वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें

कॉफी की चुस्की के साथ अब पैसा बनाने का भी मौका, NCDEX ने रॉबस्टा चेरी कॉफी में शुरू किया वायदा कारोबार
भारत में कॉफी का लगभग समूचा उत्पादन कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में ही होता है। हालांकि अब देश के कुछ दूसरे इलाकों जैसे आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और मणिपुर में भी कॉफी की खेती शुरू हुई है
दुनिया भर में करीब 1 करोड़ टन कॉफी उत्पादन होता है और तकरीबन 350,000 टन सालाना उत्पादन के साथ भारत की वैश्विक कॉफी उत्पादन में 3.5-4% हिस्सेदारी है
नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) 30 सितंबर को रॉबस्टा AB कॉफी का वायदा कारोबार शुरू करने वाली है। शुरुआत में फरवरी 2023, मार्च 2023 और अप्रैल 2023 में एक्सपायर होने वाले मंथली वायदा कॉन्ट्रैक्ट मुहैया कराए जाएंगे। ये सभी कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ डिलीवरी वाले होंगे। कॉफी की डिलीवरी कर्नाटक के कुशालनगर से होगी।
दुनिया भर में दो तरह के कॉफी का प्रोडक्शन होता है। ये हैं अरेबिका और रॉबस्टा कॉफी। अरेबिका कॉफी की ट्रेडिंग अमेरिका ICE (Intercontinental वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें Exchange) पर होता है। जबकि रॉबस्टा कॉफी की ट्रेडिंग ICE यूरोप पर होता है। गेहूं और कोको के बाद यूरोप में कॉफी की ट्रेडिंग सबसे ज्यादा होती है। इस मार्केट में ब्राजील सबसे बड़ा देश है। इसके बाद वियतनाम, कोलंबिया है। सातवें नंबर पर भारत है। 2021/22 में भारत में 369000 टन कॉफी प्रोडक्शन हुआ जिसका 70% एक्सपोर्ट होता है।
NCDEX के MD और CEO अरुण रास्ते ने कहा कि अब कॉफी का बाजार सिर्फ दक्षिण भारत तक सीमित नहीं है। रास्ते ने कहा कि अब एक अच्छी बात है कि इसका दायरा दक्षिण भारत तक सीमित नहीं रहेगा। रास्ते ने कहा, "जापान सरकार ने कहा है कि मणिपुर में उगाई जाने वाली सारी कॉफी वह खरीद लेगी।" इसके साथ ही उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में भी कॉफी का प्रोडक्शन वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें बढ़ेगा।
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क्या होगा वायदा कारोबार से फायदा?
NCDEX के MD और CEO अरुण रास्ते ने कहा, 'कॉफी उत्पादन में दक्षिण भारतीय राज्यों के छोटे किसान जुड़े हैं। ऐसे वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें में उनपर वैश्विक बाजार से सीधे जुड़े घरेलू बाजारों में कीमतें ऊपर-नीचे जाने का जोखिम मंडराता रहता है। इन नए कॉन्ट्रैक्ट से देसी उत्पादकों को व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर मूल्य के जोखिम से बचने का मौका मिलेगा। साथ ही इस कमोडिटी की वैश्विक स्तर पर बड़ी पैठ है। लिहाजा कॉफी के उत्पादन और कारोबार से जुड़े तमाम लोगों को बेंचमार्क कीमतों का स्वदेशी जरिया मुहैया कराने और आत्मनिर्भर करने में यह अहम कदम होगा। साथ ही हमें उम्मीद है कि इस अनुबंध से व्यापार की जटिलता खत्म होगी और यह आसान बन जाएगा।"
क्यों खास है कॉफी में वायदा कारोबार?
इस कॉन्ट्रैक्ट की शुरुआत NCDEX के लिहाज से खास है क्योंकि इसके साथ ही एक्सचेंज पहली बार दक्षिण भारत में कदम रख रहा है। भारत में कॉफी का लगभग समूचा उत्पादन कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में ही होता है। हालांकि अब देश के कुछ दूसरे इलाकों जैसे आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और मणिपुर में भी कॉफी की खेती शुरू हुई है।
कॉन्ट्रैक्ट की एक दिन में उतार या चढ़ाव की अधिकतम सीमा 6% (4%+2%) होगी। यानि कीमत 4% ऊपर या नीचे होते ही 15 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाएगी। उसके बाद सत्र खत्म होने तक कीमत में पहले के प्राइस मूवमेंट की ही दिशा में और 2% तक उतार या चढ़ाव की इजाजत दी जा सकती है। अनुबंध का लॉट साइज कमोडिटी के सामान्य कारोबार की तर्ज पर एक मीट्रिक टन तय किया गया है।
NCDEX के चीफ बिजनेस ऑफिसर कपिल देव ने कहा, "दुनिया भर में कॉफी सबसे ज्यादा ट्रेडिंग वाला सॉफ्ट-कमोडिटी अनुबंध रहा है। लेकिन देश में हेजिंग का कोई उपाय नहीं होने के कारण भारतीय किसानों के पास ऐसी गतिविधियों का फायदा उठाने के बहुत कम विकल्प थे। कीमत का पता लगाने के लिए भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर ही पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता था। चूंकि भारत 60% उपज का निर्यात करता है, इसलिए स्वदेशी कॉफी का वायदा कॉन्ट्रैक्ट देश में ही मूल्य जोखिम संभालने के लिहाज से निर्यातकों के लिए वरदान होगा।"
दुनिया भर में करीब 1 करोड़ टन कॉफी उत्पादन होता है। भारत की वैश्विक कॉफी उत्पादन में 3.5-4% हिस्सेदारी है। देश के कुल उत्पादन में कर्नाटक की 71% हिस्सेदारी है। उसके बाद केरल की 21% और तमिलनाडु की 5% भागीदारी है। लगभग 65% उत्पादन का निर्यात कर दिया जाता है और बाकी की खपत देश में होती है। देसी बाजार में भी कॉफी की मांग बढ़ रही है और इसीलिए आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा पूर्वोत्तर राज्यों के गैर पारंपरिक इलाकों में भी इसके बगान बढ़ रहे हैं।
त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने से सरसों, सरसों तेल और खल का बाज़ार गर्म, बारिश से बुवाई प्रभावित, देखें रिपोर्ट
Mustard Price Today Report Oct 10, 2022: त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने से सरसों , सरसों तेल और सरसों खल का बाज़ार गर्म है। कल सोमवार को लगातार चौथे दिन भी कीमतों में तेजी बरकरार रही। हालांकि शाम के सत्र में गिरावट देखने को मिली ।
जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 125 रुपये तेज होकर 6,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें कल 50-50 रुपये तेज होकर भाव क्रमशः 1365 रुपये और 1355 रुपये प्रति 10 किलो के स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान सरसों खल की कीमतें 50 रुपये बढ़कर 2475 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
बारिश से सरसों की बिजाई प्रभावित
प्रदेश में रबी सीजन 2022-23 में सरसों की बुवाई (Mustard farming) की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन हाल ही में सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्यों पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा में हुई बारिश से खेतों में पानी भर गया है, जबकि सरसों की बुआई का यह सबसे उपयुक्त समय है। जानकारों के अनुसार हाल ही में जिन क्षेत्रों में भारी बारिश हुई है, वहां सरसों की बुआई में देरी होगी। साथ ही माना जा रहा है कि इससे किसान सरसों के बजाए अन्य फसलों की बुआई करेंगे।
हाजिर मंडियों में सरसों का दाम
Mustard Price : श्री गंगानगर सरसों 5450-6215 रुपए, नोहर 5700-6020 रुपए, गोलूवाला 5800-6081 रुपए, हनुमानगढ़ 5700-6269 रुपए, सादुलशहर 5296-5941 रुपए, संगरिया 5300-6200 रुपए, अनूपगढ़ 5400-6100 रुपए, सादुलपुर 5200-5900 रुपए, रावला 5150-5880 रुपए, पदमपुर 5451-6161 रुपए, घड़साना 5740-6200 रुपए, रायसिंहनगर 5500-6000 रुपए, श्री विजयनगर 5460-5851 रुपए, सूरतगढ़ 5300-5611 रुपए, देवली 5500-6300 रुपए, ऐलनाबाद 5400-6130 रुपए, सिरसा 5700-6000 रुपए, आदमपुर 5750-6240 रुपए, भट्टू 5600-6000 रुपए प्रति क्विंटल का रहा।
विदेशी बाजारों का हाल
जानकारों के अनुसार विदेशी बाजार में खाद्य तेलों के दाम अभी तेज ही बने रहने की उम्मीद है, हालांकि अवकाश होने के कारण मलेशिया में पाम तेल वायदा कारोबार बंद रहा, जबकि शिकागो में सोया तेल के दिसंबर वायदा अनुबंध में दाम 0.49 फीसदी तेज हुए। चीन में भी दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में सोया तेल के भाव में बढ़त दर्ज की गई।
व्यापारियों के अनुसार अनुसार घरेलू बाजार में खपत का सीजन होने के कारण सरसों तेल में ग्राहकी ठीक है, जिस कारण तेल मिलों की मांग बराबर बनी हुई है। अधिकांश ब्रांडेड कंपनियों ने आज सरसों की खरीद कीमतों में 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की।
देशभर की मंडियों में सरसों की आमदन
देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक सोमवार को 25 हजार बोरी बढ़कर 2 लाख बोरियों पर पहुँच गई, इससे पहले शनिवार को इसकी आवक 1.75 लाख बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में सरसों की आमदन 85 हजार बोरी, मध्य प्रदेश में 15 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश में 35 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा में 15 हजार बोरी तथा गुजरात में 10 हजार बोरी तथा अन्य राज्यों की मंडियों में 40 हजार बोरियों की आवक हुई।
कमोडिटी बाजार : सोने में लौटी चमक, जस्ता और तांबा में भी उछाल
कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को बढ़ाया जिससे बृहस्पतिवार को वायदा कारोबार में कच्चा तेल की कीमत 0.37 प्रतिशत की तेजी के साथ 4,297 रुपये प्रति बैरल हो गई.
कारोबारियों ने ताजा सौदों की लिवाली की जिससे बृहस्पतिवार को वायदा कारोबार में सोना भाव 189 रुपये की तेजी के साथ 31,757 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गये.
गुरुवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर कम किए जाने का असर कमोडिटी मार्केट पर भी देखने को मिला. आज बेस मेटल सहित सभी सौदों में अच्छी लिवाली रही. मांग बढ़ने से सोना, जस्ता, तांबा के दामों में सुधार देखा गया. कृषि उत्पादों के भी अच्छे सौदे हुए.
ग्वारगम में तेजी
हाजिर बाजार में मजबूत निर्यात मांग के बीच व्यापारियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाने में लग जाने से बृहस्पतिवार को वायदा कारोबार में ग्वारगम वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें की कीमत 27 रुपये की तेजी के साथ 8,955 रुपये प्रति 10 क्विंटल हो गई. एनसीडीईएक्स में अप्रैल महीने में डिलिवरी वाले ग्वारगम अनुबंध के भाव 27 रुपये यानी 0.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 8,955 रुपये प्रति 10 क्विंटल हो गये जिसमें 14,075 लॉट का कारोबार हुआ.
ग्वारगम के सर्वाधिक सक्रिय मइ्र महीने में डिलिवरी वाले ग्वारगम अनुबंध के भाव भी 19 रुपये यानी 0.21 प्रतिशत की तेजी के साथ 9,090 रुपये प्रति 10 क्विंटल हो गये जिसमें 57,505 लॉट का कारोबार हुआ.
जस्ता की कीमतों में उछाल
घरेलू बाजार में मजबूती के रुख को देखते हुए वायदा कारोबार में बृहस्पतिवार को जस्ता की कीमत 0.27 प्रतिशत की तेजी के साथ 226.60 रुपये प्रति किग्रा हो गई. एमसीएक्स में जस्ता के अप्रैल महीने में डिलिवरी वाले अनुबंध की कीमत 60 पैसे अथवा 0.27 प्रतिशत की तेजी के साथ 226.60 रुपये प्रति किग्रा हो गई. इसमें 7,783 लॉट के लिए वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें कारोबार हुआ.
हाजिर बाजार में उपभोक्ता उद्योगों की मांग में तेजी के कारण कारोबारियों ने ताजा सौदों की लिवाली की जिससे मुख्यत: यहां वायदा कारोबार में जस्ता कीमतों में तेजी आई.
तांबा में सुधार जारी
सकारात्मक वैश्विक संकेतों को देखते हुए कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को बढ़ाया जिससे वायदा कारोबार में बृहस्पतिवार को तांबे की कीमत 0.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 448.75 रुपये प्रति किग्रा हो गई. एमसीएक्स में तांबे के अप्रैल महीने में डिलिवरी वाले अनुबंध की कीमत 1.60 रुपये अथवा 0.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 448.75 रुपये प्रति किग्रा हो गई. इसमें 12,925 लॉट के लिए कारोबार हुआ.
तांबे के जून महीने में डिलिवरी वाले अनुबंध की कीमत 1.70 रुपये अथवा 0.38 प्रतिशत की तेजी के साथ 452.80 रुपये प्रति किग्रा हो गई. इसमें 102 लॉट के लिए कारोबार हुआ. बाजार विश्लेषकों ने कहा कि विदेशों में मजबूती के रुख तथा हाजिर बाजार की मांग में तेजी आने के कारण मुख्यत: यहां वायदा कारोबार में तांबा कीमतों में तेजी आई.
कच्चातेल वायदा कीमत 0.37 प्रतिशत बढ़ी
मजबूत घरेलू बाजार के रुख को देखते हुए कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को बढ़ाया जिससे बृहस्पतिवार को वायदा कारोबार में कच्चा तेल की कीमत 0.37 प्रतिशत की तेजी के साथ 4,297 रुपये प्रति बैरल हो गई. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में अप्रैल महीने में डिलिवरी वाले कच्चा तेल अनुबंध के भाव 16 रुपये यानी 0.37 प्रतिशत की तेजी के साथ 4,297 रुपये प्रति बैरल हो गये जिसमें 23,875 लॉट का कारोबार हुआ.
विदेशों में सुस्ती के रुख के बावजूद साथ कारोबारियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाने से यहां वायदा कारोबार में कच्चातेल कीमतों में तेजी आई. इस बीच, न्यूयॉर्क मर्केन्टाईल एक्सचेंज में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चे तेल का भाव 0.32 प्रतिशत बढ़कर 62.26 डॉलर प्रति बैरल हो गया जबकि बेंचमार्क ब्रेंट कच्चा तेल का भाव 0.36 प्रतिशत घटकर 69.06 डॉलर प्रति बैरल रह गया.
सोने में लौटी चमक
विदेशों में मजबूती के रुख को देखते हुए कारोबारियों ने ताजा सौदों की लिवाली की जिससे बृहस्पतिवार को वायदा कारोबार में सोना भाव 189 रुपये की तेजी के साथ 31,757 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गये. एमसीएक्स में अपैल महीने में डिलिवरी के लिए सोना वायदा भाव 189 रुपये यानी 0.6 प्रतिशत की तेजी के साथ 31,757 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गये. इसमें 15,339 लॉट का कारोबार हुआ.
इसी तरह जून डिलिवरी का भाव भी 206 रुपये यानी 0.65 प्रतिशत की तेजी के साथ 31,774 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया. इसमें 3,222 लॉट का कारोबार हुआ. वायदा कारोबार में सोना कीमतों में तेजी का कारण घरेलू बाजार में कारोबारियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाना था. वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोने का भाव 0.19 प्रतिशत की मामूली तेजी के साथ 1,292.53 डॉलर प्रति औंस हो गया.
सट्टेबाजी से सरसों टूटी
रकार की ओर से तेल तिलहन की खरीद शुरु करने में हो रही समस्याओं और वायदा बाजार में सटोरियों के हावी होने से सरसों के भाव टूटने के कारण स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को सरसों तेल तिलहन कीमतों में कमजोरी के रुख रहा जबकि अधिकांश खाद्य तेलों के भाव मामूली उतार चढ़ाव दर्शाते बंद हुए.
बाजार में सरकारी खरीद में किसानों को कुछ समस्याओं का सामना कर पड़ रहा है और इस मौके पर बाजार में सटोरियों की सक्रियता के कारण तिलहन उत्पादक किसानों को सस्ते दाम पर अपनी फसल बेचने को बाध्य हो रहे हैं. इस स्थिति के सरसों दाना और सरसों दादरी तेल कीमतों में गिरावट आई.
सरसों दाना के भाव 3,800-3,820 रुपये से रुपये घटकर 3,760-3,780 रुपये प्रति क्विंटल रह वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें गई जबकि सरसों दादरी के भाव पहले के 7,650 रुपये से घटकर 7,500 रुपये से प्रति क्विंटल पर बंद हुई.
जानिए क्या होती है फ्यूचर ट्रेडिंग, यहां मिलेगी पूरी जानकारी
हम स्टॉक ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाले एक बहुत ही सामान्य शब्द के बारे में बात कर रहे हैं जिसे वायदा कारोबार या फ्यूचर ट्रेडिंग कहते हैं.
- Money9 Hindi
- Publish Date - July वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें 17, 2021 / 05:48 PM IST
शेयर बाजार (Stock Market) में उपयोग किए जाने वाले जटिल वित्तीय शब्दजाल अक्सर शुरुआती लोगों के लिए मुश्किल भरे हो जाते हैं. निवेश एक संवेदनशील मामला है क्योंकि इसमें आपकी मेहनत की कमाई शामिल है. इसलिए, आपको कभी भी बिना तैयारी के अज्ञात क्षेत्र में कदम नहीं रखना चाहिए. यहां, हम स्टॉक ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाले एक बहुत ही सामान्य शब्द के बारे में बात कर रहे हैं जिसे वायदा कारोबार या फ्यूचर ट्रेडिंग कहते हैं.
फ्यूचर्स को समझने के लिए, किसी को डेरिवेटिव ट्रेडिंग की मूल बातें पता होनी चाहिए. डेरिवेटिव वित्तीय अनुबंध हैं जो किसी अन्य वित्तीय साधन की कीमत में बदलाव से मूल्य प्राप्त करते हैं. सरल शब्दों में यह वित्तीय वस्तु की कीमत को ट्रैक करती है. अब, वायदा कारोबार में एक खरीदार और विक्रेता के बीच एक निश्चित मूल्य के लिए भविष्य में एक पूर्व निर्धारित समय पर एक विशेष डेरिवेटिव खरीदने के लिए अनुबंध शामिल हैं. खरीदार को वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें अनुबंध शुरू करने के समय एक छोटे से मार्जिन मूल्य का भुगतान करना होगा.
समय के साथ, अनुबंध की कीमत बाजार की गति के अनुसार बदलती रहती है, लेकिन क्योंकि व्यापारी ने इसे वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें पहले ही एक निश्चित कीमत पर खरीद लिया है, इससे अनुबंध की मौजूदा कीमत के अनुसार लाभ/हानि होगी.
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट चार अलग-अलग एसेट्स – स्टॉक, इंडेक्स, करेंसी पेयर और कमोडिटीज पर उपलब्ध है. अनुबंध के दो प्रतिभागियों को हेजर्स (जोखिम से उनकी संपत्ति की रक्षा करता है) और सट्टेबाजों के रूप में जाना जाता है.
फ्यूचर्स का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं होता है. वे किसी अन्य डेरिवेटिव के मूल्य पर जीवित रहते हैं और ये अनुबंध समाप्ति तिथि के साथ भी आते हैं. शेयरों के विपरीत, आप किसी विशेष वायदा स्टॉक को लंबे समय तक व्यापार नहीं कर सकते। इसकी एक समय अवधि होती है जिसका पालन किया जाना चाहिए.
फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बीच अंतर
मुख्य अंतर: एक फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट एक गैर-मानकीकृत अनुबंध है जो पार्टियों को यह अनुकूलित करने की अनुमति देता है कि वे किस तरह से किसी संपत्ति को बेचना या खरीदना चाहते हैं, किस कीमत पर और किस तारीख को। दूसरी ओर, एक भविष्य अनुबंध एक मानकीकृत अनुबंध है जिसे भविष्य में एक निश्चित तिथि पर एक परिसंपत्ति की खरीद और बिक्री के लिए खरीदार और विक्रेता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए वायदा विनिमय की आवश्यकता होती है और एक निर्दिष्ट मूल्य।
व्यापार की दुनिया एक भ्रामक है, जिसमें कई अस्पष्ट अवधारणाएं और इतने सारे अलग-अलग शब्द हैं। ट्रेडिंग मार्केट के कामकाज को पूरी तरह से समझने के लिए आवश्यक विशाल ज्ञान के कारण इतने सारे अलग-अलग शब्दों और विचारों का ट्रैक खोना समझ में आता है। फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट दो अलग-अलग प्रकार के व्यापारिक अनुबंध हैं जो भविष्य में एक निश्चित मूल्य और डिलीवरी की तारीख में एक निश्चित वस्तु का व्यापार करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
दोनों अनुबंध प्रकृति में समान हैं क्योंकि वे दोनों समान कार्य प्रदान करते हैं: एक विशिष्ट समय और मूल्य पर एक विशिष्ट प्रकार की संपत्ति खरीदने और बेचने की क्षमता। हालाँकि, वे भिन्न होते हैं जब यह विवरण आता है कि प्रत्येक दायित्व कैसे पूरा होता है।
एक फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट एक गैर-मानकीकृत अनुबंध है जो पार्टियों को यह अनुकूलित करने की अनुमति देता है कि वे किस तरह से किसी संपत्ति को बेचना या खरीदना चाहते हैं, किस कीमत पर और किस तारीख को। दूसरी ओर, एक भविष्य अनुबंध एक मानकीकृत अनुबंध है जिसे भविष्य में एक निश्चित तिथि पर एक परिसंपत्ति की खरीद और बिक्री के लिए खरीदार और विक्रेता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए वायदा विनिमय की आवश्यकता होती है और एक निर्दिष्ट मूल्य।
दो अनुबंधों के बीच मुख्य अंतर भविष्य के अनुबंध की कठोर संरचना है जो कई अनुकूलन के लिए अनुमति नहीं देता है। हालांकि, फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट दो पक्षों के बीच एक निजी समझौते का अधिक होता है, जो कॉन्ट्रैक्ट को किसी भी तरह से अनुकूलित करने की अनुमति देता है, जिस पर पार्टियां सहमत होती हैं।
यह मध्यस्थता पार्टी की कमी के कारण आगे के अनुबंधों के साथ एक उच्च जोखिम कारक है। भविष्य के अनुबंध के संदर्भ में, वायदा विनिमय मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है - जिसमें पक्ष बिल्कुल एक दूसरे से नहीं बल्कि सीधे एक्सचेंज से बिक्री या खरीद रहे हैं।
पैसे या अन्य सामानों के बदले सामानों की जरूरत ने बाजार को फलने-फूलने दिया है। दुनिया मूल रूप से माल और वितरण की तारीख की कीमत निर्धारित करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए मुंह से शब्द का उपयोग करने से विकसित हुई है। इस अवधारणा को किसानों की वजह से लोकप्रियता हासिल हुई, जहां उन्हें इस बात की गारंटी मिलेगी कि उनकी फसल के लिए उन्हें निश्चित दर पर भुगतान किया जाएगा। इसी तरह, ग्राहक को गारंटी होगी कि फसल कटने पर उसे एक निश्चित मूल्य पर उत्पाद दिया जाएगा।
हालांकि, हमेशा अनुबंध और समझौते नहीं रखे गए थे। इसलिए, भविष्य के अनुबंध की आवश्यकता बढ़ी जहां भविष्य के विनिमय ने सभी लेनदेन और अनुबंधों को प्रबंधित किया। वे न्यूनतम राशि भी लेते हैं जो एक्सचेंज को भुगतान करने की आवश्यकता होती है, जिसे प्रारंभिक गारंटी शुल्क के रूप में जाना जाता है। इससे पार्टियों को उनके भुगतान में चूक करने या सामान उपलब्ध कराने के जोखिम को कम करने में मदद मिली।
अंत में, प्रत्येक अनुबंध का उद्देश्य भिन्न के लिए उपयोग किया जाता है। फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स का इस्तेमाल आमतौर पर हेजिंग के लिए किया जाता है, जबकि भविष्य के कॉन्ट्रैक्ट्स का इस्तेमाल अटकलों के लिए किया जाता है।
फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बीच तुलना
वायदा अनुबंध
भविष्य का अनुबंध
भविष्य में एक निर्दिष्ट मूल्य पर पूर्व-सहमति की तारीख पर संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए दो पक्षों के वायदा अनुबंध कैसे व्यापार करें बीच एक समझौता
एक मानकीकृत अनुबंध जो भविष्य में एक निश्चित तिथि पर एक अंतर्निहित उपकरण खरीदने और बेचने के लिए एक वायदा विनिमय पर कारोबार किया जाता है और एक निर्धारित मूल्य होता है