इन प्रतिक्रियाओं की विस्तृत सूची नीचे दी गई है।
उपरोक्त सभी जानकारीयों के साथ-साथ यह भी ध्यान रखें कि ड्राइविंग करते समय Btc दवा लेना असुरक्षित है। यह भी ध्यान रखें कि इस दवा की लत नहीं लग सकती है।
RBI बदलने वाला है कैश का लेन-देन, इस योजना पर कर रहा काम
आने वाले दिनों में आपको कैश लेकर नहीं चलना होगा. भारत में अब लेन-देन का तरीका बदलने वाला है. मतलब अब करेंसी पूरी तरह डिजिटल होने वाली है. आप सोच रहे होंगे कि क्या यह डिजिटल करेंसी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करेगी. तो हां यह एक तरह का रुपया ही होगा और इसे आरबीआई ही जारी करेगी. लेकिन यह प्रिंटेड नोट से बिल्कुल अलग होगा.मीडिया रिपोर्ट की माने तो आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने पहले कह चुके हैं कि भारत को डिजिटल करेंसी की जरूरत है. उन्होंने एक हफ्ते पहले एक वेबिनार में इस बात को कहा था. उन्होंने डिजिटल करेंसी का महत्व समझाते हुए कहा था कि यह बिटकॉइन जैसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी यानी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से होने वाले नुकसान से बचाएगी. उन्होंने यह भी बताया की आरबीआई इसपर काम कर रही है. हालांकि यह कब तक पूरा होगा इसके बारे में जानकारी नहीं दी.
बता दें कि दुनिया के 14 प्रतिशत केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी की पायलट टेस्टिंग कर रहे हैं. वहीं दुनिया भर के 86 प्रतिशत केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी पर रिसर्च कर रहे हैं. जिसमें भारत भी शामिल है. आरबीआई डिजिटल रुपए की संभावनाओं पर काम कर रही है. इसके लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का एक प्रस्ताव पेश किया गया है.
डिजिटल करेंसी कैसे करेगा रन
डिजिटल करेंसी में आप वैसे ही लेन-देन कर सकते हैं जैसे की कैश के जरिए करते हैं. यह कैश का एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक रूप है. इसके लेन-देन में बैंक या किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं पड़ती है. आरबीआई से डिजिटल करेंसी आपको मिलेगी और आप जिसे पेमेंट या ट्रांसफर करेंगे, उसके पास पहुंच जाएगी. यह किसी बैंक के अकाउंट में या वॉलेट में नहीं जाएगी. यह कैश की तरह ही रन करेगा. लेकिन माध्यम पूरी तरह डिजिटल होगा.
डिजिटल करेंसी के फायदें
डिजिटल करेंसी उसी तरह काम करेगी जैसे की अभी ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम काम करते हैं. यानी अपने स्मार्टफोन से ही ई-रुपये में भुगतान कर सकेंगे या पैसा ट्रांसफर कर सकेंगे. इससे नकदी पर लोगों की निर्भरता घटेगी. इसके साथ ही नोटों की छपाई और सिक्कों की ढलाई पर होने वाला भारी-भरकम खर्च भी बचेगा. डिजिटल करेंसी आने से नकली रुपयों पर रोक लगेगी. रिश्वतखोरी और बेनामी लेन-देन पर भी काफी हद तक लगाम लगाया जा सकेगा.