टेक्निकल इंडीकेटर्स

हमें उम्मीद है कि आपको Swing Trading Meaning in Hindi लेख अच्छे से समझ में आ गया होग, कि स्विंग ट्रेडिंग क्या है….
दिल्ली: ट्रक चालकों को दिया गया टायर सुरक्षा प्रशिक्षण
हरियाणा के गुरुग्राम और करनाल स्थित इंडियन ऑयल के बोटलिंग प्लांट से घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर की आपूर्ति करने वाले वाणिज्यिक वाहनों के चालकों को टायर की देखभाल एवं सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को प्रशिक्षित किया गया। चालकों एवं लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं को टायर सुरक्षा के संबंध में प्रशिक्षित करने के लिए ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) और उसकी तकनीकी इकाई इंडियन टायर टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (आईटीटीएसी) ने इंडियन टेक्निकल इंडीकेटर्स ऑयल से हाथ मिलाया है।
ये चालक इंडियन ऑयल के इंडेन कुकिंग गैस की आपूर्ति करते हैं। इंडियन ऑयल के दोनों बोटलिंग प्लांट पर दो दिन चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में 150 से ज्यादा वाणिज्यिक चालकों, क्लीनर्स एवं फ्लीट मैनेजरों को टायर सुरक्षा का विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
इंडियन ऑयल के गुरुग्राम बोटलिंग प्लांट के सुजीत कुमार और करनाल प्लांट के नवीन मुखीजा ने प्रशिक्षण कायक्रमों की अगुआई की। आईटीटीएसी के चेयरमैन टॉम थॉमस ने कहा, 'एलपीजी सिलेंडर को लाना-ले जाना बहुत जिम्मेदारी का काम है। परिवहन सेक्टर में अहम भूमिका निभाने वाले टेक्निकल इंडीकेटर्स वाणिज्यिक वाहनों के चालकों को सुरक्षा के सभी मानकों के प्रति सतर्क एवं जागरूक होना चाहिए।
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
- nupur praveen
- Publish Date - टेक्निकल इंडीकेटर्स August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो टेक्निकल इंडीकेटर्स स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री टेक्निकल इंडीकेटर्स पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित टेक्निकल इंडीकेटर्स करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
Galaxy Surfactants Limited
CMP: 3048 रुपये
Buy Range: 3045-2985 रुपये
Stop loss: 2880 रुपये
Upside: 8%-11%
Galaxy Surfactants ने वीकली चार्ट पर डाउन स्लोपिंग ट्रेंड का 2970 के लेवल के आस पास से ब्रेकआउट किया है. यह ब्रेकआउट अच्छे खासे वॉल्यूम के साथ हुआ है. इससे पार्टिसिपेशन बढ़ने के संकेत हैं. शेयर अपने 20, 50, 100 और 200 डे SMA के पार ट्रेड कर रहा है. डेली और वीकली स्ट्रेंथ इंडीकेटर्स RSI बुलिश मोड में बना हुआ है. शेयर कुछ दिनों में 3250-3360 का लेवल दिखा सकता है.
Bharat Electronics
CMP: 246 रुपये
Buy Range: 245-241 रुपये
Stop loss: 233 रुपये
Upside: 7%-13%
Bharat Electronics ने क्लोजिंग बेसिस पर सिमेट्रिकल ट्राएंगुलर पैटर्न का 242 के लेवल के आस पास ब्रेकआउट किया है. शेयर में मोमेंटम लगातार बढ़ रहा है. यह ब्रेकआउट अच्छे खासे वॉल्यूम के साथ हुआ है. इससे पार्टिसिपेशन बढ़ने के संकेत हैं. शेयर ने अपने 20 और 50 डे SMA को रीकैप्चर किया है और इसके पार बना हुआ है. यह शेयर के लिए पॉजिटिव संकेत हैं. डेली और वीकली स्ट्रेंथ इंडीकेटर्स RSI बुलिश मोड में बना हुआ है. शेयर कुछ दिनों में 260-275 का लेवल दिखा सकता है.
Bajaj Auto
CMP: 3910 रुपये
Buy Range: 3880-3800 रुपये
Stop loss: 3710 रुपये
Upside: 6%-10%
वीकली चार्ट पर Bajaj Auto ने हायर टॉप्स एंड बॉटम्स सीरीज बनाया है. यह बॉइंग मोमेंटम 100 हफ्ते के SMA सपोर्ट जोन के पास से देखने को मिला है. वीकली लाइन चार्ट पर शेयर ने 3880 के लेवल के पास से मल्टीपल सपोर्ट जोन का ब्रेकआउट किया है. शेयर अपने 20, 50, 100 और 200 डे SMA के पार ट्रेड कर रहा है. डेली और वीकली स्ट्रेंथ इंडीकेटर्स RSI बुलिश मोड में बना हुआ है. शेयर कुछ दिनों में 4085-4230 का लेवल दिखा सकता टेक्निकल इंडीकेटर्स है.
(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
स्विंग ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
स्विंग ट्रेडिंग करने ट्रेडर को रूप में आपको टेक्निकल एनालिसिस की चाहिए, जिससे कि ऐसे स्टॉक्स को खोजने में सक्षम हो सके छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न दे सके। इसलिए अगर आप स्विंग ट्रेडिंग के लिए सही स्टॉक की तलाश करना चाहते है तो पहले टेक्निकल एनालिसिस सीखे, उसके उपरान्त डेली एंव साप्ताहिक चार्ट पर ऐसे स्टॉक को ढूढ़े जो किसी सपोर्ट को तोड़ कर ऊपर निकल रहे हो। ऐसे स्टॉक छोटी अवधि में अच्छा पैसा कमा कर देते है।
स्विंग ट्रेडिंग का उद्देश्य क्या है?
स्विंग ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग शैली है जिसका मुख्य उद्देश्य एक छोटी अवधि के भीतर स्टॉक खरीदना या बेचना शामिल है, जिससे की वह स्टॉक में होने वाले मूवमेंट से प्रॉफिट कर सके। एक स्विंग ट्रेडर आमतौर पर कुछ मूवमेंट दिखाने वाले शेयरों को खोजने की कोशिश करता है और ट्रेंड की शुरुआत में ट्रेड में प्रवेश करता है। ज्यादातर मामलों में, एक स्विंग ट्रेडर ट्रेंड खत्म होने से पहले ट्रेड से बाहर निकलने का प्रयास करता है।
स्विंग ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को 2 दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक बनाए रखना चाहते हैं, जिससे स्विंग ट्रेडिंग ट्रेड का अच्छे से फायदा लिया जा सके, स्विंग ट्रेड दो प्रकार के होते हैं:
1) काउंटर ट्रेंड स्विंग ट्रेड – स्टॉक के ट्रेंड की दिशा में रेजिस्टेंस या सपोर्ट एरिया में बेचना या खरीदना (उदाहरण के लिए, अपट्रेंड के दौरान रेजिस्टेंस में बेचना या डाउनट्रेंड के सपोर्ट पर खरीदना)।
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग कुछ हद तक समान हैं। क्योंकि दोनों में लाभ कमाने के प्रयास में स्टॉक खरीदना और बेचना शामिल होता है, लेकिन इनके बीच सबसे बड़ा अंतर समय का होता है।
स्विंग ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक होल्ड रखते है, जबकि इंट्राडे ट्रेडर अपनी पोजीशन को सेम डे पर क्लोज है।
डे ट्रेडर्स के पास स्विंग ट्रेडर की तरह “धैर्य” नहीं है, इसलिए वह प्राइस में होने वाले छोटे – छोटे बदलावों से पैसा बनाने टेक्निकल इंडीकेटर्स की कोशिश करते है और अपनी पोजीशन को ओवरनाइट होल्ड करने का रिस्क नहीं लेते है।
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में एक भी मुख्य अन्तर है कि अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते है तो आपको ब्रोकर की तरफ से मार्जिन दिया जाता है जिस कारण से आप कम पैसो के साथ भी इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते है।
नई महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन के डिज़ाइन का हुआ ख़ुलासा
महिंद्रा ने नई स्कॉर्पियो-एन से पर्दा उठाया है। पहले इसे Z101 का कोडनाम दिया गया गया था। बता दें, कि इसे नए बॉडी-ऑन-फ्रेम प्लेटफ़ॉर्म पर तैयार किया जाएगा। 27 जून को लॉन्च होने वाली 2022 महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन आधिकारिक वेबसाइट पर अब उपलब्ध है। इस नए मॉडल का प्रोडक्शन पुणे में स्थित कंपनी के चाकण प्लांट में किया जाएगा। इसके अलावा मौजूदा जनरेशन स्कॉर्पियो देश में अब ‘स्कॉर्पियो क्लासिक’ के नाम से बेची जाएगी।