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सारिणी-1 एएसआई 2017-18 (पी) में प्रमुख औद्योगिक समूह से जुड़ी मुख्य जानकारी

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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से कई गुना ज्यादा हैं बाहरी देनदारियां! RBI ने भांपा खतरा, उठाया यह कदम

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से कई गुना ज्यादा हैं बाहरी देनदारियां! RBI ने भांपा खतरा, उठाया यह कदम

RBI की कमेटी फॉरेन रिजर्व की पर्याप्तता जानने के लिए एक प्रक्रिया बना रही है।

इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क लागू करने के बाद अब भारत का केन्द्रीय बैंक (Reserve Bank Of India(RBI)) देश के विदेशी मुद्रा भंडार को जरुरी स्तर तक ले जाने की कोशिशों पर विचार कर रहा है। बता दें कि इस समय देश की देनदारियां हमारे विदेशी मुद्रा भंडार से काफी ज्यादा हैं, ऐसे में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार होना देश की मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरुरी है।

आरबीआई की एक अंतरिम कमेटी फिलहाल एक ऐसी प्रक्रिया बनाने पर विचार कर रही है, जिसकी मदद से आकलन किया जा सकेगा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) पर्याप्त है या नहीं। इसके लिए आरबीआई का पैनल अर्थव्यवस्था के विभिन्न खतरों का अध्ययन करेगा। इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क पर पूर्व आरबीआई गवर्नर बिमल जालान द्वारा बीते माह एक रिपोर्ट पेश की गई है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999

सूची विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 भारत में निवासी किसी व्‍यक्ति के स्‍वामित्‍वाधीन या नियंत्रित भारत के बाहर सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा अभिकरणों पर प्रयोज्‍य है। फेमा का आविर्भाव एक निवेशक अनुकूल विधान के रूप में हुआ है जो इस अर्थ में पूर्णतया सिविल विधान है कि इसके उल्‍लघंन में केवल मौद्रिक शास्तियों तथा अर्थदंड का भुगतान ही शामिल है, तथापि, इसके तहत किसी व्‍यक्ति को सिविल कारावास का दंड तभी दिया जा सकता है यदि वह नोटिस की तिथि से 90 दिन के भीतर निर्धारित अर्थदंड अदा न करे किन्‍तु ऐसा भी 'कारण बताओ नोटिस' तथा वैयक्तिक सुनवाई की औपचारिकताओं के पश्‍चात ही किया जाता है। फेमा में फेरा के अंतर्गत किए गए अपराधों के लिए एक द्विपक्षीय समाप्ति खंड की व्‍यवस्‍था भी की गई है जिसे एक 'कठोर' कानून से दूसरे 'उद्योग अनुकूल' विधान की ओर संचलन के लिए प्रदान की गई संक्रमण अवधि माना जा सकता है। मोटे तौर पर फेमा के उद्देश्‍य हैं: (i) विदेशी व्‍यापार तथा भुगतानों को सुकर बनाना; तथा (ii) विदेशी मुद्रा बाजार के व्‍यवस्थित विकास तथा अनुरक्षण का संवर्धन करना। अधिनियम में फेमा के प्रशासन में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एक महत्‍वपूर्ण भूमिका समनुदेशित की गई है। अधिनियम की अनेक धाराओं से संबंधित नियम, विनियम तथा मानदंड केन्‍द्र सरकार के परामर्श से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए हैं। अधिनियम में केन्‍द्र सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह अधिनियम के उल्‍लंघन से संबंधित जांच करने के लिए न्‍याय निर्णयन प्राधिकारियों के समतुल्य हो केन्‍द्र सरकार के अधिकारियों की नियुक्ति करे। न्‍याय निर्णयन प्राधिकारियों के आदेश के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई के लिए एक या अधिक विशेष निदेशक (अपील) की नियुक्ति करने का प्रावधान भी किया गया है। केन्‍द्र सरकार न्‍याय निर्णय प्राधिकारियों तथा विशेष निदेशक (अपील) के आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई के लिए एक विदेशी मुद्रा अपीलीय न्‍यायाधिकरण की नियुक्ति भी करेगा। फेमा में केन्‍द्र सरकार द्वारा एक प्रवर्तन निदेशालय की स्‍थापना की व्‍यवस्‍था भी की गई है जिसमें एक निदेशक तथा ऐसे अन्‍य अधिकारी या अधिकारी वर्ग होंगे जिन्‍हें वह इस अधिनियम के अंतर्गत उल्‍लंघनों की जांच पड़ताल करने के लिए उपयुक्‍त समझे। फेमा में केवल अधिकृत व्‍यक्तियों को ही विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूति विदेशी मुद्रा व्यापार केन्द्र में लेन देन करने की अनुमति दी गई है। अधिनियम के अंतर्गत, ऐसे अधिकृत व्‍यक्ति का अर्थ है अधिकृत डीलर, मनी चेंजर, विदेशी बैंकिंग यूनिट या कोई अन्‍य व्‍यक्ति जिसे तत्‍समय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया हो। इस प्रकार अधिनियम में किसी भी ऐसे व्‍यक्ति को प्रतिषिद्ध किया गया है जो:-.

विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा), 1973

जब कोई व्‍यापारी उद्यम अन्‍य देशों से वस्‍तुओं का आयात करता है, उन्‍हें अपने उत्‍पाद निर्यात करता है अथवा विदेशों में निवेश करता है तो वह विदेशी मुद्रा का लेन विदेशी मुद्रा व्यापार केन्द्र देन करता है। विदेशी एक्‍सचेंज का अर्थ है विदेशी मुद्रा तथा इसमें निम्‍न शामिल हैं:- (i) किसी विदेशी मुद्रा में संदेय जमा राशियां; (ii) ड्राफ्ट (हुंडिया), यात्री चैक, ऋणपत्र या विनिमय हुंडियां जो भारतीय मुद्रा में व्‍यक्‍त या आ‍हरित हो किन्‍तु किसी विदेशी मुद्रा में संदेय हो; तथा (iii) ड्राफ्ट, यात्री चैक, ऋण पत्र या विनिमय हुंडियां जो भारत से बाहर बैंकों, संस्‍थाओं या व्‍यक्तियों द्वारा आहरित हो किन्‍तु भारतीय मुद्रा में संदेय हों। भारत में सभी लेन देन, जिनमें विदेशी मुद्रा शामिल हैं, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेमा), 1973 द्वारा विनियमित किए जाते थे। फेरा का मुख्‍य उद्देश्‍य देश के विदेशी मुद्रा संसाधनों का संरक्षण तथा उचित उपयोग करना था। इसका उद्देश्‍य भारतीय कंपनियों द्वारा देश के बाहर तथा भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा व्‍यापार के संचालन के कुछ पहलुओं को नियंत्रित करना भी है। यह एक आपराधिक विधान था, जिसका अर्थ था कि इसके उल्‍लंघन के परिणामस्‍वरूप कारावास तथा भारी अर्थ दंड के भुगतान की सजा दी जाएगी। इसके अनेक प्रतिबंधात्‍मक खंड थे जो विदेशी निवेशों पर रोक लगाते थे। आर्थिक सुधारों तथा उदारीकृत, परिदृश्‍य के प्रकाश में फेरा को एक नए अधिनियम द्वारा प्रतिस्‍थापित किया गया जिसका नाम है विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999। श्रेणी:भारत के प्रमुख अधिनियम.

IGI हवाईअड्डे पर लाखों की विदेशी मुद्रा के साथ दो व्यक्ति गिरफ्तार

नई दिल्ली: दुबई जा रहे दो व्यक्तियों को यहां के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय ( आईजीआई ) हवाईअड्डा से 23.33 लाख रुपए की विदेशी मुद्रा की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यात्रियों ने यह विदेशी मुद्राएं बेकरी समान के बीच छिपाकर रखी थी।

सीआईएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि सीआईएसएफ कर्मियों ने जांच के दौरान पाया कि एस खान और जावेद अली के बैग में काले रंग की टेप में लिपटी और बिस्कुट के नीचे कोई वस्तु छिपाकर रखी गई है। अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान उनके पास से रियाल और दिरहम सहित विदेशी मुद्राएं बरामद हुईं। ये यात्री आईजीआई हवाईअड्डे से कुवैत होते हुए दुबई जाने वाले थे।

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कृषि आधारित उद्योग: चुनौतियां और समाधान

कृषि-आधारित उद्योग अर्थव्यवस्था के विकास के लिए काफी अहम हैं। चूंकि ज्यादातर कृषि-आधारित उद्योग लघु, छोटे और मध्यम श्रेणी के हैं, और मुमकिन है कि उनके पास सस्ते या सब्सिडी वाले आयात से प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता नहीं हो। ऐसे में सरकार की भूमिका काफी अहम हो जाती है। अन्य देशों के निर्यातकों की अनुचित व्यापार गतिविधियों के कारण सरकार को कृषि-आधारित उद्योगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की जरूरत है।

कृषि-आधारित उद्योग, अर्थव्यवस्था के प्राथमिक और सहायक क्षेत्रों के बीच पारस्परिक निर्भरता का बेहतर उदाहरण है। जाहिर तौर पर यह निर्भरता दोनों क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है। यह साबित हो चुका है कि भारत में कृषि-आधारित उद्योग स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर गरीबी और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में काफी मददगार हैं। हालांकि, अन्य देशों से खराब गुणवत्ता वाले आयात के कारण अक्सर इन उद्योगों की प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इन उद्योगों को अलग-अलग देशों के व्यापार प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ता विदेशी मुद्रा व्यापार केन्द्र है। इस लेख में व्यापार सम्बन्धी उन दिक्कतों के बारे में बताया गया है, जिनका सामना इन उद्योगों को करना पड़ता है।

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