रिटेल और ई

ऐड-शॉप ई-रिटेल
ऐड-शॉप ई-रिटेल (Add-Shop E-Retail) वितरक क्षेत्र की कंपनी है। कंपनी का कुल मूल्यांकन (मार्केट वैल्यू) ₹173 करोड़ है। कंपनी के एक शेयर की कीमत बीएसई बाजार में आज ₹61.60 है और एनएसई बाजार में आज लिस्टेड नहीं है। कंपनी की स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी।
कंपनी द्वारा प्रदान की गई रिपोर्ट के अनुसार अंतिम वर्ष की कुल आय 37.432 करोड़ रुपये रही तथा कुल बिक्री 37.338 करोड़ रुपये रही । कंपनी का शुद्ध लाभ 1.204 करोड़ रुपये रहा। ऐड-शॉप ई-रिटेल ने चालू वर्ष में -0.445 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया हे।
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रिलायंस रिटेल की दुकानों पर मिलेंगे एनबीए के उत्पाद, कंपनी ने किया करार
नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि. की अनुषंगी रिलायंस रिटेल की दुकानों पर अब वैश्विक खेल संगठन नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (एनबीए) के कपड़ों समेत अन्य उत्पाद मिलेंगे। कंपनी ने इसके लिये एनबीए के साथ गठजोड़ किया है। दोनों इकाइयों ने संयुक्त बयान में बुधवार को यह जानकारी दी। एनबीए के उत्पादों में वयस्कों, युवाओं और बच्चों के लिये कपड़े समेत अन्य उत्पाद शामिल हैं। ये उत्पाद रिलायंस रिटेल के चुनिंदा स्टोर और रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स मंच पर उपलब्ध होंगे। एनबीए के अंतरराष्ट्रीय लाइसेंसिंग और व्यापार विकास मामलों
दोनों इकाइयों ने संयुक्त बयान में बुधवार को यह जानकारी दी।
एनबीए के उत्पादों में वयस्कों, युवाओं और बच्चों के लिये कपड़े समेत अन्य उत्पाद शामिल हैं। ये उत्पाद रिलायंस रिटेल के चुनिंदा स्टोर और रिलायंस रिटेल के ई-कॉमर्स मंच पर उपलब्ध होंगे।
एनबीए के अंतरराष्ट्रीय लाइसेंसिंग और व्यापार विकास मामलों के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रॉब मिलमैन ने कहा, ‘‘रिलायंस वर्षों से एनबीए का एक विश्वसनीय भागीदार रही है और इस सहयोग के माध्यम से हम भारत में अपनी खुदरा उपस्थिति को मजबूत करने के लिये उत्सुक है।’’
रिलायंस रिटेल लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (फैशन और लाइफस्टाइल) अखिलेश प्रसाद ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि रिलायंस रिटेल स्टोर देशभर में एनबीए प्रशंसकों के लिए पसंदीदा स्थान बन जाए।’’
रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि., रिलायंस इंडस्ट्रीज की इकाई है।
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RBI का ई-रुपया : डिजिटल करेंसी का नया रूप
1 नवंबर को, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के लिए होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपया (ई-रुपया या e₹) का पहला ट्रायल शुरू किया। केंद्रीय बैंक भी इस महीने के अंत में रिटेल सेगमेंट में ई-रुपये का एक समान ट्रायल शुरू करेगा।
RBI ने पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंकों को शामिल किया है- भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, YES बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC।
भारत के केंद्रीय बैंक ने 7 अक्टूबर को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर एक कॉन्सेप्ट नोट प्रकाशित किया, जिसमें इसकी विशेषताओं और मंशा को बताया गया था। यह कॉन्सेप्ट नोट भारत में डिजिटल रुपया पेश करने के उद्देश्यों, विकल्पों, लाभों और कमियों को संबोधित करता है।
अब, यदि आप इस बारे में उत्सुक हैं, कि ई-रुपया क्या है और इसे क्यों पेश किया गया, तो यह जानने के लिए आगे पढ़ें!
क्या है डिजिटल रुपया?
ई-रुपया RBI द्वारा जारी किए गए करेंसी नोटों का एक डिजिटल वर्शन है, या एक प्रकार का डिजिटल पैसा जिसका उपयोग संपर्क रहित लेनदेन में किया जा सकता है। कॉन्सेप्ट नोट के अनुसार, डिजिटल रुपया या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) RBI द्वारा जारी लीगल टेंडर होगा। यह अधिकृत करेंसी के समान एक-से-एक लेन-देन हो सकता है और एक सॉवरेन करेंसी के समान काम करता है।
डिजिटल रुपये का उपयोग बड़े सेटलमेंट और पेमेंट के लिए किया जाएगा। यह बांड जैसी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री के लिए सेटलमेंट राशि के रूप में काम करेगा। इसके अतिरिक्त, रिजर्व बैंक ने कहा, कि उपभोक्ताओं और व्यवसायों द्वारा रिटेल लेनदेन के लिए जल्द ही ई-रुपया उपलब्ध होगा।
RBI ने एक बयान में कहा, "एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) जनता के लिए उपलब्ध वर्तमान डिजिटल पैसों से अलग होगा क्योंकि यह रिजर्व बैंक की देनदारी होगी, न कि एक कमर्शियल बैंक की।"
यह कैसे काम करेगा?
कोई भी अपने ई-रुपये वॉलेट में अपने बैंक बैलेंस की जांच करने के समान तरीके से शेष राशि की जांच कर सकता है। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की नींव ब्लॉकचेन तकनीक है। एक ब्लॉकचेन अनिवार्य रूप से ब्लॉक का कलेक्शन है। प्रत्येक ब्लॉक में लेनदेन का एक ग्रुप होगा। विशिष्ट कंप्यूटर सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के कोड को चलाएंगे और इसके ब्लॉकचेन को स्टोर करेंगे। टोकन-आधारित सिस्टम डिफ़ॉल्ट रूप से गोपनीयता प्रदान करते हुए ई-रुपये तक यूनिवर्सल पहुंच प्रदान करेगी। इस प्रकार, व्यक्ति जिसे चाहें डिजिटल रुपये का भुगतान करने में सक्षम होंगे।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) दो प्रकार के होते हैं:
- सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा होलसेल - बड़े पैमाने पर लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग बैंकों सहित बड़े फाइनेंशियल इंस्टीटूशन और बड़ी गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों द्वारा किया जाएगा।
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिटेल - दूसरे चरण में रिटेल लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता है। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का उपयोग लोग रोजमर्रा /रेगुलर लेनदेन के लिए कर सकते हैं। इसे शुरुआत में चुनिंदा स्थानों और पहले बैंकों में लॉन्च किया जाएगा। रिटेल परियोजना में सभी उम्र के प्रतिभागी शामिल होंगे। सुविधाओं को उनके अनुभवों के आधार पर संशोधित किया जाएगा।
डिजिटल रुपये की विशेषताएं
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) देश का आधिकारिक डिजिटल टोकन होगा। यह एक सॉवरेन करेंसी है, जिसे RBI अपनी मौद्रिक नीतियों के रिटेल और ई आधार पर जारी करेगा।
- यह केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर देयता के रूप में दिखाई देगा।
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) कमर्शियल बैंक के पैसे और नकदी के खिलाफ स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय है।
- यह कमर्शियल सौदों को सरल करेगा।
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक वैकल्पिक लीगल टेंडर है, जिसके लिए धारकों के पास बैंक खाता होना आवश्यक नहीं है।
- इससे करेंसी जारी करने/प्रिंट करने की सरकार की लागत कम होने की उम्मीद है।
- स्मार्टफोन से मनी ट्रांसफर जल्दी, आसान और परेशानी मुक्त होगा।
- ई-रुपये को सभी व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारी संगठनों द्वारा भुगतान के रूप, लीगल टेंडर और मूल्य के एक सुरक्षित स्टोर के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
डिजिटल रुपया लॉन्च करने का उद्देश्य
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को उपभोक्ताओं को एक अतिरिक्त भुगतान अवसर प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, न कि वर्तमान भुगतान प्रणालियों को बदलने के लिए।
- RBI को यकीन है, कि डिजिटल रुपये की शुरुआत से भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, वित्तीय समावेशन का विस्तार होगा और मौद्रिक और पेमेंट सिस्टम की दक्षता में सुधार होगा।
- ई-रुपये की मदद से नकली पैसों की समस्या का समाधान किया जाएगा।
- सीमा पार लेनदेन को बढ़ाने के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के आवेदन का पता लगाना।
- वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करना।
- पेमेंट में प्रतिस्पर्धा, प्रभावशीलता और इनोवेशन को बढ़ावा देना।
- फिज़िकल कॅश मनेजमेंट से जुड़ी लागत में कमी।
- क्रिप्टो संपत्ति के विकास के खिलाफ नेशनल करेंसी में जनता के विश्वास की रक्षा करना।
- क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता में बढ़त इस लॉन्च का एक और कारण है। ब्लॉकचेन तकनीक के कारण डिजिटल रुपया एफिशिएंसी और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा देगा।
- कोविड -19 महामारी के दौरान डिजिटल पेमेंट की निरंतर बढ़त भारतीय करेंसी के लिए स्वीकार्य डिजिटल विकल्प की बढ़ती आवश्यकता का एक स्पष्ट संकेत है। ई-रुपये की शुरुआत से RBI को कागजी पैसे से जुड़ी लागत को कम करने में मदद मिलेगी, जिसमें क्षतिग्रस्त नोटों के नुकसान को कम करना भी शामिल है।
डिजिटल रुपये के सामने आने वाली चुनौतियां
- अगर ई-रुपया लोकप्रिय हो जाता है और RBI मोबाइल वॉलेट में जमा की जा सकने वाली राशि पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता है, तो कमजोर बैंकों को कम लागत वाली जमा राशि को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
- पूरी तरह से गुमनाम कॅश के विपरीत, अधिकांश सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि RBI खर्च का पता लगाने में सक्षम होगा। हालांकि, ई-रुपये के साथ किए गए लेनदेन भुगतान ऐप के लिए सुलभ नहीं हो सकते हैं, और फिनटेक फर्म उन लोगों के लिए सस्ते ऋण के लिए कुछ डेटा तक पहुंच खो सकते हैं, जिनके पास कोलैटरल नहीं है।
- भारत पहले से ही कई साइबर सुरक्षा खतरों से जूझ रहा है। डिजिटल करेंसी की शुरुआत से साइबर हमले में बढ़त हो सकती है और चोरी का खतरा पैदा हो सकता है।
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के कार्यान्वयन के लिए कई परिचालन मुद्दे होंगे, जिसमें Know your Customer (KYC) मानदंड और डेटा की गोपनीयता शामिल है।
ई-रुपया भारत को डिजिटल करेंसी की दौड़ में आगे बढ़ने में मदद करेगा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की शुरुआत को RBI ने देश की करेंसी के इतिहास में एक मील का पत्थर माना है। यह फंडामेंटल रूप से बदल सकता है, कि लोग कैसे व्यापार करते हैं। आपके क्या विचार हैं: क्या भारतीय रुपया RBI की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के माध्यम से ग्लोबली प्रवेश करेगा? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में बताएं!
अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां कर देगी भारत की रिटेल सेक्टर को बर्बाद! कैट ने लगाया आरोप
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे गए एक पत्र में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एफडीआई नीति 2016/2018 के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह एक नए प्रेस नोट की आवश्यकता पर जोर दिया।
Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 18, 2021 15:50 IST
अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां कर देगी भारत की रिटेल सेक्टर को बर्बाद! कैट ने लगाया आरोप
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे गए एक पत्र में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एफडीआई नीति 2016/2018 के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह एक नए प्रेस नोट की आवश्यकता पर जोर दिया। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने गोयल को भेजे गए पत्र में कहा कि एफडीआई नीति 2016 के प्रेस नोट संख्या 2 के ई-कॉमर्स खंड में एफडीआई नियमों का अमेजॅन और फ्लिपकार्ट जैसी विदेशी कंपनियां खुलेआम माखौल उड़ा रही है, वे अपनी मोटी जेब का इस्तेमाल कर भारतीय रिटेल सेक्टर को पूरी तरह बर्बाद करने पर तुली है और वे तब तक नही रुकेगी जब तक भारत के 40 करोड़ नागरिकों को भुखमरी की कगार पर न पहुंचा दे। यह दिन दहाड़े की गई डकैती से कम नहीं है। न केवल ई-कॉमर्स व्यवसाय को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि अपने गुप्त एजेंडों को लागू कर भारतीय रिटेल पर पूरी तरह हावी होने की कोशिश भी की जा रही है।
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि देश के कानून का सम्मान करने के बजाए प्रेस नोट संख्या 2 के प्रत्येक नियमों को जानबूझकर ये विदेशी कंपनियां द्वारा ताक पर रखा जा रहा है। ये भारत को बनाना रिपब्लिक समझ रही है। ऐसी विकट स्थिति और विशेष रूप से वर्तमान में दूषित हुए ई-कॉमर्स व्यवसाय के मद्देनजर, ई-कॉमर्स में एफडीआई से संबंधित कानून, नियमों और विनियमों की पवित्रता की रक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार पर है। इसलिए एक नया सशक्त प्रेस नोट की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।
एक नए प्रेस नोट को जल्द जारी करने पर जोर देने के साथ साथ दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि देश के कानून की रक्षा के लिए ये जरूरी है जिससे इन विदेशी कंपनियों को साफ सन्देश दिया सके कि ई कॉमर्स में एफडीआई बेहद आवश्यक और अनिवार्य है और इसके तहत जो भी प्रतिबंध लगाए गए हैं उनका उल्लंघन आसान नही होगा।
पढ़ें- नया डेबिट कार्ड मिलते ही करें रिटेल और ई ये काम! नहीं तो हो जाएगा नुकसान
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इस तरह के नियंत्रण से उन्हें मूल मूल्य निर्धारण, डीप डिस्काउंटिंग, कैपिटल डंपिंग के साथ विक्रेताओं के अधिमान्य चयन की अनुमति मिलती है। और ये सब बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने और 8.5 करोड़ छोटे व्यापारियों, उनके आश्रित परिवारों और कर्मचारियों की आजीविका की कीमत पर नाजायज वित्तीय लाभ कमाने के इरादे से किया जा रहा है।
कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल पर लगाए गए प्रतिबंध को दरकिनार करने रिटेल और ई के लिए, इन विशाल विदेशी ई-कॉमर्स संस्थाओं द्वारा एक आम प्रथा अपनाई जा रही है जिसके तहत ये विक्रेता बन कर सहबद्ध कंपनिया बना रहे हैं जिसके जरिये वे उनके व्यापार पर पूरा नियंत्रण हासिल कर सके। इन खामियों को दूर करने के लिए कैट ने ई-कॉमर्स में एफडीआई नीति पर एक नया प्रेस नोट जारी करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल करने की मांग की है।
'मार्केटप्लेस मॉडल' और 'इन्वेंट्री आधारित मॉडल' के बीच की सीमा को स्पष्ट रूप से सीमांकित करने के लिए, किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष, इक्विटी या आर्थिक संबंध कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई और इसके प्लेटफॉर्म पर विक्रेता के बीच निषिद्ध होना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए, 'बाजार इकाई' और 'विक्रेता' के बीच किसी भी प्रकार का संबंध, चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, इक्विटी या आर्थिक या अन्यथा कड़ाई से प्रतिबंधित होना चाहिए।
मार्केटप्लेस और सेलर के बीच इस तरह के निषिद्ध संबंध को शामिल किया जा सकता हैं, लेकिन समूह कंपनियों, सहयोगी कंपनियों, संबंधित पक्षों, एसोसिएट कंपनियों, लाभकारी मालिकों या किसी अन्य व्यक्ति तक सीमित नहीं किया जा सकता हैं जो इस तरह के नियंत्रण का उपयोग कर सकते हैं। कॉमर्स के बाजार आधारित मॉडल का मतलब होगा ई-कॉमर्स इकाई द्वारा एक सूचना प्रौद्योगिकी डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रावधान, जो केवल खरीदार और विक्रेता के बीच एक सुविधा के रूप में कार्य करता है।
कॉमर्स के इन्वेंट्री आधारित मॉडल का मतलब होगा ई-कॉमर्स गतिविधि जहां माल और सेवाओं की सूची ई-कॉमर्स इकाई के स्वामित्व में होंगी और उपभोक्ताओं को सीधे बेची जाती है। कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई और उसकी समूह की कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, इन्वेंट्री का स्वामित्व या नियंत्रण नहीं रखेगी, अर्थात बाजार पर बेची जाने वाली वस्तुएं या सेवाएं। इस तरह के स्वामित्व या उनकी सूची पर नियंत्रण, व्यापार को सूची-आधारित मॉडल में प्रस्तुत करेगा।
मार्केटप्लेस इकाई और उसकी समूह की कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाजार को बेचने वाले को बेची जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं की इन्वेंट्री को नहीं बेचेंगे। कोई भी सामान या सेवाएं जो बाजार की समूह कंपनियों द्वारा बेची जाती हैं और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में फिर से बेची जाती हैं, तो ऐसी खरीद फरो़ख्त को ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री आधारित मॉडल के रूप में माना जाएगा।
कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई के समूह कंपनियों द्वारा अपनी सूची पर स्वामित्व या नियंत्रण रखने वाले विक्रेता को बाजार पर अपने सामान या सेवाओं को बेचने की अनुमति नहीं है। बाजार में बिक्री के लिए बेची जाने वाली इनवेंटरी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसकी समूह की कंपनियों के अनुसार बाजार में बेचने वाले की सूची ई-कॉमर्स बाजार संस्था द्वारा नियंत्रित की जाएगी। इसके अलावा, प्रत्येक मार्केटप्लेस इकाई और उसके सहयोगी, समूह की कंपनियां, सहयोगी सरकार या किसी नियामक द्वारा आवश्यक विवरण, सूचना, प्रावधानों के अनुपालन के सत्यापन के लिए समय-समय पर सभी विवरण, सूचना, दस्तावेज, बयान और विवरण प्रदान करेंगे।
भारत का ई-रिटेल मार्केट 2027 तक 170 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान: रिपोर्ट
डिश टीवी इंडिया की शुद्ध बिक्री सितंबर 2022 में 17% घटकर 296.57 करोड़ रुपये रही। बता दें, सितंबर 2021 में यह 357.62 करोड़ रुपए थी। वहीं, सितंबर 2022 में कंपनी का शुद्ध लाभ 62.56% घटकर 14.64 करोड़ रुपए रहा जो कि सितंबर 2021 में 39.10 करोड़ रुपए था। इसके अलावा EBITDA सितंबर 2022 में 26.79% घटकर 26.79% रहा।
ग्लेनमार्क फार्मा के स्टॉक्स को लेकर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
विदेशी ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली ने ग्लेनमार्क फार्मा के स्टॉक पर अंडरवेट रेटिंग की राय दी है और इसके लिए 422 रुपये प्रति शेयर का लक्ष्य दिया है। मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि FY23 के लिए ग्रोथ को लेकर बेहतर आउटलुक है। कंपनी के साथ फैसिलिटी में नियमों के अनुपालन की समस्या बनी है। हालांकि डी-लेवरेजिंग में सुस्ती छोटी अवधि के लिए चुनौती साबित होगी।
Q2 में ONGC की शुद्ध बिक्री 38,320.76 करोड़ रुपए दर्ज
तेल और प्राकृतिक गैस निगम की शुद्ध बिक्री सितंबर 2021 में 24,353.61 करोड़ से 57.35% बढ़कर सितंबर 2022 में 38,320.76 करोड़ रुपये हो गई। बता दें, सितंबर 2022 की तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 30.09% घटकर 12,825.99 करोड़ रुपये रहा जो कि सितंबर 2021 में 18,347.73 करोड़ रुपए था। वहीं, EBITDA सितंबर 2022 में 19,620.97 करोड़ रुपये हो गया जो सितंबर 2021 में 15,674.06 करोड़ रुपए था।
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