भारतीय शेयर बाजार का समय

शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि के बाद वैश्विक बाजारों में गिरावट का प्रभाव घरेलू बाजार पर भी पड़ा। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 69.68 अंक या 0.11 प्रतिशत घटकर 60,836.41 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 420.95 अंक तक गिर गया था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 30.15 अंक या 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,052.70 पर आ गया।
जियोजीत फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर, ‘फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि करने का निर्णय वैश्विक बाजारों के लिए भारी पड़ा, क्योंकि निवेशक कम वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे।’
उन्होंने कहा, ‘फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल ने आगाह किया कि दरों का स्तर केंद्रीय बैंक के अपेक्षा से अधिक है। साथ ही उन्होंने आगामी बैठकों में ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत से कम की वृद्धि का संकेत भी दिया है।’
Top losers
सेंसेक्स के शेयरों में में टेक महिंद्रा, पावरग्रिड, एनटीपीसी, इन्फोसिस, विप्रो, एचडीएफसी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा प्रमुख रूप से गिरावट में रहे।
Top gainers
दूसरी तरफ भारतीय स्टेट बैंक, टाइटन, भारती एयरटेल और हिन्दुस्तान यूनिलीवर के शेयरों में लाभ दर्ज हुआ।
International Indices
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग गिरावट में बंद हुए। यूरोप में बाजार गिरावट में कारोबार कर रहे थे तथा अमेरिकी बाजार वॉल स्ट्रीट भी बुधवार को गिरकर बंद हुआ। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.16 प्रतिशत बढ़कर 95.04 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
FIIs
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने हुए हैं। भारतीय शेयर बाजार का समय उन्होंने बुधवार को 1,436.30 करोड़ रुपये के मूल्य के शेयर खरीदे।
Station Guruji
Stock Market में P/E Ratio क्या है? शेयर खरीदने से पहले इसे जरूर जानें।
Stock Market में P/E Ratio क्या है?
Table of Contents
अच्छा शेयर कैसे चुनें? इसमें मैंने आपको बताया था कि अच्छे शेयर चुनने से पहले किन-किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
यदि आपको स्टॉक मार्केट में सफल भारतीय शेयर बाजार का समय भारतीय शेयर बाजार का समय निवेशक बनना है तो आपको कई बातों पर ध्यान देना होगा। आप चाहे लंबी अवधि के लिए स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं या फिर Intraday Trading करते हैं।
हर परिस्थिति में अच्छी स्टॉक को चुनना आवश्यक है। आज मैं आपको एक ट्रिक बता रहा हूं जिसके द्वारा आप एक सेकंड में मालूम कर सकते हैं कि यह शेयर खरीदना चाहिए या नहीं।
दोस्तों एक अच्छा शेयर का चुनाव के जितने भी तरीके हैं हम सभी अपनाते हैं। शेयर को सेलेक्ट कर लेते हैं। जब उसे खरीदे लगते हैं तो मन में कई तरह की आशंका उत्पन्न होने लगती है। यह शेयर महंगा तो नहीं है। इसे लेने के बाद इसका दाम नीचे तो नहीं गिर जाएगा।
यदि आपके भी मन में भी यह आशंकाएं उत्पन्न हो रही है कि जो शेयर हम खरीदने जा रहे हैं वह सस्ता है या महंगा। यह कैसे पता करें। तो आपके लिए बड़ा ही अच्छा नॉलेज शेयर कर रहा हूं जिसका नाम है P/E Ratio.
P/E Ratio का मतलब क्या है?
P/E Ratio का अर्थ Price Earning Ratio है।
साधारण भाषा में इसका मतलब यह होता है कि हमें कितने रुपए लगाने पर कितने रुपए मिलेगा।
उदाहरण द्वारा इसे समझते हैं। रिलायंस कंपनी के 1 शेयर का दाम अभी ₹ 2000 हैं। इस कंपनी ने पिछले 1 साल में ₹ 200 लाभ दिया है। यदि मुझे इसका भारतीय शेयर बाजार का समय P/E Ratio निकालना है तो 2000 ÷ 200 = 10 निकलेगा।
इस P/E Ratio का मतलब यह हुआ कि आपको ₹ 1 कमाने के लिए रिलायंस कंपनी में ₹10 लगाना पड़ेगा। या दूसरे भाषा में ₹ 2000 केेेेेेे निवेश पर हमें ₹ 200 प्राप्त होगा।
इस प्रकार P/E Ratio उसे कहते हैं जिसे प्रति शेयर बाजार मूल्य में उसके द्वारा दी गई आय के द्वारा भाग देने पर जो प्राप्त होता है वही P/E Ratio है।
शेयर खरीदने हेतु P/E Ratio क्या होने चाहिए
अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि शेयर खरीदने वक्त हमें कितना P/E Ratio का शेयर खरीदना चाहिए और कितना P/E Ratio शेयर नहीं खरीदना चाहिए।
आमतौर पर वित्तीय सलाहकार कहते हैं कि जिसका P/E Ratio 30 से ज्यादा है उसे हमें नहीं खरीदना चाहिए। क्योंकि यदि मुझे ₹30 लगाकर सालाना ₹1 प्राप्त हो यहां तक तो ठीक माना जा सकता है। पर उससे ज्यादा लगाकर यदि मुझे ₹1 प्राप्त हो तो यह कभी भी ठीक नहीं माना जा सकता।
वैसे जैसे जैसे कंपनी मुनाफा कमाता रहता है उसका P/E Ratio बढ़ता रहता है। इसलिए आप कंपनी के पिछले कुछ सालों का मुनाफा देख सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि P/E Ratio ज्यादा होने से उस शेयर में निवेश ना करें।
क्या केवल P/E Ratio द्वारा ही अच्छे शेयर का चुनाव सही है?
यदि आप सोच रहे हैं कि मुझे P/E Ratio निकालना आ गया और इसे देखकर मैं अच्छे से शेेेयर खरीद कर एक सफल निवेशक बन जाऊंगा तो यह आप गलत सोच रहे हैं। कई बार हम भ्रम में भी आ जाते हैंं। गलत P/E Ratio दौरा भी हम गलत शेयर खरीद कर नुकसान उठा लेते हैं।
कई ऐसे भी कंपनी होती हैं जिसकी P/E Ratio में काफी उतार-चढ़ाव होता रहता है। यानी किसी वर्ष यह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और किसी बात बहुत कम हो जाता हैै।
उदाहरण रियल स्टेट कंपनी का लेते हैं। किसी वर्ष 50 घर भी नहीं बिकता तो किसी वर्ष 500 घर बिक जाता है। जिस वर्ष इस कंपनी का 500 घर बिका है उस वर्ष का P/E Ratio 20 मान लेते हैं। हम यह सोच कर शेयर खरीद लेते हैं कि P/E Ratio उसका कम है।
अगले वर्ष 50 घर भी नहीं बिका और वह हमें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए आप केवल P/E Ratio पर निर्भर ना रहे।
P/E Ratio और क्या बताता है?
P/E Ratio द्वारा किसी कंपनी के शेयर सस्ते या महंगे का अनुमान लगा सकते हैंं। इसके अलावा आप यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि वर्तमान में शेयर बाजार महंगा है या सस्ता हैै।
मेरा कहने का अर्थ यह है कि कई बार नये निवेशक सोचते हैं कि जब बाजार सस्ता होगा तब निवेश की शुरुआत करूंगा। यह पता कैसे चलेगा कि मार्केट अभी सस्ता है या महंगा है। उसके लिए आप मार्केट का P/E Ratio देख सकते हैं।
भारतीय बाजार में मुख्य रूप से दो जगह शेयर की खरीद बिक्री की जाती है। एक सेंसेक्स और दूसरा है निफ्टी। सेंसेक्स 30 कंपनी का प्रतिनिधित्व करती है और निफ्टी भारत के 50 कंपनी का प्रतिनिधित्व करती है।
सेंसेक्स और निफ्टी यह बताती है कि अभी भारतीय बाजार का क्या हाल है। यदि आप नये निवेशक हैं या शेयर मार्केट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो सेंसेक्स और निफ्टी का P/E Ratio जाकर जरूर देख लें। आपको पता लग जाएगा कि अभी भारतीय शेयर बाजार सस्ता है या महंगा है।
सस्ता है तो फिर आप निवेश की शुरुआत कर दीजिए और यदि महंगा है तो कुछ समय इंतजार कर सकते हैं। वैसे एकमुश्त निवेश में यह देखा जाता है। जब आप एसआईपी शुरू करने की सोच रहे हैं तो आप कभी भी शुरू कर सकते हैं।
P/E Ratio बदलता रहता है
P/E Ratio हमेशा बदलता रहता है। यह नहीं कि आपने एक बार जो P/E Ratio देख लिया वह हमेशा के लिए रहेगा। मान लीजिए किसी कंपनी का P/E Ratio अभी 25 है।
कुछ दिनों बाद कंपनी ने अच्छा मुनाफा कमाया और उसके शेयर का दाम बढ़ गया। क्योंकि सभी लोग उसके शेयर को खरीदने लगे। हम उस कंपनी का P/E Ratio बढ़ जाएगा।
इसलिए आप जिस वक्त शेयर खरीदते हैं उस वक्त उस शेयर का भी P/E Ratio देख ले।
जाते जाते एक बात आपको बता कर जा रहा हूं शेयर बाजार जितना ही लाभदायक है उतना ही नुकसानदायक। इसमें हम 1 दिन में लाखों कमा भी सकते हैं और लाखों गंवा भी सकते हैं।
आप तभी इसमें निवेश करने की सोचे जब आप लाखों कमाने और गंवाने के लिए तैयार हो। किसी के भी कहने पर कहीं भी निवेश ना करें। सोच समझ कर फैसला ले। आपके मेहनत की कमाई पर पहला अधिकार आपका ही है।
किसी के कहने भारतीय शेयर बाजार का समय पर किसी भी शेयर में निवेश ना करें। निवेश से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले। आप चाहे कितने बड़े खिलाड़ी हो लेकिन कर्ज लेकर कभी भी स्टॉक मार्केट में निवेश ना करें इससे आप ज्यादा कठिनाई में पड़ सकते हैं।
मल्टीबेगर शेयर के अलावा Penny Stocks जिसका मूल्य ₹10 से कम है आप चाहे तो उसमे निवेश कर सकते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन शेयर जो मार्केट में बिल्कुल नया है उसमें भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन निवेश करने से पहले अच्छी तरह रिसर्च जरूर कर ले।
शेयर मार्केट क्या है सीखें और पैसे कमाए – What Is Share Market In Hindi
Share Market In Hindi: बिना निवेश किए पैसे कमाना थोड़ा मुश्किल है पर शेयर बाजार में निवेश कर पैसे कमाना आसान है.
आज हर कोई व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जीने के लिए बहुत पैसे कमाना चाहता है जिसके लिए वह नौकरी में कड़ी मेहनत भी करता है, लेकिन नौकरी में कड़ी मेहनत करने के बाद भी वह एक खुशहाल जीवन जीने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं कमा पाता है.
लेकिन शेयर बाजार पैसों का एक ऐसा कुआ है जो सारे देश की प्यास बुझा सकता है. जिन लोगों को शेयर बाजार की अच्छी समझ होती है वह शेयर बाजार से करोड़ों रूपये की कमाई करते हैं.
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि Share Market क्या है, शेयर मार्केट कैसे सीखें, शेयर मार्केट में पैसा कैसे लगायें और शेयर मार्केट से पैसा कैसे कमाए तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें. इस लेख में हमने आपको इन सब के अतिरिक्त शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के बारे में बताया है जिससे कि आपको शेयर बाजार के बारे में अच्छी समझ मिले.
तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं शेयर बाजार क्या होता है हिंदी में.
नवंबर में भी भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे विदेशी निवेशक, FPI ने अब तक निकाले 949 करोड़, जानिए कारण
FPI in November: विदेशी निवेशक इस समय भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन से चिंतित हैं. शेयर बाजार इस समय अपने सर्वकालिक उच्च स्तर के पास भारतीय शेयर बाजार का समय है. ऐसे में मुनाफावसूली कर रहे हैं.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Nov 14, 2021 | 4:50 PM
FPI in November: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) ने नवंबर के पहले पखवाड़े में भारतीय बाजारों से 949 करोड़ रुपए की निकासी की है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से 12 नवंबर के दौरान शेयरों से 4,694 करोड़ रुपए निकाले. वहीं इस दौरान उन्होंने बॉन्ड बाजार में 3,745 करोड़ रुपए डाले. इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 949 करोड़ रुपए रही. अक्टूबर में एफपीआई ने 12,437 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की थी.
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एफपीआई भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन से चिंतित हैं. शेयर बाजार इस समय अपने सर्वकालिक उच्चस्तर के पास हैं.’’उन्होंने कहा कि ऊंचे मूल्यांकन की वजह से एफपीआई मुनाफा काट रहे हैं. पिछले कुछ सप्ताह के प्रवाह के रुख से यह संकेत मिलता है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीतिक दबाव तथा कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती भी चिंता का विषय है.
अभी बाजार में थोड़ी अनिश्चितता
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि एफपीआई मूल्यांकन की चिंता की वजह से बाहर निकल रहे हैं. यह महत्वपूर्ण बात यह है कि पुराने परिदृश्य में एफपीआई ‘स्मार्ट मनी’ के भारतीय शेयर बाजार का समय साथ बाजार की दिशा तय करते थे. अभी यह रुख बदल गया है. हम अनिश्चितता के दौर में हैं.’’
सेंसेक्स में इस सप्ताह आया 1 फीसदी से ज्यादा उछाल
इस सप्ताह सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से छह कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते सप्ताह सामूहिक रूप से 1,18,383.07 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. इस बढ़ोतरी में सबसे अधिक योगदान रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) का रहा. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 619.07 अंक या 1.03 फीसदी बढ़ा.
भारतीय बाजार को ओवर वैल्युड बता रहे एक्सपर्ट्स
बाजार के लिए पिछले कुछ समय में कई नेगेटिव खबरें आई हैं. पिछले दिनों मार्गन स्टैनली समेत कई रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय बाजार को डाउनग्रेड कर दिया था. उसका कहना है कि भारतीय बाजार अभी ओवर वैल्युड है. उसके बाद से निवेशक थोड़ा सशंकित हो गए हैं. इसके अलावा पूरी दुनिया में महंगाई तेजी से बढ़ रही है.
महंगाई से बाजार पर असर
अमेरिका में महंगाई दर तीन दशकों में सबसे ज्यादा, जापान में चार दशकों में सबसे ज्यादा है. ऐसे में अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत दुनियाभर के सेंट्रल बैंक समय से पहले इंट्रेस्ट रेट बढ़ा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो स्टॉक मार्केट में लिक्विडिटी में कमी आएगी और बाजार में एक करेक्शन आ सकता है.
IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान
इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.
आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.
IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.
क्या है IPO
इनिशियल पब्लिक ऑफर भारतीय शेयर बाजार का समय भारतीय शेयर बाजार का समय बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.
यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.
Best Schemes: 5 साल में 3 गुना मिल भारतीय शेयर बाजार का समय सकता है रिटर्न, इन 4 स्कीम ने किया है कमाल, क्या आप लगाएंगे पैसा
Mutual Funds SIP: एसआईपी में पहली बार करने जा रहे हैं निवेश? बेहतर रिटर्न के लिए इन 5 भारतीय शेयर बाजार का समय बातों का जरूर रखें ध्यान
DRHP को ध्यान से पढ़ें
किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.
जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य
इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
प्रमोटरों को जानें
जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.
कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के बारे में जानें
कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.
रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें
कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.
किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.
(Article: Adhil Shetty)
(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने लिखा है.)
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