शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है

काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।
शेयर खरीदने के नियम – Rules for buying shares
अगर आप भी निवेश करके पैसा कमाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको शेयर खरीदने के नियम पता होने चाहिए। लेकिन शेयर खरीदने से पहले आपको पता होना चाहिए कि शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट वह जगह है जहां शेयर खरीदे और बेचे जाते है। शेयर मार्केट आपको इक्विटी, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव इत्यादि में ट्रेडिंग करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
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किसी भी नए या अनुभवी निवेशक को निवेश करने के लिए पता होना चाहिए कि शेयर खरीदने के लिए क्या करें, किस कंपनी का शेयर खरीदे और शेयर खरीदने के नियम क्या हैं?
Table of Contents
शेयर कैसे खरीदें ?
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि शेयर खरीदते समय आपको किन किन बातों को ध्यान में रखना है। यहाँ हमनें कुछ टिप्स बताए हैं, जो एक निवेशक के लिए निवेश करने से पहले दिमाग में रखना जरूरी है।
अपने फाइनेंशियल उद्देश्यों को ध्यान में रखें।
मौलिक और तकनीकी विश्लेषण करें।
सही कीमत पर शेयर खरीदें।
समय-समय पर निवेश करें सेबी के नियमों का पालन करें चलिए
अब इन सब पर एक-एक करके चर्चा करते हैं।
अपने फाइनेंशियल उद्देश्यों को ध्यान में रखें – Keep your financial objectives in mind
शेयर खरीदने के नियम में सबसे पहला नियम या टिप्स यह है कि शेयर खरीदने से पहले हमें अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए। इसका मतलब है कि सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपको लॉन्ग-टर्म निवेश करना है या शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना है।
शॉर्ट टर्म ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग को चुनते हैं। वहीं लॉन्ग-टर्म के लिए निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग या पोज़िशनल ट्रेडिंग का विकल्प चुन सकते हैं।
यदि आप शॉर्ट-टर्म यानी कम अवधि में के जरिये रिटर्न प्राप्त करना चाहते है, तो आप निवेश के अन्य साधनों पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपके पास लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट का प्लान है, तो इक्विटी में निवेश करने से आपको बेहतरीन रिटर्न मिल सकता है।
लॉन्ग टर्म में निवेशक एक कंपनी के शेयर खरीदते हैं जब यह सस्ता होता है, और जब उन्हें लगता है कि स्टॉक की कीमत पर्याप्त रूप से बढ़ गई है, तो वे शेयरों को अधिक कीमत पर बेचना शुरू करते हैं।
इस तरह की ट्रेडिंग में जोखिम कम होता है। इसके विपरीत शॉर्ट-टर्म ट्रेड में इंट्राडे ट्रेड होता है। इसमें अगर सही स्टॉक की पहचान हो जाए तो शेयर बाजार में दैनिक आधार पर पैसा लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है।
लेकिन ध्यान रहे कि इसमें जोखिम भी काफी होता है। इसलिए, स्टॉक मार्केट को शॉर्ट टर्म मनी मेकिंग टूल के रूप में सोचने के बजाय, इसे लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के रूप में देखें।
मौलिक और तकनीकी विश्लेषण करें – Perform fundamental and technical analysis
यह भी शेयर खरीदने के नियम में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है। स्टॉक मार्केट में अंधाधुंध शेयर खरीदना, बिना सही रिसर्च या एनालिसिस के अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
इससे पहले कि आप शेयर मार्केट में निवेश करें, आपको यह समझने में कोशिश करनी चाहिए कि शेयर बाजार कैसे काम करता है। किसी विशेष कंपनी के शेयर खरीदते समय, कंपनी के पिछले प्रदर्शन के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं पर कुछ रिसर्च करना आवश्यक है।
इसी प्रकार, शेयर खरीदने से पहले मार्केट ट्रेंड की जाँच करें और यह जानें कि शेयर मार्केट की स्थिति पहले कैसी थी और अभी कैसे चल रही है। इसके आधार पर ही शेयर खरीदें।
शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है
वह आपको शेयर खरीदने का फैसला लेने में आपकी मदद करेंगे।
सही कीमत पर शेयर खरीदें – buy shares at the right price
उस कीमत पर स्टॉक खरीदना बहुत महत्वपूर्ण है जो आप देने में सक्षम हो। हो सकता है कि आप ऐसे शेयर को शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है ढूंढ रहे हो जो बहुत लोकप्रिय है और जिसे दूसरे लोग खरीद रहे हैं।
लेकिन इसके लिए आपको यह भी देखना होगा कि अपने बजट के अनुसार शेयर खरीदे और जो आपको बेहतर रिटर्न दे सके। जो शेयर आपके बजट में फिट नहीं बैठता, आप उसे छोड़ दें।
सही समय की प्रतीक्षा करें और उस स्टॉक को चुनें, जो आपके बजट में फिट हो और आपको लाभ भी दे। इसके अलावा, जब आपको लगे कि आप अपना स्टॉक बेचना चाहते हैं और आपको अच्छा रिटर्न मिल रहा है
तब आपको शेयर बेच देने चाहिए। शेयर की कीमत को कुछ और बढ़ाने के लिए इंतजार करना फायदेमंद हो सकता है।
लेकिन ध्यान रहे कि अगर इसका प्राइस नीचे जाता है तो आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, शेयर हमेशा सही समय पर खरीदें और सही समय आने पर बेच दें।
सेबी के नियमों का पालन करे – Follow SEBI rules
शेयर मार्केट की रेगुलेटरी बॉडी ने 1 सितंबर 2020 से शेयर खरीदने और बेचने के नियमों में भारी बदलाव किए हैं। एक तरफ जहां इन नियमों के कारण निवेशकों की सुरक्षा बढ़ी हैं, वहीं दूसरी ओर शेयर खरीदना मुश्किल हो गया है।
जैसा कि आपको पता है कि “कार्वी ऑनलाइन” ने निवेशकों के पैसों के साथ घोटाला किया था। उसके बाद सेबी ने नियम बनाने के लिए कड़े कदम उठाए। ऐसे में अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको शेयर खरीदने के नियम पता होने चाहिए।
आपको पता है कि निवेशक अपने ब्रोकर से पॉवर ऑफ अटॉर्नी लेते थे। यहाँ ब्रोकर उनके शेयर के साथ मनमानी करते थे और निवेशकों की बिना सहमति के शेयर्स का इस्तेमाल करते थे।
लेकिन अब सेबी के नए में शेयर आपके डीमैट खाते में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इस तरह ब्रोकर के अकाउंट में आपके शेयर नहीं जाएंगे।
मुख्य बातें – Headlines
आपको सबसे पहले अपने दिमाग में एक वित्तीय उद्देश्यों को रखें, यानी सबसे पहले यह तय करें कि आपको लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट करना है या शॉर्ट टर्म निवेश करना है।
यदि आपकी जोखिम क्षमता कम है तो आपको लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की तरफ रुख करना चाहिए। इसमें समय अधिक लगेगा लेकिन यह आपको एक अच्छा रिटर्न दे सकता है।
आप कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करके उस कंपनी के बारे में बारीकी से जान सकते हैं जिस कंपनी के शेयर आप खरीदना चाहते हैं। इसके जरिए कंपनी के बिजनेस, कंपनी क्या Product बनाती है, मार्केट में प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, Company Profit में है या Loss में, Company पर कर्ज कितना है
आदि के बारे में आप जान सकते हैं। आपको शेयर खरीदने के लिए एक सही प्राइस का इंतजार करना चाहिए। यानी अगर शेयर की कीमत आपके बजट से बाहर है शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है तो आपको सही समय की प्रतीक्षा करने के बाद ही शेयर खरीदना चाहिए।
इसके साथ ही हमेशा उसी पैसे का इस्तेमाल करें जो आपके पास एक्स्ट्रा हो और कभी भी अपनी मेहनत की पूरी कमाई का उपयोग निवेश में नहीं करना चाहिए।
समय-समय पर निवेश करें यानि हमेशा वोलैटिलिटी को ध्यान में रख कर ही शेयर खरीदें।
इसके अलावा, सेबी के नए नियमों का भी कड़ाई से पालन करें। इस प्रकार, यदि आप शेयर खरीदने के लिए इन नियमों का पालन करते हैं तो आप एक बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप भी शेयर मार्केट में ट्रेड करना चाहते है तो आपके पास डीमैट खाता होना चाहिए।
शेयर कैसे खरीदे और बेचे जाते हैं
शेयर मार्केट में शुरुआती दिनों में निवेश ₹ 5000 से ₹10000 के बीच करना चाहिए शेयर खरीदने और बेचने का तरीका और शेयर मार्केट की जानकारी होने के बाद निवेश की राशि बढ़ा सकते हैं .
यदि आप शेयर खरीदते और बेचते हैं तो आप मुनाफा कमा सकते हैं लेकन उसके लिए आपको शेयर मार्केट की जानकारी होना अति आवश्यक है मौजूदा समय में शेयर बाजार में लोग निवेशकर रहे हैं
शेयर बाजार जोखिमों के अधीन होता है यदि बाजार में गिरावट आई तो द्वारा खरीदे गए शेयरों में पैसे घटने के आसार बढ़ जाते हैं और यदि बाज़ार में बढ़त है तो आपके शेयर आपको मुनाफा देंगे
इसलिए जब मार्केट में मंदी हो तो शेयरों में इन्वेस्ट करना चाहिए और सही भाव देखकर शेयरों को बेच देना चाहिए
- शेयर का चुनाव करें.
- डीमैट अकाउंट में buy के ऑप्शन पर क्लिक करें
- खरीदे जाने वाले शेयरों की संख्या दर्ज करें
- नॉर्मल या सीएनसी ऑप्शन सेट करें
- मार्केट या लिमिट ऑप्शन सेट करें
- शेयर भाव दर्ज करके सबमिट कर दें
शेयर एक तरह से कंपनी अपने ग्राहक को सीधे तौर से स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ग्राहक को देती है और म्यूच्यूअल फंड मैं सैकड़ों लोगों का पैसा मिला कर किसी कंपनी के शेयर खरीदते है
शेयर खरीदने के लिए आपको पहले डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा और ब्रोकर के माध्यम से आप नेशनल स्टॉक एक्सचेंज , मुंबई स्टॉक एक्सचेंज आदि एक्सचेंजों पर ऑनलाइन शेयर खरीद या बेच सकते हैं
खरीदे हुए शेयर आपके NSDL के अकाउंट में जमा हो जाएंगे यह प्रक्रिया बिल्कुल बैंकिंग की तरह होती है बस बैंकिंग में रुपए का लेना देना होता है उसी तरह डीमेट अकाउंट में शेयर का लेना देना या होल्डिंग होती है .
डीमैट अकाउंट ओपन होने के बाद आप डीमैट में अकाउंट में अपनी आवश्यकता अनुसार बैलेंस क्रेडिट करें और शेयर खरीदना और बेचना शुरू कर सकते हैं यहां पर यह कहना सही होगा कि शेयर मार्केट में आप कम पूंजी से शुरुआत करें और अनुभव के साथ साथ ही सही समय आने पर अपनी जमा राशि डीमैट अकाउंट में बढ़ा सकते हैं शेयर मार्केट में लंबी अवधि के लिए खरीद फरोख्त करना शुरू करें
लंबी अवधि के शेयरों में नुकसान होने का चांस बहुत ही कम होता और जैसे ही आप लंबी अवधि के शेयरों में मुनाफा कमाना शुरु कर दें इंट्राडे शेयर में खरीद फरोख्त जारी कर सकते हैं
शेयर मार्केट में पैसा कमाने के लिए आपको शेयर मार्केट के संबंधित न्यूज़ समाचारों से अपडेट रहना होगा समय-समय पर शेयर मार्केट से जुड़े टीवी कार्यक्रम शेयर मार्केट न्यूज़ देखते रहना होगा सबसे पहले आप बैंकिंग सेक्टर में खरीदारी कर सकते हैं क्योंकि यह ऐसे सेक्टर है जिनमें ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को नहीं मिलते हैं अन्य सेक्टरों में या नई कंपनियों में नफा के साथ साथ नुकसान भी आपको ज्यादा उठाना पड़ सकता है इसलिए शुरुआती दिनों में ऐसे शेयर का चुनाव करें शेयर बाजार में शेयर खरीदने का यही सबसे सही तरीका है .
भारतीय अर्थव्यवस्था में शेयर मार्केट का महत्वपूर्ण योगदान है जिसमें सभी कंपनियां अच्छा मुनाफा करने की उम्मीद से आम जनता से पैसा जुटाने का तरीका ढूंढती रहती हैं पिछले दिनों covid 19 के संक्रमण के कारण शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई बैंकिंग शेयरों से लेकर फार्मा सेक्टर तक गिरावट की चपेट में आ गया लेकिन पिछले कुछ दिनों से शेयर मार्केट में एक अच्छी महंगाई देखने को मिली है फार्मा सेक्टर हो या बैंकिंग सेक्टर सभी सेक्टरों की कंपनियों और बैंकों के शेयरों में रिकवरी हुई हैं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में भारी कारोबार हुआ SENSEX 52100 और निफ्टी 15700 के आसपास अपना स्कोर बना चुकी है
शेयर बाजार में एक ही शेयर पर 2 व्यक्तियों की सोच अलग-अलग होती है जिस शेयर को आप महंगा होने के लिए खरीद रहे हैं उसी शेयर को दूसरा व्यक्ति या सोचकर बेच रहा है कि आगे जाकर यह शेयर सस्ता शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है हो जाएगा व्यक्तियों की अलग सोच की वजह से ही शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शेयरों की खरीदारी बिकवाली चलती रहती हैं आपकी कमाई इस पर निर्भर करती है कि आपका लिया गया फैसला कितना सही है
शेयर मार्केट क्या है |what is share market in hindi |
share market दो शब्दों से मिलकर बना है शेयर और मार्केट। शेयर का अर्थ हिस्सेदारी होता है और market का अर्थ बाजार। अर्थात शेयर market एक ऐसा बाजार होता है जहां सेयर यानि हिस्सेदारी को खरीदा और बेचा जाता है।
share शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है in hindi |
शेयर क्या होता है |share meaning in hindi|
किसी भी कम्पनी की कैपिटल यानि पूंजी का एक छोटा हिस्सा एक शेयर कहलाता है।
दोस्तों जैसा की हम जानते है किसी भी कम्पनी को या बिजनेस को शुरू करने के लिए कैपिटल यानि पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। और इस पूंजी को इकट्ठा करने लिए कम्पनी कुछ पैसे खुद से लगाती है और कुछ पैसों के लिए लोगों पर निर्भर रहती है। लोगों से पैसे इकट्ठा करने के लिए कम्पनी अपने कैपिटल को बराबर भागों में बाँट देती है। इसी एक भाग को एक शेयर कहा जाता है।
example के लिए किसी कम्पनी की कैपिटल 100000 रु. है अब वह उस कैपिटल को 100 बराबर हिस्सों में बाँट देती है।तो अब कम्पनी के पास एक एक हजार रूपये के 100 शेयर है। और 1 शेयर की वैल्यू कम्पनी की कैपिटल का 1 % हुआ। यानि कम्पनी यदि अपना 1 शेयर बेचती है तो उसे 1000 रूपये मिलेगा और बदले में शेयर खरीदने वाले को कम्पनी में 1 % की हिस्सेदारी।
शेयर बेचने और खरीदने का क्या अर्थ है।
अब एक शेयर की वैल्यू कम्पनी की कैपिटल का 1 % है तो अगर कम्पनी अपने 40 शेयर्स बेचना चाहती है तो इसका अर्थ है की कम्पनी अपनी 40 % वैल्यू या यूँ कहिये की हिस्सेदारी बेचना चाहती है।
अगर कोई व्यक्ति 5 शेयर खरीदना चाहता है तो इसका अर्थ वह कम्पनी की 5 % हिस्सेदारी लेना चाहता है। 5 शेयर्स खरीदने के लिए उसे 1000 रूपये प्रति शेयर के हिसाब से 5000 रूपये कम्पनी भुगतान करने होंगे। जिससे वह कम्पनी का 5 % का हिस्सेदार या मालिक हो जायेगा। इसका अर्थ यह हुआ की अब यदि कम्पनी को लाभ होता है तो 5 % हिस्सा उस व्यक्ति को भी मिलेगा और यदि हानि होती तो 5 % उसे वहन भी करना पड़ेगा।
शेयर मार्केट क्या है |share market in hindi|
जिस प्रकार से किसी चीज को खरीदने व बेचने लिए एक उचित स्थान को आवश्यकता होती है जहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों को सुविधा हो। ठीक उसी प्रकार से शेयर को बेचने खरीदने के लिए भी उचित स्थान बनाया गया है जिसे हम शेयर मार्केट के नाम से जानते है। शेयर मार्केट को कई और नाम जैसे स्टॉक मार्केट, वेल्थ मार्केट, शेयर बाजार से भी जाना जाता है।
ये दोनों ही बाजार ठीक ढंग से काम करें इसके लिए एक एक्सचेंज बोर्ड बनाया गया है। जिसका नाम है SEBI ( Securities Exchange Board of India ) .
शेयर मार्केट में कम्पनियाँ शेयर कैसे बेचती है ?
शेयर बेचने के लिए कंपनियों को शेयर मार्केट में जाना होता है। भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज प्रमुख है।
शेयर बेचने लिए कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन के लिए कंपनियों को सम्बन्धित जरूरी डॉक्युमेंट इसमें सबमिट करना होता है। फिर स्टॉक एक्सचेंज चेक करता है की SEBI के अनुसार जो भी जरूरी नियम दिए गए है क्या वह कम्पनी फॉलो करता है यदि कम्पनी SEBI के अनुसार सही होती है तो स्टॉक एक्सचेंज उसे अपने शेयर इशू करने का अप्रूवल दे देता है।
पहली बार शेयर्स इशू करने के लिए के लिए कंपनियां प्राइमरी मार्केट में जाती है प्राइमरी मार्केट में लिस्ट होकर कंपनियां आईपीओ यानि ( इनिशियल पब्लिक आफरिंग ) के जरिये अपना शेयर पब्लिक में इशू करती है।
पहली बार कम्पनियाँ अपने शेयर्स के दाम खुद तय करती है और उसके बाद कम्पनी के लाभ हानि के आधार पर शेयर मार्केट से घटता और बढ़ता रहता है।
शेयर कैसे खरीदा जाता है ?
पहले के समय में शेयर खरीदने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब ऑनलाइन माध्यम से शेयर खरीदना काफी आसान हो गया है। आप घर बैठकर किसी भी कम्पनी के शेयर होल्डर बन सकते है।
शेयर खरीदने के लिए आपको सबसे पहले डीमैट अकाउंट खोलना पड़ता है। डीमैट अकाउंट आप किसी बैंक ब्रोकर की मदद खोल सकते है आजकल ऑलमोस्ट सभी बैंक डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा देते है।
डीमैट अकाउंट क्या होता है?
जिस तरह से आप पैसे रखने के लिए बैंक में अकाउंट खुलवाते है ठीक उसी प्रकार से शेयर्स store करने के लिए हमें डीमैट अकाउंट ki आवश्यकता पड़ती है। क्युकी शेयर कोई वस्तु नहीं है जिसे हम देख या छू सके। यह वर्चुअल फॉर्म में होता है। जब कम्पनी के शेयर्स खरीदते है तो वह हमारे डीमैट अकाउंट में स्टोर हो जाता है। डीमैट अकाउंट हमारे बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है, शेयर्स खरीदने के लिए हम अपने बैंक अकाउंट से डीमैट अकाउंट में फण्ड ट्रांसफर करते है। और जब हम अपने शेयर्स को बेचते है तो हम अपने शेयर्स को कैसे खरीदा और बेचा जाता है अमाउंट को अपने बैंक में ट्रांसफर कर लेते है।
इस पोस्ट में share market kya hai शेयर मार्केट का बेसिक बताने का प्रयास किया गया है उम्मीद करते है आपको समझ आया होगा। समझ आया तो कमेंट जरूर करें। धन्यवाद !
शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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