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बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

Share Bazar Live: बाजार के लिए क्या हैं अहम संकेत, जानिए Anil Singhvi के साथ

Zee Business का यह सेगमेंट आपको एक दृष्टिकोण देता है कि आज वैश्विक बाजार के प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जाती है। इसके अलावा, उन प्रमुख ट्रिगर्स के बारे में जानें जो आज बाजार के लिए मायने रखते हैं और जिन शेयरों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।

डॉलर की मजबूती और मंदी की आशंका से सहमे एशियाई बाजार, लंबा चल सकता है गिरावट का दौर

आज शुरुआती कारोबार में ही भारत सहित लगभग सभी एशियाई बाजार गिर गए हैं.

आज शुरुआती कारोबार में ही भारत सहित लगभग सभी एशियाई बाजार गिर गए हैं.

भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को लगातार छठे कारोबारी सत्र में गिरावट दिखी और सेंसेक्‍स खुलते ही 500 अंक टूट गया. जापान . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 28, 2022, 11:07 IST

हाइलाइट्स

जापान का निक्‍की 2.1% और दक्षिण कोरियाई शेयर बाजार 2.4% गिर गया है.
चीन के हालात भी कुछ अच्‍छे नहीं है. चीनी ब्लू चिप्स 0.6% गिरा है.
बीएसई सेंसेक्‍स बुधवार को खुलते ही 500 अंक टूट गया.

नई दिल्‍ली. एशियाई शेयर बाजार बुधवार 28 सितंबर को भी लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं. कई देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी से मांग में कमी से मंदी आने की आशंका और डॉलर मजबूत होने से निवेशक शेयर बाजार से दूर हो रहे हैं. अमेरिका में बेकाबू महंगाई, ब्रिटेन सहित लगभग बड़े यूरोपिय देशों में खराब होते आर्थिक हालात भी एशियाई बाजारों के लिए विलेन बन गए हैं. आज शुरुआती कारोबार में ही भारत सहित लगभग सभी एशियाई बाजार गिर गए हैं.

बुधवार को भारतीय शेयर बाजारों में लगातार छठे कारोबारी सत्र में गिरावट दिखी और सेंसेक्‍स खुलते ही 500 अंक टूट गया.सुबह 9.28 बजे सेंसेक्‍स 519 अंकों के नुकसान के साथ 56,589 पर ट्रेडिंग कर रहा था, जबकि निफ्टी 159 अंक टूटकर 16,871 पर पहुंच गया. जापान का निक्‍की 2.1% और दक्षिण कोरियाई शेयर बाजार 2.4% गिरकर दो साल के निचले स्तर पर आ गए हैं. चीन के हालात भी कुछ अच्‍छे नहीं है. चीनी ब्लू चिप्स 0.6% गिरा है. वहीं, अमेरिकी एसएंडपी 500 वायदा 0.8% फिसल गया है. जबकि नैस्डैक वायदा 1.0% गिरा. S&P 500 लगातार 7 सत्रों गिर रहा है.

MSCI सूचकांक दो साल के निचले सत्र पर
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती ब्‍याज दरों और और धीमी वृद्धि दर शेयर बाजारों के लिए बहुत घातक है. जापान को छोड़कर एशिया-प्रशांत शेयरों का MSCI सूचकांक 1.7% गिरकर अप्रैल 2020 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है. आज भी चीन का यूआन डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड लो पर चला गया है. वहीं, भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले 81.83 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया है.

क्‍यों आ रही है गिरावट?
अमेरिकी बॉन्‍ड यील्‍ड के 4 फीसदी से ऊपर होने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करने की संभावना एशियाई बाजारों को उठने नहीं दे रही है. कैपिटल इकनोमिक्‍स में ग्‍लोबल इकनोमिक्‍स के हेड जेनिफर मेककैन का कहना है कि, “अब यह स्पष्ट हो गया है कि विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाओं के केंद्रीय बैंक अपनी ब्‍याज दरों को बढ़ाएंगे और दरें तीन दशक के उच्‍चतम स्‍तर पर होंगी. अगले साल में हमें वैश्विक मंदी दिखेगी भी और यह महसूस भी होगी. इसलिए हम कह रहे हैं कि मंदी आ रही है.” मंदी की आशंका से निवेशक बुरी तरह डरे हुए हैं.

यूरोप के खराब हालात
जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा कि ब्रिटेन द्वारा अपनी आर्थिक नीतियों में बदलाव और इटली में सत्‍ता दक्षिणपंथी पार्टी के हाथ में आने से यूरोप के हालातों में फिलहाल सुधार आने की संभावना नहीं है. यूरोप में महंगाई उच्‍च स्‍तर पर है और यूरोपियन सॉवेरिन यील्‍ड भी दो साल के उच्‍च स्‍तर पर चली गई है. स्‍टर्लिंग और यूके बॉन्‍ड में गिरावट का भी नकारात्‍मक असर हो रहा है.

रेटिंग एजेंसी मूडीज के ब्रिटेन सरकार की कर कटौती को देश की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए खतरनाक बताने के बाद स्टर्लिंग और दबाव में आ गया है. मूडीज का कहना है कि ब्रिटेन का यह कदम देश की क्रेडिट स्थिति के लिए नकारात्मक है. डॉयचे बैंक में एफएक्स रणनीति के वैश्विक प्रमुख जॉर्ज सरवेलोस ने कहा कि निवेशक चाहते हैं कि ब्रिटेन के घाटे का वित्‍तपोषण हो. बाजार चाहता है कि ब्रिटेन की मुद्रा में स्थिरता आए. अगर ऐसा नहीं होगा तो मुद्रा और गिरेगी, महंगाई बढ़ेगी जो और परेशानियां पैदा करेंगी.

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रणनीति की कमी और वैश्विक दबावों के चलते जनरल मोटर्स ने भारतीय बाजार से बाहर जाने का फैसला लिया

जनरल मोटर्स (जीएम) ने भारत में इस सप्ताह घोषणा की थी कि वह भारत में इस साल दिसंबर के बाद से अपनी कारें नहीं बेचेगा बल्कि उन्हें केवल निर्यात करेगा। कंपनी के इस फैसले के पीछे का कारण वैश्विक मजबूरियां बताया जा रहा है। बता दें कि कंपनी दक्षिण अफ्रीका के बाजार से भी बाहर हो रही है।

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इसके अलावा भी कई समस्याएं थीं। इसके इंडियन बिजनस में लगातार उठापटक चलती रही। भारत में अपने 21 वर्ष के कारोबार में कंपनी ने नौ सीईओ बदले, एक सीईओ का कार्यकाल औसतन 2.5 साल रहा। मारुति ने 35 वर्ष के कारोबार में अभी तक केवल पांच सीईओ ही बदले। कंपनी के लिए नेतृत्व में स्थिरता एक बड़ी समस्या रही।

जनरल मोटर्स का कई देशों में कारोबार है। भारत कंपनी के साउथ-पसिफ़िक ऑफिस के क्षेत्र में आता है। यहां से भारत में कंपनी के कामकाज के कई आयामों को नियंत्रित किया जाता है। भारत के सीईओ को कंपनी की कई कमिटियों में शामिल होना पड़ता था और वह भारत में डीलर नेटवर्क के साथ कम समय बिताते थे। इससे स्पष्ट है कि भारत में कंपनी की प्रॉडक्ट स्ट्रैटिजी और मार्केटिंग में सामंजस्य की कमी रही। भारत में जीएम ओपेल ब्रैंड के ऑस्ट्रा और कोर्सा कारों के साथ आई थी। इन कारों ने भारत में मीडियम मार्केट बनाया था। 2003 में कंपनी सेवरले ब्रैंड के साथ आई और 2012 के बाद वह चीनी मॉडल भारत में ले आई।

इन सभी बदलावों के चलते कंपनी भारत में ब्रैंड बनाने में कामयाब नहीं हो पाई और ग्राहकों में भरोसा भी नहीं जगा पाई। 20 सालों में कंपनी ने देश में करीब 20 मॉडल उतारे जिनमें से 10 को वापस ले लिया, इन कारों की कीमत 3 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक है। लगातार बाजार के लिए वैश्विक रणनीति नए मॉडल लॉन्च करने और पुराने वापस लेने से जीएम की कारें इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को मनोबल गिरता था। इससे तेजी से कारों की रीसेल वैल्यू गिरी और लोग नई कारें लेने से दूर रहने लगे। इस सबसे बाजार के लिए वैश्विक रणनीति डीलरों का भी मनोबल गिरता रहा। जीएम ने देश में अभी तक कुल 10 लाख कारें बेची हैं। वहीं, 33 सालों के कारोबार में मारुति ने भारत में 20 मॉडल लॉन्च किए और केवल आठ वापस लिए, कंपनी की कुल सेल 1.30 करोड़ यूनिट हैं।

जीएम इंडिया के फैसले में उस तरह की मजबूरियां दिखती हैं जिनका सामना एमएमसी कंपनियों को करना पड़ता था। कंपनी को बैंकरप्सी के साथ-साथ 2008 में वित्तीय संकट का भी सामान करना पड़ा। इसका स्टॉक रुक गया और निवेशकों से अच्छे परिणाम दिखाने का दबाव बनने लगा। इन वैश्विक दबावों के चलते इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फैसले लेने में समय लगता है। दो साल पहले ही कंपनी के सीईओ मैरी बारा ने कहा था कि रणनीतिक दृष्टि से भारत मह्वपूर्ण बाजार है और हम उसमें आगे निवेश करते रहेंगे। कंपनी के हालिया फैसले से स्पष्ट है कि वैश्विक दबाव कैसे काम करता है।

(लेखक मारुति के पूर्व एमडी हैं। लेख मालिनी गोयल से बातचीत के आधार पर।)

पीएमइंडिया

ब्रिक्स नेताओं की बैठक में प्रधानमंत्री का मुख्य भाषण

ब्रिक्स नेताओं की बैठक में प्रधानमंत्री का मुख्य भाषण

ब्रिक्स नेताओं की बैठक में प्रधानमंत्री का मुख्य भाषण

हम ब्रिक्स की आर्थिक पहलों पर गर्व कर सकते हैं। इनसे न सिर्फ ब्रिक्स देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती मिलेगी, बल्कि इससे विकासशील विश्व को फायदा होगा।

ब्रिक्स के तौर पर हमें जी20 के एजेंडे और गतिविधियों को अपनी प्राथमिकताओं को सामने रखना चाहिए।

पहला, क्षेत्र के विकास में जी20 को पहले बिंदु के रूप में इसे प्राथमिकता पर रखना चाहिए।

-टिकाऊ विकास एजेंडा (सस्टेनेबल डेवलपमेंट एजेंडा) 2030 का प्रभावी कार्यान्वयन और इसके लिए समुचित फंडिंग सुनिश्चित करना।

दूसरा, वैश्विक फाइनेंस के क्षेत्र में जी20 को इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

-वैश्विक आर्थिक संस्थानों के पुनर्गनठन के फैसलों का कार्यान्वयन

-वैश्विक और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच व्यापक भागीदारी।

-विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण को बढ़ाना।

-अगली पीढ़ी के, पर्यावरण अनुकूल बुनियाद ढांचे का विकास करना। इसमें कचरे को बुनियादी ढांचे के लिए इनपुट्स (कच्चे माल) में तब्दील करना भी शामिल होगा।

-2030 से वैश्विक उत्प्रेषण (रेमिटेंस) की लागत में कमी लाना।

-भ्रष्टाचार को रोकने के लिए व्यापक समन्वय और विदेश में जमा बेनामी धन को जब्त करने के लिए भागीदारी व उसकी आवाजाही को रोकना।

तीसरा, हमें कारोबार के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

-नियम आधारित वैश्विक कारोबारी व्यवस्था को मजबूत बनाना और सुनिश्चित करना कि नए ट्रेडिंग ब्लॉक्स से वैश्विक कारोबारी व्यवस्था में विभाजन नहीं हो।

-दोहा विकास एजेंडा को तेजी से पूरा करना।

-कुशल पेशेवरों की आवाजाही को बढ़ावा देना और एक वैश्विक कुशल कार्यबल बाजार तैयार करना।

चौथा, जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में जी20 की प्राथमिकताओं में यह भी शामिल होना चाहिए।

-यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के सिद्धांतों पर आधारित सीओपी 21 के सफल आउटकम में समान लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांत को शामिल करना।

-विकासशील देशों को क्लाइमेट फाइनेंस और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण आसान बनाना।

-स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता, कुशलता और वहनीयता को बढ़ाने के लिए स्वच्छ और नवीनीकृत ऊर्जा पर शोध एवं विकास को प्रोत्साहन देना।

-अगली पीढ़ी के और जलवायु प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग देना।

-भारत द्वारा प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय सौर अलायंस को समर्थन देना।

पांचवां, जी20 को इनके माध्यम से सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से पार पाने के लिए एक मजबूत वैश्विक योजना को आगे बढ़ाना चाहिए।

-आतंकवादियों के वित्त, आपूर्ति और कम्युनिकेशन चैनलों को बंद करने के लिए एक व्यापक वैश्विक रणनीति।

-आतंकवादी समूहों को हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति पर रोक लगाना।

-आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लए एक विशेष अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था विकसित करना।

-आतंकवादी समूहों द्वारा साइबर नेटवर्क्स के इस्तेमाल को रोकने के लिए भागीदारी।

-कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म को जल्द से जल्द स्वीकार किया जाना।

मुझे भरोसा है कि ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाएं आगे भी मजबूत और टिकाऊ बनी रहेंगी, साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूती का स्रोत बनी रहेंगी।

ब्रिक्स इकोनॉमिक कोऑपरेशन के लिए रणनीति जिसे ऊफा में ही मान्यता दे दी गई थी, एक अहम फ्रेमवर्क दस्तावेज है।

कॉन्टैक्ट ग्रुप ऑन ट्रेड एंड इकोनॉमिक इश्यूज एंड बिजनेस काउंसिल को समयबद्ध तरीके से रणनीति के कार्यान्वयन के लिए एक कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।

ब्रिक्स के हर सदस्य देश को रणनीति (स्ट्रैटजी) में सूचीबद्ध कम से कम दो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बढ़त लेनी चाहिए।

यह उचित रहेगा, यदि पहली संयुक्त बैठक रूस की अध्यक्षता में होती है।

संयुक्त बैठक 2020 तक कारोबार, आर्थिक और निवेश भागीदारी के लिए रोडमैप पर भी काम कर सकती है।

हमें उम्मीद है कि न्यू डेवलपमेंट बैंक जल्द से जल्द अपना परिचालन शुरू कर देगा। जैसा कि मैंने ऊफा में कहा था कि उसका पहला प्रोजेक्ट स्वच्छ ऊर्जा पर होना चाहिए, जो मुख्य रूप से सभी ब्रिक्स राष्ट्रों में होना चाहिए।

हमें न्यू डेवलपमेंट बैंक इंस्टीट्यूट या एनडीबीआई जैसा एक सहयोगी ढांचा बनाना चाहिए, जिसे योजनाओं के बैंक, अनुभव के भंडार और एक ज्ञान के पावरहाउस के रूप में काम करना चाहिए। यह कॉन्टिनजेंसी रिजर्व अरेंजमेंट्स के लिए इनपुट भी उपलब्ध करा सकता है।

भारत पारस्परिक विश्वास, सम्मान और पारदर्शिता की भावना के साथ ब्रिक्स के अपने भागीदार बाजार के लिए वैश्विक रणनीति देशों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

मैंने ऊफा में कुछ विचार साझा किए थे। इनमें व्यापार मेले; कृषि शोध; रेलवे शोध; डिजिटल पहल; ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी; राज्यों, शहरों और स्थानीय निकायों के बीच भागीदारी; फिल्म और खेलों के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा देना शामिल है।

हम इन पर काम करते रहेंगे और ब्रिक्स के एजेंडे पर कई नए विचारों को सामने रखते रहेंगे।

हम ब्रिक्स के संस्थागत ढांचे को और मजबूत बनाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

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