विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर

डीआरआई ने विदेशी मुद्रा रैकेट का भंडाफोड़ किया, अमृतसर, चंडीगढ़ हवाई अड्डों से 1.5 करोड़ रुपये से अधिक जब्त
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने भारतीय नागरिकों द्वारा 1.52 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की तस्करी के दो अलग-अलग प्रयासों को विफल कर दिया है, जब वे अमृतसर और चंडीगढ़ हवाई अड्डों से विदेश भागने के लिए उड़ान भर रहे थे।
गुप्त सूचना के आधार पर डीआरआई ने निदेशालय के अतिरिक्त महानिदेशक नितिन सैनी के निर्देश पर 12 नवंबर को कार्रवाई की। संदिग्धों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, यहां श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पकड़ा गया पहला संदिग्ध 1.08 करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी मुद्रा ले जा रहा था।
पूछताछ के बाद उसने एक अन्य व्यक्ति के बारे में खुलासा किया, जिसे विदेशी मुद्रा के साथ चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरनी थी। तुरंत ही उसे भी पकड़ लिया गया और डीआरआई की टीम ने उसके बैग में छिपाकर रखी गई 44 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त कर ली। दोनों को संयुक्त अरब अमीरात के लिए उड़ान भरनी थी और उनके बैग में विशेष छेद वाले बैग में अवैध रूप से अघोषित मुद्रा थी।
विदेशी मुद्रा भंडार 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर
मुंबई । विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि के बढ़ने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 3.85 अरब डॉलर कम होकर 524.5 अरब डॉलर रहा गया था।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 28 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 5.8 अरब डॉलर की बढ़त लेकर 470.85 अरब डॉलर हो गयी। इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार में 55.6 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 37.76 अरब डॉलर हो गया।आलोच्य सप्ताह एसडीआर में 18.5 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई और यह बढ़कर 17.63 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 4.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.85 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
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ईडी (प्रवर्तन निदेशालय)
प्रवर्तन निदेशालय, मुख्यालय, नई दिल्ली में वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था। यह विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) और धन आशोधन अधिनियम के तहत कुछ प्रावधानों को लागू करने के लिए उत्तरदायी है। पीएमएल के तहत मामलों की जांच और मुकदमे से संबंधित कार्य प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे गए हैं। यह निदेशालय, परिचालन उद्देश्यों के लिए राजस्व विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है; फेमा के नीतिगत पहलू, इसके विधायन तथा संशोधन विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर के आर्थिक कार्य विभाग के दायरे में हैं। हालांकि, पीएमएल अधिनियम से संबंधित नीतिगत मुद्दे, राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है। फेमा के प्रभावी (1 जून 2000) लागू होने से पूर्व, निदेशालय ने विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 के तहत नियमों को लागू कर दिया है।
श्री सुधीर नाथ, अपर सचिव पद के एक अधिकारी इसके निदेशक हैं। इसके मुख्यालय में दो विशेष निदेशक और मुंबई में एक विशेष निदेशक हैं।
निदेशालय में 10 जोनल अधिकारी हैं जिनमें से प्रत्येक का अध्यक्ष एक उप निदेशक तथा 11 उप जोनल अधिकारी हैं जिनमें से प्रत्येक का अध्यक्ष एक सहायक निदेशक है।
जोनल कार्यालय- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, कोच्चि, अहमदाबाद, बंगलौर तथा हैदराबाद।
उप जोनल कार्यालय- जयपुर, जालंधर, श्रीनगर, वाराणसी, गुवाहाटी, कालीकट, इंदौर, नागपुर, पटना, भुवनेश्वर तथा मदुरै।
विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर पर
मुंबई: विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि घटने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर रह गया जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर रहा था।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गयी। इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार में 70.5 करोड़ डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 37.06 अरब डॉलर हो गया। आलोच्य सप्ताह एसडीआर में 23.5 करोड़ डॉलर की कमी हुई और यह घटकर 17.4 अरब डॉलर पर आ विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर गया। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर पर आ गई।
प्रवर्तन निदेशालय
प्रवर्तन निदेशालय एक बहु अनुशासनात्मक संगठन है जो वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का हिस्सा है। यह दो विशेष राजकोषीय कानूनों - विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर फेमा) और धन की रोकथाम अधिनियम, 2002 (पी.एम.एल.ए.) के प्रावधानों को लागू करने का कार्य करता है। सीधी भर्ती द्वारा कर्मियों की नियुक्ति के अलावा निदेशालय प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न जाँच एजेंसियों, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आयकर, पुलिस आदि विभागों से भी अधिकारियों को नियुक्त करता है।
संगठनात्मक इतिहास
- इस निदेशालय की उत्पत्ति 1 मई, 1956 को हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा '47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया।
- इस इकाई का नेतृत्व एक कानूनी सेवा अधिकारी द्वारा किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय अधिकारी के रूप में आर.बी.आई. से प्रतिनियुक्ति पर आए एक अधिकारी के अलावा विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के 03 निरीक्षक (दिल्ली मुख्यालय) शामिल किये गए।
- वस्तुतः वर्तमान में इसमें भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी शामिल किये गए हैं।
- प्रारंभ में बंबई और कलकत्ता में 02 शाखाएँ खोली गई। वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया और मद्रास में एक और शाखा खोली गई।
- निदेशालय के प्रशासनिक नियंत्रण को वर्ष 1960 में आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया।
- समय बीतने के साथ, FERA'1947 कानून को FERA’1973 कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। 04 साल की अवधि (1973-1977) के विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर लिये निदेशालय कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रहा। पुनः आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत के साथ, FERA’1973 (जो एक नियामक कानून था) निरस्त कर दिया गया और इसके स्थान पर 1 जून, 2000 से एक नया कानून-विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) लागू किया गया।
- इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय एंटी मनी लॉन्ड्रिंग व्यवस्था (International Anti Money Laundering Arrangement) के साथ तालमेल बनाते हुए PREVENTION OF MONEY LAUNDERING ACT 2002 (PMLA) को अधिनियमित (2005/07/01 से प्रभावी) कर प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा गया।
अधिकार एवं शक्तियाँ
एक बहुआयामी संगठन की भूमिका में निदेशालय दो कानूनों विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर को लागू करता है, जो निम्नलिखित हैं:
1. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FOREIGN EXCHANGE MANAGEMENT ACT-FEMA)– यह एक नागरिक कानून है, जो निदेशालय को अर्ध न्यायिक शक्तियाँ देता है।
- यह निदेशालय को विनिमय नियंत्रण कानून के संदिग्ध उल्लंघनों की जाँच करने के साथ दोषी पर जुर्माना लगाने की भी शक्ति देता है।
2. धन शोधन निवारण अधिनियम (PREVENTION OF MONEY LAUNDERING ACT-PMLA)– यह एक आपराधिक कानून है, जो निदेशालय के अधिकारियों को अनंतिम रूप से जाँच पड़ताल करने, पूछताछ करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देता है।
- यह कानून अधिकारियों को कालाधन के कारोबार में लिप्त व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने के अलावा अपराधिक कृत्यों से प्राप्त संपत्ति को संलग्न/जब्त विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर विदेशी मुद्रा मुद्रा जालंधर करने का अधिकार भी देता है।
संगठनात्मक ढाँचा
- प्रवर्तन निदेशक नई दिल्ली में अपने मुख्यालय के साथ प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख होते हैं। प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशकों के नेतृत्व में मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में पाँच क्षेत्रीय कार्यालय (Regional office) हैं।
- निदेशालय के आंचलिक कार्यालय (Zonal Office) अहमदाबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, चेन्नई, कोच्चि, दिल्ली, पणजी, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जालंधर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना और श्रीनगर में हैं। इनकी अध्यक्षता एक संयुक्त निदेशक करता है।
- निदेशालय के भुवनेश्वर, कोझीकोड, इंदौर, मदुरै, नागपुर, इलाहाबाद, रायपुर, देहरादून, रांची, सूरत, शिमला, विशाखापत्तनम और जम्मू में उप-जोनल कार्यालय हैं, जिनकी अध्यक्षता एक उप-निदेशक करते हैं।
निदेशालय के कार्य
निदेशालय के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों के उल्लंघन की जाँच करना, जो 1.6.2000 से प्रभाव में आया।
• निदेशालय नामित अधिकारियों द्वारा फेमा के उल्लंघन के दोषियों की जाँच की जाती है और इसमें शामिल राशि का तीन गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है। - मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 (PMLA) के प्रावधानों के तहत (जो 1.7.2005 से प्रभावी हुआ) धन शोधन के अपराधों की जाँच करना, संपत्ति की कुर्की और जब्ती की कार्रवाई करना और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाना (28 कानूनों के तहत 156 अपराध हैं, जो पी.एम.एल.ए. के तहत अनुसूचित अपराध हैं।)
- निरस्त विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA) का (31.5.2002 तक के) उल्लंघन होने पर जारी किये गए शो कॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) का न्याय निर्णयन करना, जिसके परिणामस्वरूप जुर्माना लगाया जा सकता है।
- भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भागे लोगों के मामले देखना।
• इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों को दंडित करना है जो भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर कानून की प्रक्रिया से बचने के उपाय खोजते हैं। - FEMA के उल्लंघन के संबंध में विदेशी मुद्रा और संरक्षण गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (COFEPOSA) के तहत निवारक निरोध के प्रायोजक मामले देखना।
- पी.एम.एल.ए. के प्रावधानों के तहत मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) और परिसंपत्तियों की बहाली से संबंधित मामलों में अन्य देशों को सहयोग प्रदान करना और ऐसे मामलों में सहयोग लेना।
निदेशालय द्वारा प्रयुक्त अधिनियम, नियम और कानून
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुछ नियम,कानून और अधिनियमों का प्रयोग किया जाता है, जिनका उल्लंघन होने पर यह निदेशालय सक्रिय हो जाता है -