इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार

निवेशक आमतौर पर एक आम धारणा रखते हैं कि इक्विटी फंड्स दूसरे फंडों की तुलना में ज़्यादा रिटर्न देते हैं, लेकिन उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि सभी इक्विटी फंड्स एक समान नहीं होते हैं। रिटर्न की संभावनाएं उनके इक्विटी फंड के रिस्क प्रोफाइल के अनुरूप होती हैं। इसलिए इसमें निवेश करने का फैसला लेने से पहले किसी भी केंद्रित जोखिम के लिए सारे सेक्टरों और टॉप होल्डिंग्स में फंड की विविधता की डिग्री देखें। सबसे कम जोखिम वाले या सबसे ज़्यादा रिटर्न वाले फंड्स देखने के बजाय, आपको ऐसा फंड देखना चाहिए जिसका जोखिम स्तर आप उठा सकते हैं।
भारत में म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्युचुअल फंड उद्योग 1963 से भारत में है। आज, भारत में 10,000 से अधिक योजनाएं मौजूद हैं, और उद्योग का विकास बड़े पैमाने पर हुआ है। भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग का एयूएम कहां से बढ़ा है? 30 अप्रैल, 2011 को ₹7.85 ट्रिलियन से 30 अप्रैल, 2021 को ₹32.38 ट्रिलियन तक इसका मतलब है कि 10 साल की अवधि में 4 गुना वृद्धि हुई है। जोड़ने के लिए, 30 अप्रैल, 2021 को एमएफ की भाषा के अनुसार फोलियो की कुल संख्या थी 9.86 करोड़ (98.6 मिलियन)।
इस तरह की आकर्षक वृद्धि को देखते हुए, कई लोग निवेश करने के लिए आकर्षित होते हैं, जो भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक अच्छा कदम है। शुरू करने से पहले, अपना शोध अच्छी तरह से सुनिश्चित करें। एमएफ की मूल बातें जानना महत्वपूर्ण है जैसे कि के प्रकारम्यूचुअल फंड्स, जोखिम और वापसी, विविधीकरण, आदि। म्यूचुअल फंड इक्विटी के लिए शेयर बाजार में निवेश करके पैसा लगाते हैं, वे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में भी निवेश करते हैं। इसी तरह, वे भीसोने में निवेश करें, हाइब्रिड, एफओएफ, आदि।
ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड
भारत में अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड प्रकृति के हैं। ये फंड निवेशकों द्वारा किसी भी समय सदस्यता (या साधारण शब्दों में खरीद) के लिए खुले हैं। वे उन निवेशकों को नई इकाइयाँ जारी करते हैं जो फंड में आना चाहते हैं। प्रारंभिक पेशकश अवधि के बाद (एनएफओ), इन निधियों की इकाइयों को खरीदा जा सकता है। एक दुर्लभ परिदृश्य में, एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) निवेशकों द्वारा आगे की खरीद को रोक सकता है अगर एएमसी को लगता है कि नए पैसे को तैनात करने के लिए पर्याप्त और अच्छे अवसर नहीं हैं। हालांकि, मोचन के लिए, एएमसी को इकाइयों को वापस खरीदना होगा।
ये ऐसे फंड हैं जो प्रारंभिक पेशकश अवधि (एनएफओ) के बाद निवेशकों द्वारा आगे की सदस्यता (या खरीद) के लिए बंद कर दिए जाते हैं। ओपन-एंडेड फंड के विपरीत, निवेशक एनएफओ अवधि के बाद इस प्रकार के म्यूचुअल फंड की नई इकाइयां नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए, क्लोज-एंडेड फंड में निवेश केवल एनएफओ अवधि के दौरान ही संभव है। साथ ही, एक बात ध्यान देने वाली है कि निवेशक क्लोज्ड-एंडेड फंड में रिडेम्पशन के जरिए बाहर नहीं निकल सकते। अवधि परिपक्व होने के बाद मोचन होता है।
विभिन्न प्रकार के म्युचुअल फंड
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा निर्देशित (सेबी) मानदंड, म्यूचुअल फंड में पांच मुख्य व्यापक श्रेणियां और 36 उप-श्रेणियां हैं।
1. इक्विटी म्यूचुअल फंड
इक्विटी फ़ंड इक्विटी शेयर बाजार में निवेश करके निवेशकों के लिए पैसा कमाएं। यह विकल्प उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो लंबी अवधि के रिटर्न की तलाश में हैं। कुछ प्रकार के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं-
Fund | NAV | Net Assets (Cr) | 3 MO (%) | 6 MO (%) | 1 YR (%) | 3 YR (%) | 5 YR (%) | 2021 (%) | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
ICICI Prudential Technology Fund Growth | ₹141.25 ↑ 0.10 | इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार ₹9,182 | 8.6 | 6.7 | -11.7 | 35.8 | 25.6 | 75.7 | add_shopping_cart |
किस प्रकार के इक्विटी फंड में सबसे कम और किसमें सबसे ज़्यादा जोखिम होता है?
म्युचुअल फंड्स में कैटिगराइजेशन और उनमें मौजूद पोर्टफोलियो के आधार पर कई तरह के जोखिमों की आशंका रहती है। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में कई जोखिमों की आशंका रहती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है बाजार जोखिम। एक कैटेगरी के तौर पर इक्विटी म्युचुअल फंड्स को 'उच्च जोखिम' निवेश उत्पाद माना जाता है। जबकि सारे इक्विटी फंड्स को बाजार जोखिमों का खतरा रहता है, जोखिम की डिग्री अलग-अलग फंड में अलग-अलग होती है और इक्विटी फंड के प्रकार पर निर्भर करती है।
लार्जकैप फंड्स जो लार्जकैप कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं यानी अच्छी आर्थिक स्थिति वाली जानी-मानी कंपनियों के शेयरों को सबसे कम जोखिम भरा माना जाता है क्योंकि इन शेयरों को मिड कैप और छोटी कंपनियों के शेयरों की तुलना में सुरक्षित माना जाता है। कम जोखिम वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आमतौर पर एक अच्छा डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है जो लार्ज-कैप कैटेगरी के सारे सेक्टरों में फैला होता है। व्यापक-आधारित बाजार सूचकांक पर आधारित इंडेक्स फंड्स और ETF जो निष्क्रिय रणनीति रखते हैं, उन्हें भी कम जोखिम वाला माना जाता है क्योंकि वे डाइवर्सिफाइड बाजार सूचकांकों की नकल करते हैं।
Mutual Fund: इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड में क्या है अंतर? आपके लिए क्या है बेहतर?
अगर आप अपने लाइफ के टार्गेट को लेकर स्पष्ट है तो आपके लिए निवेश स्कीम चुनना काफी आसान है.
म्यूचुअल फंड्स एक तरह का फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है. इसके जरिए स्टॉक, गवर्नमेंट और कार्पोरेट बॉन्ड, डेट इंस्ट्रूमेंट्स और गोल्ड स्कीम में निवेश किया जाता है. पूरी तैयारी के साथ म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश किया जाए तो बेहतर रिजल्ट देखने को मिलते हैं. हालांकि ये जरूरी नहीं कि सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड सभी निवेशकों के लिए बेहतर हों. ऐसे में म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट से पहले निवेशकों को उसके बारे में जरूरी जानकारी जुटा लेनी चाहिए. साथ ही निवेशकों को अपनी रिस्क लेने की क्षमता, जरूरतों, टार्गेट और स्कीम की टेन्योर समेत तमाम पहलुओं को समझ लेना जरूरी है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या ग्रोथ ओरिएंटेड फंड्स एक बेहद खास स्कीम है. इस स्कीम के तहत स्टॉक एक्सचेंज मार्केट में लिस्टेड विभिन्न इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार कंपनियों के शेयर में निवेशक के एसेट्स को इनवेस्ट किया जाता है. ये स्कीम निवेशकों को उनके पैसे अलग-अलग सेक्टर की कई कंपनियों के शेयर में निवेश का मौका देता है. यही स्ट्रेटेजी निवेशक को जोखिम से बचाता है और उसके कारोबार में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी करने में मददगार होता है.
मिसाल के तौर पर समझिए कि एक निवेशक अपना 1000 रुपये इक्विटी म्यूचुअल फंड के माध्यम से 50 कंपनियों में निवेश किया. जिन कंपनियों के शेयर में निवेशक के एसेट्स इनवेस्ट किए गए उन सभी में उसका अनुपातिक लिहाज से मालिकाना हक हो जाता है. और सभी कंपनियां उसके पोर्टफोलियो में शामिल भी हो जाती हैं. जिन कंपनियों के शेयर में निवेशक के एसेट्स लगे हैं. अगर उनमें से कुछ स्टॉक अच्छा परफार्म नहीं कर पाए तो बाकी बचे निवेशक के पोर्टफोलियो में शामिल बेहतर परफार्मेंश वाले स्टॉक बुरे प्रभाव को कम करने या उस प्रभाव की भरपाई करके इनवेस्टमेंट वैल्यू को बेहतर बनाने का काम करते हैं. ऐसे में निवेशक को डावर्सिफाई पोर्टफोलियो और रिस्क एडजस्टेड रिटर्न के फायदे मिलते हैं.
डेट म्यूचुअल फंड्स
इक्विटी फंड के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड ज्यादा सुरक्षित और स्थायी है. हालांकि लंबी अवधि के निवेश में ये इक्विटी फंड के मुकाबले कम रिटर्न देते हैं. लेकिन बैंक के सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉडिट, पोस्ट ऑफिस स्कीम पर मिलने वाले रिटर्न की तुलना में डेट म्यूचुअल फंड के रिटर्न बेहतर होते हैं. इक्विटी फंड की तरह इनमें भी निवेशक के पास डावर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. इसमें निवेशक का पैसा फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी (fixed-income securities), मसलन कार्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bonds), गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ (Government Securities) और ट्रेजरी बिल (Treasury Bills) में निवेश किया जाता है. इस पर मिलने वाले रिटर्न का अनुमान कुछ हद तक पहले से लगाया जा सकता है.
टैक्स के लिहाज से देखा जाए तो डेट स्कीम पर तीन इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार साल के भीतर मिलने वाले गेन को शार्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहते हैं. तीन साल के बाद के प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ( LTCG) कहते हैं, अगर आप डेट फंड की यूनिट्स को खरीदने के तीन साल के भीतर बेचते हैं, तो उस पर हासिल प्रॉफिट पर निवेशक के टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स देना पड़ता है. मिसाल के तौर पर अगर एक निवेशक की टैक्स के दायरे में आने वाली इनकम 6,00,000 रुपये है और उसका STCG 1,00,000 रुपये है तो उसे 7,00,000 रुपये पर टैक्स देना होगा. डेट म्यूचुअल फंड में तीन साल या उससे अधिक समय तक निवेश किया गया हो तो उस पर होने वाले कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है.
गजब का म्यूचुअल फंड: ₹10,000 मासिक SIP को बना दिया ₹9.39 करोड़, ₹46800 टैक्स बचत भी कराता है
Mutual Fund: टैक्स-बचत विकल्प इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक प्रकार का इक्विटी फंड है और यह एकमात्र म्यूचुअल फंड है, जिसमें आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है। इसके अलावा ईएलएसएस फंड विविध इक्विटी फंड हैं जो लार्ज, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों सहित कई मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश करते हैं। यही वजह है कि इस फंड को काफी पंसद किया जाता है।
फाइनेंस एक्सपर्ट इस फंड में लंबे समय तक निवेश को बनाए रखने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि लाॅन्ग टर्म में यह फंड हाई रिटर्न देने की क्षमता रखता है। आपको बता दें कि ईएलएसएस फंड (equity-linked savings scheme (ELSS)) से टैक्सपेयर्स सालाना 46,800 रुपये तक की बचत कर सकते हैं। यहां, हमने एचडीएफसी टैक्ससेवर फंड को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया है, जिसने अपनी स्थापना के 26 साल पूरे कर लिए हैं और इसके निवेशक करोड़पति बन गए हैं।
इक्विटी सेविंग फंड
फंड इक्विटी डेट
Kotak Equity Savings 34.23% 19.2%
Axis Equity Saver 42.15% 33.48%
ICICI Equity Saver 16.5% 26.98%
कंजर्वेटिव इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार हाइब्रिड फंड 75% डेट में निवेश करते हैं
बाकी निवेश इक्विटी में होता है
प्योर डेट फंड्स में निवेश नहीं करना चाहते
कम जोखिम उठाना है तो निवेश कर सकते हैं
कम से कम 3 साल के लिए निवेश करना बेहतर
टैक्स देनदारी में डेट फंड्स के तौर पर रखा जाता है
कंसर्वेटिव हाइब्रिड फंड
फंड इक्विटी डेट
ABSL Savings 25.3% 66.2%
ICICI Regular Savings 18.2% 59.6%
Kotak इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार Debt Hybrid 24.6% 60.2%
कंजर्वेटिव हाइब्रिड - डेट के मुताबिक टैक्सेशन
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड- इक्विटी का टैक्सेशन
आर्बिट्राज फंड - इक्विटी का टैक्सेशन
मल्टी एसेट और BAF- फंड मैनेजर के असेट एलोकेशन पर निर्भर
मल्टी एसेट और BAF: इक्विटी ज्यादा तो इक्विटी टैक्सेशन
मल्टी एसेट और BAF: डेट ज्यादा तो डेट टैक्सेशन
हाइब्रिड फंड
कौन करे निवेश?
कंसर्वेटिव निवेशक- इक्विटी सेविंग्स
मॉडरेट निवेशक- बैलेंस्ड एडवांटेज फंड
अग्रेसिव निवेशक- अग्रेसिव हाइब्रिड फंड
कम अवधि का निवेश- आर्बिट्राज फंड
स्कीम का असेट एलोकेशन रेश्यो कितना है
डेट स्कीम की क्रेडिट क्वालिटी कैसी है
फंड (Mutual Funds) का इक्विटी निवेश किन कैटेगरी में है
फंड में कैसे टैक्स लग रहा है.