IPO क्या होता है

IPO का पूरा नाम Initial Public Offering और हिंदी में प्रथम सार्वजनिक प्रस्ताव होता है जब कोई कंपनी पहली बार stock जनता के लिए जारी करती है उसे ही इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते है अधिकांश छोटी नयी कंपनीयो के द्वारा आईपीओ लॉन्च किया जाता है वही निजी स्वामित्त वाली बड़ी कम्पनिया भी आईपीओ जारी करके बिज़नेस के लिए पूंजी (Capital) इकठ्ठा करती है।
आईपीओ और एफपीओ क्या हैं? इनको लाने का मुख्य उद्देश्य क्या होता है
IPO के जरिए कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम निवेशकों को इश्यू करती है। आईपीओ के जरिए कंपनियां कारोबार बढ़ाने के लिए पैसा जुटाती हैं। आम तौर पर आईपीओ में नए शेयर जारी किए जाते हैं। कुछ मामलों में पब्लिक ऑफर के जरिए पुराने शेयर भी बेचे जाते हैं। पुराने शेयरों की बिक्री को ऑफर फॉर सेल कहा जाता है।
- जब कोई कंपनी पहली बार शेयर जारी करती है तो उसे आईपीओ कहते हैं। आईपीओ के बाद कुछ साल बाद कंपनी फिर से पब्लिक ऑफर लाती है तो उसे एफपीओ कहते हैं।
- FPO (Foolow on Public offer) उसी कंपनी का होता है जो पहले आईपीओ ला चुकी है।
- एफपीओ लिस्टिंग के बाद आता है जबकि आईपीओ के साथ कंपनी की बाजार में लिस्टिंग होती है।
- कंपनियां पैसा जुटाने के मकसद से आईपीओ लाती हैं। प्रोमोटर या पुराने निवेशक अगर अपने शेयर बेचना चाहें तो आईपीओ लाते हैं। जब कंपनी अपना कर्ज चुकाने के लिए बाजार से पैसा जुटाती है तो भी आईपीओ लाया जाता है।
- नए कारोबार या पुराने कारोबार के विस्तार के लिए भी आईपीओ लाया जाता है। दरअसल आईपीओ लाते वक्त पैसा जुटाने का मकसद निवेशकों को बताना पड़ता है।
- लिस्टिंग के बाद कितने शेयर किसके पास हैं इसका लेखा-जोखा शेयर होल्डिंग पैटर्न से पता चलता है। सेबी के नियम के मुताबिक न्यूनतम 25 फीसदी शेयर आम निवेशक के पास होना जरूरी है। 25 फीसदी IPO क्या होता है का नियम शेयर में लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए है।
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आई.पी.ओ)
प्राथमिक बाजार निवेशकों को इसके सूचीकरण मूल्य से पहले उचित मूल्य पर शेयर खरीदने का अवसर देता है। इसके अतिरिक्त, खुदरा निवेशक आगामी आई.पी.ओ के लिए आवेदन करते समय डिस्काउन्ट रेट का आनंद भी लेते हैं। शेयरों पर अधिकार भी इन कंपनियों की भविष्य की सफलता में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।
- न्यूनतम संभव कीमत पर स्टॉक प्राप्त करें
- परेशानी मुक्त ए.एस.बी.ए प्रक्रिया
- आवेदन करते समय कोई ब्रोकरेज नहीं है
- कम जोखिम के साथ अल्पावधि लाभ
- दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करें
- कंपनी की विकास स्टोरी का एक हिस्सा बनें
आई.पी.ओ में निवेश करने के लिए हमें क्यों चुनें
- निवेशक वर्ग में सूचना सममिति
- पूर्ण रूप से ऑनलाइन प्रक्रिया - कोई कागजी कार्रवाई नहीं
- पी.एस.यू स्पेस से भी गुणवत्ता वाली कंपनियों तक पहुंच
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आई.पी.ओ स्टेटिस्टिक्स
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Bombay Metrics Supply Chain Ltd
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Kotyark Industries Ltd
Jay Jalaram Technologies Ltd
FSN E-Commerce Ventures Ltd
One 97 Communications Ltd
Quadpro ITeS Ltd
Cartrade Tech Ltd
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कई गुना सब्सक्राइब हो जाए IPO तो कैसे होता है अलॉटमेंट, जानिए कहां करें चेक कि शेयर मिला या नहीं
जब कभी शेयरों की संख्या से अधिक आवेदन आ जाते हैं तो शेयरों का अलॉटमेंट किया जाता है. रिटेल निवेशकों और बड़े निवेशकों को अलग-अलग तरीके से अलॉटमेंट किया जाता है.
आए दिन किसी न किसी कंपनी का आईपीओ आने की खबरें आप सुनते ही होंगे. आईपीओ के साथ-साथ आपको आईपीओ ओपनिंग, आईपीओ क्लोजिंग, आईपीओ अलॉटमेंट और आईपीओ लिस्टिंग जैसे टर्म भी सुनने को मिलते होंगे. ऐसे में बहुत सारे लोग आईपीओ अलॉटमेंट को लेकर काफी कनफ्यूजन में रहते हैं. सवाल है कि आईपीओ अलॉटमेंट क्या होता है, क्यों होता है, कैसे होता है, अलॉटमेंट चेक कैसे करें आदि. आइए आज जानते हैं इन सबके बारे में.
क्यों होता है शेयरों का अलॉटमेंट?
शेयरों के अलॉटमेंट की वजह बहुत ही साधारण सी है. जब कभी शेयरों की संख्या से अधिक आवेदन आ जाते हैं तो शेयरों का अलॉटमेंट किया जाता है. यानी अगर एक ही शेयर के लिए 50 दावेदार आ जाते हैं यानी इश्यू 50 गुना सब्सक्राइब हो जाता है तो शेयर अलॉटमेंट के जरिए ही यह तय होता है कि किसे कितने शेयर दिए जाएंगे और किसे शेयर नहीं मिलेंगे.
अगर कोई आईपीओ 90 फीसदी से कम सब्सक्राइब होता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसे में आईपीओ दोबारा से लाना पड़ता है. अलॉटमेंट के लिए रिटेल निवेशकों के लिए न्यूनतम 35 फीसदी, नेशनल इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए न्यूनतम 15 फीसदी और क्वीलिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर के लिए अधिकतम 50 फीसदी कोटा निर्धारित हो सकता है.
कैसे होता है शेयरों का अलॉटमेंट?
जो लोग आईपीओ के प्राइस बैंड में न्यूनतम प्राइस पर बोली लगाते हैं, ओवर सब्सक्राइब होने की हालत में शेयर मिलने के चांस कम हो जाते हैं. अगर इश्यू मामूली ओवर सब्सक्राइब होता है तो रिटेल निवेशकों को पहले तो सभी को एक-एक लॉट शेयर दे दिया जाता है, उसके बाद उनके कोटे के जितने शेयर बचते हैं, उन्हें उसी अनुपात में अलॉट किया जाता है, जिस अनुपात में लोगों ने उसे सब्सक्राइब किया होता है. अगर इश्यू बहुत ज्यादा सब्सक्राइब हो जाता है, मान लीजिए 50 गुना सब्सक्राइब हो गया तो रिटेल निवेशकों को कंप्यूटर के जरिए लकी ड्रॉ निकाल कर शेयर अलॉट किए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर नेशनल इंस्टीट्यूशनल निवेशकों और क्वीलिफाइड इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को हर स्थिति में आनुपातिक तरीके से शेयर अलॉट किए जाते हैं.
वैसे तो आपने जिस ब्रोकर के जरिए आईपीओ लिया होगा, वह आपको अलॉटमेंट की जानकारी देगा, लेकिन अगर किसी वजह से जानकारी नहीं मिली तो आप खुद भी चेक कर सकते हैं. किसी आईपीओ के शेयरों के अलॉटमेंट का पता करने के लिए आपको सबसे पहले बीएसई की वेबसाइट पर जाना होगा. वहां पर आपको इश्यू की लिस्ट में से उस आईपीओ को चुनना होगा, जिसके शेयर का अलॉटमेंट आपको चेक करना है. आपसे पैन कार्ड नंबर पूछा जाएगा, जिसे डालने के बाद आपके सामने अलॉटमेंट की डिटेल्स आ जाएंगी. अलॉटमेंट चेक करने का एक दूसरा तरीका भी होता है. आपने जिस भी कंपनी का आईपीओ लिया है, उसका कोई रजिस्ट्रार होगा. आप उस रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर जाकर अलॉटमेंट की जानकारी ले सकते हैं.
आईपीओ कैसे खरीदें?
IPO में निवेश कैसे करे, यह थोड़ा जोखिम भरा कार्य है इस लिए इसमें ध्यान देने की ज़रुरत है प्रत्येक आईपीओ लॉन्च करने वाली कंपनी पहले मार्किट में सभी निवेशकों तक पहुँचती है इसके लिए कम्पनिया विज्ञापन करती है ब्रोकरेज के द्वारा भी आईपीओ निवेशको एकत्र करती है जिसमे अधिक निवेशक कंपनी के आईपीओ को ख़रीदे।
आईपीओ में निवेश करने के लिए आपको पहले तय करना होगा किस कंपनी के आप आईपीओ खरीदना चाहते है उस कंपनी के आईपीओ लॉन्च करने का वेट करना है जब आईपीओ लॉन्च हो तब आप उस कंपनी के वेबसाइट पर जाकर आईपीओ ले सकते है नहीं तो रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के माध्यम से आईपीओ में निवेश कर सकते है।
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IPO जारी करने वाली कंपनी 3 से 10 तक ओपन करती है कई कम्पनिया खाली 3 दिनों के लिए ओपन करती है इन दिनों के भीतर ही आपको आईपीओ में निवेश करना है निवेश करने से पहले उस कंपनी के बारे में जनना ज़रूरी है जिसमे आप निवेश कर रहे हो।
आईपीओ के फायदे।
IPO से पैसे जुटाकर कंपनी अपने कार्य में तरक्की करती है यह कंपनी के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है वही निवेशक के लिए भी हिस्सेदारी को बेचकर पैसे कमा सकता है।
पूंजी एकत्र करना छोटी कम्पनियो के लिए पूजी एकत्र करने का सबसे बेहतरीन रास्ता है वही निवेशक अपने समान्य स्टॉक हिस्सेदारी को होल्ड करके कुछ समय बाद अच्छा रिटर्न कमा सकता है।
कर्मचारीयो के लिए बेहतरीन रास्ता है आईपीओ में निवेश करके अच्छा पैसा कमा सकते है।
अच्छे कम्पनियो के आईपीओ मूल्य बड़ी जल्दी बढ़ जाते है क्योकि वो सारी कम्पनिया प्रॉफिट में होती है और जल्दी ग्रो करती है इसलिए निवेशक को फायदा होता है।
ipo के नुकसान।
आईपीओ लॉन्च होते समय काफी लोगो में उत्सुक्ता होती है आईपीओ खरीदने में, जिस कारण से आईपीओ का मूल्य हाई होता है वही कुछ समय बाद आईपीओ की मांग कम होने पर मूल्य कम होने लगता है अगर कम्पनी पूंजी से मजबूत नहीं है तो।
अगर आप किसी ऐसी कंपनी के आईपीओ में निवेश निवेश करते है जो कर्ज में डूबी है यह कम्पनिया निवेशक को नुकसान पंहुचा सकती है क्योकि आईपीओ मूल्य बढ़ने के चांस कम हो जाते है।
यदि कम्पनी के पिछले चार्ट को नहीं देखते है की कैसा इसका परफॉरमेंस रहा है तो आपको नुकसान हो सकता है।
आईपीओ के बारे पूर्ण जानकारी न होने के वजह IPO क्या होता है से भी आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए आईपीओ के बारे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर ले ऐसे कई प्रकार के नुकसान हो सकते है।
निष्कर्ष
आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा इसमें मैंने बताया है कि आईपीओ क्या है. आईपीओ कैसे खरीदें, इसके बारे बेसिक जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से मैंने देने की कोशिश की है यदि आपको इस लेख से सम्बंधित कोई जानकारी छूट गयी हो या आपका कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते है।
कैसे होता है शेयरों का अलॉटमेंट?
जो लोग IPO क्या होता है आईपीओ के प्राइस बैंड में न्यूनतम प्राइस पर बोली लगाते हैं, ओवर सब्सक्राइब होने की हालत में शेयर मिलने के चांस कम हो जाते हैं. अगर इश्यू मामूली ओवर सब्सक्राइब होता है तो रिटेल निवेशकों को पहले तो सभी को एक-एक लॉट शेयर दे दिया जाता है, उसके बाद उनके कोटे के जितने शेयर बचते हैं, उन्हें उसी अनुपात में अलॉट किया जाता है, जिस अनुपात में लोगों ने उसे सब्सक्राइब किया होता है. अगर इश्यू बहुत ज्यादा सब्सक्राइब हो जाता है, मान लीजिए 50 गुना सब्सक्राइब हो गया तो रिटेल निवेशकों को कंप्यूटर के जरिए लकी ड्रॉ निकाल कर शेयर अलॉट किए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर नेशनल इंस्टीट्यूशनल निवेशकों और क्वीलिफाइड इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को हर स्थिति में आनुपातिक तरीके से शेयर अलॉट किए जाते हैं.
वैसे तो आपने जिस ब्रोकर के जरिए आईपीओ लिया होगा, वह आपको अलॉटमेंट की जानकारी देगा, लेकिन अगर किसी वजह से जानकारी नहीं मिली तो आप खुद भी चेक कर सकते हैं. किसी आईपीओ के शेयरों के अलॉटमेंट का पता करने के लिए आपको सबसे पहले बीएसई की वेबसाइट पर जाना होगा. वहां पर आपको इश्यू की लिस्ट में से उस आईपीओ को चुनना होगा, जिसके शेयर का अलॉटमेंट आपको चेक करना है. आपसे पैन कार्ड नंबर पूछा जाएगा, जिसे डालने के बाद आपके सामने अलॉटमेंट की डिटेल्स आ IPO क्या होता है जाएंगी. अलॉटमेंट चेक करने का एक दूसरा तरीका भी होता है. आपने जिस भी कंपनी का आईपीओ लिया है, उसका कोई रजिस्ट्रार होगा. आप उस रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर जाकर अलॉटमेंट की जानकारी ले सकते हैं.