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फाइनेंस का महत्त्व

फाइनेंस का महत्त्व

जेब में पड़ें मात्र 5,000 रुपए में शुरु करें ये बिजनेस! 90 दिन में होगी 3 लाख तक की बंपर कमाई

नई दिल्ली: Basil Farming News. कोरोना काल में लाखों करोड़ों लोगों ने दंश झेला है। जिससे ऐसे कई लोग हैं जो अपने लिए खास कमाई करने वाला काम को नहीं पकड़ पाए हैं, या फिर कोई नया बिजनेस करने के बारे में सोच रहे हैं, तो यहां पर जान सकते हैं ऐसे खास बिजनेस के बारे में जो गांव में रह कर किया जा सकता है, और 3 महीने में ही 3 लाख तक की बंपर कमाई की जा सकती है।

दरअसल आप को बता दे कि देश में अब सप्लाई चैन तैजी से बदल रही है, यही वजह है कि गांव में तैयार हो रही कई चीजें आराम से जरुरत वाली स्थान पर पहुच रही है। यही वजह से देश में ऐसे कई बिजनेस तेजी फलफूल रहे हैं। ऐसे में आप भी ऐसे खास बिजनेस को शुरु कर सकते हैं। आज आपको हम एक ऐसा बिजनेस आईडिया दे रहे हैं जिसे आप अपनी नौकरी के साथ या घर बैठे भी कर सकते हैं। तुलसी (Basil Farming) की खेती एक ऐसा बिजनेस है जिसे आप बहुत कम समय में कर सकते हैं और लाखों कमा सकते हैं।

गौरतलब है कि तुलसी के पौधे (Basil Farming) का आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्त्व प्राचीन समय से रहा है। वही हिंदू धर्म में मेंं इसका काफी प्रयोग किया जाता है। आज के में आयुर्वेदिक तुलसी का प्रयोग कई कामों में किया जाता है। यही वजह है कि आज के समय में तुलसी के फाइनेंस का महत्त्व कई उत्पाद बन रहे हैं। तुलसी के पौधे का बिजनेस करके आप लाखों रुपये कमा सकते हैं। इसमें आपको बहुत ज्यादा निवेश करने की भी जरुरत नहीं है।

इन कामों में होता तुलसी के पौधे का यूज

आप को बता दें कि तुलसी के पौधे का महत्व आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्त्व प्राचीन समय से रहा है। जेिससे इस पौधे की जड़ें, तना व पत्ती सहित सारे ही भाग ही दवाई बनाने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इसलिए इस पौधे की डिमांड दिन-ब-दिन बढ़ रही है। वही आयुर्वेदिक दवाइयों में, यूनानी, होमियोपैथी तथा एलोपैथी की भी दवाइयों में तुलसी का अत्यधिक उपयोग किया जाता है।

ऐसे शुरु करें तुलसी की खेती

आप को बता दें कि तुलसी की खेती के लिए फाइनेंस का महत्त्व फाइनेंस का महत्त्व लोगों को ज्यादा कुछ ट्रेनिंग की जरुरत नहीं पड़ती है। तुलसी की खेती (Basil Farming) करने के लिए जुलाई के महीने में होती है। वही RRLOC 12 व RRLOC 14 प्रजाति के पौधों के लिए 50 x 50 सेंटीमीटर की दूरी अवश्य रखनी चाहिए।

तुलसी के पौधों की पत्तियां बड़ी होने पर इस पौधे की कटाई की जाती है, तब पौधों में फूल आ जाते हैं तो उससे इनमें तेल की मात्रा घट जाती है इसलिए इन पौधों में फूल आने की शुरुआत हो तभी इसकी कटाई कर देनी चाहिए।

वही आप को बता दें कि तुलसी के पौधों को सेल करने के लिए आप को कही जाने की जरुरत नहीं पड़ती है, जिससे ऑनलाइन ही कंपनियों से संपर्क किया जा सकता है। आप को बता दें कि, डाबर, वैद्यनाथ, पतंजलि जैसी कई कंपनियाँ तुलसी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवा रही हैं। सबसे खास बात ये हैं कि तुलसी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाली कंपनी ट्रेनिंग देती है।

तुलसी की खेती के लिए निवेश और कमाई

तुलसी की खेती के लिए निवेश और कमाई की बात करें तो, तुलसी की खेती खासियत यह है कि इसके लिए आपको बहुत ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोग अपने खाल पड़ी जमीन में तुलसी की खेती करने सकते हैं। निवेश की बात करें तो, इसके लिए आपको बस 5000 लगाकर भी यह बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं। वही इसमें केवल 3 माह पश्चात ही यह पौधा तैयार हो जाता है और तुलसी की फसल करीब 3 लाख रुपये में बिक जाएगी।

आप को बता दें कि तुलसी पौधों को सेल करने के लिए आप आप मंडी के एजेंट से संपर्क करके या सीधा मंडी में जाकर इन पौधों को बेच सकते हैं। वही अगर कॉन्ट्रेक्ट पर खेती कराते हैं तो आप को कोई टेंशन लेने के जरुरत नहीं। ये कंपनी तैयार फसल पर आप को भारी कीमत देगीं।

विश्व पर्यावरण दिवस: 5 जून

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हर साल 5 जून को विश्व स्तर पर World Environment Day यानि विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रतिवर्ष यह दिन पर्यावरण संक्षरण और लोगों को प्रकृति के महत्त्व के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरण को संरक्षित करने और इसे बनाए रखने में व्यक्तियों, उद्यमों और समुदायों द्वारा “एक प्रबुद्ध विचार और जिम्मेदार आचरण के लिए आधार” को व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करता है।

इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘Reimagine. Recreate. Restore’ है। क्योंकि यह वर्ष पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र फाइनेंस का महत्त्व दशक की शुरुआत का प्रतीक है। इस वर्ष पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के महत्व को उजागर करने के लिए पाकिस्तान इस दिवस का वैश्विक मेजबान है।

विश्व पर्यावरण दिवस: इतिहास

साल 1974 में पहली बार “Only one Earth” के नारे के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर सम्मेलन आयोजित किया गया था जो संयुक्त राष्ट्र में 5 से 16 जून तक चला था।

मातृभाषा हिंदी पर निबंध |Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

hindi bhasha ka mahatva

हिंदी भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है| दुनिया में सर्व प्रथम संस्कृत भाषा का निर्माण हुआ उसके बहुत जल्द देवनागरी लिपि जो आज हिंदी के नाम से जानी जाती है उसका अस्तित्व आया| हिंदी संस्कृत भाषा का सरल अनुवाद है|

संस्कृत को सरल करने के लिए हिंदी का जन्म हुआ है| हिंदी के बाद भारत वर्ष में तमिल, तेलगु ,कन्नड़, गुजरती, उर्दू तथा कई अन्य फाइनेंस का महत्त्व भाषा अस्तित्व में आयी| सम्पूर्ण दुनिया पहले सिर्फ भारत थी आज सहस्त देशों में बट चुकी है| आज के आधुनिक संसार में ऐसा कोई देश नहीं जहाँ हिंदी न बोली जाती हो क्योंकि हर जगह का अस्तित्व भारत से हुआ है और हिंदी भारत की धरोहर है|

हिंदी शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुआ है| सिन्धु एक नदी का नाम है जो की भारत वर्ष की प्रमुख और प्राचीन नदियों में से एक है| बाहरी महाद्वीप के लोग इस नदी को उदाहरण के रूप में “जिस देश में ये नदी है” वहां के लोगों को सिंधु न कह के हिन्दू पुकारने लगे क्यों की उनके तलाफुज़ में स शब्द निकलना बहुत कठिन होता था, जिस वजह से स की जगह ह लगा कर सिंधु को हिन्दू कहने लगे|

तब से भारत के लोगो को हिन्दू पुकारा जाने लगा, और आगे चल के पूरा देश हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा और उसी हिन्दू से हिंदी शब्द आया और हिंदी भाषा का नाम करण हुआ| हिन्दू शब्द किसी भी शास्त्र, वेद, पुराण, उपनिषद में कहीं नहीं है, यह नाम हमे ज़बरदस्ती सौंपा गया है| आज के हिन्दू वास्तव में सनातन तथा आर्य है और सभी नए धर्म के लोग भी पहले सनातन ही थे| .

हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा मिला है परंतु उसको आधिकारिक काम में कोई अहमियत नहीं | आधिकारिक काम काजो में अंग्रेजी को ही महत्व दिया जाता है| आज के समय हिंदी भाषा सिर्फ नाम मात्रा के लिए श्रेष्ठ है, इसका महत्व लोग भूलते जा रहे है| हम सभी हिंदी में ही वार्तालाप करते है ये एक बहुत ही अच्छी बात है|

हिंदी एक मात्रा ऐसी भाषा है जिसको समझना बाकी हर भाषा से सबसे सरल है| हिंदी हर एक भारतीय को अानी चाहिए क्योंकि इसने हमे जीवन के आदर्श सिखाये है|

हिंदी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है| हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है क्योंकि की भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय अधिकार नहीं दिया गया है| हिंदी भाषा से ही अन्य सभी भाषाओँ का विस्तार हुआ है | हिंदी की देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं जो की बाएं से दाएं लिखी जाती है| भारत में हिंदी को सर्व प्रिय मन जाता है|

हिंदी भाषा आज के समय मज़ाक का विषय बनते जा रहा है| आज के समय अंग्रेजी को ज़ादा महत्व दिया जा रहा है| आज के समय में किसी विद्यार्थी से हिंदी की वर्णमाला सुनाने को कहा जाए तोह ९० प्रतिशत लोग इसमें असफल रहेंगे, वहीं अंग्रेजी की वर्णमाला शायद ही किसी पढ़ने वाले विद्यार्थी से न बने|

आज के समय हिंदी विश्व की पांच सबसे प्रसिद्ध भाषाओ में से एक है | एक तरह से समझा जाए तो हिंदी हमारे दिल की भाषा है और आज अंग्रेजी पेट की भाषा है| आज देश में हिंदी और अंग्रेजी की लड़ाई में हिंदी हारती जा रही है| देश में हिंदी बोलने वालों को महत्व नहीं दिया जा रहा है | हिंदी ही एक मात्र भाषा है जिसमे इंसान अपनी अनुभूति, अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से ज़ाहिर कर सकता है अन्यथा ये किसी और भाषा में पूर्ण रूप से नहीं पाया जाता|

हिंदी का सबसे बड़ा महत्व ये है की इस भाषा में त्रुटि बिल्कुल भी नहीं है| ये जैसे बोली जाती है वैसे ही सोची और समझी जाती है| भारत की हिंदी फिल्मे पूरी दुनिया में देखि और पसंद की जाती है और भारत का संगीत जो की हिंदी भाषा से निर्मित सबसे ज़ादा गाया और बजाया जाता है| भारत की हिंदी फिल्मों का देश के लोगों पे ज़बरदस्त प्रभाव होता है और ये भारत के बहार भी अपनी छाप छोड़ती है| दुनिया में सबसे ज़ादा गाने हिंदी भाषा में बने है |

किसी भी देश की भाषा उसकी उनती का मार्ग होती है और भारत में हिंदी ने सबसे अहम् भूमिका निभाई है| हिंदी भाषा ही एक भाषा है जिसने पुरे देश को एकता के बंधन में बांध के रखा है| हमारे देश के संविधान में हिंदी को देश की संघ भाषा का दर्जा दिया गया है | आज पूरे विश्व में तकरीबन १३० देशो में हिंदी भाषा का अध्यन होता है|

आज के समय कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से शुद्ध हिंदी में वार्तालाप नहीं करता| यह एक गंभीर विषय है जिसे समय रहते इसका समाधान ढूँढना बहुत आवश्यक है | भारत देश के विश्वप्रसिद्ध नेताओं ने हिंदी का महत्व बखूबी समझा और उसे बहुत सम्मान दिया है जैसे स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गाँधी इत्यादि|

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिंदी में इतना प्रभावशाली भाषण दिया था जिसको विश्व में सभी सुनने वाले लोग स्तब्ध रह गए थे | वर्तमान में भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हिंदी का फाइनेंस का महत्त्व महत्त्व दुनिया को बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनके भाषण हमेशा हिंदी में रहते है चाहे वो कोई भी राज्य या देश में जाए| हिंदी भाषा इतनी प्रभावशाली है की आज दूर देश से लोग हिंदी पढ़ने भारत आते है|

पिछले कुछ वर्षो में हिंदी का सत्तर काफी बढ़ा है जिसमे श्री नरेंद्र मोदी जी का बहुत बड़ा योगदान है| पर फिर भी हिंदी का सत्तर उस स्थान पे नहीं है जहाँ उससे होना चाहिए था, इसके लिए हमे अपनी शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधर करने पड़ेंगे, वैसे भी हमारे देश की शिक्षा प्रणाली एक दम निचले सत्तर पे है|

भारत में हिंदी के लेखकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है जिसमे कई प्रसिद्ध लेखक,कवी,गीतकार और साहित्यकार को आज भी उनके कार्य के लिए हमेशा याद किया जाता है जिसमे कालिदास, आर्यभट,कबीर, मुंशी प्रेम चाँद, हरिवंश राइ बच्चन, आनंद बक्शी, समीर अनजान, गुलज़ार, जावेद अख्तर, रविंद्र जैन , ये सब वो नाम है जिनकी तारीफ़ के लिए हिंदी के सभी शब्द कम पड़ जाए| हिंदी के गीतकार समीर को २०१५ में तकरीबन ३५२४ हिंदी गीत लिखने पे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया|

ये सभी बातें हिंदी की महानता को दर्शाती है| तारीख १४ सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में बहुत धूम-धाम से हर जगह मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन १९४९ में, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में गणराज्य भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में लिखी हिंदी को अपनाया था।

हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है| इसलिए हिंदी के महत्व को समझे और दुसरो को भी समझाएं |

अंततः इससे याद रखे ,
“हिंदी किसी एक प्रदेश की भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा है” -विलियम |

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केंद्रीय विद्यालयों में हजारों पदों पर वैकेंसी, आवेदन की प्रक्रिया शुरू

केंद्रीय विद्यालयों में हजारों पदों पर निकली वैकेंसी के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए यह शानदार मौका है। केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के अंतर्गत आने वाले देश भर में स्थित विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में टीचिंग और नॉन-टीचिंग के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑफिशियल वेबसाइट kvsangathan.nic.in पर शुरू की गई है।
केवीएस की भर्ती के लिए इच्छुक उम्मीदवार 26 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं। केवीएस द्वारा 2 दिसंबर को जारी दो भर्ती विज्ञापनों (सं. 15/2022 और 16/2022) के अनुसार कुल 13404 प्राइमरी टीचर (पीआरटी), पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी), ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) और कई नॉन-टीचिंग के पदों को भरा जाना है।
वैकेंसी डिटेल्स
प्राइमरी टीचर (पीआरटी) – 6414
प्राइमरी टीचर (म्यूजिक) – 303
पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) – 1409
ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) – 3176
जूनियर सेक्रेटेरियल असिस्टेंट – 702
स्टेनोग्राफर ग्रेड 2 – 54
सीनियर सेक्रेटेरियल असिस्टेंट – 322
हिंदी ट्रांसलेटर – 11
असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर – 156
असिस्टेंट इंजीनियर सिविल – 2
फाइनेंस ऑफिसर – 6
लाइब्रेरियन – 355
असिस्टेंट कमिश्नर – 52
प्रिंसिपल – 239
वाइस-प्रिंसिपल - 203
योग्यता
अलग-अलग पदों के लिए अलग-अलग योग्यता निर्धारित है। योग्यता के संबंध में जानकारी के लिए ऑफिशियल नोटिफिकेशन चेक करें।
आवेदन फीस
टीचिंग (पीआरटी, टीजीटी, पीजीटी) पदों के लिए 1500 रुपये फीस का भुगतान ऑनलाइन करना होगा। वहीं, कई नॉन-टीचिंग पदों के लिए फीस 1200 रुपये या 1500 रुपये या 2300 रुपये भी है।
ऐसे होगा चयन
प्राइमरी टीचर, ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर और पोस्ट ग्रेजुएट टीचर और नॉन टीचिंग के लिए उम्मीदवारों का चयन तीन स्टेज में किया जाएगा, इनमें कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट, स्किल टेस्ट और इंटरव्यू शामिल होगा। सभी स्टेज में पास होने वाले उम्मीदवारों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल फाइनेंस का महत्त्व परीक्षण के लिए बुलाया जाएगा। इसमें पास होने वाले उम्मीदवारों की ही नियुक्ति की जाएगी।
ऐसे करें अप्लाई
- सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट kvsangathan.nic.in पर जाएं।
- इसके बाद वेबसाइट पर दिए गए Announcements पर क्लिक करें।
- अब संबंधित भर्ती के आवेदन लिंक पर क्लिक करें।
- एप्लीकेशन फॉर्म में मांगी गई जानकारी सबमिट करें।
- फीस जमा कर सभी प्रक्रिया पूरी कर लें।
Compiled: Legend News

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