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अब कमा रहे लाखों रुपए

अब कमा रहे लाखों रुपए
अक्सर खेतों में काम कर रहे किसान भाई बेहद ही कड़ी मेहनत करके फसलों को उगाते हैं जिसके बाद हम सबका भरण-पोषण हो पाता है। चूंकि, नंदा ने तकनीक की दुनिया में काफी समय तक काम किया था जिसका उन्हें यहां पर पूरा फायदा मिला। नई चीजों को समझना और उन्हें उपयोग में लाना उनके लिए काफी आसान काम था। इसलिए उन्होंने खेती को फायदेमंद बनाने और शारीरिक श्रम को कम करने के लिए अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया।

Business Idea: अब आप भी कमा सकते हैं लाखों रुपये, ऐसे करें कम लागत में मोटी कमाई

आईटी की नौकरी नहीं भाई तो किसानी में आजमाई किस्मत, आज घर बैठे कमा रहे हैं लाखों रुपए

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कुछ ऐसी ही मुश्किल फैसले की घड़ी का सामना करना पड़ा था हैदराबाद के रहने वाले इस शख्स को जब इन्होंने आईसेक्टर की अच्छे अब कमा रहे लाखों रुपए वेतन वाली नौकरी छोड़ खेती का फैसला लिया था। लेकिन किसे पता था कि घर से बाहर निकलकर इस लड़के ने दुनियादारी को काफी बारीकी से समझ लिया है और उसके द्वारा लिया गया डिसीजन ही उसकी जिंदगी बदलने वाला है।

बचपन से ही खेती की ओर था रुझान

हैदराबाद के रामपुर गाँव में जन्में आर नंदा किशोर रेड्डी का बचपन काफी साधारण से पारिवारिक माहौल में गुजरा था। पिता पेशे से किसान थे। जिस वजह से उन्हें किसानी का करने का शौक भी बचपन से ही रहा है। लेकिन, समाज और परिवार को देखते हुए उन्होंने आई.टी इंजीनिरिंग का रास्ता अपनाया।

हालांकि, यह फील्ड उन्हें बहुत अधिक दिनों तक प्रभावित नहीं रख पाई और एक दिन ऐसा आया जब नंदा ने एक मोटी सैलरी वाली जॉब से रिजाइन दे दिया है और पिता के पास वापस गाँव चले गए। जहां उन्होंने खेतों में पारंपरिक तरीके से हो रही फसलों में बदलाव करके ऑर्गेनिक खेती पर जोर देना शुरू कर दिया।

आर.नंदा किशोर रेड्डी

कोविड ने किया किसान बनने के लिए प्रभावित

साल 2020 के मार्च महीने में आयी कोरोना महामारी ने नंदा किशोर रेड्डी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। उन्होंने देखा कि जब आर्थिक कड़ियों के सारे रास्ते बंद हो गए थे तब बड़ी तादाद में लोग सब्जी और फलों का बिजनेस करने लगे थे। बहुत से लोगों की नौकरियां जाने लगीं। कश्मकश के उस दौर में उन्हें महसूस हुआ कि फार्मिंग एक ऐसा सेक्टर है जो कभी न रुकने और बुरे से बुरे समय में चालू रहना वाला काम है। अब कमा रहे लाखों रुपए इस महामारी के दौर ने उनके नजरिए को बदलकर रख दिया।

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “घर पर पिता को खेती-किसानी करते लंबे समय तक देखा था। लेकिन, तब तक मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं था। जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा था और प्रोफेशनल्स की नौकरियां जाने लगी। उस समय भी कोई थोक में खाद्य सामग्री खरीदकर इकठ्ठा कर रहा था तब मुझे कृषि की अहमियत समझ आई।”

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राजस्थान के किसान देसी मिर्च से कमा रहे लाखों, इस तकनीकी से होती है पौध तैयार

किसान कभी जौ, गेंहू और बाजरा उगाते थे मगर अब देसी मिर्च की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। इस उपखंड के पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में उगाई जाने वाली मिर्च की मांग कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, जयपुर, गुरूग्राम, हिसार सहित देश के तमाम शहरों तक है।

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अरुण शर्मा/पचलंगी (झुंझुनूं)। उदयपुरवाटी के किसान कभी जौ, गेंहू और बाजरा उगाते थे मगर अब देसी मिर्च की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। इस उपखंड के पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में उगाई जाने वाली मिर्च की मांग कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, जयपुर, गुरूग्राम, हिसार सहित देश के तमाम शहरों तक है। पहले यहां के किसान कम ही फल व सब्जियों की खेती करते थे। मगर लागत कम व मुनाफा अधिक होने के चलते किसानों को फल और सब्जी की खेती रास आने लगी। देसी मिर्ची की खेती से इस क्षेत्र के सैकड़ों किसान जुड़े हैं। उदयपुरवाटी उपखण्ड मुख्यालय व आस-पास के गांवों के साथ चिराना, पणिहारावास जहाज, राजीवपुरा, मणकसास, जगदीशपुरा, कोट, सकराय, खेतड़ी, नवलगढ़, खेतड़ी उपखण्ड के कांकरिया सहित अन्य गांवों में भी बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती हो रही है। दिसंबर में अधिक सर्दी पडऩे पर यह फसल नष्ट भी हो जाती है।

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25 से 30 हेक्टर भूमि में हुई मिर्च की बुवाई
झुंझुनूं के सहायक निदेशक (उद्यान) शीश राम जाखड़ बताया कि जिले में इस साल 25 से 30 हेक्टेयर भूमि पर मिर्च की खेती हुई। मिर्च का प्रति हेक्टर 100 से 150 क्विंटल का उत्पादन रहा। किसानों को प्रति हेक्टर 10 लाख रुपए की आय हुई। वहीं, सूखी देसी मिर्ची का प्रति हेक्टर 15 से 20 क्विंटल का उत्पादन हुआ और 10 लाख रुपए प्रति हेक्टर आय हुई। किसान 70 से 80 प्रतिशत हरी मिर्ची बेचते हैं। बाकी सुखा कर बेचते हैं।

नई तकनीकी से होती है पौध तैयार
किसान सावित्री देवी, हेमंत सैनी जहाज का कहना है कि अब मणकसास, जगदीशपुरा, गुहाला, जहाज सहित अन्य पहाड़ी इलाकों के गांवों व कस्बों में किसान पौध तैयार कर देसी मिर्च की खेती करते हैं। कृषि पर्यवेक्षक पचलंगी पूरन प्रकाश यादव ने बताया कि किसान ड्रिप सिस्टम से सेब और सब्जियों की खेती कर रहे हैं।

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एक लाख रुपए बीघा होता है फायदा
किसान सीताराम सैनी ने बताया कि एक बीघा देसी मिर्च की फसल तैयार करने में खाद, बीज, पानी, दवा सहित 40 से 45 हजार रुपए खर्च होते हैं। एक बीघा में करीब 15 क्विंटल मिर्च तैयार होती हैं। मिर्च का भाव 70 से 100 रुपए प्रति किलो मिलता है। एक बीघा में लगभग डेढ़ लाख रुपए की मिर्ची की बिक्री होती है।

अगस्त से दिसंबर तक मिलता है उत्पादन
पौधरोपण के बाद 15 अगस्त से मिर्ची का उत्पादन शुरू होता है। किसान मनोहर लाल सैनी, शिशपाल सैनी, मशीष कुमार सैनी ने बताया कि अब कमा रहे लाखों रुपए मिर्च की फसल में 15 से 20 दिन के अंतर में तीन-चार बार पुष्पन फाल आता है। महिला किसान सुमित्रा सैनी ने बताया कि पुष्पन होने के साथ ही 25 दिन में मिर्च तैयार होती है।

गांवों में ही होता है मिर्च अब कमा रहे लाखों रुपए का बीज तैयार
किसान मिर्च को सुखाकर बीज तैयार करते हैं। करीब एक किलो सूखी मिर्ची से 200 से 225 ग्राम बीज निकलता है। यह 7 से 8 हजार रुपए प्रति किलो बिकता है। पौध तैयार करने में एक बीघा के लिए 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। एक से दो रुपए प्रति पौध बिक्री होती है।

खेती-किसानी: किसान केले की खेती कर कमा रहे लाखों रुपए

केले की खेती की तस्वीर। - Dainik Bhaskar

प्रखण्ड के जिगनी गांव के किसान चितरंजन पांडेय फिजिकल शिक्षक हैं। पहले रोहतास जिले के पारंपरिक खेती धान, अब कमा रहे लाखों रुपए गेहूं की खेती करते चले आ रहे थे। बेरोजगारी के चलते पारंपरिक खेती आधारित धान, गेहूं की खेती से कुछ अलग हट कर खेती के बारे में सोच रहे थे। जिससे अपने एवं अपने परिवार का भरण पोषण एवं दिनचर्या आसानी अब कमा रहे लाखों रुपए से चला सके।

उन्होंने अपने एक मित्र काली राय भूत पूर्व सैनिक जो बक्सर जिले अब कमा रहे लाखों रुपए के सोनपा गांव के रहने वाले हैं केले की खेती की जानकारी मिली। उन्होंने बताया काली राय पहले से केले की खेती करते हैं। वे बताते हैं कि मेरा यह जमीन गांव से कुछ ज्यादा दूरी पर है जहां से पारम्परिक फसल धान और गेहूं की खेती की पैदावार कम ही घर तक पहुंच रही अब कमा रहे लाखों रुपए थी। गांव से दूरी के कारण भूमि की अनुरूप फसल की पैदावार घर तक कम पहुंच पा रही थी।

Goat Farm: विदेश की नौकरी छोड़ बुलंदशहर में शुरू की गोट फार्मिंग, अब सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं इंजीनियर मुनेन्द्र सिंह

Munendra singh

बुलंदशहर के रहने वाले इंजीनियर मुनेंद्र सिंह के पिता फॉरेस्ट रेंजर थे. साल 2000 में 12वीं करने के बाद मुनेंद्र ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की, फिर मुनेंद्र प्राइवेट कंपनी में जॉब ज्वाइन कर लिया. कुछ साल बाद जॉब छोड़कर इंग्लैंड से मुनेंद्र ने एमबीए किया और वहीं एक बड़े होटल में नौकरी करने लगे.

परिवार में कुछ परेशानी की वजह से साल 2014 में मुनेंद्र वापस बुलंदशहर लौट आए. यहां रोजी-रोटी का अब कमा रहे लाखों रुपए संकट दिखने की वजह से मुनेंद्र ने अपने एक दोस्त से पैसे उधार लेकर गोट फार्मिंग शुरू की. मुनेंद्र के एक दोस्त ने मैसूर में गोट फार्मिंग शुरू की है, उसके लिए मुनेंद्र ने 200 बकरियों का लॉट खरीदकर उन्हें मैसूर पहुंचाया और इसके बदले मिले कमीशन से मुनेंद्र ने गोट फार्मिंग शुरू कर दी.

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