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मूल्य नीति

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(% में)

गेहूं, चावल (सामान्या), चावल (अच्छा), धान (सामान्यं), धान (अच्छा), धान (बहुत अच्छा/बास्माती), सोयाबीन, कपास की गांठें-मध्यधम रेशा, कपास की गांठें-बड़ा रेशा, रबर, तिल के बीज, अलसी (केस्टार) बीज

मसूर, मसूर दाल, मक्का, चना, चना दाल, कपास बीज, अरहर, अरहर दाल,उड़द, मूंग, मूंगफली (गुठली) बीज, खोल सहित मूगफली, काली मिर्च, सरसों, सूरजमुखी, गुड़, ग्वार बीज, ग्वार का गोंद, कपास बीज, मूंगफली का तेल, सरसों तेल, सोया का तेल, पीली मटर, बाजरा, ज्वार, जीरा, जूट,

हल्दी, अलसी (Alsi), मिर्च, अजवाइन, सीलियम (ईसबगोल), मेथी बीज, इमली (बीज के साथ), इमली (बीज के बिना)

इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure]

अपने प्रॉडक्ट की माप और डाइमेंशन बताने के लिए, इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] एट्रिब्यूट का इस्तेमाल करें. इस वैल्यू से उपयोगकर्ताओं को, आपके प्रॉडक्ट के लिए हर इकाई की एकदम सही कीमत के बारे में जानने में मदद मिलती है.

कब इस्तेमाल करना चाहिए

हर प्रॉडक्ट के लिए ज़रूरी नहीं है

अगर ग्राहक आपके प्रॉडक्ट के लिए इकाई के हिसाब से कीमत जानने में दिलचस्पी रखते हैं और वह यहां दी गई कैटगरी में आता है, तो हम सुझाव देते हैं कि आप इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] एट्रिब्यूट सबमिट करें.

इस एट्रिब्यूट का इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं है. हालांकि, आपको स्थानीय कानूनों या नियमों के हिसाब से, यह जानकारी देनी पड़ सकती है.

कुछ प्रॉडक्ट जो अक्सर इस एट्रिब्यूट का इस्तेमाल करते हैं:

  • हार्डवेयर
  • ऑफ़िस में काम आने वाली चीज़ें
  • खाना
  • पीने की चीज़ें
  • फ़्लोरिंग
  • बिज़नेस कार्ड
  • परफ़्यूम

फ़ॉर्मैट

यह पक्का करने के लिए कि Google आपका सबमिट किया गया डेटा समझ सके, फ़ॉर्मैट से जुड़े इन दिशा-निर्देशों का पालन करें.

  • वज़न: oz , lb , mg , g , kg
  • यूएस इंपीरियल सिस्टम के हिसाब से मात्रा: floz , pt , qt , gal
  • मेट्रिक सिस्टम के हिसाब से मात्रा: ml , cl , l , cbm
  • लंबाई: in , ft , yd , cm , m
  • क्षेत्रफल: मूल्य नीति sqft , sqm

इकाई के हिसाब से: ct

schema.org की प्रॉपर्टी


अगर आपको Content API के लिए अपना डेटा फ़ॉर्मैट करना है, तो Content API for Shopping देखें.

दिशा-निर्देश

पक्का करें कि आप अपने प्रॉडक्ट के लिए अच्छी क्वालिटी का डेटा सबमिट कर पाएं. इसके लिए, इन दिशा-निर्देशों का पालन करें.

ज़रूरी शर्तें

अपना प्रॉडक्ट दिखाने के लिए, आपको इन ज़रूरी शर्तों को पूरा करना होगा. अगर आप इन ज़रूरी शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, तो हम आपके प्रॉडक्ट को अस्वीकार कर देंगे और आपके Merchant Center खाते के 'गड़बड़ी की जानकारी' पेज पर इस बारे में जानकारी देंगे.

  • अपने प्रॉडक्ट की कुल कीमत (संख्या) और उसकी इकाई सबमिट करें. जैसे, अगर कीमत [price] एट्रिब्यूट की वैल्यू के तौर पर "300 रुपये", इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] एट्रिब्यूट की वैल्यू के तौर पर "150 fl oz", और इकाई मूल्य-निर्धारण आधार माप [unit_pricing_base_measure] एट्रिब्यूट की वैल्यू के तौर पर "100 fl oz" सबमिट की जाती है, तो हर 100 fl oz के लिए, इकाई कीमत 200 रुपये होगी.
  • अपनी इकाई कीमत के लिए डिनोमिनेटर (विभाजक) शामिल करें. यह एट्रिब्यूट तब फ़ायदेमंद होता है, जब आपके प्रॉडक्ट की कीमत, आम तौर पर इकाई की किसी खास मात्रा के हिसाब से दिखाई जाती है. जैसे, किसी खास परफ़्यूम को "150ml" के हिसाब से बेचा जा रहा है, लेकिन ग्राहक हर "100ml" की कीमत जानना चाहते हैं.
  • टारगेट किए गए देश की मुद्रा में दिखाई जा सकने वाली कीमत सबमिट करें (ISO 4217 के मुताबिक). जैसे, "100.12 रुपये" के बजाय, "101 रुपये" सबमिट करें. अगर कीमत को टारगेट किए गए देश की मुद्रा में नहीं मूल्य नीति दिखाया जा सकता, तो हम इसे उस कीमत के करीब कर देंगे जो दिखाई जा सकती है.
  • इकाई मूल्य-निर्धारण माप या ऊर्जा दक्षता श्रेणी (ऊर्जा दक्षता श्रेणी [energy_efficiency_class] एट्रिब्यूट का इस्तेमाल करके)में से, कोई एक सबमिट करें. दोनों सबमिट न करें. अगर दोनों एट्रिब्यूट सबमिट करते हैं, तो सिर्फ़ ऊर्जा दक्षता श्रेणी को ही दिखाया जाएगा.
  • दशमलव के बाद दो से ज़्यादा अंक न डालें. अगर आप दशमलव के बाद दो से ज़्यादा अंक लिखते हैं, तो वे अपने-आप ही दो अंकों मूल्य नीति वाली सबसे करीबी वैल्यू में बदल जाएंगे. उदाहरण के लिए, 1.0234 बदलकर 1.02 और 29.8999 बदलकर 29.90 हो जाएगा.

अन्य दिशा-निर्देश

यह तय करने के लिए कि ज़रूरी शर्तें आपके देश या प्रॉडक्ट पर लागू होती हैं या नहीं, हर सेक्शन की बारीकी से समीक्षा करें. अगर आप अपने देश या प्रॉडक्ट पर लागू होने वाली ज़रूरी शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, तो हम आपके प्रॉडक्ट को अस्वीकार कर देंगे. आपको इसकी सूचना आपके Merchant Center खाते के गड़बड़ी की जानकारी वाले पेज पर दी जाएगी.

  • यूनाइटेड किंगडम को टारगेट करते समय मेट्रिक मान सबमिट करें. इंपीरियल यूनिट (जैसे कि fl oz , pt , qt , और gal ) को अमेरिकी इंपीरियल यूनिट माना जाता है. ये यूनाइटेड किंगडम में इस्तेमाल की जाने वाली इंपीरियल यूनिट से अलग होती हैं.

उदाहरण

9 लीटर California Pinot Noir के लिए प्रॉडक्ट डेटा, जिसकी कीमत 6,999 रुपये है
एट्रिब्यूट वैल्यू
शीर्षक [title] Pinot Noir - 2007 - कैलिफ़ोर्निया - 9l
इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] 9 l
इकाई मूल्य-निर्धारण आधार माप [unit_pricing_base_measure] 1 l
कीमत [price] 6,999 रुपये
दिखाई गई वैल्यू: 778 रुपये / 1 l

रेड वाइन की 10 बोतलों के लिए प्रॉडक्ट डेटा, जिनकी कुल कीमत 6500 रुपये है
एट्रिब्यूट वैल्यू
शीर्षक [title] रेड वाइन की 10 बोतलें
इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] 7.5 l
इकाई मूल्य-निर्धारण आधार माप [unit_pricing_base_measure] 750 ml
कीमत [price] 6,500 रुपये
दिखाई गई वैल्यू: 650 रुपये / 750 ml

डिस्ट्रेस्ड वॉलनट फ़्लोरिंग के लिए प्रॉडक्ट डेटा
एट्रिब्यूट वैल्यू
शीर्षक [title] डिस्ट्रेस्ड नेचुरल वॉलनट फ़्लोरिंग
इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] 2.38 sqm
इकाई मूल्य-निर्धारण आधार माप मूल्य नीति [unit_pricing_base_measure] 1 sqm
कीमत [price] 11,319 रुपये
दिखाई गई वैल्यू: 4,756 रुपये / 1 m²
50 बिज़नेस कार्ड के लिए प्रॉडक्ट डेटा, जिनकी कुल कीमत 1,338 रुपये है
एट्रिब्यूट वैल्यू
शीर्षक [title] पसंद के मुताबिक बनाए गए 50 बिज़नेस कार्ड
इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] 50 ct
इकाई मूल्य-निर्धारण आधार माप [unit_pricing_base_measure] 1 ct
कीमत [price] 1,338 रुपये
दिखाई गई वैल्यू: 27 रुपये / 1 ct
125 मूल्य नीति ml परफ़्यूम के लिए प्रॉडक्ट डेटा, जिसकी कीमत 1,990 रुपये है
एट्रिब्यूट वैल्यू
शीर्षक [title] Eau de Toilette 125 ml
इकाई मूल्य-निर्धारण माप [unit_pricing_measure] 125 मूल्य नीति ml
इकाई मूल्य-निर्धारण आधार माप [unit_pricing_base_measure] 100 ml
कीमत [price] 1,990 रुपये
दिखाई गई वैल्यू: 1,592 रुपये / 100 ml

वैरिएंट

इसका इस्तेमाल तब करें, जब आपका प्रॉडक्ट, इकाई कीमत के हिसाब से कई वैरिएंट में आता हो (जैसे, 2.5 lbs, 6 lbs वगैरह). हर वैरिएंट को एक अलग प्रॉडक्ट के तौर पर सबमिट करें और उनके लिए, सामान के ग्रुप का आईडी [item_group_id] एट्रिब्यूट की एक ही वैल्यू सबमिट करें.

रबी फसलों की MSP में बढ़ोतरी: कैबिनेट बैठक में गेहूं का समर्थन मूल्य 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया, अन्य फसलों में दाम में भी इजाफा

केंद्र सरकार ने दिवाली से पहले किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है। गेहूं का समर्थन मूल्य 110 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। गेहूं, और दालों के साथ-साथ केंद्र सरकार ने रबी की 6 अन्य फसलों की MSP में बढ़ोतरी की है।

मसूर के MSP में 500 रुपए का इजाफा
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने गेहूं समेत सभी रबी फसलों की MSP में 3 से 9% बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। सरकार ने गेहूं की MSP में 110, जौ में 100, चना में 105, मसूर मे 500, सरसों में 400 और कुसुम में 209 रुपए की वृद्धि की है।

सरकार ने फसल वर्ष 2023-24 के लिए मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 500 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। वहीं सरसों और कैनोला के MSP में 400-400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।

क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?
MSP वह न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।

सरकार हर फसल सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।

टीकाकरण पर केंद्र की दोहरी मूल्य नीति पर कोर्ट की फटकार, कहा- राज्यों को अधर में नहीं छोड़ सकते

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि महामारी की पल-पल बदलती स्थिति से निपटने के लिए वे अपनी नीतियों में लचीनापन रखें. साथ ही अदालत ने केंद्र के टीकाकरण के लिए ‘कोविन’ पर पंजीयन अनिवार्य करने को लेकर कहा कि बार-बार डिजिटल इंडिया का नाम लिया जाता है पर ग्रामीण इलाकों में हालात अलग हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि महामारी की पल-पल बदलती स्थिति से निपटने के लिए वे अपनी नीतियों में लचीनापन रखें. साथ ही अदालत ने केंद्र के टीकाकरण के लिए ‘कोविन’ पर पंजीयन अनिवार्य करने को लेकर कहा कि बार-बार डिजिटल इंडिया का नाम लिया जाता है पर ग्रामीण इलाकों में हालात अलग हैं.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)

नई दिल्ली: ग्रामीण और शहरी भारत में ‘डिजिटल विभाजन’ को उजागर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को सरकार से कोविड टीकाकरण के लिए कोविन ऐप पर पंजीकरण अनिवार्य बनाए जाने, उसकी टीका खरीद नीति और अलग-अलग दाम को लेकर सवाल पूछते हुए कहा कि ‘अभूतपूर्व’ संकट से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए नीति निर्माताओं को ‘जमीनी हकीकत से वाकिफ होना चाहिए’.

केंद्र से जमीनी स्थिति का पता लगाने और देश भर में कोविड-19 टीकों की एक कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार को परामर्श दिया कि ‘महामारी की पल-पल बदलती स्थिति’ से निपटने के लिए वह अपनी नीतियों में लचीनापन रखें.

पीठ ने कहा, ‘हम नीति नहीं बना रहे हैं. 30 अप्रैल का एक आदेश है कि यह समस्याएं हैं. आपको लचीला होना चाहिए. आप सिर्फ यह नहीं कह सकते कि आप केंद्र हैं और आप जानते हैं कि क्या सही है. हमारे पास इस मामले में कड़े निर्णय लेने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं.’

इस तीन सदस्यीय पीठ में जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट भी शामिल हैं, जो कोरोना वायरस के मरीजों को आवश्यक दवाओं, टीकों तथा चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति से जुड़े मामले का स्वत: संज्ञान ले कर सुनवाई कर रही है.

सुनवाई के अंत में पीठ ने हालांकि महामारी से निपटने के लिए केंद्र और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ‘हमारा इरादा किसी की निंदा या किसी को नीचा दिखाना नहीं है. जब विदेश मंत्री अमेरिका गए और बातचीत की तो यह स्थिति के महत्व को दर्शाता है.’

केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विभिन्न राष्ट्रों के प्रमुखों के साथ हुई वार्ता का संदर्भ दिया और पीठ से ऐसा कोई आदेश पारित न करने का अनुरोध किया, जिससे फिलहाल टीका हासिल करने के लिए चल रहे कूटनीतिक व राजनीतिक प्रयास प्रभावित हों.

पीठ ने कहा, ‘इस सुनवाई का उद्देश्य बातचीत संबंधी है. मकसद बातचीत शुरू करना है जिससे दूसरों की आवाज को सुना जा सके. हम कुछ ऐसा नहीं कहने जा रहे जिससे राष्ट्र का कल्याण प्रभावित हो.’

मेहता ने महामारी की स्थिति के सामान्य होने के बारे में अदालत को सूचित किया और कहा कि टीकों के लिहाज से पात्र (18 साल से ज्यादा उम्र की) संपूर्ण आबादी का 2021 के अंत तक टीकाकरण किया जाएगा.

मेहता ने पीठ को सूचित किया कि फाइजर जैसी कंपनियों से केंद्र की बात चल रही है. अगर यह सफल रहती है तो साल के अंत तक टीकाकरण पूरा करने की समयसीमा भी बदल जाएगी.

पीठ ने कहा, ‘क्या यह केंद्र सरकार की नीति है कि राज्य या नगर निकाय टीकों की खरीद कर सकते हैं या फिर केंद्र सरकार नोडल एजेंसी की तरह उनके लिए खरीद करने वाली है? हम इस पर स्पष्टीकरण चाहते हैं और नीति के पीछे क्या तर्क है यह जानना चाहते हैं.’

पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने टीकाकरण मूल्य नीति के लिए ‘कोविन’ पर पंजीयन अनिवार्य किया है तो ऐसे में वह देश में जो डिजिटल विभाजन का मुद्दा है, उसका समाधान कैसे निकालेगी.

पीठ ने पूछा, ‘आप लगातार यही कह रहे हैं कि हालात पल-पल बदल रहे हैं लेकिन नीति निर्माताओं को जमीनी हालात से अवगत रहना चाहिए. आप बार-बार डिजिटल इंडिया का नाम लेते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में दरअसल हालात अलग हैं. झारखंड का एक निरक्षर श्रमिक राजस्थान में किस तरह पंजीयन करवाएगा? बताएं कि इस डिजिटल विभाजन को आप किस तरह दूर करेंगे?’

न्यायालय ने कहा, ‘आपको देखना चाहिए कि देश भर में क्या हो रहा है. जमीनी हालात आपको पता होने चाहिए और उसी के मुताबिक नीति में बदलाव किए जाने चाहिए. यदि हमें यह करना ही था तो 15-20 दिन पहले करना चाहिए था.’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि पंजीयन अनिवार्य इसलिए किया गया है क्योंकि दूसरी खुराक देने के लिए व्यक्ति का पता लगाना आवश्यक है. जहां तक ग्रामीण इलाकों की बात है तो वहां पर सामुदायिक केंद्र हैं, जहां पर टीकाकरण के लिए व्यक्ति पंजीयन करवा सकते हैं.

पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या सरकार को ऐसा लगता है कि यह प्रक्रिया व्यवहार्य है. इसलिए पीठ ने उसने नीति संबंधी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया.

पीठ ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, ‘कोविड रोधी विदेशी टीकों की खरीद के लिए कई राज्य वैश्विक निविदाएं निकाल रहे हैं, क्या यह केंद्र सरकार की नीति है?’ इसमें पीठ ने पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों तथा मुंबई की महानगर पालिका का जिक्र किया.

न्यायालय ने केंद्र से उसकी ‘दोहरी मूल्य नीति मूल्य नीति’ को लेकर भी सवाल किए और कहा कि सरकार को टीका खरीदना है और यह सुनिश्चित करना है कि वो पूरे देश में एक समान कीमत पर उपलब्ध हों क्योंकि राज्यों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता है.

अदालत ने कहा कि राज्यों से टीका खरीद के लिए एक दूसरे से ‘चुनो और प्रतिस्पर्धा करो’ के लिए कहा जा रहा है.

पीठ ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. संविधान का अनुच्छेद एक कहता है कि इंडिया, जो भारत है, राज्यों का संघ है. जब संविधान यह कहता है तब हमें संघीय शासन का पालन करना चाहिए. भारत सरकार को इन टीकों की खरीद और वितरण करना चाहिए. राज्यों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता.’

न्यायालय ने कहा, ‘हम सिर्फ दोहरी मूल्य नीति का समाधान चाहते हैं. आप राज्यों से कह रहे हैं कि कंपनी चुनो और एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करो.’

वहीं, कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चों और ग्रामीण भारत में ज्यादा खतरा होने की खबरों पर चिंता जाहिर करते हुए अदालत ने केंद्र से पूछा कि क्या इस संदर्भ में कोई अध्ययन हुआ है.

पीठ ने पूछा, ‘क्या किसी सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों के लिये कोई अध्ययन कराया गया है. हमें बताया गया है कि तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा है और ग्रामीण इलाके प्रभावित होंगे. हम आपकी टीकाकरण नीति के बारे में भी जानना चाहते हैं.’

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है कि वे इस बीच हलफनामा दायर कर इन सभी चिंताओं पर जवाब दें.

भारत में दवा मूल्य नीति न होने की वजह से मरीजों को कैसे लूटा जा रहा है ? जान लें फैक्ट्स

फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से दवाओं के लेबल पर अनाप-शनाप और मनमाने ढंग से बहुत ज्यादा एमआरपी छापी जाती है, जिनमें जेनेरिक और जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं।

Written by akhilesh dwivedi | Updated : February 3, 2019 2:10 PM IST

द निजामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के संस्थापक अध्यक्ष पी.आर. सोमानी का कहना है कि दवाइयों के लेबल पर निर्माताओं की ओर से छापी गई एमआरपी इन दवाओं की बिक्री के दामों से 3000 फीसदी तक अधिक होती है। उन्होंने कहा कि ड्रग प्राइस पॉलिसी नहीं होने के कारण लोगों को रोजाना लूटा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आज दवाइयों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए कोई ड्रग प्राइस पॉलिसी नहीं है इसलिए फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से दवाओं के लेबल पर अनाप-शनाप और मनमाने ढंग से बहुत ज्यादा एमआरपी छापी जाती है, जिनमें जेनेरिक और जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं। यही नहीं, सर्जिकल उपकरण के दाम भी काफी बढ़ा-चढ़ाकर लेबल पर प्रिंट किए जाते हैं।

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उन्होंने बताया, "मैंने अलग-अलग कंपनियों की कई दवाओं का अध्ययन किया है और यह पाया है कि खुदरा व्यापारियों के खरीद मूल्य और दवाओं के लेबल पर छपी एमआरपी में बहुत बड़ा अंतर है।

पी.आर. सोमानी ने कहा, "मैंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 20 अक्टूबर 2018 को ई-मेल से सभी तथ्यों और सबूतों के साथ स्थिति की जानकारी दी थी। पीएमओ ने तत्काल जवाब देते हुए इस मुद्दे को संबंधित विभाग को भेज दिया था।"

उन्होंने कहा, "मैंने इस मुद्दे को पिछले साल 26 दिसंबर को देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के सामने भी उठाया था। उनकी पहल पर मैंने रासायनिक उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा, फार्मास्युटिकलविभाग के सचिव जे.पी. प्रकाश, फार्मास्युटिकल विभाग के संयुक्त सचिव नवदीप रिणवा के सामने यह मुद्दा उठाया। हर कोई इस बात को सुनकर स्तब्ध और हैरान रह गया और सभी ने समग्र रूप से तथ्यों को स्वीकार किया।"

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