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रणनीति विदेशी मुद्रा

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लगातार तीसरे सप्ताह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा, पर गोल्ड रिजर्व में आयी गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार

LagatarDesk : लगातार तीसरे सप्ताह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आयी है. 25 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 2.89 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर पर जा पहुंचा. इससे पहले 18 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में भारत का कोष 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर पहुंच गया. वहीं 1 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का भंडार 14.72 अरब डॉलर के जबरदस्त उछाल के साथ 544.715 अरब डॉलर पर जा पहुंचा था. जो अगस्त 2021 के बाद सबसे अधिक इजाफा था. आरबीआई ने शुक्रवार को आंकड़ा जारी कर इस बात की जानकारी दी. (पढ़ें,उन्नाव : 3 ट्रक आपस में टकराई, आग लगने से दो लोग जिंदा जले)

एक साल में करीब 92.31 अरब डॉलर कम हो गया भारत का कोष

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 4 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर रह गया था. वहीं 28 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 561.08 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. जबकि इससे पहले देश का कोष लगातार घट रहा था. 21 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.85 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर पर आ गया था. 14 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया था. 7 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. वहीं 30 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जबकि 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था.

रिपोर्टिंग वीक में 3 अरब डॉलर बढ़ा एफसीए

रिपोर्टिंग वीक में फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 3 अरब डॉलर बढ़कर 487.29 अरब डॉलर पर जा पहुंचा. इससे पहले 18 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में एफसीए 1.76 बिलियन डॉलर उछलकर 484.288 बिलियन डॉलर हो गया था. वहीं 1 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 11.8 अरब डॉलर बढ़कर 482.53 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. हालांकि 4 नवंबर को एफसीए 12 करोड़ डॉलर घटकर 470.73 अरब डॉलर रह गयी थी. फॉरेन करेंसी एसेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है.

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गोल्ड रिजर्व में 7.3 करोड़ डॉलर की आयी गिरावट

आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व घटा है. 25 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में स्वर्ण भंडार 7.3 करोड़ डॉलर घटकर 39.94 अरब डॉलर पर आ गया है. 18 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में स्वर्ण भंडार 31.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.011 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. इससे पहले 11 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 2.64 अरब डॉलर बढ़कर 39.70 अरब डॉलर पर जा पहुंचा. जबकि 4 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में स्वर्ण भंडार 70.5 करोड़ डॉलर घटकर 37.057 अरब डॉलर रह गया था. वहीं 28 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में गोल्ड रिजर्व 55.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 37.762 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.

डॉलर की खरीदारी से विदेशी मुद्रा भंडार में आयी तेजी

गौरतलब है कि महंगे आयात और रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा था. बीते 15 हफ्ते में से 11 हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गयी है. लेकिन हाल के दिनों में आरबीआई ने डॉलर की जबरदस्त खरीदारी की है. तो अमेरिकी डॉलर में मजबूती पर ब्रेक लगा है. ऐसे में रिवैल्यूशन गेन के चलते भी विदेशी मुद्रा भंडार में रणनीति विदेशी मुद्रा इजाफा हुआ है. 25 नवंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 81.3175 रुपये पर जा पहुंचा.

गिरावट की मुद्रा

एक बार फिर डालर के मुकाबले रुपए की कीमत में चिंताजनक गिरावट दर्ज हुई है। इससे स्वाभाविक ही भारत को महंगाई के मोर्चे पर लड़ने में कठिनाई पैदा हो गई है।

गिरावट की मुद्रा

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विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में एक डालर की कीमत इक्यासी रुपए नौ पैसे आंकी गई, जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर है। रुपए के अवमूल्यन के पीछे बड़ी रणनीति विदेशी मुद्रा वजह अमेरिकी फेडरल बैंक की ब्याज दरों में सख्ती, डालर का मजबूत होना और भारत में निवेशकों का भरोसा कमजोर होना माना जा रहा है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए अपनी मौद्रिक नीति में सख्ती का रुख अपनाए हुए है, जिसका कुछ सकारात्मक परिणाम भी नजर आया है।

मगर रुपए की कीमत में गिरावट महंगाई से पार पाने और निवेश आकर्षित करने की दिशा में चुनौतियां पेश करेगी। भारत पेट्रोलियम पदार्थों और खाद्य तेलों के मामले में बड़े पैमाने पर दूसरे देशों पर निर्भर है।

जब रुपए का अवमूल्यन होता है तो वस्तुओं के आयात पर अधिक खर्च करना पड़ता है, जिसका अर्थ है कि उन वस्तुओं की कीमतें घरेलू बाजार में बढ़ जाती हैं। रुपए के अवमूल्यन से पार पाने के लिए आयात के मुकाबले निर्यात बढ़ाने की रणनीति अपनानी पड़ती है। मगर निर्यात के मामले में भारत अपेक्षित गति से नहीं बढ़ पा रहा।

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रुपए के अवमूल्यन का असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ता है। भारतीय शेयर बाजार का रुख कमजोर बना हुआ है, विदेशी निवेशकों में उत्साह नजर नहीं आ रहा। इसके चलते लगातार विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है। फिर सबसे बड़ी चुनौती चालू खाता घाटे से पार पाने का होता है।

भारत का चालू खाता घाटा पहले ही चिंताजनक स्तर पर है, रुपए के अवमूल्यन से इसके और बढ़ने की आशंका है। सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक विकास दर की भागीदारी काफी नीचे चल रही है। सरकार उसे रफ्तार देने और निवेश आकर्षित करने के लिए करों में कटौती, कर्ज माफी, उद्योग-धंधे लगाने संबंधी नियम-कायदों और श्रम कानूनों को लचीला बनाने का प्रयास करती रही है।

मगर इसका असर नजर नहीं आ रहा। ऐसे में रुपए के अवमूल्यन से एक बार फिर कच्चे तेल की खरीद और अंतत: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि होगी। इसका असर उद्योगों की लागत पर पड़ेगा। इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी। अभी रिजर्व बैंक ने माना है कि अगर महंगाई छह फीसद तक रहती है, तो अर्थव्यवस्था में बेहतरी की उम्मीद बलवती होगी, मगर खुदरा महंगाई इस स्तर पर भी नहीं पहुंच पा रही।

आगे के दिनों में महंगाई पर काबू पाने की संभावना भी धुंधली बनी हुई है, क्योंकि इस बार बरसात पर निर्भर फसलों का उत्पादन लक्ष्य से काफी कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। असमान वर्षा ने आगामी फसलों के लिए भी परेशानी पैदा कर दी है। ऐसे में रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की कीमतों पर काबू पाना भी कठिन हो सकता है।

पहले ही सरकार कुछ जिन्सों के निर्यात पर रोक और कुछ पर आयात शुल्क घटा कर महंगाई को काबू में करने का प्रयास कर चुकी है। मगर यह तरीका लंबे समय तक नहीं आजमाया जा सकता।

सरकार दावा तो करती है कि कोरोना काल के बाद निर्यात में तेजी आई है और लक्ष्य से अधिक निर्यात हुआ है, मगर हकीकत सामने रणनीति विदेशी मुद्रा है कि रुपए का अवमूल्यन हो रहा है। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद के लिए अधिक से अधिक जगह घेरने का प्रयास किया जाए।

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